भोगवादी जीवन से उबे आदमी की आवारगी (भाग एक)

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अमेरिका के भोगवादी जीवन से ऊबकर क्रिस्टोफर ने वापस खुद को जानने के लिए आवारगी का रास्ता चुना। अपने सारे पैसे दानकर और अपने सारे परिचय-पत्र फेंककर अपने परिवार को बिना कुछ बताए उसने गुमनामी और घुमक्कड़ी जीवन जीना शुरू किया। दो साल बाद वह अलास्का के निर्जन इलाके में जाकर रहना शुरू कर दिया।

वहां जीवन की सारी विपरीत परिस्थितियों से लड़ते हुए उसने जीवन की खोज जारी रखी। वह ऐसा क्यों बना… अलास्का में उसके साथ क्या हुआ.. यह सब-कुछ जॉन क्राउकर नाम के पत्रकार ने बहुत शोध के बाद अपने किताब ‘Into the wild’ में लिखा। सीन पेन ने इसी नाम से एक बेहतरीन फिल्म बनाई जो विश्व के सौ महान सिनेमा में गिनी जाती है। ‘Into the wild’ का हिंदी में अनुवाद कर रहे हैं युवा पत्रकार राजीव कुमार सिंह। राजीव की

राजीव कुमार सिंह
राजीव कुमार सिंह
इच्छा है कि उनके परिचय में लिखा जाए- एक बेरोजगार पत्रकार जिसे एक अदद नौकरी की तलाश है। राजीव से संपर्क rajeevsinghemail@gmail.com के जरिए किया जा सकता है। राजीव ने इस उपन्यास का अनुवाद करके पत्रकारिता क्षेत्र में दस्तक दी है। उनके अनुवाद में कई कमियां संभव है। पर इसे एक युवा पत्रकार का शुरुआती गंभीर प्रयास मानते हुए अनुवाद की कमियों को अनदेखा किया जाना चाहिए। -यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया


अलास्का के आवारा रास्तों पर (क्रिस्टोफर मैकेंडलेस की जीवनी)

बियाबान की ओर

अमेरिका के अलास्का सिटी में फेयरबैंक से मीलों आगे बर्फीले निर्जन इलाके में जिम गिलियन की नजर दूर सड़क किनारे खड़े किसी अंजाने पर पड़ी जो ठंड से ठिठुर रहा था औऱ लिफ्ट की गुजारिश में अंगूठा उठाए इशारे कर रहा था। वह अलास्का के उस बर्फीले बियाबान में और आगे जाना चाहता था। अठारह-उन्नीस साल के उस नौजवान के पीठ पर सेमीऑटोमेटिक रायफल टंगा था जिसे देखकर अलास्का के इस फोर्टी-नाइन्थ स्टेट में शायद ही कोई मोटरवाला लिफ्ट देने के लिए रुकता। लेकिन, गिलियन ने उसके दोस्ताना हाव-भाव को देखकर सड़क के किनारे की ओर अपनी ट्रक रोकी और उस बच्चे को अंदर आने को कहा।

नौजवान उछलकर ट्रक में चढा और अपना नाम एलेक्स बताया।

‘एलेक्स’- गिलियन प्रश्न करने की मुद्रा में बोला। वह एलेक्स का पूरा नाम जानना चाहता था।

“सिर्फ एलेक्स’- नौजवान ने उसके जिज्ञासा पर पानी फेर दिया। पांच फीट सात-आठ ईंच का गठीले बदन वाले एलेक्स ने अपनी उम्र 24 साल बताई और अपना घर दक्षिण डाकोटा बताया। उसने बताया कि वह सुदूर अलास्का मे देनाली नेशनल पार्क के अंतिम छोड़ पर उतरेगा और आगे की झाड़ियों वाले रास्ते से पैदल चलकर दुनिया को छोड़कर और लोगों से दूर अकेले में कुछ महीने बिताएगा।

