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पतन-प्रहसन : नत्था लाइव इंडिया सुधीर चौधरी

[caption id="attachment_18365" align="alignleft" width="148"]अरुण जेटली से सवाल पूछता नत्थाअरुण जेटली से सवाल पूछता नत्था[/caption]यह मीडिया का पतन – प्रहसन काल है. पतन – प्रहसन अपने अंजाम तक नहीं पहुंचे हैं, इसलिए कई लोग आशंकित-अचंभित होते रहते हैं, पतन-प्रहसन के नए-नए तौर-तरीके देखकर. लाइव इंडिया नाम से एक न्यूज चैनल है. पहले जनमत नाम था. तब उसके मालिक कोई और थे. अब कोई और हो गए हैं.

अरुण जेटली से सवाल पूछता नत्था

अरुण जेटली से सवाल पूछता नत्था

अरुण जेटली से सवाल पूछता नत्था

यह मीडिया का पतन – प्रहसन काल है. पतन – प्रहसन अपने अंजाम तक नहीं पहुंचे हैं, इसलिए कई लोग आशंकित-अचंभित होते रहते हैं, पतन-प्रहसन के नए-नए तौर-तरीके देखकर. लाइव इंडिया नाम से एक न्यूज चैनल है. पहले जनमत नाम था. तब उसके मालिक कोई और थे. अब कोई और हो गए हैं.

लेकिन जनमत से लाइव इंडिया की यात्रा के दौरान और इस मालिक से उस मालिक के हाथ चैनल के जाने के दौरान इसके संपादक और सीईओ पद पर एक ही सज्जन बने रहे. नाम है सुधीर चौधरी. हर फन के माहिर हैं. टीआरपी और बिजनेस साधने से लेकर मालिकों को पटाने-मनाने के उस्ताद हैं. बिहार चुनाव में इन सुधीर चौधरी ने एक नया प्रयोग किया. उन्होंने पीपली लाइव फिल्म के कलाकार ओंकारदास माणिकपुरी उर्फ नत्था को अपने चैनल की माइक आईडी लोगो थमाकर पटना के मैदान में उतार दिया. नत्था को पैसे से मतलब. उसे पैसा मिला और लग गया काम पर. वो पहुंच गया भारतीय जनता पार्टी के नेता अरुण जेटली की प्रेस कांफ्रेंस में. उसने ताबड़तोड़ कई सवाल जेटली से दाग दिए. जैसे- ”लालू दावा करते हैं कि बिहार में उनकी सरकार बनेगी, आपका क्या कहना है.” इसके जवाब में जेटली बोले- बिहार में जनता की सरकार बनेगी. नत्था का दूसरा सवाल था- इस चुनाव में भाजपा की क्या स्थिति होगी. जेटली ने बोले- हम एनडीए की सरकार बनाएंगे.

नत्था तीसरा सवाल पूछने वाला ही था कि जेटली ने उसे रोक दिया. पर नत्था के सवाल पूछने के अंदाज पर बाकी मीडियाकर्मी रीझ गए थे, सो, उन सभी ने जेटली से अनुरोध किया कि इसे एक सवाल और पूछ लेने दें. नत्था का अगला सवाल था- एक गांव में हमने देखा कि वहां एक घंटे भी बिजली नहीं रहती. बिहार में पांच सालों से आपके गठबंधन की सरकार है. आपका क्या कहना है. जेटली ने थोड़ा सोचने के बाद कहा- नीतीश सरकार की अगली प्राथमिकता पावर सेक्टर ही है. इस सवाल जवाब से कुछ निकला नहीं और न ही कुछ निकलने वाला था. इसीलिए चाहे नत्था सवाल पूछे या चाहे कोई धुरंधर पत्रकार. जवाब एक से ही रहते हैं. नत्था के सवाल पूछने में छिपा है वर्तमान पत्रकारिता का हाल. जब हीरो हीरोइन व टीवी कलाकार स्टार खबरें पढ़ने बैठ जाते हैं किसी चैनल पर तो दर्शकों को अचंभा नहीं होता.

