भोगवादी जीवन से उबे आदमी की आवारगी (भाग दो)

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अमेरिका के भोगवादी जीवन से ऊबे क्रिस्टोफर ने खुद को जानने के लिए आवारगी का रास्ता चुना। सारे पैसे दानकर, परिचय-पत्र फेंककर और परिवार को बिना कुछ बताए उसने गुमनामी-घुमक्कड़ी का जीवन जीना शुरू किया। दो साल बाद वह अलास्का के निर्जन इलाके में जाकर रहना शुरू कर दिया। वहां जीवन की विपरीत परिस्थितियों से लड़ते हुए जीवन की खोज जारी रखी।

वह ऐसा क्यों बना… अलास्का में उसके साथ क्या हुआ.. यह सब-कुछ जॉन क्राउकर नाम के पत्रकार ने बहुत शोध के बाद अपने किताब ‘Into the wild’ में लिखा। सीन पेन ने इसी नाम से एक बेहतरीन फिल्म बनाई जो विश्व के सौ महान सिनेमा में गिनी जाती है। राजीव कुमार सिंह‘Into the wild’ का हिंदी में अनुवाद कर रहे हैं युवा पत्रकार राजीव कुमार सिंह।

इसका पहला पार्ट आप लोग पढ़ चुके हैं। पेश है दूसरा पार्ट। राजीव की इच्छा है कि उनके परिचय में लिखा जाए- एक बेरोजगार पत्रकार जिसे एक अदद नौकरी की तलाश है। राजीव से संपर्क rajeevsinghemail@gmail.com के जरिए किया जा सकता है। राजीव ने इस उपन्यास का अनुवाद करके पत्रकारिता क्षेत्र में दस्तक दी है। उनके अनुवाद में कई कमियां-गल्तियां हैं, ऐसा उनका कहना है। पर इसे एक युवा पत्रकार का शुरुआती गंभीर प्रयास मानते हुए कमियों की अनदेखा की जाए, ऐसा वह अनुरोध करते हैं। -एडिटर, भड़ास4मीडिया

अलास्का के आवारा रास्तों पर

क्रिस्टोफर मैकेंडलेस की जीवनी

बियाबान की ओर, आवारा कदमों का पहला निशान

”मैंने हमेशा आवारा होना चाहा। शांत और एक जगह स्थिर अस्तित्व मुझे नहीं चाहिए थी.. मैंने उत्साह और साहस के साथ खतरों से जूझते हुए अपने प्यार के लिेए जान कुर्बान कर देना चाहा… मैने अपने अंदर इतनी उर्जा महसूस की जो मुझे बाहरी शांत जिंदगी में कभी नहीं मिल पाती.”

-क्रिस्टोफर के पास मिली लियो टाल्सटॉय की किताब ‘फैमिली हैप्पीनेस’ के एक पृष्ठ पर छपी पंक्तियां, जिसे क्रिस ने कलम से हाईलाइट किया था.

”इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि आवारा होने की कल्पना हमें असीम आनंद से भर देता है… यह चाहत हमारे मन की उस आजादी से जुड़ी है जो इतिहास, क्रूर शोषण, कानून और प्रताड़ित करने वाले सामाजिक दायित्वों से मुक्त होकर पूर्ण स्वतंत्र हो जाना चाहती है.”

-वालेस स्टेगनर की किताब ‘दी अमेरिकन वेस्ट एज ए लिविंग स्पेस’ से उद्धृत.

अमेरिका के साउथ डाकोटा में एक छोटा सी जगह का नाम था कार्थेज। सुव्यवस्थित चहारदीवारियों से घिरे, लकड़ी से ढंके दीवारों के मकानों वाले कार्थेज में रहनेवालों की संख्या महज 274 थी। अमेरिका के उत्तरी मैदानों में बसे इस छोटे से सुस्त शहर में सिर्फ एक राशन का दुकान, एक बैंक, एक गैस स्टेशन और एक शराब का बार – कैबरेट, जहां कॉकटेल पीते हुए और सिगार का मीठा स्वाद लेते हुए वॉयन वेस्टरबर्ग एक अजीब विचारों वाले नौजवान को याद कर रहा था, जिसे वह एलेक्स के नाम से जानता था।

