उत्तराखंड में मीडिया कई तरह के संकटों का सामना कर रहा है। कुछ संकट सत्ता की हनक से सियासत ने पैदा किए हैं तो कुछ पत्रकारों की आपसी धींगामस्ती उसे आलोचनाओं और विश्वसनीयता के ह्रास के भंवर में धकेल रही है। पत्रकारों के आपसी टकरावों के चलते दो साल से सीलबंद प्रेस क्लब का ताला पत्रकारों के एक धड़े ने दिवाली मिलन पर कानून की परवाह किए बगैर तोड़ दिया।
नतीजन प्रेस क्लब पुलिस छावनी में तब्दील रहा। जहां पुलिस और प्रशासन के आलाधिकारियों को दीपावली को लेकर बाजारों में उमड़ी भारी भीड़ पर नजर रखने के लिए सुरक्षा बंदोबस्तों में ध्यान देना चाहिए था, वहां उन्हें शहर के बीच में स्थित प्रेस क्लब में डेरा डालना पड़ा। बाद में ताला तोड़ने वाले पत्रकारों के खिलाफ अज्ञात में मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
दरअसल, देहरादून प्रेस क्लब को लेकर दो साल पहले तब विवाद शुरू हुआ जब क्लब के अध्यक्ष योगेश भटट और महामंत्री देवेंद्र सती के मध्य मामूली मतभेद, इस स्तर पर जा पहुंचे कि एकतरफा धड़ेबाजी से अध्यक्ष को बर्खास्त करने का फरमान सुना दिया गया। क्लब की नियमावली के अनुसार अध्यक्ष को हटाने के लिए कार्यकारिणी का प्रस्ताव जनरल बॉडी के सामने रखा जाना चाहिए था। आम सभा ही इस तरह के किसी प्रस्ताव पर कोई अंतिम फैसला कर सकती थी। पर यहां इसका पालन नहीं किया गया। इसके बाद विवाद बढ़ता देख प्रशासन को क्लब को सील करना पड़ा।
वहीं, अध्यक्ष योगेश भटट ने कार्यकारिणी के फैसले को अदालत में चुनौती दी। इस पर हाईकोर्ट ने सोसाइटी निबंधक को तलब कर रिपोर्ट मांगी। इस पर निबंधक ने अध्यक्ष योगेश भटट की बर्खास्तगी को गैर-वैधानिक बताया। इसके बाद भी जब विवाद नहीं सुलझा तो भट्ट की ओर से सिटी मजिस्ट्रेट की अदालत में वाद पंजीकृत किया गया। इस दरम्यान विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने के लिए कुछ पत्रकारों की ओर से प्रयास शुरू भी किए गए। इसी बीच दीपावली से ठीक एक रोज पहले वरिष्ठ पत्रकार नवीन थलेड़ी की ओर से क्लब से जुड़े रहे पत्रकारों को मोबाइल से मैसेज कर ‘दिवाली मिलन’ के तहत क्लब से सटे हिन्दी भवन में आमंत्रित किया गया।
4 नवम्बर को हुए इस जमवाड़े के बाद पत्रकारों ने प्रशासन द्वारा क्लब के मेन गेट पर लगाए गए सीलबंद ताले को तोड़ दिया। अध्यक्ष योगेश भट्ट की ओर से गैर-कानूनी तरीके से ताला तोड़ने का विरोध किए जाने पर जिला प्रशासन व पुलिस को क्लब की ओर कदम बढ़ाने पड़े। देर शाम तक पुलिस व प्रशासन के अधिकारी क्लब में ही डेरा डाले रखे। आखिरकार प्रशासन को देर शाम फिर क्लब को सील कर पड़ा। इस दौरान श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल थे।
हालांकि राज्य में श्रमजीवी में भी कई धड़े हैं जो खुद को असली श्रमजीवी बताते हैं, इसलिए कौन वैधानिक है कहना मुश्किल है। ताला तोड़ने में शामिल रहे पत्रकारों का तर्क है कि अध्यक्ष और महामंत्री के विवाद में क्लब को ऐसे ही सीलबंद रखना ठीक नहीं। इससे पत्रकारों को तो नुकसान हो ही रहा है, साथ में सामाजिक गतिविधियां भी नहीं हो पा रही हैं। लेकिन इस तर्क को क्या कानून पर तरजीह दी जा सकती है? आपसी सहमति से भी मामले को सुलझाया जा सकता था, पर ऐसा नहीं हुआ।
