Ajit Anjum : सैद्धांतिक तौर पर मैं अन्ना हजारे के साथ हूं. भ्रष्ट नेताओं और नौकरशाहों पर नकेल कसने की ताकत से लैश लोकपाल इस देश में होना ही चाहिए. लेकिन अब मेरे जेहन में एक सवाल है. मैंने अन्ना की टीम की तरफ से तैयार जन लोकपाल बिल को दो बार पढ़ा है. इसमें लोकपाल को असीम अधिकार दिए जाने की बात कही गई है. इसके खतरे भी हैं. अगर लोकपाल के पद पर कोई बैठे किसी आदमी में हिटलर की आत्मा प्रवेश कर गई तो?
Neeraj Pal : अन्ना जैसा हर हिन्दुस्तानी का दिल चाहिए, हमें जन लोकपाल बिल चाहिए
Alfred Noble : ” absolute power corrupts absolutely ” ….
Niranjan Dubey : sahi kaha sir.. tab sochenge pahle kya bura thaa..?
Mukta Pathak : valid point, Ajit Sir…..
Abdul Noor Shibli : अजीत जी यह डर तो है मगर इसका मतलब यह नहीं है की इसकी डर से नेताओं को हराम का खाते रहने दें
श्याम कोरी ‘उदय’ … : लोकपाल का नियंत्रण भ्रष्टाचार पर होगा, न की देश के संचालन पर !!
Neeraj Pal : pr vo khana issliye tyaag kar baithe hain ki future mein desh ko koi kha na jaaye …………..aur rahi baat ki lokpal pad ke durupyayog ka to kam se kam log riswat lene mein 10000000 baar sochenge … aur dheere dheere kam se kamtar ho kar sampt ho jayega …………… na vo mangenge na hum khilayenge …………….kosis achchi hai ………….isse bahas mein nahi samarthan aur safal banne ka pr prayas karna chahiye
Rajiv Pathak : सर, जितना विनाश हो चुका है उससे ज्यादा क्या होगा, गिरने के डर से खड़ा होना तो नहीं छोड़ता इंसान
Prakash Singh : सर, क्षमाप्रार्थी हूं लेकिन अभी मुझे अन्ना के पीछे कौन है इसका पता नहीं चल रहा है। कहीं इन सारे हंगामा के पीछे कोई खास संगठन तो नहीं है। जनता के उबाल को भूनाने की राजनीतिक कोशिश तो नहीं की जा रही है। चुनाव चल रहे हैं। हंगामे से माहौल बनाने की कोशिश तो नहीं हो रही है..या कांग्रेस में सत्ता से दूर कुछ बड़े नेताओं का तो हाथ नहीं है..
Ashish Rishi : sir ji daar ke age jeet hai .. ek baar lokpal ko ana hi hoga
Vijay Upadhyay : अजीत जी हिटलर की आत्मा प्रवेश करेगी तो प्रधानमंत्री तो नही बन जाएगा आपकी चिंता का आधार नही है लेकिन डर पैदा होना चाहिए जैसे चुनाव आयोग से नेता डरते है कुछ वैसा ही
Navkant Thakur : बहुत सही बात कही है अंजुम भाई आपने….. भ्रष्टाचार मिटाया जाना चाहिए… दोषियों को कतई बख्शा नहीं जाना चाहिए… चाहे वे कितने ही बड़े ओहदेदार या रसूखदार क्यूँ ना हों…. लेकिन लोकतंत्र में संसद की सर्वोच्चता से समझौता नहीं किया जा सकता…. पारदर्शिता के नाम पर देशहित की बलि नहीं दी जा सकती… जनलोकपाल का प्रारूप आदर्श तो है, व्यवहारिक नहीं है… लिहाजा बेहतर होगा कि सरकारी लोकपाल और असरकारी लोकपाल विधेयक के प्रारूपों का मिला जुला स्वरूप अस्तित्व में आए…. जिसमें डंडा तोड़े बगैर साँप को मारने की क्षमता हो…
Vikrant Yadav : sansad vidhayak aur tamam log jinhe hum chunte hai corrupt toh woh b ho sakte hain……par hum darte nahi, vote karte hain aur aisa hum baar baar dhokha khane k baad b karte hain. ye to fir b bada nek kaam hai. poorvagrah me ab hum peechhe nahi hat sakte.