कैबरेट की प्लाईवुड लगी दीवारो पर हिरणों के सिंग, पुराने मिलवॉकी बियर के पोस्टर्स, उड़ान भरते पक्षियों के मंहगे पेंटिंग्स टंगे थे। सिगरेट के धुएं की कई लकीरें,एक साथ वहां बैठे किसानों के बीच से उठ रही थी जिनका धूल से सना चिंतित चेहरा कोयला खदान में काम करनेवालों की याद दिलाता था। वे सब खराब मौसम के कारण दुखी थे क्योंकि सुरजमुखी के खेत इतने सूखे नहीं थे कि उसे काटा जा सके।

क्रिस मैकेंडलेस की लाश मिले दो महीने बीत चुके थे ।

ह्वाईट रसीयन ड्रिंक में बर्फ का टुकड़ा डालते हुए उदासी भरे आवाज में वेस्टरबर्ग ने कहा- ‘एलेक्स यही पीता था। वह बार के उस कोने में बैठा करता था और अपनी आवारगी के अद्भुत किस्से सुनाया करता था। वह घंटो बात कर सकता था। इस शहर के कई लोग एलेक्स को प्यार करने लगे थे। यकीन नहीं हो रहा, उसके साथ ये हादसा कैसे हो गया।’

मजबूत कंधो और सख्त मांसल बदन वाले वेस्टरबर्ग के पास खेती का काम करने के लिए दो ग्रेन एलीवेटर था-एक कार्थेज में और दूसरा कुछ मील दूर एक दूसरे शहर में। पूरी गर्मी वह अपने आदमियों के साथ टेक्सास से लेकर कनाडा के बार्डर तक के खेतों में अपनी एलीवेटर लेकर काम करता था। 1990 के पतझड़ में वह नार्थ सेंट्रल मोंटाना से अपना काम समेटकर वापस लौटने की तैयारी कर रहा था। कट बैंक से अपने एलीवेटर के कुछ पार्ट खरीदकर वापस लौट रहा था कि रास्ते में एक नौजवान को उसने लिफ्ट दी। नौजवान ने अपना नाम एलेक्स बताया।

मैकेंडलेस कद का छोटा था लेकिन उसका बदन मेहनतकश मजदूरों की तरह कठोर और उभरी हुई नसों वाला दिखता था। इस नौजवान की आंखों में कुछ था जो लोगों को अपनी तरफ खींचता था। गहरी काली और भावुक आंखे- जो संकेत करती थी कि उसके अंदर किसी बाहरी प्रजाति का खून बह रहा है-शायद यूनानियों का। कुछ था उसकी आंखों में जिसने वेस्टरबर्ग को उसे अपने पास रखने को मजबूर कर दिया। ऐसा संवेदनशील चेहरा जिसे देखकर स्त्रियां ममत्व से भर उठती हैं, एलेक्स के पास था।

वेस्टरबर्ग एलेक्स का चेहरा याद कर बयां कर रहा था। एलेक्स के चेहरे में गजब का लचीलापन थाः एक क्षण में वह भावनाहीन दिखता था और दूसरे ही पल अचानक जब भावप्रण होकर मुंह खोलता था तब उसके बड़े-बड़े दांतों की दीवारे हंसने के दौरान बाहर छलक पड़ती थी। उसको दूर की चीजें साफ नहीं दिखाई पड़ती था इसलिए स्टील-फ्रेम वाला चश्मा वह पहनता था।

वेस्टरबर्ग को लगा कि एलेक्स को भूख लगी है। एलेक्स को लिफ्ट देने के दस मिनट बाद वेस्टरबर्ग एथरिज शहर में अपने दोस्त के पास एक पैकेज देने के लिए रुका। दोस्त ने दोनों को बीयर पीने के लिए दिया और एलेक्स से पूछा कि वह कितने दिनों से भूखा है। एलेक्स ने स्वीकार किया कि पैसे खत्म हो जाने के कारण उसे दो दिन हो चुके थे फाकाकशी किये हुए। यह सुनकर दोस्त की बीबी ने जल्दी से उसके लिए ढेर सारा खाना बनाया जिसे एलेक्स जल्दी-जल्दी पेट में डालकर वहीं टेबल पर सो गया।

