: अलास्का के आवारा रास्तों पर : रेगिस्तान, समंदर और शहर-दर-शहर आवारगी : ”रेगिस्तान कभी भी सुखदायी जगह नहीं रहा, मगर इसका रूप हमेशा से जोगियों की तरह संवेदनशील साधारणता ओढे हुए, रहस्यों को उजागर करनेवाला और अभीभूत कर देने वाले सौंदर्य का अजनबी सा चेहरा लिए रहता है, जिसे देखने पर ही यह महसूस होता है कि यह जगह धरती पे नहीं, कहीं और है।
कहीं कुछ यहां छिपा नहीं रहता, सब उजागर दिखता है। चारों तरफ फैला उजाला और आकाशीय विस्तार, सूखा-सूखा सा गतिमय माहौल, अधिक तापमान और हवाएं दिलो-दिमाग को झकझोरती रहती हैं। रेगिस्तान का घुमावदार आकाश विशाल होने के साथ-साथ डरावना होता है। अन्य जगहों पर आकाश का घेरा क्षितिज के बाद धुंधला होने लगता है लेकिन रेगिस्तान में यह अनन्त विस्तार लिए होता है। इतना विस्तार जंगल के ऊपर के आकाश का भी नहीं होता। बिना किसी रुकावट के दिखता बादलो से भरा खुला आकाश इतना विशाल कि कभी-कभी दूर पृथ्वी की सतह की गोलाई घूमती हुई नीचे की तरफ जाती महसूस होती है। रेगिस्तान का यह पैराबोलिक सौंदर्य यहां की जमीन के साथ बादलों को प्राचीन इमारत सा सुंदर रूप देता है। इसी रेगिस्तान से होकर कितने पैगम्बर और सन्यासी अपने-अपने मंजिल की ओर गए। धर्मों को स्थापित करने वाले नेताओं ने दुनिया छोड़कर यहां आने के अध्यात्मिक महत्व के बारे में बताया, दुनिया से पलायन करने के लिए नहीं बल्कि सत्य की खोज के लिए।” -पॉल शेफर्ड की पुस्तक मेन इन दी लैंडस्केपः ए हिस्टोरिक व्यू ऑफ दी एस्थेटिक्स ऑफ नेचर से उद्धृत
माजेव रेगिस्तान के अलग-थलग कोने में एक जंगली फूल, आर्कटॉमेकॉन केलिफोमिका, खिलता है जो दुनिया में और कहीं नहीं मिलता। बसंत के आखिर में कोमल और सुनहले रंग का यह आकर्षक फूल इस रेगिस्तान में खिलता है, लेकिन बाकी मौसम की सूखी जमीन पर यह फूलों से रहित घनी झाड़ियों के रूप में किसी की नजर को आकर्षित नहीं करता। कैलिफोमिका का यह फूल इतना दुर्लभ है कि इसे खत्म होती पौधे की प्रजाति के रुप में चिह्नित किया गया है।
मैकेंडलेस के अटलांटा छोड़ने के लगभग तीन महीने से ऊपर हो चुके थे। अक्टूबर 1990 को संघीय सरकार ने नेशनल पार्क सर्विस के एक रेंजर बुड वॉल्श को ‘लेकमीड नेशनल रिक्रिएशन एरिया’ के देहाती इलाके में इसी कैलिफोमिका को खोजने भेजा गया ताकि यह जाना जा सके कि यह फूल कितना दुर्लभ है। कैलिफोमिका जिप्सम वाली मिट्टी मे उगता है जो लेक मीड के दक्षिणी किनारे पर प्रचुर मात्रा में मिलता है। इसलिए वाल्श अपनी टीम को लेकर उधर ही गया। टेम्पल बार रोड से होते हुए डेट्रिटल वाश की तरफ दो मील आगे जाने पर वाल्श और उसकी टीम ने झील के किनारे अपनी गाड़ियां खड़ी की और आगे उजले जिप्सम वाले पूर्वी किनारे के ढलान की ओर सब धीरे-धीरे संभलकर उतरने लगे। कुछ मिनट बाद जैसे ही वे किनारे को नजदीक गए, एक रेंजर की नजर किसी चीज पर पड़ी, जिसे देखकर उसकी सांसे थम सी गई। वह चिल्लाया, “ यहां देखो, नीचे देखो, यह कौन सी चीज है??”