Ajit Anjum : नवकांत ठाकुर , आपने बहुत मार्के की बात कही है ….
Vijay Upadhyay : इस देश में सबसे ज्यादा समझदार साबित करने की होड़ लगी हुई है बहस तो रामदेव व हजारे ने ही शुरू करायी है इसके पहले ड्राइंग रूम में बातें होती थी और चुनाव के समय जनता को गफलत में डालने के लिए दावे किये जाते रहे है मीडिया भी नेताओं की ढोल बजाता रहा है 62 सालों में हुा कुछ नही चुनाव आयोग की तरह जनलोकपाल को ताकतवर होना चाहिए वरना इस देश का कुछ नही हो सकता भ्रष्ट अपनी राह बनाता रहेगा
Vijay Jha : अन्ना के आन्दोलन विरुद्ध एवं वर्तमान भ्रष्टाचारी राजसत्ता के समर्थन में बुद्धिराक्षासों और धन-पिपासुओं का अनाप-शनाप प्रोपेगेंडा शुरू हो चूका है ! इन बुद्धिराक्षस को कल बाबा रामदेव में खोट नजर आता था और हसन अली में दिव्यता का दर्शन होता था और आज अन्ना में खोट नजर आता है और वर्तमान भ्रष्टाचारी राजसत्ता में दिव्यता का दर्शन हो रहा है ! अन्ना के साथ आम आवाम खड़ा है और राजसत्ता के साथ सत्ता पोषित धन-पिपाशु ! अब आप निर्णय करे कौन बुद्धिजीवी है और कौन बुद्धिराक्षस
Yakesh Pal : I think, if Dr. APJ Abdul kalam also joins this movement, it will be a great support for Shri Anna Hazare and to the people of this country. After all, at age 78, this great soul is not doing it for himself but for us and our future generations. After the passing of this bill, people will fear getting into corrupt activities.
Brijesh Singh : इस पर चर्चा होनी चाहिए।
Anant Kumar Jha : आप किसी भी रूप में अन्ना के साथ हो,लेकिन देश की जनता को तो देखिये..कोई क्यों अन्ना के मुहिम के साथ खड़ा हो रहा है.क्या सब लोग सिर्फ कौतहुलवश इस आन्दोलन के साथ है और यदि सही में ऐसा है तो फिर तो बात ही ख़तम हो जाती है.देश के आम लोग भ्रष्टाचार खत्म करना चाह रहे है,चाहे कानून का जो भी प्रारूप हो..
Mehra Nitish : Some of us must be worrying about the Lokpal Bill that what if some officer in Lokpal becomes corrupt? The answer is that the entire functioning of Lokpal/ Lokayukta will be completely transparent. Any complaint against any officer of Lokpa…See more
Fatima Khan : Apprehensions are in every move. Just because we still remember that there once existed a tyrant named”Hitler” we would not be able move further, past is meant to be forgotten here, so we would have to keep aside all the imaginative repercussions that could play as impediments. His outcry for an Ombudsman is totally prudent.
Yakesh Pal : And thus the money saved can be used for the all round developmental activities. If we dream of making India “Sone ki Chiriya” again, we all will have to support Shri Anna Hazare and this movement. It is good sign for India.
Suraj Yadav : अच्छा रहेगा, बशर्ते वो ईमानदार हों और रहें…..
Rishabh Mani : phir koi anna aayega aur kanoon badal jaayega….
