: झूठे, बेईमान, नादान मनमोहन! : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शायद इस देश के इतिहास के अब तक के सबसे कलंकित प्रधानमंत्रियों में से एक साबित होने वाले हैं। वैसे तो वे अपने आपको महात्मा गांधी साबित करने में जुटे हुए हैं लेकिन जो भी घपला होता है उसके बारे में आधिकारिक और अदालती तौर पर पता चलता हैं कि जो हुआ वह मनमोहन सिंह की पूरी जानकारी में हुआ।
सबसे पहले तो यह कि मनमोहन सिंह पर अपनी ईमानदारी से कमाई गई इतनी दौलत है कि उनकी अगली दो पीढ़ियां बहुत आराम से रह सकती हैं अगर ठीक से निवेश करें तो आगे का रास्ता भी निकाल सकती हैं। उन्हें काली कमाई की जरूरत नहीं है। भारत की कीमत पर उन्होंने विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का जो भला किया है उसके बदले तीन लाख रुपए से ज्यादा टैक्स फ्री पेंशन भी उन्हें मिल ही रही है और पिछले करीब पंद्रह साल से किसी न किसी सरकारी पद पर हैं इसलिए खर्चा कुछ हैं नहीं। फिर भी इतने घपलों में एक साथ कोई प्रधानमंत्री नहीं फंसा रहा।
सिर्फ सीडब्ल्यूजी कॉमनवेल्थ और टू जी घोटाले बीस हजार करोड़ के हैं। आईपीएल के घोटाले भी अभी तक गिनती नहीं हो सकी और आज की तारीख में दुनिया की क्रिकेट के मसीहा और अपने मंत्री शरद पवार का भी वे कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे जबकि देश में किसान मर रहे थे और बाजार में प्याज का भाव चाहे जो हो, विदर्भ के किसानों से वह डेढ़ रुपए किलो खरीदी जा रही है। विदर्भ की मंडियों में भी वह पांच रुपए किलो से ज्यादा नहीं बिक रही। और अब इसरो का संवेदनशील घोटाला सामने आया है। एक तो इसरो रक्षा के हिसाब से बहुत संवेदनशील है और दूसरे सीधे प्रधानमंत्री ही इसकी निगरानी के लिए जिम्मेदार हैं। इसरो इस समय देवस कंपनी को दिए गए एक अवैध ठेके में फंसा हुआ है जिसे वह पूरी तौर पर कानूनी कहता है। अरबों रुपए के इस ठेके में तमाम तरह के घपले हुए बताए जा रहे हैं और प्रधानमंत्री कार्यालय लगातार कह रहा है कि उसे कुछ पता नहीं।
मगर प्रधानमंत्री कार्यालय को जवाब देवस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राम विश्वनाथन ने करारा जवाब दिया है। देवस ने कहा है कि जो हुआ वह इसरो के प्रभारी और देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जानकारी में हुआ और केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठकों में मंजूर किया गया। अगर देवस वाले सही बोल रहे हैं तो पूछना पड़ेगा कि सरदार जी को लगातार झूठ बोलने की क्या जरूरत थी? सीवीसी थॉमस की नियुक्ति के मामले में पहले तो मनमोहन सिंह की ही सरकार कहती रही कि जो हुआ, प्रधानमंत्री के निर्देश पर हुआ। अचानक वे ही वकील और वे ही अधिकारी अदालत पहुंचते हैं और कहते हैं कि हम प्रधानमंत्री को जानकारी देना भूल गए। इस देश में भ्रष्टाचार की जांच करने वाला एक सबसे बड़ा अधिकारी नियुक्त हो जाता हैं और देश का प्रधानमंत्री गोल डब्बे या छोले भटुरे खाता रहता है, इससे ज्यादा शर्म की बात हो सकती है।
कई घपले तो ऐसे हैं जो महाघपलों की छाया में डूब गए हैं। जीवन बीमा निगम हाउसिंग घोटाला बाकी घोटालों की तुलना में छोटा यानी मात्र एक हजार करोड़ रुपए की लूट का है। कलेजे पर हाथ रखिए और बताइए कि एक हजार करोड़ तो छोड़िए, हम और आप में से दस करोड़ रुपए भी किसी ने कभी एक साथ देखे हैं? यह तब है जब यह पैसा हमारा है। इससे मनमोहन सिंह सोनिया गांधी का जमूरा होना का अभिनय कर के खेल रहे हैं।
सत्यम घोटाला, बोफोर्स, हर्षद मेहता, केतन पारिख, होम ट्रेड, तेलगी और यूटीआई घोटाला के अलावा एनरॉन और प्रसार भारती घोटाले ऐसे हैं जिन पर इतने आराम से जांच चल रही है जैसे जब बारात आई तब बैंड बजना शुरू होगा। बोफोर्स, एनरॉन और यूटीआई घोटालों को तो मनमोहन सिंह के नेतृत्व में बाकायदा छिपाने की कोशिश की गई। संचार मंत्रालय में भारत के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला हुआ तो उसे दबाने के लिए प्रचंड प्रतिभाशाली वकील कपिल सिब्बल को ला कर बैठा दिया गया जो देश के कम और कलंकित राजा के राजा के वकील ज्यादा नजर आते हैं।
लेखक आलोक तोमर देश के जाने-माने पत्रकार हैं. उनका यह लिखा डेटलाइन इंडिया न्यूज एजेंसी से साभार लेकर यहां प्रकाशित किया गया है.
Comments on “मनमोहन सबसे कलंकित प्रधानमंत्रियों में से एक!”
आलोक जी के लेख से उन पत्रकारों को सीख लेने की जरूरत है जो इस इस समय राग दरबारी गाने में मस्त हैं.खासकर रायबरेली, अमेठी और दिल्ली में बैठे कुछ बुद्धजीवी पत्रकार को.
Maja aa gaya. Kya aapne nirbhik patrakarita ka udaharan pesh kiya hai | Yah aise logo ke gaal par jhannatedar tamacha hai jo din bhar manmohan, sonia, Rahul ke bhajan gate rahte hain. 🙂
आलोक जी का एक और शानदार लेख
यदि कोई व्यक्ति बहुत भोला भाला है तो इसका मतलब यह नहीं की ईमानदार भी होगा।
ए एन शिबली
9891088102
alokji has awaken the concious of all of us. let every citizen wake up and
speak up against corruption.
Good one :)… Congress is the leftover of British.
मुझे लगता है एक अति पदलोलुप व्यक्ति हैं मनमोहन । इस उम्र में इतना लगाव सता से । अब तो यह भी जांच होनी चाहिये की अपने नौकरी के दरम्यान मनमोहन ने जो आय अर्जित की वह इमानदारी से कमाई हुई थी या घुसखोरी से । कोई व्यक्ति रातोरात बेईमान नही हो सकता । जमीर वाले का जमीर मरने में समय लगता है ।