: इतिहास को दोहराने की कोशिश का हश्र यही होता है : “देशभक्ति, दुष्टों-लफंगों की आखिरी शरणस्थली होती है” – सैमुएल जॉन्सन : सैमुएल जॉन्सन की यह पंक्ति भारतीय जनता पार्टी और उसके युवा संगठन भारतीय जनता युवा मोर्चा की तिरंगा यात्रा पर बिल्कुल फिट बैठती है. ऐसे राजनीतिक तमाशे करने में भाजपा का कोई जवाब नहीं है. वैसे भी भाजपा के लिए ‘देशभक्ति’ हमेशा से आखिरी शरणस्थली रही है.
एक बार फिर वह जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में ऐतिहासिक लाल चौक पर २६ जनवरी को तिरंगा फहराने के अभियान के जरिये खुद को सबसे बड़ा देशभक्त और बाकी सभी को देशद्रोही साबित करने की अपनी जानी-पहचानी राजनीति पर उतर आई है. असल में, लोगों की भावनाएं भड़काकर राजनीति को सांप्रदायिक आधारों पर ध्रुवीकृत करने का भाजपा और संघ परिवार का यह खेल अब बहुत जाना-पहचाना हो चुका है. यह और बात है कि उसके ऐसे सभी अभियानों से हमेशा सबसे अधिक नुकसान देश को ही हुआ है. श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने का इससे भी बड़ा जज्बाती अभियान १९९२ में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी चला चुके हैं. उस समय केन्द्र में कांग्रेस की नरसिंह राव सरकार ने फौज और अर्ध सैनिक बलों के घेरे में सुनसान लाल चौक पर डा. जोशी से तिरंगा फहरावाकर उनकी मनोकामना पूरी कर दी थी.
लेकिन १९९२ के बाद कश्मीर की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. कहने की जरूरत नहीं है कि डा. जोशी की तिरंगा यात्रा ने भी कश्मीर में स्थितियों को बिगाड़ने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई. लेकिन संघ परिवार को इसकी परवाह कहां रही है? उसके लिए तो हमेशा से देशहित से ऊपर संकीर्ण पार्टी हित रहा है. अगर ऐसा नहीं है तो क्या कोई भी संवेदनशील राजनीतिक पार्टी कश्मीर के मौजूदा हालात में ऐसी भडकाऊ यात्रा निकालता जिससे स्थितियों के और बिगड़ने का खतरा हो? लेकिन जो पार्टी तर्क के बजाय भावनाओं की राजनीति करने की चैम्पियन हो उसे तर्कों और यथार्थ की परवाह क्या होगी?
लेकिन कहते हैं न कि काठ की हांड़ी दोबारा नहीं चढ़ती है. भाजपा और संघ परिवार के ऐसे दुस्साहसी राजनीतिक ड्रामों से देश भली-भांति परिचित हो चुका है. भाजपा की देशभक्ति की पोल खुल चुकी है. तहलका रक्षा घोटाले से लेकर कारगिल ताबूत घोटाले के पर्दाफाश और बंगारू लक्ष्मन, दिलीप सिंह जूदेव से लेकर अब येदियुरप्पा तक भाजपा की असलियत लोगों के सामने आ चुकी है. जाहिर है कि भाजपा अपने काले कारनामों को छुपाने के लिए तिरंगे का इस्तेमाल कर रही है.
अन्यथा देश को अच्छी तरह से पता है कि संघ परिवार तिरंगे को कितना प्यार करता है? भाजपा आखिर किसे धोखा दे रही है? सच यह है कि संघ परिवार और भाजपा तिरंगे से ज्यादा भगवे झंडे को प्यार करते हैं. हेडगेवार बहुत पहले तिरंगे को अशुभ बताकर भगवे की वकालत कर चुके हैं. मार्क्स ने बहुत पहले कहा था कि इतिहास अपने को दोहराता है लेकिन जहां पहली बार वह एक त्रासदी होता है, वहीँ दूसरी बार प्रहसन या मजाक बन जाता है. भाजपा की यह दूसरी तिरंगा यात्रा एक मजाक से अधिक कुछ नहीं है.