मैकेंडलेस ने वेस्टरबर्ग से कहा कि वह आगे साको के गर्म झरने तक जाएगा, जो यूएस हाईवे 2 से 240 मील दूर था और जिसके बारे में उसने रबर ट्रैंपो से सुन रखा था। रबरट्रैंप, जो गाड़ी से आवारगी करते हैं और लेदरट्रैंप जो पैदल या लिफ्ट लेकर घुमक्कड़ी का मजा उठाते हैं। मैकेंडलेस लेदरट्रैंप था। वेस्टरबर्ग ने उसे बताया कि वह सिर्फ दस मील आगे तक जाएगा, उसके बाद उसे उत्तर की तरफ सनबर्स्ट शहर जाना है जहां खेतों की कटाई के लिए उसका ट्रेलर पड़ा है।  जब सड़क किनारे मैकेंडलेस को उतारने के लिए वेस्टरबर्ग ने गाड़ी रोकी तब तक रात के साढे दस बज चुके थे और घनघोर बारिश हो रही थी। वेस्टरबर्ग ने मैकेंडलेस से कहा कि इस शैतानी बारिश में उसे छोड़ना अच्छा नहीं लगेगा। “तुम्हारे पास तो स्लीपींग बैग है। तुम क्यों नहीं आज की रात सनबर्स्ट के ट्रेलर में गुजार लेते हो?” अगले तीन दिनों तक मैकेंडलेस वेस्टरबर्ग के कामगारों के साथ सुबह से ही, पके सुनहले गेंहू के खेतों के समंदर में कटाई का काम करता रहा। विदा लेते समय मैकेंडलेस से वेस्टरबर्ग ने कहा कि अगर उसे नौकरी की जरुरत हो तो कार्थेज में वह उससे आकर मिले। और, दो हफ्ते बाद मैकेंडलेस कार्थेज शहर में दिख गया।

वेस्टरबर्ग उस क्षण को याद करते हुए कह रहा था। उसने मैकेंडलेस को ग्रेन एलीवेटर को खेत में चलाने की ट्रेनिंग देकर काम पर रख लिया और कम किराए पर रहने के लिए अपने दो मकानों में से एक में कमरा भी दिया।

वेस्टरबर्ग बताता जा रहा था। “मैं कई आवारगी करने वालों को सालों से नौकरी पर रखता रहा हूं। उनमें से अधिकांश काम नहीं करना चाहते थे। लेकिन एलेक्स का रवैया कुछ अलग था। मेरे पास काम करने वाले लोगों में वह अब तक का सबसे ज्यादा मेहनती कामगार था। वह जो करता था, मेहनत से करता था। जिस काम को एलेक्स शुरु करता था उसे पूरा करके ही दम लेता था, बीच में नहीं छोड़ता था। इसे वह नैतिक नियम मानकर चलता था। वह बहुत ज्यादा नैतिक था। उसने अपने लिए काफी बड़े सिद्धांत बना रखे थे।

अपनी तीसरी ड्रिंक पीते हुए वेस्टरबर्ग बोलता जा रहा था। “एलेक्स का दिमाग बेहद तेज था। वह बहुत पढता था। बातचीत में बड़े भारी-भरकम शब्दों का इस्तेमाल करता था। मुझे लगता है जिस चीज ने उसे मुसीबत में डाला था वह था उसका बहुत ज्यादा सोचना। वह बहुत ज्यादा दुनिया के इस रुप को समझने की कोशिश करता था कि आखिर लोग एक दूसरे के प्रति इतने बुरे क्यों होते हैं। मैंने दो-तीन बार उसे समझाने की कोशिश की कि इतनी गहराई से जीवन के बारे में सोचकर वह बहुत बड़ी गलती कर रहा है लेकिन एलेक्स कहां समझने वाला था। एलेक्स तो हमेशा किसी प्रश्न का आखिरी उत्तर जानने की कोशिश में लगा रहता है। उसके बाद ही कुछ और सोच-समझ सकता था।“