पेशे से इलेक्ट्रिसियन गिलियन देनाली नेशनल पार्क वाले रास्ते पर 240 मील दूर एंकरेज जा रहा था; उसने एलेक्स से कहा कि वह जहां चाहेगा, उसे वह वहां तक छोड़ देगा। गिलियन को एलेक्स के बैग का वजन बमुश्किल 25-30 पौंड लग रहा था। शिकार का शौकीन और जंगलों में समय बिता चुके गिलियन को इस बात ने चौंकाया क्योंकि वह जानता था कि इतने कम सामान के सहारे ऐसे निर्जन इलाके में महीनों नहीं बिताया जा सकता जबकि अभी बसंत आने में देर है और अलास्का में चारों तरफ जमीन पर सिर्फ बर्फ बिछा है। गिलियन याद करने लगा कि इस तरह के ट्रिप पर वह इतने कम सामान के साथ कभी नहीं गया और जाना संभव भी नहीं था।

धूप निकल जाने से दिन धीरे-धीरे निखर रहा था। जब ट्रक तनाना नदी के किनारे के उंचे ढलानों से नीचे उतर रही थी तब एलेक्स दूर तक दक्षिण में फैले तेज और सर्द हवाओं में झूमते जंगल और पहाड़ियों से भरे दृश्य को देखने में खो गया। गिलियन अचंभित था। उसने सोचा कि कहीं वह किसी क्रेजी आवारा को तो ट्रक में नहीं बैठा लिया है जो बदनाम जैक लंडन की नेचर फैंटेसी जीने के लिए उत्तर के इस निर्जन में भागता है। अलास्का वैसे भी इस तरह के स्वप्नजीवी और समाज में मिसफिट लोगों का गढ रहा है जो सोचते हैं कि उत्तर के आखिरी छोड़ पर शुद्ध हवाओँ वाला ये सुनसान-विस्तार फलक उसके जीवन के सभी जख्मों को भर देगा।

गिलियन जानता था कि अलास्का से बाहर रहने वाले लोग मैगजीनों में अलास्का के बारे में पढकर फैंटेसी में डूब जाते हैं औऱ अपना बोरिया-बिस्तरा उठाकर यह सोचकर चल देते हैं कि वह दुनिया-समाज से दूर स्वर्ग में जीने जा रहे हैं जहां उन्हें बेहतर जीवन मिलेगा। लेकिन जब वह यहां पहुंचते हैं तब मैगजीन में लिखे झूठ का पता उन्हें चलता। यहां की जंगली झाड़ियां किसी को आशा, आनंद और जीवन नहीं देती। बड़ी-बड़ी नदियों का बहाव बहुत तेज है। यहां के मच्छड़ आदमी को जिंदा खा जाने को तैयार रहते हैं। यहां शिकार के लिए जंगली-जानवर भी बहुत कम हैं। यहां का जीवन पिकनिक नहीं है।

फेयरबैंक से देनाली पार्क के अंतिम छोड़ तक जाने में लगभग दो घंटे लगे। एलेक्स की बातें सुनकर गिलियन को वह पागल सा लगा। फिर भी, गिलियन को उसकी चिंता हुई। एलेक्स ने बताया कि उसके बैग में सिर्फ दस पाउंड चावल है। अप्रील की इतनी भयानक सर्दी को झेलने के लिए एलेक्स ने पर्याप्त कपड़े भी नहीं लिए थे। एलेक्स के सस्ते चमड़े का जूता वाटरप्रूफ और सर्दी से बचाने वाला नहीं था। उसका रायफल भी महज .22 बोर की क्षमता वाला था जिससे बड़े जानवरों का शिकार करना मुश्किल था, जिसे मारकर वह ऐसे बियाबान में ज्यादा दिन तक खाने का इंतजाम कर सकता था। उसके पास और कोई हथियार नहीं था। दिशा का पता लगाने के लिेए कम्पास भी नहीं था। उसके पास सिर्फ एक पुराना मैप था।

