: मीडिया करप्शन के खिलाफ स्थानीय लोगों का ऐतिहासिक विरोध : बाजारू मंडी में रंडी मीडिया के दलालों के कारण ये दिन देखने होंगे : क्या आपने कभी सोचा था कि एक दिन कोई शहर या कस्बा इसलिए बंद रखा जाएगा क्योंकि वहां के लोग पत्रकारों की ब्लैकमेलिंग से पूरी तरह परेशान हो चुके हैं. मीडिया करप्शन इतना बढ़ जाएगा कि इसके खिलाफ बंद तक का आयोजन होने लगेगा, ऐसी कल्पना किसी ने न की होगी.
पुलिस के खिलाफ बंद का आयोजन होता रहता है. नेताओं के खिलाफ बंद का आयोजन होता रहता है. अफसरों के खिलाफ बंद का आयोजन होता है. उद्योगपतियों के खिलाफ बंद का आयोजन हो जाता है. पर मीडिया के खिलाफ कभी कहीं बंद का आयोजन नहीं हुआ. मीडिया को जनता के साथ, जनता के लिए काम करने वाला स्तंभ माना जाता है. पर परम बाजारू मंडी वाले इस दौर में मीडिया ने खुद को इस कदर रंडी बना लिया है कि वह जनता की गोद से निकलकर भ्रष्ट नेताओं, भ्रष्ट अफसरों और भ्रष्ट उद्योगपतियों की गोद में जाकर बैठ गई है. इस कारण मीडिया का चरित्र बदल गया. उसका काम घपले-घोटाले उजागर करना और जनता की तकलीफों-दुखों के लिए लड़ना नहीं रह गया. मीडिया का काम हो गया घपलों-घोटालों को न छापने के नाम पर पैसे लेना. मीडिया का काम जन मानस को डरा-धमका कर पैसे वसूलना हो गया.
ऐसे हालात में जाहिर है कि मार्केट मंडी में रंडी हुई मीडिया के ढेर सारे दलाल पत्रकार उसी तरह आम जनता को चूसेंगे, शोषण करेंगे जैसे भ्रष्ट नेता, भ्रष्ट अफसर और भ्रष्ट उद्यमी करते हैं. इस हालत में एक न एक दिन जनता के धैर्य का जवाब दे जाना स्वाभाविक है. यही हुआ उत्तरी कर्नाटक के मुढोल कस्बे में. यहां 20 सितंबर को स्थानीय निवासियों ने बाजार, दुकान, दफ्तर, कारोबार, परिवहन सब बंद रखा. इस ऐतिहासिक बंद का आयोजन ”ब्लैकमेल जर्नलिज्म” के खिलाफ किया गया. लोगों का कहना है कि पत्रकारों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है और लुटेरे-लफंगे तक पत्रकार बन गए हैं जिनका एकमात्र काम लोगों को डरा धमका कर उगाही करना है. जो इन्हें पैसे नहीं देता, उसको ये लोग तरह तरह से परेशान पीड़ित प्रताड़ित करते रहते हैं.