वेस्टरबर्ग के हाथ एक बार मैकेंडलेस का कागज लगा, जिसमें उसका नाम क्रिस लिखा था, ना कि एलेक्स। वेस्टरबर्ग ने बताया, “उसने कभी नहीं बताया कि उसने नाम क्यूं बदला। उसकी बातों से लगता था कि उसके और उसके परिवार बीच का रिश्ता कुछ ठीक नहीं है। लेकिन मैं किसी के व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप नहीं करता इसलिए मैंने उससे कभी कुछ नहीं पूछा।“

मैकेंडलेस को अगर अपने परिवार से कोई दुराव था तो उसने वेस्टरबर्ग और उसके कामगारों में नया परिवार पाया था जो कार्थेज के उस मकान में एक साथ रहते थे. मैकेंडलेस को जल्दी ही कार्थेज मोहने लगा। उसे कार्थेज के लोगों की सामान्य और सुगठित जिंदगी, सामान्य रहन-सहन और दोस्ताना व्यवहार पसंद आया। वह जगह दुनिया की मुख्य धारा से कटा हुआ अलग-थलग एक नया जीवन बसाए हुए था, जो मैकेंडलेस को पसंद था। उसने कार्थेज शहर और वायन वेस्टरबर्ग के साथ गहरा जुड़ाव बना लिया था।

तीस से चालीस के बीच की उम्र वाले वेस्टरबर्ग को बचपन में कार्थेज के दंपति ने गोद लिया था। वह किसान के साथ-साथ वेल्डर, बिजनेसमेन, मशीन बनाने वाला, मेकेनिक, कमोडिटी जांचकर्ता, एयर पायलट, कम्प्यूटर प्रोग्रामर, इलेक्ट्रानिक सामान ठीक करनेवाला और वीडियोगेम रिपेयरमेन भी था। वेस्टरबर्ग एक ऐसे ब्लैक बॉक्स को बनाकर बेचने की योजना मे लगा हुआ था जिसके जरिए लोग बिना पैसा चुकाए केबल टीवी के कार्यक्रम देख सकते थे। एबबीआई को इसकी भनक लगी और वेस्टरबर्ग गिरफ्तार हो गया। उसे चार महीने की जेल हुई। वेस्टरबर्ग के चले जाने के बाद ग्रेन एलीवेटर से खेत काटने का काम बंद रहा। 23 अक्टूबर को मैकेंडलेस ने कार्थेज छोड़ दिया और फिर से आवारा जीवन जीना शुरु कर दिया। कार्थेज के साथ मैकेंडलेस का गहरा भावनात्मक लगाव था। जाते-जाते वह वेस्टरबर्ग को लियो टॉल्सटॉय की वार एन्ड पीस किताब देकर गया जिसके अंदर के टायटल पेज पर उसने लिखा –वेस्टरबर्ग के लिए एलेक्स की ओर से। अक्टूबर 1990।

मैकेंडलेस जब तक पश्चिम की ओर घूमता रहा, वेस्टरबर्ग के संपर्क में रहा। हरेक एक-दो महीने पर वह वेस्टरबर्ग से फोन से बात करता था या चिट्ठी लिखा करता था। उसके बाद उसने सारी चिट्टियां वेस्टरबर्ग के पते पर लिखी और जो भी मिला उसे अपना घर दक्षिण डाकोटा बताया।

सच ये था कि मैकेंडलेस वर्जिनिया के अन्नाडेल में एक उच्च मध्यमवर्गीय परिवार में सुख-सुविधा के बीच पला-बढा था। उसके पिता नासा में एयरोस्पेस इंजिनियर थे जिन्होंने स्पेस शटल के लिए एडवांस रडार सिस्टम का डिजाईन तैयार किया था और अन्य बड़े प्रोजेक्ट पर वह काम कर रहे थे। 1978 में वाल्ट ने अपना एक कन्सल्टिंग फर्म शुरु किया जिसका नाम था-यूजर सिस्टम्स। इस बिजनेस में उन्होंने क्रिस की मां बिली को बिजनेस पार्टनर बनाया। क्रिस का अपनी बहन कैरीन के साथ भावनात्मक लगाव बहुत ज्यादा था। मई, 1990 में क्रिस ने अटलांटा के इमोरी विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया जहां वह स्टूडेन्ट न्यूजपेपर का संपादक था और स्तंभ लिखा करता था। उसने वहां इतिहास और मानव विज्ञान की पढाई की थी। वहां उसे एक सम्मान देने का प्रस्ताव हुआ लेकिन यह कहते हुए लेने मना कर दिया कि उपाधि या सम्मान बेहद गैरजरुरी चीजें हैं। वहां से पास करने के बाद क्रिस के पास 24,000 डॉलर बच गए थे, जिससे वह आगे कानून की पढाई करने वाला था।

