लगातार दूसरे दिन भी आकाशवाणी और दूरदर्शन में प्रसारण ठप्प

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: प्रसार भारती न वापस होने की स्थिति में भविष्य में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जायेंगे कर्मचारी : लखनऊ : देश के इतिहास में पहली बार दो दिन तक लगातार पूरे देश में रेडियो और दूरदर्शन से कोई भी प्रसारण नहीं हुआ। नेशनल फेडरेशन आफ आकाशवाणी एण्ड दूरदर्शन इम्पलाइज (NFADE) के तत्वावधान में विगत 23 नवम्बर को प्रातः 9 बजे से शुरू हुई हड़ताल का व्यापक असर आज भी देश के सभी हिस्सों में महसूस किया गया।

लखनऊ में दूरदर्शन और आकाशवाणी के ट्रांसमीटरों में ताला लगा रहा। इसके चलते कल तक हो रहा छिटपुट प्रसारण भी आज दिन भर पूरी तरह ठप रहा। इसमें आकाशवाणी के प्राइमरी चैनल, विविध भारती और एफएम रेनबो शामिल थे। वहीं लखनऊ दूरदर्शन, टेलीविजन के पर्दे से दिन भर गायब रहा। आकाशवाणी और दूरदर्शन में सक्रिय 21 कर्मचारी संगठनों के संयुक्त मंच NFADE की प्रमुख मांग प्रसार भारती को तत्काल प्रभाव से भंग करना है।

ज्ञात हो कि वर्ष 1997 से पहले आकाशवाणी और दूरदर्शन भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन कार्य कर रहे थे। परन्तु 1991 में संसद में पारित एक कानून के द्वारा इन्हें प्रसार भारती बोर्ड के अधीन लाया गया जिसका क्रियान्वयन 15 सितम्बर 1997 से हुआ।  कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि आकाशवाणी व दूरदर्शन में पिछले 15 वर्षों से कोई नियमित भर्तियां नहीं की गयी हैं। वहीं दूसरी तरफ बड़ी मात्रा में कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में इन संस्थानों को चलाना लगभग असंभव सा हो रहा है।

साथ ही विभिन्न संवर्गों में व्याप्त वेतन विसंगतियों से भी कर्मचारियों में बेहद रोष है। प्रसार भारती का वित्तीय ढांचा भी पिछले वर्षो में बुरी तरह चरमरा चुका है। जहां वर्ष 2008-09 में प्रसार भारती को 1422 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा था वहीं वर्ष 2009-10 में यह घाटा बढ़कर लगभग दो हजार करोड़ रुपये के करीब पहुंचा। प्रसार भारती के लगातार बढ़ते घाटे ने दूरदर्शन और आकाशवाणी में अच्छे कार्यक्रमों के निर्माण पर रोक लगा दी है वहीं मशीनें तथा इमारतें जर्जर अवस्था में पहुंच चुकी हैं।

आकाशवाणी और दूरदर्शन के कर्मचारियों की हड़ताल को विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दलों ने भी अपना समर्थन दिया है। नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ से जारी बयानों में सरकार से तुरन्त प्रसार भारती वापस लेने की सिफारिश की गयी है। कर्मचारी संगठनों ने आगामी 13 दिसम्बर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। आज दिन भर आकाशवाणी व दूरदर्शन के कर्मचारी कार्य बहिष्कार कर धरने पर बैठे रहे।

NFADE के राज्य समन्वयक पीके वर्मा की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति

Akashvani and Doordarshan Employees 48 Hrs Strike

Paralyse Public Broadcasting

For the 1st time in the history of Independent India transmitters of AIR and DD went off the air continuously for the second day. It is perhaps a rare occasion when employees of AIR & DD are not fighting for the economic demands but rather demanding that they should be recognized as national public broadcaster. The employees of AIR and DD belonging to 21 organisations are fighting their battle under the banner of NFADE (National Federation of Akashvani and Doordarshan Employees).

It is an irony that their agitation started from 23rd November which is also foundation day of Prasar Bharti. No compromise formula could evolve between the government and the employees association as the demand of the abolition of Prasar Bharti has to get sanction of both houses of Parliament. In the mean time different opposition political parties like BJP, CPI, CPI(M) are coming forward in favour of bringing twin electronic media under the control of government.

Employees are alleging that in the last 13 years Prasar Bharti could not show any result. Besides due to faulty policies of Prasar Bharti employees are a big looser within the system. Employees would resume their duties tomorrow after 9 a.m and In case if no compromise formula their association has decided to go on for a indefinite strike commencing from  13t December which would badly affect the working of Air & DD.

P.K. Verma, State Co-ordinator, NFADE

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