फेयरीबैंक से अलास्का पहाड़ियों के बीच के रास्ते में नेनाना नदी पर बने पुल से जब ट्रक गुजर रहा था तो एलेक्स ने नदी के तेज धार को देखकर कहा कि उसे नदी के पानी से डर लगता था। एक साल पहले मैक्सिको में वह समंदर में डोंगी लेकर निकल पड़ा था और वह डूबने ही वाला था कि तेज लहर के तूफान ने उसे किनारे ला पटका। कुछ देर बाद एलेक्स ने मैप निकाला और उस पर लाल निशान के द्वारा चिह्नित किए गए एक रास्ते के बारे में बताया जिसे स्टेम्पेड ट्रेल कहा जाता था। इस रास्ते का निशान अलास्का के रोडमैप पर भी नहीं मिलता था। इस रास्ते पर शायद ही आज तक कोई चला था। एलेक्स ने बताया कि वह रास्ता 40 मील का था और वह रास्ता आगे चलकर धीरे-धीरे गुम हो जाता था। माउंट मैकिनले पहाड़ों के उस दिशाहीन उत्तरी इलाके में एलेक्स जाना चाहता था।

गिलियन को एलेक्स की योजना मूर्खतापूर्ण लगी और उसने एलेक्स को लौट जाने को कहा। गिलियन ने एलेक्स से कहा कि वहां उसे शिकार करने के लिए आसानी से कोई जानवर नहीं मिलेगा। जब उसकी बातों का एलेक्स पर कोई असर नहीं हुआ तो गिलियन ने उसे वहां के खतरनाक भालुओं की कहानी सुनाकर डराने की कोशिश की। एलेक्स बिल्कुल नहीं डरा। उसने कहा कि भालू के आने पर वह पेड़ पर चढ जाएगा। तब गिलियन ने बताया कि उस जगह कोई बड़ा पेड़ नहीं है, जिसे भालू गिरा नहीं सकता। लेकिन एलेक्स अपने इरादे से एक ईंच पीछे नहीं नहीं हटा। उसे गिलियन ने जो-जो कहा, वह उसे उसका जबाब देता गया। गिलियन ने उसे अपने साथ एंकरेज शहर चलने को कहा जहां वह उसे जरूरत के सामान खरीद देगा; उसके बाद वह जहां जाना चाहे, चला जाय। एलेक्स ने यह कहते हुए गिलियन का प्रस्ताव ठुकरा दिया कि उसके पास जितना सामान है, उसे वह अपने लिए काफी समझता है।

‘क्या तुम्हारे पास शिकार करने का लाईसेंस है’ गिलियन के इतना पूछने पर एलेक्स ने व्यंग्यात्मक मुस्कान के साथ कहा, “नहीं, लाईसेंस नहीं है। मैं कैसे अपना पेट भरूंगा, सरकार को इससे कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए। मारो, साले उसके नियम-कानुनों को।”

क्या तुम्हारे मां-बाप या दोस्त तुम्हारे इस आवारगी के बारे में जानते हैं- गिलियन के ऐसा पूछने पर एलेक्स ने कहा कि उसकी अपने परिवार से दो साल से बातचीत नहीं हुई थी और उसके इस योजना के बारे में किसी को ऩहीं मालूम। ” मैं अपने उपर आए किसी भी खतरे से अकेले लड़ सकता हूं।” एलेक्स की दृढता देखकर गिलियन को लगा कि वह सच में यह जुनुनी था।

एलेक्स जल्दी से जल्दी स्टेम्पेड ट्रेल को पारकर दिशाहीन रास्ते की ओर बढ जाना चाहता था। स्टेम्पेड ट्रेल के आखिरी छोड़ तक जाने में गिलियन के ट्रक को तीन घंटे लगे। कुछ दूर तक तो सड़क अच्छी थी लेकिन बाद का रास्ता बेहद खराब था। चारों तरफ बर्फ ही बर्फ था। गर्मियों में यह रास्ता चलने लायक रहता है लेकिन जाड़े में नहीं। हाईवे से स्टेम्पेड ट्रेल पर दस मील आगे जाने पर गिलियन को लगा कि आगे जाने पर ट्रक के फंसने का खतरा है। उत्तरी अमेरिका के विशालकाय पहाड़ों की चोटियों क्षितिज को चूमती हुई चमक रही थी।

ट्रक रुका और एलेक्स उतर गया। एलेक्स ने गिलियन को अपने पास बची हुई आखिरी संपत्ति; घड़ी, कंघी और 85 सेंट देने की कोशिश की लेकिन गिलियन ने नहीं लिया।