घनी झाड़ियों के बीच सूखी नदी के किनारे पर एक बड़ा सा सामान गहरे भूरे रंग के प्लास्टिक के नीचे छिपाया हुआ था। जैसे ही रेंजरों ने प्लास्टिक हटाया, वहां एक पुरानी सी पीले रंग की बिना लाईसेंस प्लेट की डॉटसन कार खड़ी थी। उस कार पर एक कागज चिपका था, जिसपर लिखा थाः ‘यह बेकार चीज यहां छोड़ दिया गया है। जिसे भी यह मिले वह इसे शौक से ले जा सकता है।‘
कार का दरवाजे का ताला खुला था। उसकी नीचले सतह पर कीचड़ भर चुका था। अंदर झांकने पर वाल्श को एक गिटार, एक सॉसपेन में रखा 4.93 डालर खुदरा, एक फुटबॉल, पुराने कपड़े से भरा एक बैग, एक फिशिंग रॉड, एक इलेक्ट्रिक रेजर, एक हार्मोनिका, पच्चीस पौंड चावल और गाड़ी की चाबी मिली।
रेंजरों ने और किसी संदिग्ध चीज की खोज में आसपास छान मारा और वहां से सब चले गए। कुछ दिनों बाद एक रेंजर आकर कार को बिना किसी परेशानी के स्टार्ट कर टेम्पल बार के नेशनल पार्क सर्विस मैंटेनेंस यार्ड तक ले आया। बुड वाल्श ने उस वाकये को याद करते हुए कहा कि गाड़ी को साठ मील प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाता हुआ वह रेंजर ले आया और बोला ‘यह गाड़ी तो चैंपियन की तरह चलती है’।
यह जानने के लिए कि यह कार किसकी है, रेंजरों ने सभी कानूनी एजेंसियों को सूचना भेज दिया और साउथवेस्ट के सभी कम्प्यूटर रेकार्डों को खंगाल डाला, यह देखने के लिए कि यह डॉटसन कार किसी अपराध से तो नहीं जुड़ा था। लेकिन कुछ पता नहीं चला।
कार के सीरियल नंबर से इसके असली मालिक हर्ट्ज तक रेंजर पहुंच गए लेकिन हर्ट्ज ने कहा कि बहुत बार इस्तेमाल हो चुकी इस कार को बहुत साल पहले उसने किसी को बेच दिया था और अब उसमें उन्हें कोई रुचि नहीं है। वाल्श ने गर्व से इस कार को याद करते हुए कहा, “इस बेहतरीन कार का उपयोग हमलोग अगले तीन साल तक ड्रग तस्करों को पकड़ने के लिए अंडरकवर के रुप में करते रहे और इसने गजब का काम किया। इस डॉटसन कार की मदद से पार्क सर्विस कई ड्रग तस्करों को पकड़ने में कामयाब रही। यह कार आज भी अच्छा माईलेज देती है। थोड़े से इंधन में दिन भर चलती है। और इतनी अच्छी कार का मालिक होने का दावा करने कोई नहीं आया तो मुझे आश्चर्य हुआ।“
वह डॉटसन कार क्रिस मैकेंडलेस की थी। अटलांटा से पश्चिम की ओर निकलने के बाद, ऑफरोड ड्राईविंग ना करने की चेतावनी वाले होर्डिंग को नजरअंदाज करते हुए इमर्शन हाई की चढाई पर कार चलाते हुए 6 जुलाई 1990 को वह लेक मीड नेशनल रिक्रिएशन एरिया में पहुंचा था। मैकेंडलेस अपनी कार को रास्ते पर से उतार कर अंदर दो मील तक रेतीले रिवरबेड पर चलाते हुए लेक के दक्षिणी किनारे तक ले गया। दूर तक फैला किनारे का य़ह खाली रेगिस्तान 120 डिग्री फारेनहाईट तापमान में तपकर गर्म था। इधर-उधर किधर से भी निकल जाने वाली गिरगिटों से भरे उस रेगिस्तान में मैकेंडलेस अपना छोटा टेंट टेमेरिस्क पेड़ की छांव में लगाकर इस नयी आजादी का मजा लेने लगा।
डेट्रिटल वाश का रेगिस्तान, लेक मीड से पचास मील के दायरे में किंगमेन के पहाड़ों तक फैला है और साल मे अधिकांश दिन सूखा पड़ा रहता है। गरमी के मौसम में फटी धरती से तपती हवाएं ऊपर की तरफ केतली से उबलते हुए भाप की तरह तेजी से उठती है। यही हवाएं ऊपर उठकर गठीले, हथौड़े की तरह सख्त दिखने वाले गहरे भूरे बादल बनकर मोजेव के आसमान में तीस हजार फीट से ऊपर उठ जाते हैं। मैकेंडलेस के लेक मीड में आने के दो दिन बाद, दोपहरी में घने काले बादल पूरे डेट्रिटल घाटी में घनघोर पानी बरसाने लगे। मैकेंडलेस का कैंप कुछ फीट ऊंचाई पर था इसलिए जब तक भूरे पानी की तेज और ऊंची धारा उसके टैंट को बहा ले जाती, वह अपना सामान समेट चुका था। कार को चलाने के लिए अब कोई जगह नहीं बची थी क्योंकि अब सिर्फ एक ही रास्ता दिख रहा था, वह था पानी से लबालब बहती हुई नदी। पानी की बाढ में इतनी ताकत नहीं थी कि वह कार को बहा ले जाती या कोई नुकसान पहुंचाती। लेकिन