दर्शकों ने मान लिया है कि यह पैसा उर्फ पतन काल है, सो, जो हो जाए वो कम ही है. इसी अंदाज में अब टीवी व फिल्म कलाकार चुनाव जैसे खास मौकों पर चैनल का भोंपू पकड़कर नेताओं से सवाल जवाब करते दिखेंगे तो इसे भी दर्शक पचा लेंगे क्योंकि दर्शकों ने न्यूज चैनलों व बाकी चैनलों में फर्क करना छोड़ दिया है. उनको हर जगह मनोरंजन मिलता है, यहां भी वहां भी. और इसी मनोरंजन को दिखाने से न्यूज चैनलों को टीआरपी मिलती है और उसी टीआरपी के जरिए न्यूज चैनलों को विज्ञापन व बिजनेस मिलता है. जितने तलछट किस्म के जर्नलिस्ट थे, वे इस बाजारू दौर में टीआरपी और प्रोग्रामिंग के उस्ताद बताए जा रहे हैं. क्योंकि उनका दिमाग जितना घटिया और जितना सतही सोच सकता है, सोच ले रहा है और इसी आधार पर उन्हें बाजारू वाहवाही मिल रही है.

देश भर में मीडिया के लोगों की मार कुटाई पिटाई हो रही है, लेकिन मीडिया मालिक, न्यूज चैनल, सीईओ और संपादक सब चुप हैं. कोई बड़ा हाउस इसको लेकर संजीदा नहीं है. इसलिए क्योंकि मीडिया के लोग उनके पास रहें या न रहें, उनका काम चलता रहेगा. उनके लिए नत्था उपलब्ध हैं, उनके लिए यूट्यूब उलब्ध है, उनके लिए दुनिया भर के न्यूज चैनलों के विजुवल चोरी करने के लिए उपलब्ध है, उनके लिए अन्य न्यूज चैनलों पर चलने वाले शोज उपलब्ध हैं जिसे साभार लगाकर घंटों घंटों तक चलाते रह सकते हैं. ऐसे में जब उनके पास दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए भरपूर मसाला उपलब्ध है तो वे भला क्यों अपने पत्रकारों, अपने कर्मियों के लिए चिंतित होते दिखेंगे.

समाचार चैनल लाइव इंडिया के लिए बिहार चुनाव कवर कर रहे हैं मानिकपुरी उर्फ नत्था.  समाचार चैनल के बिहार चुनाव पर आधारित कार्यक्रम “पटना लाइव” में एक पत्रकार के रूप में चुनाव से जु़डी खबरें पेश कर रहे हैं नत्था जी. वे बिहार के तमाम इलाकों का दौरा भी कर रहे हैं. राजनीतिक प्रभाव का जायजा भी ले रहे हैं. लाइव इंडिया के सीईओ सुधीर चौधरी गदगद होंगे, प्रसन्न होंगे. आखिर उनका नया प्रयोग हिट जो हो गया. वे पहले भी बयान दे चुके हैं- ”नत्था का किरदार हमारे ग्रामीणों इलाकों में बसने वाले समाज की क़डवी सच्चाई का बेहतरीन उदाहरण है. हम अपने चैनल लाइव इंडिया के जरिए बिहार चुनाव के दौरान सही चीजों को रखना चाहते हैं. मैं चाहता हूं कि देश हमारे साथ आए और राज्य के मामलों से अच्छी तरह से वाकिफ हो. नत्था जनता से बेहतरीन तरीके से जु़डाव रखता है. टेलीविजन चैनल पर नत्था आम जनता से रूबरू होगा. मैं बेहद खुश हूं कि मानिकपुरी पटना लाइव कार्यक्रम के लिए तैयार हो गए हैं.”

चलिए, नत्था की गरीबी दूर हो गई तो मान लेते हैं कि देश की गरीबी दूर हो गई. नत्था में बाजार असीमित संभावना देखने लगा है क्योंकि नत्था किसी आम आदमी, किसी आम गरीब का प्रतिनिधित्व करता दिखता है. साथ ही, नत्था आम गरीब, आम आदमी का प्रतीक बनकर सेलीब्रिटी भी बन चुका है. ऐसे में जैसे सत्ता व सरकारें आम जनता का नाम ले लेकर अपनी जेबें भरती रहती हैं, अब मीडिया वाले भी आम जनता का नाम ले लेकर उटपटांग चीजें करते दिखाते रहते हैं और अल्टीमेटली उनका टारगेट किसी का भला नहीं बल्कि खुद की व कंपनी की तिजोरी में ज्यादा से ज्यादा माल भरना होता है. जय हो नत्था की. जय हो लाइव इंडिया की. जय हो सुधीर चौधरी की.

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0 Comments

  1. .xyz.