Biswajit Bhattacharya : sir, Filhaal to jis hitlershahi se yeh sarkaar desh ko chala rahi hai, uska koi upay khojna zaroori hi.
Yakesh Pal : There are provisions in the bill that if a member of Lokpal becomes corrupt, investigation will take place and if the person is found guilty, he/she will be dismissed in two months.
Atul Agrawal : देखिए… जनलोकपाल बिल का जो प्रस्तावित स्वरूप है उसमें लोकपाल को पुलिस, न्यायालय, संसद समेत तमाम तरह की असीमत शक्तियां देने की वकालत की गई है. दिक्कत सिर्फ इसी जगह पर है क्योंकि हमारे संघीय ढांचे में ऐसा करने की इजाजत कतई नहीं है. ऐसा करके हम अपनी जनतांत्रिक व्यवस्था और मूल अधिकारों को ठेंगा नहीं दिखा सकते. मुझे याद पड़ता है कि जब ईराक में शांति बहाली की अंतर्राष्ट्रीय कोशिशें हो रही थीं तो एक स्लोगन बहुत मशहूर हुआ था… “War for peace is fucking for virginity”… डर इस बात का ही है कि अगर लोकपाल खुद को सर्वशक्तिमान समझ बैठा तो क्या देश में समानान्तर सरकार नहीं चल पड़ेगी? मौजूदा दागी CVC को हटाने में तो सिस्टम को नाकों चने चबाने पड़ गए थे. इसीलिए मुझे लगता है कि भावनाओं और व्यवस्था के बीच ऐसा कारगर मध्य-मार्ग तलाशने की ज़रूरत है जिसके ज़रिए भ्रष्टाचार समेत दूसरी गड़बड़ियों को रोका जा सके.
Laxmi Kant Mani : jan lokpar puri tarah se bwaharik hai esko sirf sosak aur lutere hi nahi pasant karenge ji
Karishma Pal : आज जब आमरण अनशन चल रहा है तो मेरी अन्नाजी से अनुरोध है की लोकपाल बिल के साथ साथ महिला बिल को भी साथ में रख लें…क्या पता गहुँ के साथ घुन भी पिस जाये.
Karishma Pal : जब कुछ पलों में सांसदों का वेतन आदि बढ सकता है तो एक बिल के लिए ४२ साल क्यूँ लगा दिए? ठीक इलेक्शन से पहले ये सब किया जाना ही संदेहास्पद है.
Abhijeet Sinha : @atul sir—-सर…आप का कहना जायज़ है पर जब इस संघीय ढांचे को नेता अपने लिए तोड़ सकते हैं…..तो फिर अभी क्यों नहीं @ anjum sir—सर… जो हो रहा है पहले वो तो होने दीजिये……कल का कल देखेंगे….. @ karishma pal–आप संदेह के बारे में बिलकुल न सोंचे…….जो हो रहा है वो बेहतर हो रहा है…
Karishma Pal : २८ जनवरी २०११ को में उ०प्र०सह्करि लेखा परीक्षक संघ की अध्यक्ष की हैसियत से कतिपय मांगों को लेकर लखनऊ में आमरण अनशन पर बैठी थी लेकिन हमसे मात्र ज्ञापन लेकर हमारी किसी मांग को पूरा नहीं किया गया साथ ही अनशन पर भी नहीं बेठने दिया गया.,,क्यूंकि मैं भ्रष्टाचार के विरोध में थी और मेरे साथ कोई राजनितिक दल नही था.
Abhijeet Sinha : @करिश्मा जी……अन्ना के साथ भी कोई राजनितिक दल नही है…….पूरी आवाम कंधे से कन्धा मिलकर चलने को तैयार है
Jitendra Narayan : लेकिन सरकार द्वारा त्यैयार लोकपाल बिल तो नख-दन्तविहीन है.
Karishma Pal : @abhijeet ji…jantar mantar mein juti adhikaansh bhid jo ki durdaraj se aayi hai, unse puchha jaye ki aap yahan kiske saath aye hain toe apne aap dudh ka dudh paani ka paani ho jayega ki koi party mili hui hai ki nahin.