“अगर तुम नहीं भी लोगे, फिर भी मैं इसे फेंक दूंगा। मैं नहीं जानना चाहता कि कितना समय हुआ है .या आज कौन सा दिन है या मैं अभी किस जगह पर हूं। ये सब बातें जानना निरर्थक है।” एलेक्स हंसते हुए बोला। इससे पहले कि एलेक्स अपने रास्ते पर जाना शुरु करता, गिलियन ने ट्रक के सीट के पीछे रखे रबड़ के मजबूत, पुराने जूते को एलेक्स को देते हुए कहा, “इसे रख लो। ये थोड़े बड़े हैं, तुम इसे अपने जूते को उपर से पहन लो। तुम्हारा पैर गर्म रहेगा।”

“मुझपर कितना एहसान करोगे गिलियन?”

“कोई बात नहीं, एलेक्स”- गिलियन ने उसे अपना फोन नंबर दिया, जिसे एलेक्स ने अपने नाईलॉन के वॉलेट में संभालकर रख लिया।

“एलेक्स अगर तुम जिंदा लौटे तो मुझे फोन करना। मैं तुमको बताउंगा कि ये पुराने जूते तुम मुझे कैसे लौटाओगे।”

गिलियन की पत्नी ने उसे लंच के लिए सैंडविच, पनीर और कॉर्नचिप्स दिया था, उसे भी उसने एलेक्स को दे दिया। एलेक्स ने गिलियन को अपना कैमरा देकर उसे एक तस्वीर लेने को कहा। कैमरा वापस लेकर धीरे-धीरे एलेक्स अपने रास्ते पर चल पड़ा और बर्फीली वादियों में गिलियन की नजर से ओझल हो गया। मंगलवार, 28 अप्रैल 1992 का दिन था वह। गिलियन वापस हाईवे पर लौट गया। एंकरेज के रास्ते पर एक पुलिस चौकी को उसने एलेक्स के बारे में बता दिया। गिलियन ने सोचा कि एलेक्स को भूख लगेगी तो वह वापस लौट आएगा। लेकिन एलेक्स नहीं लौटा।

गुमशुदा पगडंडी पर एक बस की अंजान त्रासदी

स्प्रूस के काले घने जंगल उस बर्फीले रास्ते के दोनों तरफ खड़े थे। हवा के झोंकें पेड़ों के ऊपर जमे बर्फ के सफेदी को उड़ा ले गए थे और कम रौशनी में एक-दूसरे की तरफ झुके हुए ये बेहद डरावने और खतरनाक लग रहे थे। चारों तरफ गहरी शान्ति छाई थी। वह जगह इतनी अकेली, सुनसान, जीवन- विहीन और सर्द थी कि उस माहौल को उदासी भरा भी नहीं कहा जा सकता था। लेकिन ऐसे माहौल के अंदर एक स्याह हंसी छुपी थी, ऐसी हंसी जो उदासी से भी ज्यादा दर्द देनेवाली हो; ऐसी हंसी जिसमें खुशी का नामो-निशान न हो; बर्फ के क्रिस्टल से भी ज्यादा सर्द हंसी, जिसमें हमेशा खुद को सही कहने वाली क्रूरता हो। जीवन की निरर्थकता और जीवन जीने के प्रयासों को देखकर आत्मा की अतल गहराईयों से निकली एक अबूझ हंसी। कुछ ऐसी ही हंसी अपनी नीरवता में छुपाए था यह सर्द दिलवाला, जंगली और खतरों से भरा था उत्तर का ये सुनसान सरजमीं।  (जैक लंडन की किताब ह्वाईट फैंग से उद्दृत)

कांतिष्णा मैदान के ऊपर झुके हुए माउंट मैकिनले के विशाल पहाड़ों की सीमा शुरु होने से ठीक पहले  अलास्का रेंज के पहाड़ों के उत्तरी किनारे पर ऊंचा उठते और नीचे ढलान वाले आऊटर रेंज कहलाने वाली छोटे रिजों की श्रृंखला जमीन पर इस तरह लग रही था जैसे बेतरतीब बिस्तर पर कोई मुड़ा-तुड़ा कम्बल पड़ा हो। पूरब से पश्चिम दिशा तक फैले इस आऊटर रेंज के दोनों छोरों के ऊंची चोटियों के बीच पांच मील के इस लहरदार रिज के ऊपर दलदली सतह थी जिसमें झाड़ियों और स्प्रूस के पत्तों और छालों का मिलावट थी। इसी उतार-चढाव वाले घुमावदार रास्ते के जमीनी हिस्से पर स्टेम्पेड ट्रेल बनाया गया था, जिस पर चलकर क्रिस मैकेंडलेस आगे गया था।