लेखक आनंद प्रधान आईआईएमसी, दिल्ली में प्रोफेसर हैं. उनका यह लिखा उनके ब्लाग तीसरा रास्ता से साभार लेकर यहां प्रकाशित किया गया है.
oopsnaz
January 26, 2011 at 1:33 pm
सच है, ज्यादा पढ़-लिख लेने से आदमी यूं ही बौरा जाता है। अनाप-शनाप लिखने लगता है। ऐसे लोगों की थोड़ी ऊंची पहुंच हो ही जाती है और छपने का भी मौका मिल ही जाता है। सरकार की चमचागिरी करने में और अपने आपको अति-बुद्धिवादी दिखाने का अपना ही मजा है। लगे रहिए।
madan kumar tiwary
January 26, 2011 at 2:00 pm
आप अति महान अत्यंत हीं उच्च स्तर के बुद्धिजीवी लगते हैं । भाजपा का यह राजनितिक स्टंट था सही है , लेकिन तिरंगा फ़हराने से संप्रदायिक सदभाव बिगड सकता था का क्या मतलब । एक बार हिम्मत तो करो , जाने देते तिरंगे को , होने देते दंगा , अगर कोई तिरंगा फ़हराने से रोकने के लिये दंगा करता है तो हो जाने दो दंगा । कायर बुद्धिजिवियों ने सिर्फ़ भ्रष्टाचार को पनपने में और गुंडा गर्दी को बढने में मदद की है । गुंडा गाली देगा इस डर से उसका विरोध नही करने वाले इस मुल्क के लिये भाजपा से बडा खतरा है । जिस दिन तैयार हो जाओगे गाली देने के लिये , पटक -पटकी करने के लिये उसी दिन देश में एक नई क्रांति आ जायेगी । गाली सुनकर , मित्रों और परिवार से यह कहने वाले की जाने दो क्या हुआ , गुंडा है , बेईज्जत कर देगा मुंह न लगाओ , तुम्हीं हो इस मुल्क की बदहाली के जिम्मेवार , तुम्हीं हो वह बुर्जुआ जिसे उठाकर समुंद्र में फ़ेक देने की जरुरत है ।
ARUN MISHRA
January 26, 2011 at 2:50 pm
maza aa gaya aapka lekh padhkar. Lekin aap thoda ruk gaye use main poor kar deta hoon. Yeh India Hai, Yahan par Hindi, Hindu aur Hindustaan ke liye bolne, sochne, waloon ke liye sakth se sakth saja milni chahiye. hai re hindustaan ke sapooton…….
ARUN MISHRA
January 26, 2011 at 2:53 pm
maza aa gaya aapka lekh padhkar. Lekin aap thoda ruk gaye use main poor kar deta hoon. Yeh India Hai, Yahan par Hindi, Hindu aur Hindustaan ke liye bolne, sochne, waloon ke liye sakth se sakth saja milni chahiye. hai re hindustaan ke sapooton…….majaak bana ke rakh diya hai desh ko.
ARUN MISHRA
January 26, 2011 at 3:04 pm
maza aa gaya aapka lekh padhkar. Lekin aap thoda ruk gaye use main poor kar deta hoon. Yeh India Hai, Yahan par Hindi, Hindu aur Hindustaan ke liye bolne, sochne, waloon ke liye sakth se sakth saja milni chahiye. hai re hindustaan ke sapooton…….majaak bana ke rakh diya hai desh ko.
santosh
January 27, 2011 at 4:27 am
please do not allow this type of paid article in bhadas site
naresh
January 26, 2011 at 4:17 pm
अफ़सोस आनंद साहब आपकी यह कोशिश बेकार ही जाएगी क्योंकि कांग्रेस में फ़िलहाल प्रवक्ता का कोई पड़ खाली नहीं है
GA
January 26, 2011 at 4:28 pm
Bhajpa ko itni gaaliyan de rahe hain.. apne 26 jamuary ko kiya.. sanketik hi sahi kisi durgam jagah par tiranga fahraya… are inka to kaam hi rajntik rotiyan sekna hai lekin congress ko clean chit mat dijiye. es desh ki sabsebadi bhrasht.. haramkhor aur dalalon se bhari party wahi hai.. anand ji ek pakchhiya lekh mat likhiye warna aapka market down ho jaega..
jabalpurjournalist
January 26, 2011 at 5:35 pm
भाईयो एक बात समझ नहीं आइ की कश्मीर में तिरंगा फेराने के लिए कार्यकर्त्ता तो पहुँच रहे ही पर नेता नहीं जा पा रहे क्योंकि उन्हें एअरपोर्ट में ही नजरबंद कर लिया गया या ……? . या फीर अयोध्या जैसा ही कुछ है जब सरे बड़े नेता भीड़ से बाहर आय तभी गोलियां लाठियां चली और कार्यकर्त्ता मरे ….plz help me give me answar
jabalpurjournalist
January 26, 2011 at 5:37 pm
भाईयो एक बात समझ नहीं आइ की कश्मीर में तिरंगा फेराने के लिए कार्यकर्त्ता तो पहुँच रहे ही पर नेता नहीं जा पा रहे क्योंकि उन्हें एअरपोर्ट में ही नजरबंद कर लिया गया या ……? . या फीर अयोध्या जैसा ही कुछ है जब सरे बड़े नेता भीड़ से बाहर आय तभी गोलियां लाठियां चली और कार्यकर्त्ता मरे ….plz help me give me answar
danish kamal
January 27, 2011 at 4:33 am
aapka lekh shayad sawayam bhoo rashtravadiyo ko bura lage.. lekin aapne sach likhne ka sahas kiya hai… agar desh mai aman banaye rakhne k liye bhajpaiyo ko lal chock jane se roka to isme bura kya hai..
