: के. विक्रमराव के दस्तखत से जारी प्रेसनोट पर छिड़ा विवाद : राव बोले- मेरी छवि धूमिल करने के लिए जारी हुआ फर्जी पत्र : मायावती से प्रेसक्लब पर रिसीवर बिठाये जाने की मांग : प्रेसनोट में वही तथ्य हैं जो विक्रमराव के पत्र में थे : लखनऊ : यूपी प्रेस क्लब लगातार विवादों में घिरता जा रहा है। अब तो इसके वर्चस्व को लेकर ठगी और बटमारी का धंधा भी खूब फलने-फूलने लगा है।
ताजा मामला है चाइना बाजार गेट स्थित इसके भवन को लेकर। आईएफडब्ल्यूजे के अध्यक्ष के विक्रमराव के दस्तखत से जारी एक बयान में मुख्यमंत्री मायावती से अपील की गयी है कि पत्रकार माफियाओं की करतूतों के चलते धोखाधड़ी का केंद्र बन चुके इस प्रेस क्लब पर रिसीवर बिठाया जाए। हालांकि के विक्रमराव इस खत को फर्जी करार देते हैं। उनका कहना है कि प्रेस क्लब पर काबिज लोगों ने उनकी छवि पत्रकार और श्रमिक विरोधी बनाने के अपने गंदे अभियान के तहत यह फर्जी प्रेसनोट जारी कराया है।
उनका कहना है कि वे इस मामले में पुलिस के हजरतगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज करायेंगे। लेकिन इस दावे के तीन दिन बीत जाने के बावजूद अब तक उन्होंने रिपोर्ट नहीं लिखायी है। हालांकि इस प्रेसनोट में दिये गये तथ्यो का विक्रमराव अपने एक पत्र में खुलासा कर चुके हैं। बहरहाल, इस प्रेसनोट के मुताबिक कुछ स्वार्थी तत्वों ने प्रेस क्लब को अपनी जागीर बना डाला है और प्रदेश के पत्रकारों के नाम पर प्रेसक्लब से ही अवैध कार्यों को अंजाम देकर अपनी जेबें भर रहे हैं। पत्र के अनुसार यूपी प्रेस क्लब की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य के विक्रमराव ने मुख्यमंत्री मायावती को एक पत्र भेज कर कहा है कि प्रेस क्लब पर सभी पत्रकारों का समान हक है और राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त सभी पकारों को इसका सदस्य बनाया जाए।
पत्र के अनुसार इस भवन पर राजय सरकार का स्वामित्व है और इसकी लीज दशकों पहले ही खत्म हो चुकी है। प्रेसनोट के अनुसार विक्रमराव ने शासन से इस पर रिसीवर नियुक्त करने की मांग की है और कहा है कि राज्य मुख्यालय पर मान्यताप्राप्त सभी पत्रकारों को क्लब का सदस्य बनाकर वोटरलिस्ट दुरूस्त कराते हुए शासन को चाहिए कि वह अपनी देखरेख में तुरन्त चुनाव सम्पन्न कराये। इस प्रेसनोट के अनुसार विक्रमराव ने कहा है कि दिल्ली, कलकत्ता, चंडीगढ़, इंदौर, आगरा और कानपुर के प्रेस क्लबों ने सभी पत्रकारों को सदस्य बना रखा है। जबकि लखनऊ में ऐसा नहीं है। यहां राज्य मुख्यालय पर 350 पत्रकार मान्यताप्राप्त हैं लेकिन यूपी प्रेसक्लब के सदस्यों की संख्या पिछले बीस बरसों से महज 150 पर ही लटकी हुई है। इनमें भी राज्य मुख्यालय पर मान्यताप्राप्त पत्रकार केवल 50 ही है।
प्रेसनोट के अनुसार क्लब के बाकी सदस्य पत्रकारों में अपराधी, बिजनेसमैन, दलाल और शराबी लोगों को सदस्य बनाया गया है। प्रेसनोट के अनुसार प्रेसक्लब के वर्तमान अध्यक्ष रवींद्र कुमार सिंह, मंत्री जोखूप्रसाद तिवारी ने पिछले 12 बरसों से प्रेस क्लब पर कब्जा कर रखा है और पार्किंग माफिया की तरह फुटपाथ पर अतिक्रमण करके दो खोमचेवालों से 32 हजार रूपया महीना किराया वसूल रहे हें। साथ ही प्रेस क्लब के हाल, लान और कमरों को किराये पर उठाकर हर महीना लाखों रूपयों का गोलमाल कर रहे हैं। गुरुवार की शाम के विक्रमराव के हस्ताक्षर वाला यह प्रेसनोट अखबारों के दफ्तर पहुंचा तो कुछ पत्रकारों ने विक्रमराव से इसकी कैफियत पूछी।