ईंजन को यह गीला कर चुकी थी। मैकेंडलेस ने इसे स्टार्ट करने की बहुत कोशिश की लेकिन बैटरी खत्म हो गई, ईंजन ने साथ नहीं दिया। बैटरी के खत्म होते ही अब कोई संभावना नहीं थी कि डॉटसन आगे जा सके। अगर उसे कार को वापस सड़क तक लाना होता तो उसे पैदल चलकर पहले अधिकारियों से सूचित करना पड़ता। लेकिन रेंजरों के पास अगर वह जाता तो उसे सवालों का सामना करना पड़ता, जैसे कि वह नियम को तोड़कर उस दिशा में क्यों गया, जिधर न जाने की हिदायत रास्ते किनारे लिखी हुई थी। उसके कार का रजिस्ट्रेशन दो साल पहले एक्सपायर हो चुका था। रेंजर पूछ सकते थे कि रजिस्ट्रेशन का रिन्यूअल उसने क्यों नहीं कराया। उसका ड्राईविंग लाईसेंस भी एक्सपायर हो चुका था और गाड़ी का इंश्योरेंस भी नहीं था। अगर वह रेंजरों को सही जबाब देता तो परेशानी में पड़ सकता था। मैकेंडलेस अगर उन्हें समझाने की कोशिश करता कि उसने किसी बड़े नैतिक शक्ति द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करते हुए सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों को तोड़ा है जैसा कि उसने थोरो के निबंध ‘ऑन दी ड्यूटी ऑफ सिविल डिसऑबिडिएंस’ से सीखा था, तो फेडरल सरकार के अधिकारी शायद ही उसकी बातें समझ पाते और उसे लाल फीतशाही का सामना करते हुए दंड भुगतना पड़ता। उसके माता-पिता से भी संपर्क किया जाता। और इन सबसे बचने के लिए मैकेंडलेस के पास एक ही रास्ता था कि डॉटसन को वहीं छोड़कर वह आगे की आवारगी पैदल ही करे। उसने यही किया।
इन सब घटनाओं को देखकर मैकेंडलेस परेशान होने के बदले और खुश हुआ क्योंकि यह अच्छा अवसर था कि वह सारे गैरजरुरी चीजों को वहीं रेगिस्तान में छोड़ दे। उसने कार को अच्छी तरह से भूरे प्लास्टिक से ढंक दिया और उसका नंबर प्लेट खोलकर छिपा दिया। उसने अपनी विंचेस्टर रायफल और कुछ चीजों के जमीन के नीचे दबा दिया ताकि बाद में उसे निकाल सके। उसके बाद उसने ऐसा काम किया जिससे थोरो और टॉल्सटॉय दोनों खुश होते। उसने अपने सारे पैसे में आग लगा दिया और कुछ ही पल में 123 डॉलर का कागज राख हो चुका था।
ये सभी बातें उस डायरी से पता चली जिसमें मैकेंडलेस सारी घटनाओं को लिखा करता था और जिसे उसने अलास्का जाने से पहले वायन वेस्टरबर्ग के पास कार्थेज में सुरक्षित रखने के लिए छोड़ दिया था। सुबूत से ये साबित होता है कि डायरी में उसने बिल्कुल सच लिखा था औऱ सच को मैकेंडलेस काफी गंभीरता से लेता था।
बचे हुए सामान को बैग में डालकर मैकेंडलेस 10 जुलाई 1990 को लेक मीड की तरफ चल पड़ा। मैकेंडलेस ने अपनी डायरी में लिखा कि यह उसने बहुत बड़ी गलती की क्योंकि गर्मी अपने चरम पर थी और उसे लू लग गई। फिर भी उसने कुछ नाविकों को रोकने में सफलता पायी, जिन्होंने उसे कालविले की खाड़ी तक लिफ्ट दिया। उसके बाद वह अपना अंगूठा उठाकर सड़क पर फिर निकल पड़ा। मैकेंडलेस दो महीनों तक पश्चिम की तरफ आवारगी करता रहा। उधर के लैंडस्केप के सौंदर्य पर वह काफी मुग्ध था। जगह-जगह उसे अपनी तरह के आवारे मिलते रहे और उनके साथ वह आनंद उठाता रहा। लेक ताहो तक वह लिफ्ट लेकर गया। आगे सियरा नेवाडा तक पैदल चलते हुए उत्तर की ओर पैसिफिक क्रेस्ट सेंट्रल तक के पहाड़ों में वह घूमता रहा, उसके बाद फिर से सड़क पर आ गया। जुलाई के अंत में वह एक आदमी की गाड़ी से सफर कर रहा था जो खुद को क्रेजी ईर्नी कहता था। उसने मैंकेडलेस को उत्तरी कैलिफोर्निया के एक रैंच में नौकरी का प्रस्ताव दिया। वहां एक खंडहरनुमा मकान था जिसके इर्द-गिर्द बकरियां और मुर्गे, गद्दे, टूटे टेलीविजन, पुराने सामान और कचरों का अंबार दिखता था। छह और आवारों के साथ मैकेंडलेस वहां ग्यारह दिन तक काम करता रहा लेकिन जल्द ही उसे लग गया कि क्रेजी ईर्नी उसे ये काम करने के एक पैसे नहीं देगा तो उसने वहां से एक लाल साईकिल चुराई और चलता बना। चिको तक वह साईकिल से आया और एक मॉल की पार्किंग मे साईकिल को छोड़कर फिर से उसने आगे की आवारगी, उसी तरह लिफ्ट मांगने के लिए अंगूठा खड़ा करते हुए लगातार करता रहा। उत्तर और पश्चिम से होते हुए वह रेड ब्लफ, वीवरले और विलो क्रीक से गुजरा। कैलिफोर्निया के आर्कटा और पैसिफिक क्षेत्र के किनारे से होते हुए मैकेंडलेस यूएस हाईवे 101 तक आया और समुद्री किनारे की ओर चलता रहा।