    October 27, 2010 at 9:49 pm

    Sudheer Chaudhary kabhi khud bhi gaaon ya kasbon ya chote shahron ki reporting, 6 MAHINA YA SAAL BHAR, kiye hain Ya Sirf TV par chehra dikh gaya aur ban gaye Bade Patrakaar aur ab CEO ? Wah re Media wah ! Delhi mein jitne *Bade aur Namcheen* kahe jaane waale patrakaar hain , un mein se zyaada ka yahi haal hai ! Ye *Naamcheen* log 120 crore ki aabadi waale desh ke bade patrakaar kahe jaate hain , par Delhi ke baahar ki reporting ka anubhav in mein se kuch ko hi hota hai ! Pata nahi *Bada patrkaar* ban ne ka paimaana kya hai ? NDTV ya IBN7 ya ZEE news ko chodkar (JAHAAN KUCH ANUBHAVI LOGON KO HI PARDE SE RU-BARU HONE KI IJAAZAT MILTI HAI, kuch apwaadon ko chodkar) zyaadatar channels mein yahi hai ki aap TV par dikh jaao to aap ki naukari pakki ! Bhale hi aap ne is desh ke chote se hisse mein bhi kabhi saal bhar reporting na ki ho aur 120 crore ki aabadi ke kuch hisse se bhi kabhi na aamna-saamnana kiya ho ! Aaj kal ke ye *BADE PATRAKAAR* usi tarah ki DRWAING ROOM JOURNALISM karte hain, jaise ki kuch neta sansad mein pichle darwaaze se ghus kar TV par byte dete hue BADE NETA kahlaate hain . Ye aise neta hote hain ki ye ek chote se kasbe se chunaav tak nahi jeet paate lekin DESH ke bade netaaon mein shumaar hote hain ! Natha jaise log paison ki khaatir ab patrakaar ban gaye hain to DHER SAARI shubhkaamna ! Saath mein sudhir chaudhary ko ek advice- Mumbai mein jitne bhi flop models ya bekaar ho chuke TV artists hain , wo unko pakad kar patrakaar banaana shuru kar de , is se unke channels ki TRP bhi badhegi aur Patrakaarita ka mazaak bhi, jiske liye wo prayaasrat hain !
    Wah re Drwaing room Patrakaar ! WAH !

  2. अमित गर्ग. जयपुर. राजस्थान.

    October 28, 2010 at 3:55 am

    और जय हो उन सभी कलमवीरों की भी, जो दुनिया भर का दर्द दूर करने का दंभ भरते हैं, लेकिन खुद के मीडिया समूहों-संपादकों के शोषण की खिलाफ उनकी चूं तक नहीं निकलती. जय हो तथाकथित मीडिया और जय हो तथाकथित पत्रकारों की…

  3. vineet kumar

    October 29, 2010 at 3:11 pm

    कभी कुछ दिनों पहले ही जब चैनल के लोग अलग-अलग सेक्टर के रावण जला रहे थे तो हमने सवाल किया था कि लाइव इंडिया के रावण को कौन जलाएगा जिसने प्रकाश सिंह जैसे रावण को प्रोमोट किया,उस सुधीर चौधरी का दहन कौन करेगा जिसने उमा खुराना फर्जी स्टिंग ऑपरेशन से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि रिपोर्टर ने मुझे अंधेरे में रखा। अगर समय हो तो आफ पूरी पोस्ट ही पढ़े-
    अगस्त तीस (2007) को दरियागंज के तुर्कमान गेट के इलाके में अचानक बवाल हुआ, तोड़-फोड़ आगजनी हुई और सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुँचाई गयी, आरोपी शिक्षिका उमा खुराना को सजा देने के लिए सच्चरित्र और ईमानदार लोगों की भारी भीड़ जमा हो गयी। आरोपी शिक्षिका के कपड़े फाड़े गए, बाल पकड़ कर घसीटा गया और पूरी कोशिश की गयी कि उसे जज जनता सजा-ए-मौत दे दे। उसे बचाने वाली पुलिस पर भी इन जजों का गुस्सा उतरा, पथराव हुआ और वह जिप्सी जला दी गयी जिसमें अन्य कई केसों की महत्वपूर्ण फाइलें भी थीं जिनको फिर से तैयार करना एक दुष्कर और अत्यंत खर्चीला कार्य होगा।
    उमा खुराना पर स्कूल में सेक्स रैकेट चलाने का आरोप लगा. इन सारी घटनाओं का सूत्रधार चैनल ‘लाइव इंडिया’जो कुछ ही दिन पहले इस रूप में आया था तत्काल चर्चित हो गया। न्यूज़ चैनल ‘जनमत’ को न्यूज़ चैनल ‘लाइव इंडिया’ बनाने वाले उसके मालिक ‘मार्कंड अधिकारी’ इस बात से खुश थे कि खबरिया चैनलों की भीड़ के बावजूद मात्र 20 दिनों में उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी। जनता सड़कों पर उतर गयी। एक तरह की क्रांति हो गयी। 50 साल पुराने विद्यालय के गेट में रस्सी बांध दी गयी। 1200 छात्राओं में से 80 छात्राओं ने विद्यालय का बहिष्कार कर दिया। तीसरी कक्षा तक की छात्राओं को अभिभावकों ने रोककर उमा खुराना रूपी राक्षसी से उनकी रक्षा कर ली। इस प्रकार लाइव इंडिया ने समाज के बड़े हिस्से को गर्त में गिरने से बचा लिया।

