जैसे हमारे आपके दिमाग हिल गए नीरा राडिया के टेप सुनकर, उसी तरह सुप्रीम कोर्ट भी टेप सुनकर सकते में है. उच्चतम न्यायालय ने सुपर दलाल नीरा राडिया की पत्रकारों, नेताओं, उद्यमियों से वार्ता के टेपों से हुए खुलासे को ‘दिमाग हिलाने’ वाला करार दिया है. मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी का कहना था-, ‘हम लोगों ने नदियों खासकर गंगा – यमुना के प्रदूषण के बारे में सुना है, लेकिन यह (टेप) प्रदूषण पर्यावरण वाले प्रदूषण से भी ज्यादा खतरनाक किस्म का है।’ सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने नीरा राडिया की बातचीत वाले टेप को सीलबंद कवर में सुप्रीम कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया है. टेप जमा कराने का अनुरोध सीपीआईएल के वकील प्रशांत भूषण ने किया था.
प्रशांत भूषण का बेंच से अनुरोध था कि वह टेपों की सीडीज अपनी सुरक्षा में रखे अन्यथा ये टेप आदर्श घोटाले के कागजात की तरह कभी भी गायब हो सकते हैं. भूषण ने बातचीत की प्रतिलिपि भी बेंच के सामने रखी और इस संबंध में अखबार में छपे कुछ आलेखों को पढ़कर सुनाया. इसे सुनकर ही जस्टिस सिंघवी ने उक्त टिप्पणी की. सीबीआई ने भरोसा दिलाया कि वह सीलबंद लिफाफे में टेप कोर्ट को सौंप देगी. न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी व न्यायमूर्ति ए.के. गांगुली की पीठ ने सुब्रमण्यम के यह कहने के बाद कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट में टेप जमा करने पर कोई आपत्ति नहीं है टेप/सीडी सील बंद कवर में सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री लॉकर में जमा करने का आदेश दिया. पीठ ने कहा कि टेप की प्रतियां कराने के बाद मूल टेप उनके पास जमा किए जाएं. जरूरत पड़ने पर इनके उपयोग पर विचार किया जा सकता है.
स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सालिसीटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने बुधवार को कोर्ट में माना कि प्रधानमंत्री की चिंताओं पर दूरसंचार विभाग को गंभीरता से विचार करना चाहिए था. 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में हुई अनियमितताओं पर कोर्ट ने सरकार से तीखे सवाल किए. सरकार की पैरोकारी कर रहे सुब्रमण्यम ने कहा कि दो प्रेस विज्ञप्तियां जारी कर सारी जानकारी दी गई थीं, कुछ भी पर्दे के पीछे नहीं हुआ. उनकी इस दलील पर पीठ ने कहा कि 45 मिनट में शर्तें पूरी करने को आप पारदर्शी प्रक्रिया कह रहे हैं, आखिर आवेदनकर्ताओं को कैसे पता चला कि प्रेस रिलीज जारी होने वाली है, क्या आप ऐसा कोई पूर्व उदाहरण दे सकते हैं जब ऐसी प्रक्रिया अपनाई गई हो.
अदालत ने कहा कि सारे घटनाक्रम पर निगाह डालिए और बताइए क्या आपको यह प्रक्रिया तर्कसंगत लगती है. पीठ के इन सवालों पर सुब्रमण्यम ने कहा कि प्रक्रिया और पारदर्शी होनी चाहिए थी वे यहां किसी व्यक्ति को बचा नहीं रहे हैं बल्कि कोर्ट के सामने तथ्यों को रख रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार सारी प्रक्रिया की समीक्षा कर रही है उसमें यह भी शामिल है. पीठ ने आपत्तियों और चिंताओं को नजर अंदाज किए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या प्रधानमंत्री की चिंताओं पर विचार नहीं किया जाना चाहिए था. विधि मंत्रालय की राय भी नजर अंदाज की गई सदस्य वित्त ने भी आपत्ति की थी. सुब्रमण्यम ने कहा कि ला आफिसर होने की हैसियत से उनकी राय में प्रधानमंत्री की चिंताओं पर और गंभीरता से विचार होना चाहिए था. उन्होंने ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर आवंटन को नीतिगत मामला बताते हुए कोर्ट के सामने पूरी प्रक्रिया का तिथिवार ब्योरा पेश किया. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पूर्व दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ए. राजा ने जब अपने वकील टी.आर. अधिअर्जुना के जरिए यह कहा कि स्पेक्ट्रम मामले में वह खुद को विलेन की तरह महसूस कर रहे हैं तो कोर्ट ने कहा कि वह खुद को ऐसा न समझें. अधिअर्जुना ने कहा कि मेरे मुवक्किल की प्रतिष्ठा इतनी धूमिल हो चुकी है कि मैं कुछ भी कह दूं, वह वापस चमक नहीं सकती.
Comments on “ये टेप तो ‘दिमाग हिलाने’ वाला है : सुप्रीम कोर्ट”
्पहले आओ पहले पाओ यानी तत्काल का टिकट चाहिये तो रेलवे आरक्षण कार्यालय खुलने के पहले सुबह ४ बजे से हीं लाईन में लग जाओ नही तो एक दुसरा उपाय भी है । रेलवे आरक्षण के बाबु को आरक्षण का स्लीप भर कर दे दो और उपर से कुछ पैसे तुम्हारा टिकट बिना लाईन में लगे बन जायेगा । रेलवे का बाबु तुमको पहले आओ पहले पाओ वाले कतार में खडा कर देगा बिना लाईन में लगे हुये । पैसे की माया अपरंपार । जय हो राजा , जय हो मन मोहन भईया ।