ओरेगॉन लाईन के साठ मील दक्षिण में ओरिक शहर के पास एक पुराने वैन में घूमते रबरट्रैंप आवारे जोड़े की नजर सड़क किनारे झाड़ियों में बैठकर कुछ खोजते एक लड़के पर पड़ी। जेन अपने ब्वाय फ्रेंड बॉब के साथ वैन में बैठी थी।
“उसने एक लॉंग शर्ट और बेकार सी टोपी पहन रखी थी। उसके हाथ में पौधों के बारे में लिखी गई एक किताब थी जिसमें देख-देखकर वह एक गैलन में खाने लायक बेरी के फल जमा कर रहा था। वह बहुत परेशान दिख रहा था इसलिए मैने उसे पुकारकर पूछा कि वह उनके साथ कहीं जाना चाहेगा गाड़ी में। हमने सोचा कि उसे हम कुछ खाने को दे सकते हैं।“ चालीस पार कर चुकी रबरट्रैंप जेन ये बातें बता रही थी। “उसने हमसे बात करनी शुरु की। वह बहुत अच्छा था। उसने अपना नाम एलेक्स बताया। वह बहुत समय से भूखा था लेकिन उसके चेहरे से सच्ची खुशी छलक रही थी। उसने बड़े गर्व से बताया कि वह किताब से खोज-खोजकर खाने लायक फलों के खाकर जी रहा है। वह सच में इस बात पर काफी खुश था। उसने बताया कि वह देश में एक साहसिक यात्रा करने के लिए आवारगी कर रहा है। उसने अपने कार को छोड़ने से लेकर पैसे जलाने तक की सारी दास्तां हमसे कही। मैने जब उससे पूछा कि तुम ऐसा क्यों कर रहे हो तो उसका जबाब था कि उसे पैसे की जरुरत नहीं है।“
जेन ने बताया कि एलेक्स की उम्र का ही उसका एक बड़ा लड़का था जो अब उससे अलग रहता है I इसलिए उसने बॉब से कहा, “इस बच्चे को वह अपने साथ रखेंगे, तुमको इसे कुछ सिखाना पड़ेगा, जीवन जीना।“
“एलेक्स हमारे साथ ओरिक बीच तक आया और हमारे साथ कैंप मे एक सप्ताह तक रुका। वह सच में बहुत अच्छा था। हमने उसके लिए सपने बुने थे। जब हम अलग हो रहे थे तो हमें आशा नहीं थी वह हमसे फिर कभी मिलेगा लेकिन उसने संपर्क में रहने का वादा किया। अगले दो साल तक एलेक्स हमें एक-दो महीने पर पोस्टकार्ड लिखता रहा।“
ओरिक से मैकेंडलेस समुद्री किनारे की तरफ आगे बढता रहा। पिस्टल नदी पारकर, कूस बे, सील रॉक, मंजानिटा, एस्टोरिया; होकियम, हम्पट्युलिप्स; क्वीट्स, फार्क्स, पोर्ट एंजेल्स, पोर्ट टाउनसेंड से गुजरते हुए सिएटल में उसने आवारगी की। जेम्स जॉयस के उपन्यास ‘आर्टिस्ट एज ए यंग मैन’ के कैरेक्टर स्टीफन डेडलस की तरह मैकेंडलेस अकेला था। जॉयस लिखते हैं, “वह अकेला था। उसपर कोई ध्यान नहीं देता था लेकिन वह खुश था और दिल से आवारा। वह बिल्कुल अकेला था। जवान और दृढ ईच्छाशक्ति वाला। समुद्री किनारे के नमकीन लहरें, आवारा हवाओं, सीपों और भूरे रंग के सूरज के रौशनी के बीच तन्हा।“
जेन और बॉब से मिलने से ठीक पहले दस अगस्त को विलो क्रीक के पास यूरेका के पूर्व की तरफ, लिफ्ट लेकर चलने के जुर्म में मैकेंडलेस को एक अधिकारी ने पकड़ लिया। जब अधिकारी ने उससे स्थाई पता के बारे में पूछा तो उसने घर का असली पता दे दिया। अगस्त के अंत तक वाल्ट और बिली के मेलबॉक्स में दंड का पैसा भुगतान करने की चिट्ठी पड़ी थी।
वाल्ट और बिली क्रिस के गायब हो जाने के बाद बहुत चिंतित थे। उन्होंने अन्नाडेल पुलिस को सूचित किया था लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जब कैलिफोर्निया से दंड वाली चिट्ठी आई तो उनको अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रहा। वाल्ट का एक पड़ौसी यूएस डिफेन्स इंटेलीजेंस एजेंसी में निदेशक था। वाल्ट उस आर्मी जेनरल से सलाह लेने के लिए गया। जेनरल ने उसे एक प्राईवेट इन्वेस्टीगेटर पीटर कालित्का से मिलाया, जो डिफेंस एजेंसी और सीआईए दोनों के लिए काम करता था। जेनरल ने वाल्ट को भरोसा दिलाया कि अगर क्रिस वहां होगा तो पीटर उसे खोज निकालेगा।