स्टेम्पेड ट्रेल को 1930 में अलास्का के अर्ल पिलग्रिम ने बनवाया था। अर्ल पिलग्रिम अलास्का के महान माईनर थे जिन्होंने तालकोट नदी के पास स्टेम्पेड क्रीक पर मौजूद एन्टीमनी धातु के अयस्कों को ढोने के लिए यह रास्ता बनवाया था। 1961 में फेयरबैंक के युतान कंस्ट्रक्शन कम्पनी ने इस रास्ते को बेहतर बनाने का ठेका लिया। इस कम्पनी ने इसे मजबूत सड़क बना दिया ताकि ट्रक के द्वारा अयस्कों को ढोया जा सके। सड़क बनाने वाले मजदूरों को रहने के लिए कम्पनी ने तीन बसों को रखा, जिसमें सोने के लिए एक बेड और रसोई के लिेए स्टोव सहित अन्य सामान रखा था। इस प्रोजेक्ट को 1963 में रोक दिया गया। तब तक लगभग पचास मील सड़क बन चुकी थी लेकिन नदियों पर एक भी पुल नहीं बनाया जा सका था जिसके कारण बरसात मौसम में बाढ वाले इन ऩदियों को पार करना असंभव सा था। प्रोजेक्ट के रुकने के बाद युतान दो बसों को वापस ले आई, लेकिन एक बस उसने शिकारियों के ठहरने के लिए छोड़ दिया। उसके तीन दशक बाद, सड़क का नामो-निशान मिट चला था और उसपर उत्तरी अमेरिकन जंतु बीवरों ने तालाब बना डाले थे और जंगली घनी झाड़ियां उग आयी थी।

युतान द्वारा छोड़ा गया बस वहीं का वहीं था। 1940 में बना जंग खा रहा ये पुराना इंटरनेशनल हार्वेस्टर बस स्टेम्पेड ट्रेल के उस जंगली इलाके में दूर से बड़ी काली मक्खी की तरह लगता था। उसका इंजन नष्ट हो चुका था। खिड़की के शीशे टूट चुके थे और उसके फर्श पर ह्विस्की के पुराने बोतल बिखड़े पड़े थे। उसके ऊपर चढा हरा-उजला पेंट उखड़ रहा था। मौसम इतना खराब रहता था कि साल में छह-सात महीने इस बस को शायद ही किसी आदमी का दर्शन होता होगा।

1980 में देनाली नेशनल पार्क के अंदर कांतिष्णा की पहाड़ियों और उत्तरी पहाड़ी श्रृंखला को शामिल किया गया लेकिन नीचले क्षेत्रों को उसके अंदर नहीं रखा गया जिसमें स्टेम्पेड ट्रेल का आधा हिस्सा आता था। साढे सात मील का यह दायरा तीन ओर से नेशनल पार्क के सुरक्षित क्षेत्र से घिरा था और इसके अंदर भेड़िये, भालू, हिरण, मूज और अन्य जानवर रहते थे। यह रहस्य उन स्थानीय शिकारियों को मालूम था। जैसे ही मूज इस इलाके में निकलने शुरु होते थे, कुछ शिकारी इस बस में आकर अपना डेरा डाल लेते थे।

6 दिसम्बर 1992 में एंकरेज शहर के आटो बॉडी शॉप के मालिक केन थॉम्पसन, उसका एक कर्मचारी गार्डन सेमेल और केन का दोस्त फ्रेडी सॉनसन, अपने-अपने ट्रक में सवार होकर तीनों मूज का शिकार करने के लिेए उस बस की ओर रवाना हुए। वहां तक पहुंचना जोखिम भरा सफर था। स्टेम्पेड ट्रेल सड़क जहां तक ठीक था, वहां से दस मील आगे खराब रास्ते पर चलने के बाद तेक्लानिका हिमनदी मिलता था जिसका बर्फीला पानी पारदर्शी था। एक संकरा रास्ता इस हिमनदी को स्टेमपेड ट्रेल से मिलाता था। उस संकरे रास्ते को पार करने के बाद अचानक सामने तेक्लानिका नदी के तेज बहाव का सामना होता था जो आगे बढने से लोगों को रोक देता था।