कर्नाटक के एक दैनिक अखबार प्रजा वाणी ने इस बंद के बारे में लिखा कि मीडिया के खिलाफ यह ऐतिहासिक बंद पूरी तरह सफल रहा. करीब एक लाख नागरिकों वाले इस कस्बे में मीडिया विरोधी बंद का असर जबरदस्त था. दुकानों और प्रतिष्ठानों के शटर गिरे रहे. सड़कों पर गाड़ियां नहीं चलीं. विरोध प्रदर्शन करने वालों में स्थानीय नेताओं, किसानों के साथ-साथ कई जर्नलिस्ट भी थे. सैकड़ों की संख्या में लोगों ने मार्च किया और तहसीलदार के आफिस जाकर उन्हें ज्ञापन सौंपा. विरोध प्रदर्शन करने वाले एक शख्स का कहना था कि कई साप्ताहिक अखबार अपनी हरकतों के कारण पूरे मीडिया प्रोफेशन को बदनाम कर रहे हैं. इसी तरह कुछ लोग आरटीआई के जरिए उगाही का काम करके आरटीआई एक्ट की प्रासंगिकता पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
कर्नाटक के मुढोल कस्बे के लोगों ने जो रास्ता दिखाया है, उस रास्ते पर देश के कई अन्य कस्बे और शहर चल पड़ेंगे, इतना तय है. पत्रकारों की दिन प्रतिदिन बढ़ती संख्या, ब्लैकमेलिंग की दिन प्रतिदिन बढ़ती घटनाएं, मीडिया मालिकों द्वारा किसी भी प्रकार से रेवेन्यू जनरेट करने के लिए दिया जाने वाला दबाव, जीवन यापन के लिए पत्रकारिता को उगाही का जरिया बनाना, पेड न्यूज के जरिए नेताओं-व्यापारियों से सौदेबाजी करना… इन सब चीजों से अंततः आम लोगो में मीडिया के प्रति भरोसा खत्म होगा और लोग पत्रकार को देखते ही उसी तरह दायें बायें सरकने लगेंगे जैसे आजकल पुलिस वालों को देखकर करते हैं. मीडियावाले जब उगाही और ब्लैकमेलिंग की हद पार कर देंगे तो लोग सड़कों पर उतरने और बंद आयोजित करने को मजबूर हो जाएंगे. फिलहाल तो मीडिया के लगातार गर्त में गिरने पर लगाम लगने-लगाने के दूर-दूर तक कोई आसार नहीं हैं क्योंकि जब तक भ्रष्ट राजनीति नहीं खत्म होगी, मीडिया में से भ्रष्टाचार को खत्म कर पाना मुश्किल है.
भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह की रिपोर्ट. उनसे संपर्क yashwant@bhadas4media.com के जरिए कर सकते हैं.
Comments on “जर्नलिस्टों की ब्लैकमेलिंग के विरोध में पूरी तरह बंद रहा एक कस्बा”
पत्रकारों द्वारा ब्लैकमेलिंग के कार्यों से हम तो जोधपुर में आज से बीस वर्ष पहले ही वाकिफ हो चुकें है|
यशवंत दादा,
कर्नाटक के मुढोल कस्बे के लोगों जैसा ही जज़्बा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों में भी आना चाहिये यहां भी इस पवित्र पेशे को कुछ तथाकथित भड़ुओं ने ऐसा बदनाम किया है कि अपने आप को पत्रकार कहने में अब शर्म मह्सूस होती है। नये-नये बने पत्रकार न सिर्फ़ लोगों को ब्लैकमेल कर रहे हैं बल्कि बाकायदा छापामार दल बनाकर सरकारी अधिकारियों का रोल भी अदा कर रहे हैं। ऐसे धंधेबाज़ों को जनता जनार्दन ही सबक सिखा सकती है।
sir aap ki kahi bato s ham puri tarhy sahmat h kiuki m khud es hi esi chatre or patrkarita s juda hu magar sir hamara akhbar bina vagapan k or plz hamari wabsait http://www.rashtriyamanavadhikar.com dakhy or apny sujaw bhajeye or