उस चिट्ठी के सहारे पीटर ने मैकेंडलेस को वीलो क्रीक से खोजना शुरु किया लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। दिसम्बर में पीटर को टैक्स रेकार्ड से पता चला कि क्रिस ने अपना सारा पैसा ऑक्सफैम को दे दिया है।
वाल्ट ने बताया, “इस बात ने हमें डरा दिया कि उस वक्त तक क्रिस के बारे में हमें कुछ भी पता नहीं चला। उसको डॉटसन कार से इतना प्यार था कि मुझे यकीन नहीं हो रहा कि वह उसे कहीं पर छोड़कर पैदल चल देगा। लेकिन मुझे आश्चर्य नहीं होना चाहिये था क्योंकि पीठ पर जितना लादकर चल सकें, उतना ही सामान क्रिस हमेशा अपने पास रखना चाहता था।“
पीटर क्रिस को कैलिफोर्निया में खोज रहा था लेकिन वह तो वहां से काफी दूर कास्केड रेंज से होते हुए पूरब की तरफ कोलम्बिया के नदी बेसिन के लावा भरी सतहों और झाड़ियों भरे उच्च भूमि होते हुए मोन्टाना पहुंच चुका था। वहीं कटबैंक के पास उसे वायन वेस्टरबर्ग मिला था और सितम्बर तक कार्थेज में उसके साथ काम कर रहा था। जब वेस्टरबर्ग को जेल हुई तो वहां का काम रुक गया। जाड़े की दस्तक हो चुकी थी इसलिए मैकेंडलेस अब गर्म जलवायु वाले जगह की ओर चल पड़ा।
28 अक्टूबर 1990 को एक ट्रक से वह कैलिफोर्निया के नीडल्स पहुंचा। वहां कोलोराडो नदी के पास पहुंचकर मैकेंडलेस बेहद खुश था। यह बात मैकेंडलेस ने अपने डायरी में नोट किया। उसके बाद वह हाईवे पकड़कर दक्षिण मे रेगिस्तान की तरफ चलना शुरु किया। बारह मील धूल भरे रास्ते से चलने के बाद क्रिस एरिजोना के टोपोक पहुंचा। टोपोक शहर में सेकेंडहेंड डोंगी(छोटी नाव) को बिकते देखकर उसने अचानक भावावेग से उसे खरीदने की सोची, जिससे उसने कोलारोडो नदी से चार सौ मील दक्षिण मैक्सिको के बार्डर से होते हुए कैलिफोर्निया की खाड़ी तक जाने की योजना बनाई।
नदी के नीचले फैलाव में हूवर डैम से खाड़ी तक के रास्ते में टोपोक से 250 मील बाद ग्रैंड कैनयन से तेज और अनियंत्रित लहर फूटती थी। नहरों और बांधो से कमजोर हो चुकी कोलोराडो नदी इस महाद्वीप के कुछ बेहद गर्म और दिखने में साधारण प्रदेशों से होकर धीरे-धीरे गुजरती थी। मैकैंडलेस इस लैंडस्केप की सादगी भरे सौंदर्य से बहुत आह्लादित था। रेगिस्तान के सूखी वादी और क्षितिज से आती साफ रौशनी में उसकी आवारगी ने उसके अंदर जीवन के उस आनंद भरे दर्द को बढा दिया था, जो उसे आगे का रास्ता दिखा रहा था।
टोपोक से दक्षिण हावासू झील के साफ, विशाल और सूने आकाश के गुंबद के नीचे वह अपनी डोंगी में चला और रास्ते में कोलोराडो की एक सहायक नदी बिल विलियम्स में थोड़ी दूर आवारगी की। उसके बाद कोलोराडो रीवर इंडियन रिजर्वेशन, किबोला नेशनल वाईल्डलाईफ रिफ्यूज, इंपेरियस नेशनल वाईल्डलाईफ रिफ्यूज होते हुए वह कैक्टस भरे रेगिस्तान और क्षारीय प्लेन को पीछे छोड़ते हुए, एक बहुत पुराने पत्थर के नीचे अपना कैंप जमाया। दूर नुकीली चोटियों वाले भूरे रंग के पहाड़ों की कतार पानी की सतह पर तैरता महसूस हो रहा था। एक दिन नदी से दूर जंगली घोड़ों के साथ रेस लगाते हुए मैकेंडलेस को यूएस आर्मी द्वारा प्रतिबंधित क्षेत्र यूमा प्रोविंग ग्राउंड का साईनबोर्ड दिखा। चेतावनी की बिल्कुल परवाह न करते हुए वह नवंबर के अंत में यूमा को डोंगी से पारकर रुका और वायन वेस्टरबर्ग को ग्लोरी हाउस, सिऔक्स फाल्स के पते पर एक पोस्टकार्ड लिखा जहां वेस्टरबर्ग अपना समय बिता रहा था।