थाम्पसन, सेमेल और स्वान्सन भी साहसी अलास्कियन थे। तेक्लानिका नदी के किनारे पहुंचकर तीनों आगे जाने का रास्ता तलाशने लगे। खोजते-खोजते एक ऐसा जगह दिखा जहां नदी की गहराई कम नजर आ रही थी। आगे-आगे थाम्पसन अपना ट्रक लेकर चला। उसके गाड़ी में लगा हुक पीछे से आ रहे गार्डन के ट्रक में लगा था, ताकि गाड़ी के बहने की स्थिति में वह उसे पीछे खींच सके। उसके पीछे सॉनसन की गाड़ी थी। तीनों उस पार सुरक्षित पहुंचने में कामयाब रहे।

उसके आगे ट्रक का जाना मुमकिन नहीं था। तीनों पूरी तैयारी के साथ इधर आते थे। आगे जाने के लिए एक तिपहिया वाहन और एक फोर-व्हीलर ट्रक पर लदा था। दोनों गाडियों को उतारकर तीनों उसे लेकर आगे चल पड़े। तीनों का लक्ष्य उसी खटारे बस तक पहुंचना था, जिसे युतान कम्पनी वहां छोड़ आयी थी। वहां से कुछ सौ गज बाद रास्ते पर वहां रहने वाले एक जल-जंतु वीबर द्वारा बनाए गए कई छोटे-छोटे तालाब थे। डायनामाइट से इन तालाबों का तटबंध तीनों ने उड़ा दिया और पानी बहा दिया। आगे पत्थरों से भरे छोटे-छोटे नाले औऱ घने झाड़ियों को पार करते हुए तीनों दोपहर देर बाद तीनों बस तक पहुंचे। तीनों की नजर बस से करीब पचास फुट की दूरी पर एक युवक औऱ युवती पर पड़ी। दोनों डरे-सहमे से खड़े थे। दोनों एंकरेज शहर से थे।

दोनों मे से कोई बस के अंदर नहीं जा रहा था लेकिन वे बस के इतने करीब खड़े थे कि अंदर से आते दुर्गंध को महसूस कर सकते थे। बस के पिछले हिस्से के दरवाजे के ऊपर लकड़ी से लाल रंग का सिग्नल फ्लैग लगा था, जिसमें फ्लैग के रुप में एक लाल मोजे को बांध दिया गया था। दरवाजा हल्का सा खुला था और इसके ऊपर एक कागज चिपका था जिसपर कुछ लिखा हुआ था। यह सब किसी गड़बड़ की तरफ इशारा कर रहा था।

वह कागज निकोलॉय गोगोल के किताब से फाड़ा गया था और उसके ऊपर अंग्रेजी के बड़े अक्षरों में यह लिखा हूआ थाः-

“एस. ओ. एस. मेरी मदद करो। मैं घायल हूं और मरने वाला हूं। इतना कमजोर हूं कि उठकर चल नहीं सकता। मैं बिल्कुल अकेला हूं। भगवान कसम, मैं मजाक नहीं कर रहा। मेरी जान बचा लो। मैं अपने लिए पास से जंगली बेरी लाने जा रहा हूं। शाम तक लौटूंगा। धन्यवाद, क्रिस मैंकेंडलेस।”