Sab jagah ki ak hi kahani hai bhaya
Hamare yaha to nakli news channel khol kar basuli ki jati hai
Jabki Sarkari aadmi se lekar neta log sab jante hai
neta or adhikari ko mal or aapna news channel ki larki saplay ki jati haiiiiii
यशवंत सर आपने सही कहा की अब मीडिया में बहूत बुरी पोजिसन हो गयी है । अगर आपने मीडिया को रंडी का दर्जा दिया हैं तो मेरी नज़र में आप गलत है क्योंकि रंडी का एक रेट होता जो एक तय रकम पर ही किसी भी आदमी के साथ सोती है लेकिन उससे भी ज्यादा बुरी हो गयी है मीडिया जो किसी भी रेट पर किसी भी आदमी के साथ सो जाती है। तो इसलिए मेरे मायने में रंडी अच्छी हैं जोकि एक ईमान तो रखती है।यही ठीक पोजिसन आगरा की मीडिया की भी हो गयी है जोकि बिना रेट तय करे ही किसी के भी साथ हमबिस्तर हो जाती है। इसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिला आगरा में हाल में ही सम्पन्न हुई जनकपुरी में जिसके प्रेसीडेंट के सामने आगरा के सब के सब बढुए पत्रकार रंडी की तरह ही नीचे लेट गए।
लोगो का गुस्सा जायज हे और येसा होना भी चाहिए पर एक बात सोचनेवाली हे की पत्रकार किसी को ब्लेकमेल क्यूँ करेंगा मतलब यही हे की किसी भी गलत चीज को छुपाने की अवेज में ये सारा धंधा चल रहा हे लेकिन पत्रकार से ज्यादा वे लोग दोषी हे जो मिडिया मालिक हे वही लोग हे जो पत्रकारों को स्वतंत्रता से कार्य नहीं करने देते कुछ लोगो ने आर.टी.आई को धंधा बना दिया हे पर जो लोग प्रमाणिकता से काम करते हे उनके लिए कभी भी जनता साथ नहीं देती कभी लोगो ने किसी आर.टी.आई. कार्यकरत की मोत पर बवाल खड़ा किया हे …?
भ्रष्टाचार होता नहीं हे लोग ही मोका देते हे इस सारे वाकिये में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हर कोई दोषी हे सिर्फ पत्रकारों पर कीचड़ उछाल ने से इस का निवारण कतई नहीं हो सकता……..वन्दे मातरम
lsok esa]
laiknd]
HkM+kl4ehfM;k-dkWeA
fo”k;&LVkj U;wt] bafM;k Vh-oh- ds eqaxsj fLFkr laoknnkrk iwue dqekjh mQZ ’kkfyuh dqekjh }kjk Hk;knksgu] tkylkth ,oa ehfM;k dk nq:i;ksx djuk A
egksn;]
vktdy vkidk osclkbV vR;ar gh yksdfiz; gS] ihfMr i=dkjksa ,oa lkekU; tuksa esa vkids osclkbV ds izfr dkQh tkx:drk cuh gqbZ gSA eSa Hkh mu yk[kks djksM+ks yksxksa esa ls ,d gWaw tks vkids osclkbV dk fu;fer ikBd gS A ijUrq ,d ckr cgqr gh nq[k ds lkFk crkuk pkgrk gWw fd s eqaxsj fLFkr LVkj U;wt laoknnkrk iwue dqekjh ,oa mldk HkkbZ pUnu dqekj mQZ pUnz’ks[kj dqekj LVkj U;wt] bafM;k Vh-oh- bR;kfn tSlss vR;ar gh izfrf”Br U;wt pSuy ds cSuj dks dyafdr djus esa dksbZ dlj ugha j[kus dk chM+k mBk jD[ks gSaA ;s tc rc lg;ksxh ehfM;kdehZ;ksa ls Hkh my>rs jgrs gSa ,oa lg;ksfx;ksa dks ns[k ysus dh /kedh rd nsrs jgrs gSa bldk izek.k eqaxsj ds fdlh Hkh