कार्ड में लिखा थाः- ‘ हे! वेस्टरबर्ग! कैसे हो। आशा करता हूं कि तूम पहले से अच्छे होगे। मैं एरीजोना में एक महीने से आवारगी करता रहा। बहुत सुंदर जगह है। बहुत बढिया जलवायु और सुंदर प्राकृतिक दृश्यों से भरा। इस चिट्ठी का उद्देश्य तुम्हें आभार कहना है, तुम्हारे अच्छे व्यवहार के लिए। तुम्हारे जैसे अच्छे स्वभाव का उदार आदमी मिलना मुश्किल है। कभी-कभी लगता है कि तुमसे ना मिलता तो अच्छा रहता क्योंकि तुम्हारे पास रहके कमाए गए इतने पैसे के साथ आवारगी करने में बड़ी आसानी सी महसूस होती है। जबकि मुझे वो दिन ज्यादा मजेदार लगते थे जब मेरे पास एक भी पैसा नहीं था और मुझे एक वक्त के भोजन के लिए संघर्ष करना पड़ता था। लेकिन एरीजोना में बिना पैसे के खाना मिलना मुश्किल था क्योंकि यहां फलों की खेती बहुत कम है आजकल। केविन को धन्यवाद देना उसके दिए गर्म कपड़ों के लिए जिसके बगैर मैं सर्दी में जमकर मर जाता। मुझे लगता है कि केविन ने तुमको वार एंड पीस किताब दी होगी। जरुर पढना, ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि तुम उच्च नैतिक चरित्र वाले आदमी हो। वार एंड पीस प्रतीकों से भरी काव्यात्मक किताब है। इसमें ऐसी बातें लिखी हैं, जिसे तुम समझोगे। ऐसी बातें जिसे सामान्यतः लोग समझ नहीं पाते। मैं कुछ दिन और इस तरह की आवारगी भरी जिंदगी जीउंगा। इस तरह की आजादी और सादगी भरा जीवन मैं छोड़ नहीं सकता। एक दिन मैं तुम्हारे पास लौटूंगा वायन और तुम्हारे दयालुता के बदले कुछ तुम्हारे लिए भी करना चाहूंगा। तब तक तुम हमेशा मेरे दोस्त रहोगे। गॉड ब्लेस यू।‘
2 दिसम्बर 1990 को वह मैक्सिकन बार्डर के पास मोरेलोस डैम तक पहुंचा। कोई परिचय पत्र ना होने के कारण उसे भय था कि उसे आगे जाने नहीं दिया जाएगा, इसलिए डैम के खुले फ्लडगेट से होते हुए वह निकल गया। एलेक्स ने तेजी से चारों तरफ देखा कि किसी ने उसे देख तो नहीं लिया। लेकिन “मेक्सिको में यह गैरकानूनी प्रवेश किसी की नजर में नहीं आया। एलेक्जेंडर बहुत खुश था“, एलेक्स ने डायरी में लिखा।
यह खुशी ज्यादा देर टिक नहीं सकी। मोरेलोस डैम के बाद नदी से सिंचाई की कई नहरें फूटती थी और मैकेंडलेस उसमें रास्ता भटक गया। नहरें कई तरफ जाती थी और एलेक्स यह देखकर हतप्रभ था। उसे कुछ सूझ नहीं रहा था। तभी उसका सामना कुछ कैनाल अधिकारियों से हुआ जिसने बताया कि वह दक्षिण में कैलिफोर्निया की तरफ नहीं बल्कि पश्चिम में बेजा पेनिनसिला की तरफ जा रहा था। एलेक्स हताश हो गया। उसने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि कैलिफोर्निया की खाड़ी की तरफ जाने के लिए कोई ना कोई रास्ता जरुर होना चाहिए। अधिकारी एलेक्स को इस तरह देख रहे थे जैसे वह पागल हो। लेकिन तभी मैप के ऊपर पेंसिल के साथ सभी ये जानने के लिए जुटे कि क्या सच में ऐसा कोई रास्ता हो सकता था। दस मिनट के बाद उन्होंने एलेक्स को एक रास्ता सुझाया जो उसे कैलिफोर्निया के समंदर की तरफ ले जा सकता था। आशा जगते ही एलेक्स के अंदर वापस आनंद फूट पड़ा।
मैप के अनुसार नहर में वह कुछ पीछे लौटा और कैनाल डे इंडिपेंडेसिया पकड़कर पूर्व की ओर गया। मैप में वह कैनाल, वैल्टेको कैनाल से जा मिलता था जहां से दक्षिण की तरफ जाने वाला हर रास्ता समंदर तक ले जाता था। लेकिन, उसकी सारी आशा मिट्टी में तब मिल गई जब नहर जाकर दलदली झाड़ियों से भरे क्षेत्र के बीच में जाकर खत्म हो गई। एलेक्स ने पाया कि वह जगह कोलोराडो नदी का सूख रहा रिवरबेड है। मैप में उस क्षेत्र में आधा मील आगे एक और नहर था जहां तक जाने में मैकेंडलेस को तीन दिन लग गए।
एलेक्स ने अपनी डायरी में लिखाः- “आखिर में एलेक्स ने वाल्टेको कैनाल को खोज ही लिया। उसमें अपनी डोंगी उतार वह दक्षिण की तरफ चल पड़ा। उसकी डर और चिंता और बढने लगी जब आगे नहर छोटी होती जा रही थी। मेक्सिको के स्थानीय लोगों ने एलेक्स को वहां के बैरियर से आगे जाने में मदद की और एलेक्स ने मेक्सिकन्स को अमेरिकन से ज्यादा दोस्ताना और सेवाभाव वाला पाया।“