एंकरेज से आया हुआ जोड़ा उस नोट को पढकर और अंदर से आते दुर्गंध के कारण बस के अंदर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। सेमेल हिम्मत जुटाकर आगे बढा। खिड़की के पास से देखने पर अंदर एक रेमिंगटन रायफल, गोलियों का एक डब्बा, आठ या नौ किताबें, कुछ फटे जीन्स, खाना बनाने का सामान और एक मंहगा बैग दिखा। बस के पिछले हिस्से में बेड के ऊपर नीले रंग का एक स्लीपिंग बैग पड़ा था जिसे देखने से लग रहा था कि कुछ उसके अंदर था। लेकिन सेमेल के लिए यह विश्वास करना कठिन था कि अंदर कोई आदमी हो सकता था। गाड़ी के पिछले हिस्से में एक लकड़ी के टुकड़े पर खड़े होकर सेमेल ने उस नीले बैग को हिलाया। उसे अब विश्वास था कि बैग के भीतर कुछ था लेकिन जो भी था, वह ज्यादा वजनी नहीं था। उस बैग के दूसरी तरफ जाकर देखने पर अंदर से एक सिर बाहर निकला हुआ दिखा और तब जाकर सेमेल को पता लगा कि अंदर क्या है। क्रिस्टोफर मैकेंडलेस अलास्का के इस सुनसान में ढाई हफ्ते पहले मर चुका था।

सेमेल ने उस लाश को वहां से निकाल ले जाने की सोची। लेकिन ना तो थाम्पसन के, ऩा ही उसके और ना ही उस जोड़े की गाड़ी में इतनी जगह थी कि इस मरे आदमी को ले जाया जा सके। कुछ देर बाद वहां एक शिकारी पहुंच गया जिसका नाम बुच किलियन था और जो पास के हिली शहर का रहने वाल था।

किलियन के पास आठ चक्केवाली गाड़ी थी। सेमेल ने उसे लाश को गाड़ी से ले जाने को कहा लेकिन किलियन तैयार नहीं हुआ। उसका कहना था कि यह काम अलास्का स्टेट के पुलिस पर छोड़ दिया जाय।

किलियन कोल माईनर था और फायर डिपार्टमेंट में इमर्जेंसी मेडिकल टेक्नीसियन का भी काम करता था। उसके ट्रक पर टू-वे रेडियो था। लेकिन किलियन जब किसी से संपर्क स्थापित कर पाने में असफल रहा तब वह ट्रक लेकर हाईवे की तरफ पीछे लौटा। लगभग पांच मील जाने के बाद उसके रेडियो का संपर्क हिली के रेडियो आपरेटर से हुआ। आपरेटर को उसने पुलिस को यह सूचित करने को कहा कि सुषाना नदी के पास बस में एक आदमी प़ड़ा था जो लगता था कि मर चुका था।

अगली सुबह लगभग साढे आठ बजे एक पुलिस हेलिकॉप्टर तेज गर्जना करता हुआ, धूल और एस्पन की पत्तियों को उड़ाता हुआ बस के करीब उतरा। पुलिस ने बस की बारीकी से जांच की और क्रिस मैकेंडलेस की लाश,उसका कैमरा और डायरी लेकर फिर वापस उड़ चली। उस डायरी में अंतिम दो पन्नों पर क्रिस्टोफर ने अपने आखिरी सप्ताह के बारे में लिखा था। डायरी में कुल 113 प्रविष्टियां लिखी गई थी। हर प्रविष्टि में कुछ रहस्य भरी बातें बहुत कम शब्दों में बयान की गई थी।

क्रिस की लाश को एंकरेज ले जाया गया जहां साईंटिफिक क्राईम डिटेक्शन लेबोरेटरी में उसकी चीड़-फाड़ की गई। शरीर इतने बुरे तरीके से सड़ चुका था कि यह पता लगाना मुश्किल था कि मौत कब हुई थी। जांच करने वाले को किसी प्रकार के अंदरुनी चोट का पता नहीं चला। शरीर में वसा का नामोनिशान नहीं था। मरने से बहुत पहले हड्डियां सूखने लगी थी। क्रिस के मौत का कारण भूखमरी बताया गया।

क्रिस का हस्ताक्षर एस. ओ. एस को लिखे नोट के नीचे लिखा था इसलिए उसके नाम का पता चल गया। उसके कैमरे में खुद अपने द्वारा खींची गई कई तस्वीरें थी जिससे उसके असली हुलिए के बारे में जानकारी हो गई। लेकिन, चूंकि उसके पास कोई पहचान-पत्र नहीं था इसलिेए किसी को यह मालूम नहीं था कि वह कौन था, कहां से आया था और अलास्का में उधर क्या करने गया था?

….जारी…

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