Atul Agrawal : @AbhijeetSinha मेरे भाई, क्या आंख के बदले आंख और खून के बदले खून वाला तालिबानी तरीका हम हिंदुस्तान सरीखे सबसे बड़े लोकतंत्र में लागू कर सकते हैं? किया जाना चाहिए क्या? देखिए, अंतर समझिए… भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे नेता जो कर रहे हैं उन्हे रोकना ज़रूरी है लेकिन उनके जैसे बेज़ा माध्यम से कदापि नहीं. अन्यथा “War for peace is fucking for virginity” मसल हमारे पर भी लागू हो जाएगी.
Manish Kumar : Exactly Ajit Anjum jee, and I have a reply for that, please some one needs to convey it to Anna Hazare as well –
Rakesh Tiwari : to uska hitlar jaisa haal hoga…janab…
Abhijeet Sinha : @Atul sir—सर आपका कहना बिलकुल जायज़ है, आप जो कह रहे हो उस बात से मै भी सहमत हूँ…..मै भी जनता हूँ की ऐसा नहीं हो सकता पर इस मुहिम से कुछ न कुछ फायदा तो मिलेगा ……
Abeer Vajpayee : हिटलर से डर नहीं लगता.. डर तो गाँधी का है जो कहीं फिर से अपनी काठ की हाँडी चढ़ा कर पाकिस्तान ना बनवा दे.. वो ही गाँधी जो काली कमाई का ट्रेडमार्क है.. वो ही गाँधी जो तीन क्रान्तिकारियों की हत्या का जिम्मेदार है.. वो ही गाँधी जिसके नाम से आज भी सत्ता का कारोबार चल रहा है.. डर तो उसी गाँधी का है
Navkant Thakur : करिश्मा जी…. दुख मत कीजिए… जो आपके साथ हुआ… आपने स्वीकार किया… बिना किसी दबाव या ज़बरदस्ती के… है ना..???? वही अन्ना के साथ भी होगा.. और वे भी बिना किसी दबाव या ज़बरदस्ती के उसको स्वीकार भी करेंगे… और इस बात को याद रखिए… गेहूँ के साथ भले घुन भी पिस जाता हो…. मगर तब ना गेहूँ खाने लायक बचता है… ना घुन किसी को नुकसान करने लायक बच पाता है…
Navkant Thakur : विजय जी… अन्ना या रामदेव… भगवान नहीं हैं.. मानते हैं ना..??? इंसान ही हैं… हैं ना??? तो ये क्यूँ भूल जाते हैं… सुर नर मुनि सबके यह रीति… स्वारथ लागि करहीं सब प्रीति…..
Sanjeev Sharma : is desh ko ab ek hitlar ki bhi zarurat bhi hai ajit sir :):)
Navkant Thakur : रामदेव का स्वार्थ सामने आ चुका है… वे बिना कर अदा किए… अपनी संपत्ति में इज़ाफा कर रहे हैं… और नया दल बना कर देश पर शासन भी करना चाहते हैं…. अन्ना का स्वार्थ भले निजी ना समझ आ रहा हो… मगर वे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को…. गैर सरकारी संगठन का गुलाम बना देना चाहते हैं.. ये तो मानेंगे सभी… ??? क्या ये सही होगा…???
Rajesh Jha : Adhikar aseem hon ya seemit …sawal ye hai kya abhi ki vyavastha main isaka ilaj nahin hai? kya ham kanoon hi banate rahenge ya unka anupalan bhi hoga…parsa jr ka article DNA main aaj chhapa hai usako bhi kripaya padh lein
Navkant Thakur अन्ना देश को आज़ाद करने की बात कर रहे हैं…. क्या भारत को किसी विदेशी ताक़त ने गुलाम बनाया हुआ है..?? नहीं… जिसको देश के लोगों ने चुना है…. वही देश पर शासन कर रहा है… बात दल की नहीं.. व्यवस्था की है… देश का लोकतंत्र सही है या अन्ना की ज़िद….???? अन्ना लोकतंत्र को कुचलकर पूरी व्यवस्था पर इंस्पेक्टर राज और केवल एक संस्था की तानाशाही लागू करना चाह रहे हैं…
Aasmohammad Kaif : To good journalism, always be negative ?
