मीडिया में पैसे बनाने का खेल जिन्हें एक बार आ जाता है, वे फिर पीछे मुड़कर नहीं देखते. यह हर कोई कहने-जानने लगा है कि मीडिया का मतलब कभी सरोकार रहा होगा, लेकिन इन दिनों तो इसका मतलब माल बनाना होता है. मीडिया अब उस चिड़िया का नाम है, जिसके जरिए महानता का लबादा ओढकर और सम्मानित माने जाने का भाव धारण कर मुनाफा कमाया जा सकता है.
बाकी धंधों में तो आप सीधे सीधे माल कमाते हैं पर यहां आप माल कमाने के साथ-साथ सोकाल्ड सरोकार की भी बात कर सकते हैं, देश-समाज की चिंता में प्रवचन भी दे सकते हैं, सरकार की भी बात कर सकते हैं और दो नंबर के पैसे का स्याह-सफेद भी कर सकते हैं. जिस जिस ने इस धंधे में कदम रखा और मजा चखा, उसने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. केंद्रीय मंत्री बन चुके राजीव शुक्ला की पत्नी अनुराधा प्रसाद की कंपनी ने घोषणा की है कि अब न्यूज चैनल और बालीवुड चैनल के बाद धार्मिक चैनल लांच किया जाए. न्यूज24 और ई24 के बाद अब दर्शन24 की बारी है. महान पत्रकार संतोष भारतीय ने घोषणा की है कि वह जल्द ही अंग्रेजी मैग्जीन और न्यूज चैनल लाने वाले हैं.
घोषणाएं करने में माहिर और खुद को हर जगह प्रोजेक्ट करने में उस्ताद संतोष भारतीय की घोषणा के मुताबिक चौथी दुनिया साप्ताहिक हिंदी के बाद चौथी दुनिया साप्ताहिक अंग्रेजी लांच किया जाएगा. इसके अलावा एक न्यूज चैनल भी लाया जाएगा. चौथी दुनिया हिंदी साप्ताहिक के बुंदेलखंड एडिशन की भी लांचिंग की तैयारी है. संतोष भारतीय का कहना है कि उनके हिंदी अखबार चौथी दुनिया को अच्छा रिस्पांस मिला है और जहां भी यह अखबार है वहां वह लीडर के रोल में है. संतोष भारतीय के इन दावों में कितनी सच्चाई है, यह तो वो ही जानें लेकिन यह सच है कि आजकल के दौर में अगर हाथ में कोई झुनझुना ना हो तो मार्केट में भाव थोड़ा कम मिलने लगता है.
चौथी दुनिया की दूसरी पारी कितनी दुखद है, यह सभी जानते हैं. एक अच्छे खासे ब्रांड, अखबार का जोरशोर के साथ किया गया पुनर्जीवन अंततः बाजार की भीड़ में कहीं खो गया. अपनी दूसरी पारी में चौथी दुनिया ने न तो अच्छे पत्रकार सृजित किए और न अच्छे पत्रकारों को अपना यहां लंबे समय तक जोड़ सका. देखना है कि संतोष भारतीय की नई घोषणाओं को मीडिया जगत कितनी गंभीरता से लेता है. हां, एक बात तय है कि नया चैनल खोलने की घोषणा के बाद संतोष भारतीय और उनके एकमात्र सलाहकार डा. मनीष कुमार के इर्दगिर्द नौकरी मांगने वाली की भीड़ एक बार फिर बढ़ जाएगी.
अब आते हैं अनुराधा प्रसाद की कंपनी बीएजी के पास. बैग न्यूजलाइन नेटवर्क के सीईओ ब्राडकास्टिंग हैं आरके अरोड़ा. इन्होंने घोषणा की है कि जल्द ही ग्रुप आध्यात्मिक चैनल दर्शन24 लेकर मैदान में आ रहा है. उन्होंने लांचिंग की तारीख भी बता दी है, 28 सितंबर. कहने को तो हर आध्यात्मिक-धार्मिक चैनल का मकसद आम जन में सुख, शांति, मानवता, सत्य आदि का प्रचार करना होता है लेकिन चैनल के जानकार लोग अच्छी तरह से बूझते हैं कि धार्मिक चैनलों का गोरखधंधा कितना गहरा है. ज्यादातर धार्मिक चैनल काली कमाई को सफेद बनाने के लिए चलाए जाते हैं.
बाबाओं के भारी भरकम रकम को ह्वाइट कर दिया जाता है. साथ ही धार्मिक-आध्यात्मिक चैनलों के जरिए हजारों करोड़ रुपये के धर्म के मार्केट को कैश किया जाता है. अच्छा है, बीएजी वाले अब सही रास्ते पर बढ़ चल पड़े हैं. धार्मिक चैनलों की खासियत यह है कि इसमें लागत कम आती है और फायदा बहुत होता है. हर स्लाट बिका हुआ होता है. जो भी बाबा प्रवचन करता हुआ आपको धार्मिक चैनल पर दिखता है, तुरंत समझ जाइए बाबा ने लाख दो चार लाख खर्च कर टीवी पर प्रवचन झाड़ रहे हैं. धार्मिक चैनल के लिए स्टाफ भी कम रखना होता है. लाइव प्रसारण की भी जरूरत नहीं होती है. मतलब, हींग लगे न फिटकरी, रंग चोखा ही चोखा.
भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत का विश्लेषण. अगर आप असहमत हों तो अपनी बात नीचे दिए गए कमेंट बाक्स के जरिए रख सकते हैं या फिर bhadas4media@gmail.com पर मेल कर सकते हैं.
Comments on “घोषणाओं का मौसम : अनुराधा प्रसाद और संतोष भारतीय ला रहे नए चैनल”
hahaha its the nice way to make your money white with this
nice saying na heeng lage na fatkhari
Are janab channel nahi ye boliye ki ek aur dukan khulne jaa rahi hai…
Darshan 24… god bless you……….
ग़लत !
संतोष भारतीय के तथाकथित वेंचर में बेरोजगारों की कोई कोई लाइन नहीं लगनी है .
इन्हें बाज़ार में कोई पूछता नहीं , अपने को प्रोजेक्ट करने के लिए फुलझड़ी छोड़ते रहते हैं .
संतोष भारतीय तो एक पोर्टल चलाने की औकात नहीं रखते . लेकिन नक्शेबाज़ी बहुत है .
नेताओं के इर्द-गिर्द दलाली तक सिमट गई है , श्रीमान जी की पत्रकारिता .
काठ की हांड़ी बार- बार नहीं चढ़ती .
मीडिया के मिस्टर नटवरलाल से सावधान !
यशवंत जी. चौथी दुनिया में एक भी विज्ञापन नहीं दिखता. अखबार भी नहीं दिखता. कमल मोरारका कै पैसा भी नहीं दिखता. दिखती है तो केवल संतोष भारतीय की हनक और एक भी शब्द का सही उच्चारण न कर पाने वाले डॉ मनीष का भोथरा ज्ञान. आपने एक भी पत्रकार न पैदा कर पाने वाली बात कही इसकी सबसे बड़ी वजह भी डॉ मनीष हैं. जो भी लगता है अच्छा कर रहा उसे डॉ मनीष अपने लिए खतरा मानते हैं. और उसे निकालने की जुगत शुरू कर देते हैं. किसी विषय पर पांच लाइन लिखने बोलने को कह दीजिए तो पसीने छूट जाते हैं. संतोष भारतीय के क्या कहने देश के सबसे विश्वसनीय और निर्भीक पत्रकार हैं भई खुद ही अपने स्टैंडर्ड और पुअर हैं. खुद ही अपनी रेटिंग तय करते हैं वैसे उन्हें यह तमगा किस संस्था ने दिया है इसका भी जिक्र अगर वे अपनी इस तारीफ में कर देते तो थोड़ा ज्ञानवर्धन होता.
aapne jo kaha vo sab mai apne shahar ke news 24 ke reporter ko pahle hi bata chuka tha
जरा सोचिए, अजित अंजुम जब भगवा वस्त्र धारण कर अपनी सफेद दाढ़ी और अधपके बालों के साथ नैतिकता, पत्रकारिता और धर्म पर प्रवचन देंगे तो कैसा लगेगा?
100 % सही सर
यशवंत भाई,
संतोष भारतीय और राजीव शुक्ल जैसों की बढ़िया जामा-तलाशी ली है आपने. राजीव तो खैर जुगाड़ राजनीति के हॉल ऑफ़ फेम में जगह हासिल कर चुके हैं. जनता की रिपोर्टिंग से लेकर संसद में हर दल से जुगत भिडाकर सत्ता में बने रहने की कला तो कोई उनसे सीखे! पर उनके बारे में ज्यादा इसलिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि उन्होंने कभी सरोकार या आदर्शों की बात नहीं की. वे एक विशुद्ध धन्धेबाज़ आदमी रहे हैं. लेकिन फ्रेंचकट (पिछली बार मैंने उन्हें इसी धज में देखा था) भाईसाहब को बुद्धिजीवी दिखने का भी शौक है. जब वे चौथी दुनिया को रेलौंच कर रहे थे तो उसमें काम करने की इच्छुक अभ्यर्थियों से एक फार्म टाइप चीज़ भरवा रहे थे. जिसे देखकर लगता था कि एक बार अखबार आ जाय तो देश में क्रांति हो जायेगी. मैं बहुत बेचैन था उसकी प्रति खरीदने के लिए. कई जगह पूछताछ भी की. लेकिन जब उसे खोलकर देखा तो यकीन नहीं कर पाया कि कोई अखबार इतना घटिया कैसे हो सकता है. वहां कुछ भी नहीं था- न खबर, न विश्लेषण, न साज-सज्जा का कोई ख़ास विन्यास. सब कुछ इतना बासी और कल्पनाहीन दिख रहा था कि मुझे फ़ौरन शक हुआ कि संतोष भारतीय इतना ‘प्रतिष्ठित’ नाम कैसे हो सकता है…
खैर, अगर संतोष जी चाय की पत्ती को दुबारा खौलाकर चौथी दुनिया बना सकते हैं तो उसे तीसरी बार उबालकर चैनल भी चला सकते हैं. वहां भी तो पैसों की ही दरकार होती है. बाकि सरोकार/फ़रोकर तो गाने बजाने की भंगिमाएं होती हैं. असली बात तो ये है कि किसी की दुकान जम पाती है या नहीं.
मितुल मलिक;D
sir aap sahi kah rahe hai………ajkal chennal peasa kamane ki hod me apane zamir ko bech rahe hai…rajkumar 9808898695