    अब तस्वीर का दूसरा पहलू. लाइव इंडिया का यह स्टिंग फर्जी साबित हुआ. इस स्टिंग को करने वाला लाइव इंडिया के रिपोर्टर प्रकाश सिंह का यह फर्जीवाडा था . उमा खुराना के बारे में न्यायाधीश ने कहा कि उमा खुराना अपराधी नहीं अपराधियों की करतूत की शिकार हुई लगती हैं. अब लाइव इंडिया के चैनल हेड सुधीर चौधरी की इजाजत से चले स्टिंग ऑपरेशन की हकीकत सुनिए.
    जांच – पड़ताल के बाद पता चला कि लाईव इंडिया के रिपोर्टर ने स्टिंग में जिस छात्रा को दिखाया था, वह नोएडा से निकलनेवाले एक साप्ताहिक समाचारपत्र निर्भीक प्रहरी की संवाददाता थी. पत्रकारिता में तेजी से ऊपर पहुंचने के लिए उसने प्रकाश सिंह के कहने पर यह सब किया. बिहार से दिल्ली पत्रकारिता करने आयी रश्मि सिंह वह लड़की बन गयी जिसे उमा खुराना किसी ग्राहक को सौंप रही हैं. पुलिस की जांच-पड़ताल में ये बात सामने आई कि यह सब एक छोटे व्यापारी वीरेन्द्र अरोड़ा का रचा गया षड़यंत्र था. पूर्वी दिल्ली में चिटफंड का छोटा-मोटा धंधा करनेवाले अरोड़ा ने शिक्षिका को पैसे उधार दिये थे. डेढ़ लाख की वसूली नहीं हो पा रही थी इसलिए उसे बदनाम करवाने के लिए वह स्टिंग करवाना चाहता था. उसने एक दो चैनलों के रिपोर्टरों से इस सिलसिले में बात की. इन्हीं में से एक प्रकाश सिंह था जो ऐसा करने के लिए तैयार हो गया. वह स्टिंग में कुछ ऐसा दिखाना था जिससे यह लगे कि उमा खुराना वैश्यावृत्ति के धंधे में शामिल हैं. कम से कम तीन चैनलों को इस पेशकश की जानकारी थी. प्रकाश सिंह तब आईबीएन-7 में था जब अरोड़ा ने उससे संपर्क किया था. दोनों ने मिलकर तय किया कि वे इस खबर पर काम करेंगे. प्रकाश सिंह भी रातों-रात स्टार पत्रकार बनने की हसरत पाले हुए था. उसने इसी दौरान रश्मि सिंह से भी बात की. और रश्मि सिंह भी अच्छी नौकरी की आस में तैयार हो गयी. इस तरह एक स्टिंग तैयार हो गया और उमा खुराना को पर्दे पर स्कूली छात्राओं से देह व्यापार करनेवाला साबित कर दिया गया।