Atul Agrawal : मेरा कहना ये है कि अन्ना जो कर रहे हैं, जिसके लिए कर रहे हैं और जैसे कर रहे हैं वो गर्व की बात है. हमें उनकी नीयत का सम्मान का करना चाहिए. हम कर भी रहे हैं. लेकिन सवाल ये उठता है क्या किसी मुद्दे विशेष पर बातचीत शुरू करने के लिए जान देने की धमकी देना अथवा जान देने पर आमादा हो जाना हमारे सरकारी तंत्र की अक्षमता का द्योतक है? क्या ये देश पर राज कर रहे सरकारी नुमाइंदों एवं तथाकथित स्वयंभू जनप्रतिनिधियों पर अविश्वास की पराकाष्ठा है? तो जवाब मिलता है कि हां, ये सर्वथा सत्य है. राजनेता और दल अपनी विश्वसनीयता गुणात्मक दर से खोते जा रहे है. दूसरा पक्ष ये है कि अरविन्द केज़रीवाल कह रहे हैं कि अन्ना की मुहिम को देश भर की आम जानता का समर्थन मिल रहा है. अच्छी बात है. मिलना भी चाहिए. लेकिन वही आम जनता मतदान के वक्त ऐसी समझदारी क्यों नहीं दिखाती? क्यों भ्रष्टाचारियों को संसद-विधानसभाओं में पहुंचा देती है. क्यों लुटेरों के हाथों में अपनी कमान थमा देती है, ये आम जनता को ही सोचना चाहिए.
Navkant Thakur : कैफ़ भाई… कोई संदेह है…?? खुल कर कहो… पत्रकारिता नकारात्मक नहीं होती…. याद रखना… ये हमेशा होश में रहती है… इसलिए जोश वालों को नकारात्मक लगती है….
Aarti Tiwari : Ideal and practicle both r join to gether because ideal is a thought and practicle
Is a work, so without thought work can not be done. It may happen if a person get
A whole power, he may misuse but we should not deny that power gives us to think
Depth which may more positive, so be positive
Manojeet Singh : exactly…..sir
Vikas Tripathi : yes, even Harish salve think so…..xtra power always corrupt people n institutions……
Karishma Pal : लोक पाल बिल द्वारा मुट्ठी भर लोगों का शासन एक व्यक्ति में समाहित हो जायेगा…शोषण चलता ही रहेगा ,शोषण कारी का रूप बदल जायेगा, लेकिन शोषक वही रहेंगे यानी हम और आप…क्या भारत में एक हिटलर, सद्दाम या गद्दाफी बनाने की मुहीम में हमें अपनी सहमती दिखानी चाहिए.
Bharat Tripathi : केजरीवाल जी ने साफ-साफ कहा है कि उनका बनाया गया बिल अन्तिम नहीं है और सभी लोगों के सुझाव आमंत्रित हैं..उनका रुख तो बहुत लचीला है..वे हर क्लॉज़ पर बहस को तैयार हैं..कृपया ऐसी डर पैदा करने वाली बातें करके इस आंदोलन की आग को बुझाने की कोशिश न करें…
Karishma Pal : who will determine that the retired judge as chairman of lokpal committee will be honest or not corrupted?