लेकिन 9 दिसम्बर 1990 को फिर उसने लिखा- ‘सारी आशाएं समाप्त हो चुकी हैं। यह नहर भी समंदर में न जाकर एक दलदल से भरे जंगली झाड़ियों वाले जगह में खत्म हो गई। एलेक्स संकट से घिर चुका है। उसने तय किया कि समंदर तक जाने का रास्ता तो खोजना ही है। एलेक्स दिन भर डोंगी को झाड़ियों और दलदल के बीच खींचता रहा लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। उसे थोड़ी सी सूखी जमीन मिली जहां उसने अपना कैंप लगाया। अगले दिन, 10 दिसंबर 1990 को एलेक्स फिर से समंदर को खोजने में लगा लेकिन भ्रमित होकर दिन भर एक गोले में चक्कर लगाता रहा। पूरी तरह निराश और हताश एलेक्स दिन के खत्म होने पर डोंगी के बगल में बैठा रोने लगा। लेकिन तभी मेक्सिकन डक(बत्तख) शिकारी उधर से गुजरे। एलेक्स ने उनसे अपनी कहानी कही और समंदर तक पहुंचने की बात भी कही। शिकारियों ने कहा कि उधर से समंदर की तरफ जाने का कोई रास्ता नहीं था। फिर उनमें से एक शिकारी, एलेक्स को अपने बेसकैंप से समंदर तक पहुंचाने को राजी हो गया। यह चमत्कार से कम नहीं था।‘
डक शिकारियों ने एलेक्स को मछुआरों के एक गांव एल गोल्फो डे सांता क्लारा पहुंचा दिया जो कैलिफोर्निया की खाड़ी के तट पर बसा था। वहां से मैकेंडलेस समंदर में फिर उतर गया और दक्षिण की तरफ जाते हुए खाड़ी के पूर्वी छोड़ तक पहुंच गया। वहां जाने के साथ ही वह और चिंतनशील हो गया। उसने हवाओं में उड़ते रेतों के गुंबद के चित्र, डूबते सूरज, समुद्री किनारे के घुमावदार अर्द्धवृताकार चित्र उसने खींचे। एलेक्स अब डायरी में विस्तार से नहीं, बल्कि छोटे-छोटे नोट लिखने लगा। अगले एक महीने के अंदर उसने सौ से भी कम शब्द लिखे।
डोंगी चलाते-चलाते थकने के बाद 14 दिसम्बर को वह समंदर के किनारे डोंगी को घसीटते हुए उसे ऊंचे चट्टान की तरफ ले गया और उसने वहीं ऊपर के समतल और एकांत वाले हिस्से में अपना कैंप लगा दिया। वह दस दिन तक वहीं रहा। तेज हवाओं ने उसे उसी चट्टान के दूसरी तरफ के गुफानुमा जगह में जाने को मजबूर कर दिया और अगले दस दिनों तक वह वहीं जमा रहा। उसने ऩए साल को उत्तरी अमेरिका के 17000 वर्गमील में फैले रेतीले गुंबदों वाले विशाल दी ग्रेट डेजर्ट के ऊपर चमकते हुए पूर्णिमा के चांद को देखते हुए मनाया। एक दिन बाद वह फिर से समंदर में उतर पड़ा।
11 जनवरी 1991 को उसने अपनी डायरी में लिखा- “यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण दिन था।“ उस दिन कुछ दूर दक्षिण में जाने के बाद डोंगी को रेत के टीले से लगाकर दूर से आते ज्वारभाटा को देख ही रहा था कि एक घंटे बाद रेगिस्तान की तरफ से आती तेज हवाएं और समंदर में उठती तेज और ऊंची लहरों ने उसे फिर से समंदर में ला पटका। लहरें इतनी ऊंची और तेज थी कि ऐसा लगता था उसके छोटे डोंगी को निगल जाएगी। हवाएं और तेज हो चुकी थीं। गुस्से में आकर एलेक्स डोंगी को पतवार से पीटने लगा। एक पतवार टूटने के बाद उसे होश आया तो उसने खुद को शांत किया क्योंकि दूसरा पतवार भी अगर टूट जाता तो एलेक्स की कहानी वहीं खत्म हो जाती। बहुत जोर लगाने के बाद एलेक्स डोंगी को किनारे लगाने में कामयाब रहा और रेत पर गिर पड़ा। तब तक शाम ढल चुकी थी। एलेक्स ने सोचा कि अब डोंगी से किसी तरह मुक्ति पाकर वह उत्तर की तरफ जाएगा।
16 जनवरी को मैकेंडलेस ने उस मोटे चदरे से बनी डोंगी को एल गोल्फो डे सांटा क्लारा गांव के दक्षिण-पश्चिम में घास के ऊंचे टीले पर छोड़कर उत्तर की तरफ समंदर के रेगिस्तानी किनारे में पैदल निकल पड़ा। छत्तीस दिनों से उसने किसी से बात नहीं की थी। वह इतने दिन तक सिर्फ पांच पौंड चावल के सहारे और समंदर से मिले कुछ चीजों को खाते हुए जी गया। इसी बात ने क्रिस को आगे अलास्का की यात्रा पर बहुत कम राशन ले जाने की प्रेरणा दी। वह 18 जनवरी 1991 तक यूनाईटेड स्टेट्स के बार्डर पर था। वहां उसे सीमा अधिकारियों ने पकड़ लिया और बिना परिचय पत्र के चलने के जुर्म में जेल में डाल दिया। वहां उसने एक झूठी कहानी गढी और उस आधार पर एक दिन बाद छूट गया लेकिन उसका .38 कैलिबर रिवाल्वर वहीं ले लिया गया, जिससे एलेक्स को बहुत लगाव था।