मैकेंडलेस के पिता ने स्वीकार किया कि वे अपने बेटे को समझ नहीं सके। वाल्ट, बिली और कैरीन जब कॉलेज के डिग्री प्रदान करने वाले सामारोह में क्रिस से मिलने गए थे तब उनको ये मालूम नहीं था कि क्रिस कुछ ही दिन बाद अपना सारा पैसा भूख से लड़ने वाली संस्था ऑक्सफैम अमेरिका नाम के चैरिटी को दान कर देने वाला था।

12 मई, शनिवार को वह सामारोह था। उस सामारोह में मैकेंडलेस की तस्वीर, बिली ने खींची थी जब वह डिग्री लेने जा रहा था। अगले दिन मदर्स डे था और मैकेंडलेस ने अपनी मां को कैंडी, फूल और एक भावप्रण कार्ड दिया था। उसकी मां उस दिन काफी आश्चर्यचकित और खुश हुई थी क्योंकि उसका बेटा उसे दो साल बाद कोई गिफ्ट दे रहा था। मैंकेंडलेस ने अपने घर में यह घोषणा कर रखी थी कि सैद्धांतिक रुप से वह गिफ्ट ना तो देगा और ना ही लेगा।

असल में कुछ दिन पहले वाल्ट और बिली ने क्रिस को नए कार खरीद कर देने की और आगे पढने के लिए खर्च देने की बात कही थी जिसे क्रिस ने मानने से इंकार कर दिया था। मैकेंडलेस का कहना था कि उसके पास पहले से जो कार है, वह अभी बिल्कुल ठीक है। 1982 के डॉटसन B210 मॉडल की वह कार थोड़ी पुरानी दिखने लगी थी लेकिन 128,000 मील चल चुकी इस कार के पार्ट-पुर्जे अभी ठीक से काम कर रहे थे।

उसने कैरीन से बाद में कहा, ‘मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि मेरे मां-बाप नई कार लेने को कह रहे हैं। उन्होंने ये भी कैसे सोच लिया कि आगे की पढाई के लिए कोई खर्च लूंगा। मैंने लाखों बार ये बात दुहराई है कि मेरे पास दुनिया की सबसे अच्छी कार है जिसे मैंने मियामी से अलास्का तक खूब बिना किसी परेशानी के दौड़ाया है और अब तक एक भी समस्या सामने नहीं आयी; जिस कार से मैं इतना प्यार करता हूं कि कभी उसे बेचने की नहीं सोच सकता; इसके बावजूद भी वह मेरी भावनाओं को ना समझकर ये सोचते हैं कि मैं नई कार स्वीकार कर लूंगा! मैं आगे से बिल्कुल सावधान रहूंगा कि उनसे कोई भी गिफ्ट ना लूं क्योंकि वह सोचेंगे कि मेरा सम्मान कर उन्होंने मुझे खरीद लिया है।‘

क्रिस की डॉटसन कार सेकेन्डहेंड थी जिसे उसने तब खरीदा था जब हाईस्कूल में था। उसके बाद वह कई बार स्कूल की छुट्टियों में अकेले इस कार को लेकर लम्बे ट्रिप पर निकल जाता था। ग्रेजुएशन के आखिरी सप्ताह में उसने ऐसे ही एक बार मां-बाप से कहा था कि अगली गरमी वह रोड की जिंदगी जीते हुए बिताना चाहता है। उसने कहा था,”मैं सोचता हूं कि कुछ दिन के लिए मैं गायब हो जाउंगा।“

