टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने नीरा राडिया टेपों के मीडिया में बंटने और प्रसारित होने को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना की है. टाटा उच्चतम न्यायालय में दाखिल किए गए अपने हलफनामा में कहा कि पिछले महीने उन्होंने जो रिट याचिका दायर की थी कि वह केवल टेप किए गए बातचीत का प्रकाशन रोकने के लिए नहीं बल्कि टेप किए गए बातचीत के अंधाधुंध प्रकाशन के चलते बहुत से लोगों के संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए थी.
हलफनामे में टाटा ने सरकार पर इस तरह चुराए गए या लीक किए गए मटेरियल के असानी से वितरण और प्रकाशन का समर्थन करने और अनुमति देने के साथ इसे वापस करने या लीक होने वाले तथ्यों का पता लगाने के लिए कोई कार्रवाई ना करने का आरोप भी जड़ा है. शपथ पत्र में कहा गया है कि इन टेपों का प्रसारण और प्रकाशन करने के अधिकार की मीडिया की बात को निजता के अधिकार के उल्लंघन के खिलाफ मानना होगा.
इसमें टाटा ने कुछ विशेष मीडिया कंपनियों के शेयरहोल्डिंग ढांचे की जानकारी अदालत को देते हुए कहा है कि रिलायंस कैपिटल, आरपीजी और रहेजा ग्रुप जैसे बड़े कारोबारी समूहों की मीडिया कंपनियों में हिस्सेदारी होने से समस्याएं खड़ी हो रही हैं. टाटा ग्रुप के कॉरपोरेट कम्युनिकेशन का काम राडिया की कम्युनिकेशन कंपनी देखती है.
इसके पहले सरकार ने टाटा द्वारा दायर की गई याचिका के जवाब में अदालत को बताया था कि प्रेस में आ चुकी लीक बातचीत को वापस लेना संभव नहीं है. सरकार ने कहा था कि वह और टेप लीक न होने देने के लिए कदम उठा रही है और टेप के लीक होने की तथ्यों की जांच कर रही है. टाटा के शपथपत्र में कहा गया है कि बड़े कॉरपोरेट घरानों की मीडिया कंपनियों में काफी हिस्सेदारी है और इस वजह से हितों के टकराव की स्थिति पैदा हो गई है.
इंडिया टुडे ग्रुप की टीवी टुडे नेटवर्क्स में अनिल अंबानी ग्रुप की रिलायंस कैपिटल की 10 फीसदी हिस्सेदारी है. आरपीजी और मुंबई का रहेजा ग्रुप ओपन और आउटलुक मैगजीन में शेयर होल्डर हैं. इन मैगजीनों में ही राडिया टेपों के अंशों का बड़े पैमाने पर प्रकाशन हुआ है. दोनों मैगजीन सर्वोच्च न्यायालय में टाटा की रिट याचिका के खिलाफ लड़ रही हैं. राडिया के पक्ष का समर्थन करते हुए रतन टाटा ने अदालत से कहा है कि 2जी स्पेक्ट्रम और लाइसेंस आबंटन का मुद्दा निश्चित तौर पर जनहित का मामला है, लेकिन राडिया के बातचीत के टेप आबंटन के बाद रिकार्ड किए गए हैं.
कारपोरेट दलाल नीरा राडिया पर पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा के साथ मिलकर 2जी लाइसेंस हासिल करने तथा कुछ टेलीकॉम कंपनियों को नियमों के खिलाफ फायदा पहुंचाने का आरोप है. इस मामले की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में सीबीआई कर रही है.