मैकेंडलेस अगले छह हफ्तों तक दक्षिण-पश्चिम की तरफ घूमता रहा। पूर्वी दिशा की ओर ह्वेस्टन तक, पश्चिम की तरफ प्रशांत सागर के किनारे तक। किसी शहर में घुसने से पहले उसने पैसे को जमीन में दबा देता था क्योंकि वहां घूमने और सोने के दौरान उसे चोर-बदमाशों से खतरा था। लौटते वक्त मैकेंडलेस पैसे वापस निकाल लेता था। तीन फरवरी को वह लास एंजेल्स पहुंच गया। वहां वह परिचय पत्र बनवाने और एक नौकरी की खोज में गया था। लेकिन वहां समाज में उसे जीने में बहुत परेशानी होने लगी और वह सड़क की जिंदगी में वापस लौट आया।
छह दिन बाद वह ग्रैंड कैनयन घाटी में नीचे एक जर्मन जोड़े थामस और कैरीन के साथ रुका जिन्होंने उसे लिफ्ट दिया था। एलेक्स ने लिखा, “ क्या यह वही एलेक्स है जो जुलाई 1990 को आवारगी पर निकला था। रोड की जिंदगी और पौष्टिक खाने के अभाव में उसका वजन 25 पौंड कम हो गया। लेकिन आत्मा से वह बहुत ऊंचा उठ चुका था।”
24 फरवरी को, साढे सात महीने बाद मैकेंडलेस फिर से वहीं लौटा, जहां उसने अपना डॉटसन कार छोड़ा था। कार तो रेंजर ले जा चुके थे लेकिन नंबर प्लेट के साथ-साथ कुछ सामान खोज निकाला जिसे उसने वहां जमीन में दबाया था। उसके बाद उसने लास वेगास की ओर रुख किया और वहां एक इटालियन रेस्टूरेंट में उसे काम मिल गया।
उसने डायरी में लिखा, “एलेक्जेंडर ने अपना सारा सामान रेगिस्तान में दबा दिया और बिना पैसे और परिचय पत्र के 27 फरवरी को लास वेगास में घुस गया। वह लास वेगास की गलियों में आवारों, बम्पों और शराबियों के साथ कई सप्ताह रहा। लेकिन, लास वेगास उसकी मंजिल नहीं थी। 10 मई को वह नौकरी छोड़कर उल्टे पांव लौटा और रेत में दबे अपना बैग निकालकर फिर सड़क पर आ गया। उसने पाया कि बैग में रखा कैमरा जमीन के नीचे दबा रहके खराब हो चुका था। इसलिए, 10 मई 1991 से 7 जनवरी 1992 के बीच की कोई तस्वीर एलेक्स की कहानी फोटोफाईल में नहीं है। लेकिन यह महत्वपूर्ण नहीं है। अब तक एलेक्स ने काफी अनुभव पाये, उसके पास यादों का खजाना है। उसने आवारगी में अपने जीवन का असली अर्थ और आनंद पाया है। हे ईश्वर! शुक्रिया! तुमने हमें जिन्दा रखा।“
अमेरिका के भोगवादी जीवन से ऊबे क्रिस्टोफर ने खुद को जानने के लिए आवारगी का रास्ता चुना। सारे पैसे दानकर, परिचय-पत्र फेंककर और परिवार को बिना कुछ बताए उसने गुमनामी-घुमक्कड़ी का जीवन जीना शुरू किया। दो साल बाद वह अलास्का के निर्जन इलाके में जाकर रहना शुरू कर दिया। वहां जीवन की विपरीत परिस्थितियों से लड़ते हुए जीवन की खोज जारी रखी। वह ऐसा क्यों बना… अलास्का में उसके साथ क्या हुआ.. यह सब-कुछ जॉन क्राउकर नाम के पत्रकार ने बहुत शोध के बाद अपने किताब ‘Into the wild’ में लिखा। सीन पेन ने इसी नाम से एक बेहतरीन फिल्म बनाई जो विश्व के सौ महान सिनेमा में गिनी जाती है। Into the wild’ का हिंदी में अनुवाद कर रहे हैं युवा पत्रकार राजीव कुमार सिंह। इसका पहला और दूसरा पार्ट आप लोग पढ़ चुके हैं। ये था तीसरा पार्ट। राजीव ने इस उपन्यास का अनुवाद करके पत्रकारिता क्षेत्र में दस्तक दी है। उनके अनुवाद में कई कमियां-गल्तियां हैं, ऐसा उनका कहना है। पर इसे एक युवा पत्रकार का शुरुआती गंभीर प्रयास मानते हुए कमियों की अनदेखा की जाए, ऐसा वह अनुरोध करते हैं। राजीव की इच्छा है कि उनके परिचय में लिखा जाए- एक बेरोजगार पत्रकार जिसे एक अदद नौकरी की तलाश है। राजीव से संपर्क rajeevsinghemail@gmail.com के जरिए किया जा सकता है। -एडिटर, भड़ास4मीडिया
Comments on “भोगवादी जीवन से उबे आदमी की आवारगी (भाग तीन)”
क्रिस्टोफर एलेक्जेंडर की अब तक की यह कहानी हरमन हेस के उपन्यास सिद्धार्थ की सी तर्ज पर है। अपनी इस कहानी में एलेक्जेंडर सिद्धार्थ के मुख्य पात्र के जीवन में वेश्या कमला के प्रेमी काम-स्वामी के साथ बिताये गये क्षणों तक पहुंचा है।
मुझे लगता है कि असल कहानी तो, अगर कोई है, इसके बाद ही शुरू होगी।
वैसे राजीव भाई, आपने अच्छा अनुवाद किया है।
मैं कभी, कहीं, आपके किसी लायक हो सकूं, तो बताइयेगा। मुझे अच्छा लगेगा।