लखनऊ में अरविंद केजरीवाल पर चप्पल फेंकने वाला युवक जालौन निवासी जितेंद्र पाठक है

फिर हुआ टीम-अण्‍णा पर हमला। प्रशांत भूषण के बाद अब अरविंद केजरीवाल पर हमला हो गया है। लखनऊ के झूलेलाल पार्क में चल रही एक जनसभा में उन पर चप्‍पल से हमला हुआ। हमलावर जालौन का निवासी जितेंद्र पाठक है। हमलावर जितेंद्र पाठक को पकड़कर लोगों ने धुना और पुलिस के हवाले कर दिया। अरविंद केजरीवाल लखनऊ में देर शाम एक जनसभा में आये थे।

बीसी खंडूरी की ईमानदारी पर विकीलीक्स का तमाचा

घपले-घोटालों को लेकर निशंक की घेराबंदी करने में बीसी खंडूरी ने हर वो दांव चला जो उन्हें सीएम की कुर्सी पर पुनः बैठा सकता था। सो उत्तराखंड में भाजपा में कथित तौर पर ईमानदार चेहरे के रूप में जाने जाने वाले खंडूरी इन दिनों राज्य को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के दावे दर दावे कर रहे हैं। लेकिन खंडूरी खुद दूध के धुले नहीं है। जी हां, यह पूरी तरह सच है।

मैंने क़सम ली- मैं फासिस्ट राजनीति और उसके कारिंदों के खिलाफ कुछ नहीं लिखूंगा

शेष नारायण सिंहप्रशांत भूषण की पिटाई के बाद इस देश की राजनीति ने करवट नहीं कई, पल्थे खाए हैं. जिन लोगों को अपना मान कर प्रशांत भूषण क्रान्ति लाने चले थे, उन्होंने उनकी विधिवत कुटम्मस की. टीवी पर उनकी हालत देख कर मैं भी डर गया हूँ. जिन लोगों ने प्रशांत जी की दुर्दशा की, वही लोग तो पोर्टलों पर मेरे लेख पढ़कर गालियाँ लिखते हैं.

हालत विकट है, संस्थानों की प्रतिष्ठा ध्वस्त होने का दौर है

आलोक कुमारहम उस दौर में प्रवेश करते जा रहे हैं जहां समाज में सही-गलत की दिशा तय करने वाले पारंपरिक तंत्र की प्रतिष्ठा बचाए नहीं बच रही। सदैव आपके साथ होने का दंभ भरने वाली दिल्ली पुलिस हो। या सच्चाई सामने लाने के लिए बनी सीबीआई, या फिर भ्रष्टाचार पर निगरानी रखने वाली सीवीसी हो या न्याय के मंदिर का प्रतीक सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट या निचली अदालत।

आगरा के डीएम अजय चौहान को रिश्वत में पचास लाख रुपये चाहिए!

पुण्य प्रसून बाजपेयी: आगरा का ताजमहल, जूता और कलेक्टर : ताजमहल ने अगर आगरा को पहचान दिलायी तो आगरा के जूतों ने आगरा के कलेक्टर को। और आगरा के कलेक्टर का एक मतलब है स्टाम्प ड्यूटी का ऐसा खेल, जिसके शिकंजे में जूतो का जो उघोगपति फंसा तो या तो उसका धंधा चौपट हुआ या फिर करोड़ों रुपये का हार कलेक्टर को पहनाया गया।

बिन अन्ना आजतक हुआ सून, इंडिया टीवी फिर किंग

अन्ना के आंदोलन के दौरान आजतक पूरे फार्म में था. दर्शकों ने सबसे ज्यादा भरोसा इसी चैनल पर किया और सबसे ज्यादा इसी को देखा. इस कारण टीआरपी में यह चैनल अपनी नंबर वन की कुर्सी पर आसीन हो गया. लेकिन अन्ना आंदोलन के शांत होने के बाद अब जो टीआरपी आई है, उससे पता चलता है कि इंडिया टीवी ने फिर से नंबर एक कुर्सी पर कब्जा जमा लिया है. इंडिया टीवी थोड़े ही मार्जिन से नंबर वन बना है लेकिन कहा तो यही जाएगा कि आजतक नंबर दो पर चला गया है.