निवर्तमान अध्यक्ष योगेश भट्ट ने प्रशासन द्वारा लगाई गई सील को तोड़े जाने का विरोध करते हुए जिलाधिकारी को एक शिकायती पत्र दिया है, जिसके आधार पर अज्ञात में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। भट्ट ने अपने शिकायती पत्र में पत्रकार नवीन थलेड़ी, अनूप गैरोला, भूपेंद्र कंडारी, हिमांशु बहुगुणा, संजय घिल्डियाल समेत अन्य लोगों का नाम ताला तोड़ने में दर्ज किया है। शिकायती पत्र में कहा गया है कि प्रेस क्लब किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है, लिहाजा उस पर कब्जा करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
इस पूरे विवाद से समझा जा सकता है कि जब मीडिया से जुड़े लोग कानून की अनेदखी करने लगेंगे तो समझना मुश्किल नहीं है कि उत्तराखंड में चीजें सही दिशा में नहीं हैं। बताया जाता है कि सरकार के अहम पदों पर बैठे लोगों को पहले से ताला तोड़े जाने का अहसास था, लेकिन उन्होंने सुलह कराने के बजाए इस विवाद को और हवा देने की कोशिश की। खैर, पत्रकारों से जुड़ा मामला होने के चलते पुलिस प्रशासन फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रहा है। वहीं, बड़े अखबारों और न्यूज चैनल राज्य की राजधानी में हुए इस बवाल पर अपनी आदत के मुताबिक इस बार भी पर्दा डाले रखा।
लेखक दीपक आजाद हाल-फिलहाल तक दैनिक जागरण, देहरादून में कार्यरत थे. इन दिनों स्वतंत्र पत्रकार के रूप में सक्रिय हैं.
Comments on “प्रशासन ने फिर सील किया देहरादून प्रेस क्लब”
shameful for dehradun media!
योगेश भट्ट ने क्या गलत किया है किसी के पास है इसका जवाब ? आज कुछ लोग कह रहे हैं की दो लोगों के झगडे मैं प्रेस क्लब बंद हुआ लेकिन ऐसा वास्तव है नहीं सच तो यह है की यूवा पत्रकारों के बूते पर निर्दलीय रहते हुए प्रेस क्लब के अध्यक्ष बने योगेश को पुराने मठाधीश बने पतरकारों के कथित नेता उसे पचा नहीं पाए कई पतारकों के लिए योगेस भट्ट बड़ी चुनौती बना हुआ है पहले hee दिन से उसके खिलाफ षड़यंत्र शुरू कर दिया गया था जबकि पहली बार किसी ने अध्यक्ष बनते ही यह सन्देश दिया की चुनाव के बाद पूरा परिवार एक ही रहे पक्ष विपक्ष से ऊपर उठ कर भट्ट ने sahbhooj aayojit किया jisme sabhi पुराने sadayasyon के sath ही क्लब के varisth sadsyon को bhi aamantrit किया us vakt तो is prayas को khub saraha गया laikin भट्ट ka yeh prayas mathhadhisho को ras nahi aaya. सच तो yeh है की भट्ट की karyshaily sy ghabrakar usi दिन sy sadyantar suru कर दिया था. आज क्लब की jo halat है usky लिए yahi मठाधीश jimmaidar है. inhy maf nahi किया jana chahiye
pinki bhai theek kaha aapny…..dehradun hi nahi pury pradesh ky liy sarmnak hai yeh…. rakesh bhai apny to sidhy jad par hi chot kar dali…mai apna nam nahi khol raha hu par itna jarur kahna hai ki dehradun ka press club chand logo ki bapoti tha…is par kabij rahny ky liy kya kya hathkandy nahi apnay sabko pata hai..aab band ho gaya to fadfada bhi vahi rahy hai…akhir dukan band ho gai na…yogesh bhai ny dum dikhaya to aag lag gai…press club khulna to chahiy par mathadhisho ki sart par nahi….