    यह खबर आईबीएन सेवेन के लैब में संपादित हुई. सीडी तैयार थी और पता नहीं क्यों उसे दिखाने से मना कर दिया गया. प्रकाश सिंह को लगा उसका सपना चकनाचूर होने जा रहा है. उसने चैनल छोड़ दिया. कारण शायद कुछ और भी रहे होंगे. लेकिन वह लाईव इंडिया में आ गया. उसको काम करते हुए महीनाभर भी नहीं बीता होगा कि यह खबर सबके सामने आ गयी. स्टिंग के टेप में कहीं वीरेन्द्र अरोड़ा फोन करके लड़की का इंतजाम करने को कह रहे हैं और उमा खुराना “करती हूं” जैसी कोई बात कहते हुए सुनाई पड़ती हैं.
    इस फर्जी स्टिंग ऑपरेशन के भंडाफोड के बाद लाइव इंडिया की फजीहत हुई. चैनल पर एक महीने का बैन लगा. फर्जी स्टिंग करने वाला रिपोर्टर प्रकाश सिंह गिरफ्तार हुआ. चारो तरफ चैनल की थू – थू हुई. लाइव इंडिया के साथ दूसरे समाचार चैनलों की भी थुक्कम – फजीहत हुई. मिला – जुलाकर ऐसा माहौल बन गया कि समाचार चैनलों में सारे ऐसे ही फर्जी स्टिंग ऑपरेशन होते हैं. टीवी न्यूज़ की विश्वसनीयता घेरे में आ गयी. लाइव इंडिया के चैनल हेड सुधीर चौधरी ने कहा कि प्रकाश सिंह ने चैनल को अँधेरे में रखा. एक अंग्रेजी वेबसाइट ने सुधीर चौधरी के इसी बयान को कोट करते हुए लिखा : Now Sudhir Chaudhary is saying that the reporter kept the channel in the dark. He had only recently left India TV to head Live India (formerly Janmat). What about the editorial skills of your editors. Poor Choudhary can’t be expected to deliver better, after all, he is graduated from India TV school of journalism.

    सुधीर चौधरी का ये बयान थोथी दलील से ज्यादा कुछ नहीं था .यदि सही – गलत कंटेंट के फर्क को समझने की आपकी समझ नहीं है तो फिर एक चैनल का नेतृत्व आप किस मुंह से करते हैं. क्या ऐसी दलील देते सुधीर चौधरी को शर्म नहीं आई. उमा खुराना को झूठे मामले में ही सही गलत सिद्ध किये जाने पर उसके बाल पकड़कर घसीटा गया तो क्या सुधीर चौधरी को भी बाल पकड़ कर क्यों नहीं घसीटा जाना चाहिए?ऐसे व्यक्ति और चैनल को हम रावण न कहे तो क्या कहें?
    कहने को सुधीर चौधरी का पत्रकारिता में 15 से ज्यादा वर्षों का अनुभव है. लाइव इंडिया से पहले जी न्यूज़, सहारा और इंडिया टीवी में काम का अनुभव है. लेकिन यह अनुभव किस काम का? टीवी पत्रकारिता का सबसे काला अध्याय सुधीर चौधरी के कंधे पर चढ़कर प्रकाश कुमार ने लिखा. अफ़सोस की बात है कि पत्रकारिता के तीनों रावण आज भी जिंदा हैं. लाइव इंडिया चल रहा है और उसी सुधीर चौधरी के नेतृत्व में चल रहा है. फर्जी स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम देने वाला प्रकाश सिंह न्यूज़ इंडस्ट्री में अब भी काम कर रहा है. (अब नयी खबर आई है कि किसी केन्द्रीय नेता का वह मीडिया कॉर्डिनेटर बन गया है.). सबसे अफसोसजनक बात तो ये है कि सुधीर चौधरी उस एनबीए के सदस्य हैं जो न्यूज़ चैनलों के कंटेंट की निगरानी रखती है. मतलब साफ़ है कि अपने अविवेक और टीआरपी की ललक में ऐसी पीत पत्रकारिता करने के बावजूद उमा खुराना का यह रावण न केवल जिंदा है बल्कि अपने जड़े भी तेजी से मजबूत कर रहा है. क्या किसी दशहरे इस रावण का भी दहन होगा ?

  4. अंकित शर्मा

    November 2, 2010 at 3:09 am

    माननीय सुधीर चौधरी जी आपको प्रणाम शायद आपका सबसे बड़ा आभारी मैं ही हूँ क्यूंकि अगर आपने अपनी निजी दुश्मनी के चलते मुझे अपने चैनल से ना निकाला होता तो शायद मैं आज यहाँ ना खड़ा होता जहाँ आज हूँ और शायद आज भी आपके के यहाँ एक जिल्लत भरी वीडियो एडिटर कि नौकरी कर रहा होता शायद आप बहुत बड़े पत्रकार हैं और आपको मीडिया कि समझ भी मुझसे बहुत ज्यादा हैं पर मैं आपको एक बात बताना चाहूँगा कि अहंकार तो रावण का भी नहीं रहा तो आप क्या चीज़ हैं और अहंकार भी हो तो किस बात का शायद इस पद से ज्यादा वेल्यु तो आप कि जब थी जब आप इंडिया टी वी में कार्यरत थे धन्यवाद
    आपका आभारी
    आपका एक पूर्व इन्टरन वीडियो एडिटर

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