‘सारा खेल राजदीप, पुण्य प्रसून और राहुल कंवल ने बिगाड़ा”

यशवंत जी, आप चाहें जो लिखें-कहें, लेकिन सच यही है कि अगर कोई बात लिखित रूप से तय हुई है, इंबारगो के बारे में सब कुछ सबकी सहमति से तैयार हो गया तो फिर इसे तोड़ना न सिर्फ अनैतिक है बल्कि किसी पर भी भरोसा न करने जैसा ट्रेंड पनपाने वाला है. पहले से ही तमाम तरह के आरोपों से घिरी मीडिया को एक बार फिर मीडिया वालों ने ही अनैतिकता के गड्ढे में धक्का दे दिया है. सारा खेल राजदीप चौरसिया, राहुल कंवल और पुण्य प्रसून ने बिगाड़ा.

अन्ना आंदोलन और कामरेडों की दुविधा-सुविधा

अन्ना आंदोलन के भूत ने सत्ता में बैठे लोगों को सताया हो या नहीं, वामपंथ के एक हिस्से को वह खूब सता रहा है. वह वामपंथ के पूरे इतिहास व वर्तमान के गिरेबान में झांककर बोल रहा है कि जैसा अन्ना ने किया वैसा आज तक तुम न कर सके. कि तुम अपनी कमियों से चिपके रहे और देश की जनता की नब्ज को टटोल सकने में आज अक्षम बने रहे. कि यह तुम्हारी ही कमियां हैं जिनके चलते शासक वर्ग और मजबूत होता जा रहा है…

‘जजों को मैनेज’ करने संबंधी शांति भूषण उवाच वाली सीडी असली

: दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में पेश की जांच रिपोर्ट : टीम अन्ना के स्तंभ शांति भूषण और प्रशांत भूषण फिर घिर गए सवालों के घेरे में : सीएफएसएल और सीईआरटी को जांच के लिए भेजी गई शांति भूषण वाली सीडी को इन दोनों लैब ने असली बताया है. दिल्ली पुलिस ने इसके बाद जांच रिपोर्ट तीस हजारी कोर्ट में पेश कर दिया है. कुल तीन लैब में दिल्ली पुलिस ने जांच कराई थी जिसमें से दो ने सीडी को असली करार दिया.

सच में गद्दारी की स्वामी अग्निवेश ने, बातचीत का वीडियो टेप भी जारी

टीम अन्ना के स्तंभ कहे जाने वाले स्वामी अग्निवेश बुरी तरह फंस गए हैं. उन्होंने फोन पर किपल सिब्बल से जो बातचीत की, वह बातचीत पब्लिक में आ चुकी है. इस बातचीत का आडियो टेप जारी किए जाने के बाद अब वीडियो टेप भी उपलब्ध हो गया है. कपिल से बातचीत में अग्निवेश ने अन्ना और उनकी टीम के लोगों को जमकर कोसा है और सरकार को उकसाया है कि वह इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे.

रामलीला मैदान में टोटल टीवी के कैमरामैन के साथ पुलिस ने की मारपीट

अन्ना हजारे के अनशन स्थल रामलीला मैदान पर शनिवार को एक कैमरामैन से कथित तौर पर हुई मारपीट के बाद पुलिस और मीडिया में तकरार हो गई। मारपीट की घटना टोटल टीवी के संदीप शर्मा नामक कैमरामैन के साथ हुई। शर्मा के मुताबिक जब वह रामलीला मैदान के द्वार संख्या एक से प्रवेश कर रहे थे तो एक पुलिस अधिकारी से उनका विवाद हो गया।

लालू यादव राजनीति के राखी सावंत हैं!

भूमिका राय: संसद में कहिन- कोई 74 साल का आदमी 12 दि‍न का अनशन कर कैसे सकता है, और कैसे कह सकता है कि‍ अभी मैं 3 कि‍मी तक और दौड़ सकता हूं : बचपन में राजनेताओं के नाम और उनके काम में कोई खास दि‍लचस्‍पी नहीं थी, खेलने-कूदने से फुर्सत ही कब रहती थी कि‍ कुछ और याद रहे। लेकि‍न उस वक्‍त भी लालू प्रसाद यादव का नाम याद था। पता था कि‍ आप बि‍हार के ‘राजा’ हैं।

जय जनता, जय अन्ना : दस बज गए हैं लेकिन पार्टी अभी बाकी है

ये आधी जीत है. आधी लड़ाई बाकी है. अगर आप लोगों की अनुमति हो तो ये अनशन तोड़ दूं. हाथ उठाएं. अन्ना के इतना कहते ही रामलीला मैदान में खड़े हजारों हाथ उठ खड़े हुए. तिरंगा झंडा लहराते हुए हजारों लोगों का करीब 13 दिन तक रामलीला मैदान में डटे रहना, सैकड़ों-हजारों लोगों का हर बड़े छोटे शहरों कस्बों में निकलना, सांसदों के घरों को घेरना, राजनीतिज्ञों को गरियाना…