ehfM;kdehZ ls iwNus ij fey tk;xkA os gj ljdkjh ,oa xSj ljdkjh dk;kZy;ksa] O;kikfjd izfrLBkuksa esa vius LVkj U;wt ,oa bafM;k Vh-oh- ds cSuj dk /kkSal fn[kkdj viuk O;fDrxr dke djokrs fQjrs gSA bruk gh ugha vius gjdrksa ls dq[;kr laoknnkrk iwue dqekjh djhc vk/ks ntZu U;wt pSuyksa esa Hkh viuk uke cny cny dj ,d gh ckbV dks Hkstrs gaSA ;gkWa rd fd viuh cgu ’kkfyuh dqekjh ds uke ls Hkh bafM;k Vh-oh- ls tqM+h gqbZ gSa vkSj bafM;k Vh-oh- ds fy, U;wt lacaf/kr lHkh lwpukvksa ,oa ohfM;ksa QqVst dks viuh cgu ’kkfyuh dqekjh ds uke ls [kqn Hkstrh gSA egt fn[kkos ds fy, budh cgu bl pSuy esa layXu gS ysfdu leLr dk;ksZ dks iwue dqekjh Lo;a djrh gS ;s rks ek= ,d mnkgj.k gSA eqaxsj ds yksxksa dks bl ckr dk vQlksl ugha gS fd og vU; pSuyksa dks Hkh QhM djrh gS cfYd vkdzks’k bl ckr dk gS fd dksbZ dSls brus cM+s ,oa izfrf”Br pSuyksa dk fel;wt ,oa bls cnuke dj jgk gS gSjkuh dh ckr ;g gS fd LVkj U;wt] bafM;k Vh-oh- bR;kfn ds iVuk fLFkr i=dkjksa dks Hkh csodwQ cukdj vklkuh ls viuk mYyw lh/kk djrh vk jgh gSA
bl dq[;kr iwue dqekjh dk HkkbZ /kesZUnz dqekj ‘’kjkc dk Ogksy lsyj gS bldh eqaxsj lnj cktkj esa] esu ekdsZV esa nks&nks nqdkusa gSaA ;g /kesZUnz dqekj mQZ /kesUnz eaMy vius dks vD[kk eqaxsj dk jaxnkj le>rk gSA vHkh gky gh esa blds NksVs HkkbZ dks fdlh nwljs jaxnkj us mlh ds ‘’kjkc nqdku esa ?kqldj xksyh ekj nh Fkh A ftls fdlh rjg cpk;k tk ldkA
vHkh gky gh esa fiNys lky laiUu gq, fo/kkulHkk pquko esa Hkh iwue dqekjh ij dqN ikVhZ ds mEehnokjkas ls dkQh iSlk Mdkjus dk vkjksi yx pqdk gSA lcls nq[kn ckr ;g gS fd ml ij eqaxsj izeaMy esa in&LFkkfir gks dj vkus okys u;s u;s vQljksa ds lkFk voS/k laca/k cukdj] yksxksa ls voS/k :i ls iSlk ysdj fofHkUu dkeksa ds djokus ds vkjksi Hkh le; le; ij yxrs jgs gSaA eqaxsj ize.My esa buds pfj= dks vPNk ugha le>k tkrk gSA pwWafd eSa vkids oscist dk fu;fer ikBd gWw blfy, eSa vkids osclkbV ds ek/;e ls leLr ehfM;k ca/kqvksa dks oLrqfLFkfr ls voxr djkuk mfpr le>k ,oa bl eap ls ehfM;k txr ls Hkh ;g iz’u iwNuk pkgrk gWwwa fd ek= eSfV~zd&baVj ikl ,oa ftudks fy[kus is vk’kk gh ugha iw.kZ fo’okl gS fd ,sls ?kfV;k ,oa pfj=ghu i=dkjksa dk inkZQk’k fd;s tkus ls lPps] dRkZO;fu”B ,oa pfj=oku i=dkjksa ds ekFks ij yxs gq, dyad ds Vhdss dks feVk gqvk le>waxkA
esjs fopkj ls ,sls i=dkjksa dk iwjs ehfM;k ifjokj ls cfg”d`r dj fn;k tkuk pkfg,A
fo’oklHkktu]
vkj- xkSjh’kadj
eqqaxsj
voh din door nhi jab is trha ke patarkaron ko log gharo se nikal kr jutay marenge. media main jo log serious hain voh log is proffesion ko alvida kehne pr majboor ho rhenge