Anil Bajpai : SIR, AAP BILKUL THIK KAH RAHE HAI LEKIN KISI PAR TO BELIVE KARNA HI PADEGA
फेसबुक पर बहस अभी जारी है. भाग लेने या देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं… अन्ना और लोकपाल
अजीत कुमार
April 7, 2011 at 5:36 pm
अजीत अंजुम सर …आपकी बात से मैं सहमत नहीं हूं…कि लोकपाल के पद पर बैठे किसी आदमी में हिटलर की आत्मा प्रवेश कर गई तो क्या होगा…सर होगा वही जो खुदा को मंजूर होगा… तैरने से पहले डूबने की बात हम क्यों सोचे…डूबते देश को बचाना है तो तैरना तो पड़ेगा ही…अंजाम चाहे जो हो…और आखिर हिटलर की आत्मा ही क्यों ..अन्ना जैसे लोगों की आत्मा प्रवेश कराने की बात करें तो अच्छा है।
anurag2472
April 7, 2011 at 5:46 pm
what you are saying is same as what was done by oil lobby that is to create confusion in the mind of public regarding global warming. we have a diverse view but we have to understand the power of people, let us support Hajare on lokpal bill, we have been fooled by politicians and others for decades. People are with Hazare not that they know him well but it is the first time every Indian is standing against one cause and that for the future of the country. Let the Hitler come, people will again unite and throw the Hitler out. But lets not create confusion lets be optimistic and act as a one force against corruption. Lets for once…be one…Indian
मदन कुमार तिवारी
April 8, 2011 at 6:42 am
पहले जन लोकपाल बिल का प्रारुप पढा aै जो बहस कर रहे हो । इस बिल की तयारी से लेकर जन लोकपाल के पद पर नियुक्ति तक जनता की कहीं सहभागिता नही है । चयन समिति के ससददस्य विदशी पुरुस्कार प्राप्त लोग होंगे ।
shashi shekhar
April 8, 2011 at 6:45 am
JANLOKPAL BILL
7. Removal of Chairperson or members-
(1) The Chairperson or any member shall not be removed from his office except by an order of the President.
(2) They can be removed on one or more of the following grounds:
a.Proved misbehavior
b.Professional or physical incapacity
c.If he is adjudged to be insolvent
d.Has been charged of an offence which involves moral turpitude
e.If he engages during his term of office in any paid employment outside the duties of his office
f.Has acquired such financial interests or other interests which are likely to affect prejudicially his functions as member or Chairperson.
g.If he is guided by considerations extraneous to the merits of the case either to favor someone or to implicate someone through any act of omission or commission.
h.If he commits any act of omission or commission which is punishable under Prevention of Corruption Act or is a misconduct.
i.If a member or the Chairperson in any way, concerned or interested in any contract or agreement made by or on behalf of the Government of India or participates in any way in the profit thereof or in any benefit or emolument arising there from otherwise than as a member and in common with the other members of an incorporated company, he shall be deemed to be guilty of misbehavior.
(3) The following process shall be followed for the removal of any member or Chairperson:
(a) Any person may move an application/petition before the Supreme Court seeking removal of one or more of the members of Chairperson of Lokpal alleging one or more of the grounds for removal and providing evidence for the same.
(b) Supreme Court will hear the matter by a bench of three or more Judges on receipt of such petition and may take one or more of the following steps:
(i) order an investigation to be done by a Special Investigation Team appointed by the Supreme Court if a prima facie case is made out and if the matter cannot be judged based on affidavits of the parties.
(ii) dismiss the petition if no case is made out
(iii) if the grounds are proved, recommend to the President for removal of the said member or Chairperson
(iv) direct registration and investigation of cases with appropriate agencies if there is prima facie case of commission of an offence punishable under Prevention of Corruption Act.
(c)The Supreme Court shall not dismiss such petitions in liminae.
(d)If the Supreme Court concludes that the petition has been made with mischievous or malafide motives, the Court may order imposition of fine or imprisonment upto one year against the complainant.
(e)On receipt of a recommendation from the Supreme Court under this section, the President shall order removal of said members within a month of receipt of the same.