स्वामी अग्निवेश सरकार के आदमी, टीम अन्ना टूटी… सुनें यह टेप

बड़ी और बुरी खबर है. बड़ा खुलासा है. टीम अन्ना के मजबूत स्तंभ स्वामी अग्निवेश सरकार के पाले में खड़े हो गए हैं. यह साबित करने वाला एक टेप भड़ास4मीडिया के हाथ लगा है. इस टेप में स्वामी अग्निवेश किन्हीं कपिल (कपिल सिब्बल?) से बड़ी गर्मजोशी से फोन पर बात कर रहे हैं. वे टीम अन्ना के सदस्यों को पागल हाथी करार दे रहे हैं. यह भी कह रहे हैं कि…

करप्ट लोग चढ़ने लगे अन्ना के मंच पर!

: संदेह के घेरे में आने लगी टीम अन्ना : जिस अन्ना हजारे ने कभी एक करोड़ रुपये का एवार्ड इसलिए लेने से मना कर दिया था क्योंकि वह एवार्ड एक शिक्षा माफिया की तरफ से दिया जा रहा था, उसी अन्ना हजारे ने अपनी आंखों के सामने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के अपने मंच से उसी शिक्षा माफिया को अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए देखा. जी हां, ये शिक्षा माफिया और करप्ट परसन कोई और नहीं बल्कि अरिंदम चौधरी है.

अन्ना के सपोर्ट में नंगी योगिता की खुली देशभक्ति की तस्वीर देखें

अभिनेत्री योगिता दांडेकर ने हिम्मत का काम किया है. हिम्मत की जगह दुस्साहस कहें. वे अन्ना के लिए टापलेस हो गई हैं. विविधता भरे इस देश में सोचने समझने और जीने का सबका अपना अपना हिसाब-किताब है. अन्ना आंदोलन को सपोर्ट देने का भी सबका अपना अपना अंदाज है. योगिता ने अपने तरीके से खुलकर अन्ना को सपोर्ट किया है.

सलमान और मुलायम की मांग- मीडिया करप्शन भी लोकपाल के दायरे में आए!

द हिंदू अखबार में दो खबरें पिछले दिनों प्रकाशित हुई. एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय कानून और सामाजिक न्याय मंत्री सलमान खुर्शीद ने एक न्यूज चैनल पर एंकर के सवालों के जवाब में उन्हीं से सवाल पूछ लिया कि ”…मीडिया करप्शन को टीम अन्ना वर्जन के लोकपाल के अधीन जांच का विषय क्यों नहीं बनाया जाना चाहिए. क्या हम लोगों को नीरा राडिया टेप का यहां जिक्र नहीं करना चाहिए.

ध्यान रखना कांग्रेसियों, ये रामदेव नहीं, अन्ना हैं, अबकी खदेड़े तुम लोग जाओगे

दयानंद पांडेय: धृतराष्ट्र, मगध और अन्ना : आप को याद होगा कि पांडवों ने कौरवों से आखिर में सिर्फ़ पांच गांव मांगे थे जो उन्हें नहीं मिले थे। उलटे लाक्षागृह और अग्यातवास वगैरह के पैकेज के बाद युद्ध क्या भीषण युद्ध उन्हें लड़ना पडा था। अपनों से ही अपनों के खिलाफ़ युद्ध लड़ना कितना संघातिक तनाव लिए होता है, हम सब यह जानते हैं।

भ्रष्टाचार रोकने के लिए कानून की कम, हजारों अन्ना की जरूरत ज्यादा

किसी ने गणना की थी कि इस दुनिया में करीब तीन करोड़ तीस लाख कानून हैं। अगर दुनिया के लोग बाइबिल के टेन कमांडमेंट्स या गीता का निष्काम कर्म या कुरान की कुछ पवित्र आयतों को मानने लगें, तो शायद एक भी कानून की जरूरत न पड़े। लेकिन हमने न तो पवित्र ग्रंथों से कुछ सीखा, न ही इतने सारे कानूनों के बावजूद अपराध रुक पाए। भ्रष्टाचार दरअसल नैतिक प्रश्न ज्यादा है।

अन्ना हजारे को अरिंदम चौधरी ने ये क्या-क्या कह डाला!