mrityunjay
January 27, 2011 at 12:27 pm
आपने अपनी प्रतिभा के साथ अन्याय किया है आनंद जी। तिरंगा राष्ट की पहचान है, उसका अपमान राष्ट का अपमान है। तिरंगे को फहारने के पीछे चाहे भाजपा का मकसद कुछ भी हो परन्तु यदि किसी के हाथ में तिरंगा है तथा उसे फहराने से आजाद हिंद में रोका जा रहा हो तो पिफर रोकने वाला ही दोषी है। प्रोफैसर साहब, अध्यापक है, कांग्रेस प्रवक्ता बनने की जिम्मेदारी ना उठाएं, उस संगठन में इस पद के लिए पहले ही काफी उपयुक्त व्यक्ति मौजूद हैं।
abhay mishra
January 27, 2011 at 4:08 pm
आप जैसे लोगो का खून खुद को बुध्दिजीवी दिखाने की चाह में ठंडा पड़ गया है।
मोहम्मद यूनुस
January 28, 2011 at 7:46 am
आनंद प्रधानजी, वामपंथी विचार धारा वाले कथित बुद्धिजीवी के लिए देशभक्ति, तिरंगा, राष्ट्रवाद, धर्म, आस्था जैसे बातों से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं होता. लेकिन फिर भी आपने तिरंगे पर कलम चलाई है, तो यह आपने बड़ी हिम्मत की है. वैसे वामपंथी लोग देश की मुख्यधारा की विचारधारा से अलग ही रहे हैं. शायद आप सेक्युलर वामपंथी हैं। अच्छा है।
mini sharma
January 28, 2011 at 7:23 am
Desh mai itnee mainhgai ho rakhee hai. itnee chorbaazari ho rahee hai. Neta aur Naukarsah Lut Khasot rahe hai.. Aam aadmi khun ke anshu ro Raha hai. Per en Netao ko yeh sab nahee dikh raha hai. Unko too Kashmir Lal chowk per Jhanda Fahrana hai. Pahle desh ko corruption se too bachao. Aam aadmi bacha rahega too tabhee too poltics rahegee. Aadmi hee mar Jayega too Raaj kis per karoge………..
parkash
January 28, 2011 at 9:39 am
majak Tringa Yatra nahi bani majak bani hi Congress Sarkar asi sarkar ko saram anni chaiya jo Algawadio ka dar sae apane hi desh mae National Jahnda nahi lahera saketa es parkar ka logo ko sarkar mae rahena ka adhikar nahi hai parantu yae log sarker mae besarme ka bad bhi rahinga kyuki be sarmae ka hi to pasa milta hai Are en logo sae to acchi sarker mae bhi chala saketa hu sahi kahya hai Kalmadi ki mare pass to only 4% pasa kharch karne power thi baki kaha hai ( baki pasa uper wale akka kha gaye yae log Tringa nahi laheranga denga
A Ram
January 28, 2011 at 10:43 am
आनंद प्रधान ! अर्थात आनंद की प्रधानता है आपके पास , आपसे सरोकार , देश भक्ति के बारे मे बात करना ही बेमानी है नाम ही काफी है आनंद प्रधान
वाह आपके विचार से अभिभूत हुआ जा रहा हूँ
आपके हिसाब से भगत सिंह , चन्द्र शेखर आदि को दुष्टों-लफंग कह सकते है जिन्होंने अपनी जन कुर्बान कर दी इसी देश भक्ति के प्रतीक तिरंगे के लिए क्योकि सैमुएल जॉन्सन ने कहा है ना . आप को यहाँ सम्प्रदैकता की बात कहा से आ गई कैसे स्टुडेंट्स को पढ़ते होंगे आप खैर
जिसमे आनंद की प्रधानता होगी उसे साडी चीजे प्रहसन या मजाक लगेगी नहीं तो युवाओ और देशभक्तों मे इसको लेकर बहुत गुस्सा है
mohan krishan
January 28, 2011 at 1:46 pm
desh me pehle se hi kai samsyaan hai ,unka hal doondne ke bajay bjp wale tiranga yatra nikaal rahe hai.jab kisi ka peet khali rehta hai to us se aap deshbhakti ki gooti nahi pila sakte. desh se prem ka dawa tab kaha hawa ho jata hai jab bjp wale sansad me hangama karte hai .sansad ko chalne me bhi deshwasiyon ka paisa lagta hai.