विक्रमराव का कहना था कि यह प्रेसनोट फर्जी है और उन्होंने ऐसा कोई भी प्रेसनोट जारी ही नहीं किया। उन्होंने ऐलान किया कि इस षडयंत्र के खिलाफ वे पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करायेंगे। लेकिन अंतिम सूचना मिलने तक उनकी ओर से ऐसी कोई भी कार्रवाई नहीं की गयी है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस प्रेसनोट में उन्हीं सारे आरोपों का संक्षिप्त ब्योरा है जो विक्रमराव के उस पत्र में था जिसका खुलासा वे जोखूप्रसाद तिवारी और रवींद्र सिंह को लिखे अपने पत्र में कर चुके हैं।
लेखक कुमार सौवीर लखनऊ के जाने-माने और बेबाक पत्रकार हैं. कई अखबारों और न्यूज चैनलों में काम करने के बाद इन दिनों एस टीवी में यूपी ब्यूरो प्रमुख के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. उनसे संपर्क 09415302520 के जरिए किया जा सकता है.
Comments on “यूपी प्रेस क्लब यानी धंधा ठगी और बटमारी का”
शर्मनाक है यह हालात..पत्रकारों को ही प्रेस क्लब का सदस्य नहीं बनाया जायेगा तो किसे बनाया जायेगा.? सबको पता होना चहिए कि प्रेस क्लब केवल शराब पीने और ताश खेलने की ही जगह नहीं हैं. कभी जाओ तो लगता ही नहीं हैं कि यहाँ पत्रकारों के लिए कुछ बौद्धिक किस्म की बाते भी होती हैं. आसपास नॉन वेज की दुकाने जिन पर कुछ पत्रकारों की दादा गिरी चलती हैं और कुछ के गेट प्रेस क्लब के अन्दर खुले हुए..प्रेस क्लब में घुसते ही सबसे पहले इन्ही दुकानों के दर्शन होते हैं…आप भले ही राज्य स्तर के मान्यता प्राप्त पत्रकार हो मगर प्रेस क्लब के सदस्य नहीं हो सकते क्यों कि अगर आप सदस्य हो गए तो पता नहीं किसको वोट देंगे..वास्तव में पत्रकारों के लिए शर्मनाक हैं यह हालात और बाकी का काम तो राव साहब के ख़त ने कर ही दिया हैं.हर हालत में सभी पत्रकारों को प्रेस क्लब का सदस्य बनाया ही जाना चाहिए .
press club ki membership sabhi journalists ko milami hi chahiye esmian kisi ki do ray nahi ho sakati.lekin IFWJ ka bhi loktantrik tarike se khula chunav kyon nahi hota ?.es per bhi gambhirata se vichar hona jaroori hai.
Jiski laathi uski bhais .. Lekin yaha to lathi mantri ji thaam rakhi hai . .Bhai mantri hai to maal to kamyege hi .
ye to aaj ke netaoo ka janam shidha adhikar hai jam kar maal banaye or apni aage peedi ka jeevan sabhale.
Bhai thangi har ensaan kar raha hai bas use mouke ki talash hai . Jo nahi kar raha hai use mauka nahi mila .
Patrakaro ko har jaat ki randi gariya kar chali jaati hai . Kabhi kabhi lagta hai Patrakar sunne ke liye paida huye hai .
Bhai patrakar bano to soch samjh ke . humne to galti kar li hai .
Jai ho …….. Bhadas 4 media
Editor
Sushil Gangwar
Sakshatkar.com
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vikram rao kaun se doodh ke dhule hain. apane karyakaal mein unhone hamesha niji swarth ke liye jyada kaam kiya, pradesh ke patrakaron ke hit ke liye unhone koi kaam nahin kiya.