अरिंदम चौधरी को तो जानते ही होंगे आप लोग. आईआईपीएम के फर्जीवाड़े का जनक और इसके जरिए पैदा हुआ शिक्षा माफिया. प्लानमैन कंसल्टेंसी और प्लानमैन मीडिया जैसी कंपनियों का सर्वेसर्वा. ये महोदय कई भाषाओं में मैग्जीन भी निकालते हैं. मीडिया का अच्छा खासा कारोबार शुरू किया हुआ है. और, ये महोदय दूसरे मीडिया हाउसों को जमकर विज्ञापन भी देते हैं ताकि इनके व्यक्तित्व की चकाचौंध बनी रहे और युवा छात्र-छात्राएं लाखों-करोड़ों रुपये लुटाकर उनके आईआईपीएम में पढ़ने जाएं.

बर्खास्त सिपाही सुबोध यादव ने अन्ना के मंच से लिया दो आईपीएस अफसरों का नाम

[caption id="attachment_21021" align="alignleft" width="85"]श्रीकांत सौरभश्रीकांत सौरभ[/caption]बुधवार की शाम आठ बजे अन्ना हजारे के आंदोलन की जानकारी के लिए जैसे ही टीवी आन किया, स्टार न्यूज पर एक खबर को देख नजरें बरबस ही उस पर ठहर गई. “अमिताभ ठाकुर यूपी के सबसे ईमानदार आईपीएस अधिकारियों में, जबकि स्पेशल डीजी बृजलाल उतने ही भ्रष्ट.” रामलीला मैदान के मंच से यूपी के बर्खास्त सिपाही सुबोध यादव के इस बयान को सुन हजारों की भीड़ तालियां पीट रही थी.

कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी जैसों की सदस्यता खत्म करने के लिए पहल करें

झारखंड आरटीआइ फोरम के अध्यक्ष बलराम ने एक पत्र देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त को लिख भेजा है. इस पत्र में उन्होंने नागरिकों चुनाव लड़कर आने की चुनौती देने वाले दो सांसदों कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी जैसों की सदस्यता खत्म करने के लिए पहल करने व प्रावधान बनाने का अनुरोध किया गया है. बलराम ने इसके पक्ष में कुछ तर्क दिए हैं. उनका तर्क कितना सही या गलत है, यह उनके पत्र से आपको पता चल जाएगा, जिसे हम नीचे हूबहू प्रकाशित कर रहे हैं. -एडिटर, भड़ास4मीडिया

अन्ना अनशन तोड़िए, भ्रष्टाचार के संरक्षकों को संसद में घेरिए

राजेश त्रिपाठीअन्ना आपसे करबद्ध प्रार्थना है अपने देश के इस अदने से इनसान  के कहने पर भगवान के लिए  अनशन तोड़ दीजिए। आपके जज्बे को प्रणाम, उस अक्षय ऊर्जा को प्रणाम जो नौ दिन बाद भी आपको जवां मर्दों की तरह दहाड़ने की कूबत दे रही है। आपकी जिंदगी हम सब देशवासियों के लिए बहुत जरूरी है। आपको इससे भी बड़ी लड़ाई लड़नी है।

मुनादी : एक बहत्तर बरस का बूढ़ा आदमी

धर्म भारती की कालजयी कविता ”मुनादी” मौजूदा माहौल में बहुत मौजू है. इसे प्रकाशित करने का अनुरोध बिशन कुमार ने किया है और उन्होंने पूरी कविता को भड़ास4मीडिया के पास भेजा है. आप भी इस कविता को पढ़ें और देखें कि हालात जो पहले थे, बिलकुल वैसे ही हैं, और, कह सकते हैं कि सत्ता तंत्र पहले से ज्यादा जनविरोधी, ढीठ, थेथर और अलोकतांत्रिक हो चुका है. जय प्रकाश नारायण के लिए लिखी गई यह कविता अन्ना पर भी सटीक है. -एडिटर, भड़ास4मीडिया

Critical and legal evaluation of Jan Lokpal Draft

अमिताभStatement of objects and reasons in any Act is always high sounding and jlp does not seem short of that but this does not really mean much because what matters are the provisions and their implementability. It basically wants to claim that it is an attempt to establish an “independent authority” to investigate offences under pc act…

दीपक चौरसिया ने अन्ना का अपमान किया!

जगमोहन फुटेलासन अस्सी के दशक के शुरू में मेरी पहली नौकरी लगी तो मैं उपसंपादक था और मेरी पहली तालीम ये कि जब भी किसी मसले पर किसी भी संस्था का सहमति या विरोध में कोई प्रेस नोट आए तो उसमें लिखे नामों में से कम से कम आधे ज़रूर छाप देना. बाकी आधे अगली बार.