club bund rahny sy hua nuksan…….1 kuch patarkaro ko ideantity crises ho gaya hai 2. daru peeny ka adda khatam ho gaya, free mai mily saiwak nahi rahy 3. sahar sy kabhi programo ky nam par aur kabhi club membaro ky nam par ugahi band ho gai. 4. naitao aur afsaro par rob nahi raha 5. dobhal ki restorant sy free suply band ho gai 5. har sal chand logo ki beebiyo ka manoranjan khatum, choly bhatury aur gol gappy khilany ko paisy kharch karny padty hai 6 chand logo ky baccho ko har sal milny waly gift bund 7 cricet teem ky nam par har sal 15 logo ko mailny waly free juty mojy aur trec suit bhi band 8 club mai cheef guest ky nam par vasuli ka dhanda bhi band 9 sansthano ki andruni ranjish nikalny ka akhada bhi khatum 10 uniyano ki naitagiri aur club ky nam par ban kuch logo ka tairror khatum. yeh to moty nuksan hai faidy kya hai aap batao..
yogesh bhai galat nahi ho sakta. chandalo sy vahi ek aadmi takkar ly sakta hai. aab to sabko saram ani chaiy. tala todny ky bajay acha hota ki mil baithkar bat karty logo ko gumrah nahi karna chahiy tha. kanun hat mai lykar kya sabit karna chahty hai ye log. kya iijat rah gai aub..ek bar phir media ky baijutty ho gai…
योगेश भट्ट सिर्फ ये ही तो चाहता है की प्रेस क्लब से सभी पत्रकारों के हित सिद्ध हों. कोई प्रेस क्लब उसको सैलरी तो देता नहीं है. बाकी मठाधीश चाहते हैं उनके निजी हित सिद्धे होत्ते रहे इसलिए कोर्ट के फैंसले से पहले ही ताले तोड़ डाले. लेकिन जीत तो योगेश की ही हुयी. आखिर फिर ताले लग ही गए न
press club par tala un logo ky muh par tamacha hai jo patrkarita ky nam par DALALY, aur apny NAJAYJ HIT sadhny mai lagy hai.. club ko rajnity ka adda banaker rakh hua tha…agar dum hai to aao chunav maidan mai MP banker dikhao MLA bno. ye to nahi payga kyoki vaha akhbar aur patrkar hony ki dhons patti nahi chalygy. prasasan ko in patrkaro ko muh nahi lagana chahiy…jinhony tala toda hai unky namo ka bhi khulasa karna chahiy.
pratap parvana, rajender kala aur brahamdutt sharma is club ky aisy adyaksh rahy jinhy baijat karky hataya gaya. rakesh chandola aur surender arya ko bhi hatany ki kosish hui…mujy yad hai rakesh chandola sirf yogesh bhatt ky karan bachy rahy us vakt yogesh bhatt mahamantri thy. chandola ky khilaf aya prastav chandola virodhi hony ky bad bhi unhony nahi rakha tha.isy kajty hai badappan…arya ky khilaf ho rahi sajisho ka bhi bhatt ny khulkar virodh kiya…tashveer saf hai kuch logo ki yeh fitrat mai samil hai ky kabhi pahad maidan karky to kabhi daily saptahik karky ya kabhi ujala jagran sahara aur hindustan ky nam par gangisum badhana hai…..yogesh bhatt ky jajby ko salam usny inhy inky aukat dikha di….yogesh bhai aap sangharsh karo hum aapky sath hai….