उसके मां-बाप ने उसके घोषणा को उस पल गंभीरता से नहीं लिया। वाल्ट ने प्यार से अपने बेटे से कहा,” जाने से पहले हमसे जरुर मिल लेना”। क्रिस यह सुनकर मुस्कुराकर हां कहने की मुद्रा में सिर को हल्के से ऊपर-नीचे किया था जिससे वाल्ट और बिली ने समझा कि कहीं जाने से पहले मैकेंडलेस उनसे मिलने अन्नाडेल जरुर आएगा।

जून के आखिरी सप्ताह में क्रिस ने अटलांटा से अपने मां-बाप के ग्रेजुएशन फाईनल का ग्रेड रिपोर्ट भेजा जिसके साथ एक चिट्ठी भी थी जिसमे लिखा थाः

‘यह मेरे पढाई के रिपोर्ट की आखिरी कॉपी है। अच्छे ग्रेड से पास हुआ हूं। आपने पेरिस से जो तस्वीरें, शेविंग के सामान और पोस्टकार्ड भेजे हैं उसके लिए धन्यवाद। ऐसा लगता है कि ट्रिप का आपने काफी आनंद लिया है। बहुत मजा आया होगा। अभी कुछ नया नहीं है कहने को। गर्मी और उमस का मौसम शुरू हो चुका है।‘

यह क्रिस का अपने परिवार के साथ हुआ आखिरी संवाद था। ग्रेजुएशन के फाईनल में ही क्रिस ने कॉलेज कैंपस छोड़ दिया था और साधु जैसे कमरे में रहने लगा था जिसमें जमीन पर एक पतला गद्दा बिछा था और टेबल था। वह कमरे को हमेशा इतना साफ और व्यवस्थित रखता था जैसे कि मिलिटरी बैरक हो। उसने कोई फोन नहीं रखा था इसलिए वाल्ट और बिली उसे कॉल नहीं कर पाते थे। अगस्त 1990 के शुरूआत के बाद तक वाल्ट और बिली को जब क्रिस की कोई खबर नहीं मिली तो दोनों अटलांटा चल पड़े। जब वे मैकेंडलेस के कमरे पर पहुंचे तो वह खाली था और उस पर ‘फार रेंट’ लिखा था। मैनेजर ने कहा कि जून के अंत में ही क्रिस ने कमरा छोड़ दिया था। वाल्ट और बिली जब वापस लौटे तो उनके द्वारा क्रिस को लिखी गई सारी चिट्ठियां डाक से वापस लौट चुकी थी।

“क्रिस ने डाकखाने को उन चिट्ठियों को एक अगस्त तक रोककर रखने को कहा था इसलिए हम जान नहीं पाए कि आगे कुछ होने जा रहा है।‘ बिली कह रही थी, “इस बात से हम चिंतित हो गए।“

तब तक क्रिस बहुत दूर जा चुका था। पांच सप्ताह पहले ही अपने कार में सामान लादकर वह पश्चिम की ओर बिना कोई मंजिल तय किए चल पड़ा था। यह ट्रिप ऐतिहासिक साबित होने वाला था, सबकुछ उलट-पलट कर देनेवाला।

क्रिस ने चार साल तक ग्रेजुएशन करते हुए एक निरर्थक ड्यूटी सी लगने वाले काम को अंजाम दिया था। लेकिन अब हर भार से वह मुक्त था; अपने माता-पिता और दोस्तों की घुटन भरी दुनिया से आजाद था; अतिभौतिकता और सुरक्षित दुनिया को छोड़ चुका था,जिसमें जीकर उसे लगता कि अपने अस्तित्व से वह कट गया है।

अटलांटा के पश्चिम दिशा में जाते हुए उसने अपने लिए एक नयी दुनिया खोजनी शुरु की जिसमें वह अपने अनुभवों के साथ पूर्ण रुप से मुक्त रह सके। उस जीवन की शुरुआत करते हुए उसने सबसे पहले अपना नाम बदल लिया।

अब वह क्रिस मैकेंडलेस नहीं था। नया नाम था- एलेक्जेंडर सुपरट्रैंप, जो अब अपना सबकुछ खुद तय कर रहा था।

….जारी…

इसके पहले का भाग पढ़ने के लिए क्लिक करें- भोगवादी जीवन से उबे आदमी की आवारगी (भाग एक)

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