ये हरामखोर बेइमान नेता अन्ना आंदोलन से फायदा उठाने में लग गए

सुभाष गुप्ता: खून चूसने वाले नेता अभी चेते नहीं… : अन्ना की लड़ाई देश भर के लोगों की लड़ाई  में बदल रही है। इसकी वजह भी है। दरअसल, ये लड़ाई  जन लोकपाल की लड़ाई से बहुत आगे निकल चुकी है। आजादी  के बाद नौकरशाही और नेताओं ने जिस तरह आम आदमी का खून  चूसा है…. ये लड़ाई उसी का नतीजा है।

इंडिया गेट टू जंतर-मंतर : अगस्त 2011 – ए लव स्टोरी… कुछ दृश्य

1-वो इंडिया गेट से जंतर-मंतर के बीच किसी चौराहे पर मिली. चेहरे पर खुशी-उल्लास. वही नारे लगा रही थी, जो लोग लगा रहे थे. अत्याचारी बंद करो. भ्रष्टाचार बंद करो. वो छुटकी रोजाना मसाले, सुर्ती, तंबाकू, सिगरेट, चने, मूंगफली बेचती है. उसके साथ उस जैसे कई बच्चे भी यही काम करते हैं. रोज कुआं खोद पानी पीने वाले हैं ये. स्कूल नहीं जाते क्योंकि सांसों की डोर के लिए ज्ञान की नहीं बल्कि चंद सिक्कों की जरूरत होती है.

पत्रकार रहे मनीष सिसौदिया हैं टीम अन्ना के पांचवें चाणक्य

आखिर क्या वजह है कि अन्ना आंदोलन की घोषणा करते हैं, और मीडिया में छा जाते हैं. आखिर क्या वजह है कि अन्ना के आगे हर बार सारी खबरें बौनी बन जाती हैं और अखबार से लेकर टीवी चैनल तक पर बस अन्ना अन्ना और अन्ना नजर आते हैं. पिछले चार दिनों से आलम कुछ ऐसा है कि क्रिकेट टेस्टमैच की खबरें भी कहीं पीछे छूट गईं और अन्ना 24 घंटे टीवी स्क्रीन पर चमकते रहे.

जनांदोलनों के साथ हूं, इसलिए… मैं अन्ना हजारे हूं – बयान दर्ज करें

मेरे एक मित्र पंकज झा, जो छत्तीसगढ़ भाजपा की मैग्जीन के संपादक हैं, ने सबसे एक सवाल पूछा है- ”जिन लोगों को अन्ना के इस आन्दोलन से काफी उम्मीद है उनसे एक असुविधाजनक सवाल पूछना चाहता हूं कि आखिर आज़ादी के बाद से अभी तक कितने आंदोलन को सफल होते उन्होंने देखा या सुना है? मेरे एक मित्र ने सही कहा कि गर्द-ओ-गुबार थम्हने दीजिए फिर सही तस्वीर देखिएगा.”

मेरा बयान दर्ज करें- मैं अन्ना हजारे नहीं हूं

RC Shuklaजब देश में कोई बड़ी घटना या दुर्घटना होती है तो पत्रकार होने की वजह से इलेक्ट्रानिक मीडिया की भाषा में मैं उसे क्लोज फ्रेम में देखता हूं.. मतलब एकदम नजदीक से.. कहा जाए तो खबरों को जीने का मौका मिलता है.. हर पल ब्रेकिंग न्यूज की तलाश.. प्रतिद्वंदी चैनल से हर हाल में आगे रहने की कोशिश.. ओबी प्लेसमेंट से लेकर रिपोर्टर्स की मूवमेंट तक..

हमारे प्रस्तावों की सरलता ही हमारी दिक्कत है – अनिल बोकिल

[caption id="attachment_20959" align="alignleft" width="151"]अनिल बोकिलअनिल बोकिल[/caption]: बातचीत : ‘अपनी आवश्यकता से अधिक वस्तुओं का संग्रह भी चोरी है।’ गांधीजी की इस उक्ति को अपने जीवन में अक्षरश: उतारने वाले अनिल बोकिल, 175 लाख करोड़ के घोटालों के युग में एक अजूबे की तरह हैं। उनसे फोन पर दिनेश चौधरी की हुई लंबी बातचीत के संपादित अंश यहां प्रस्तुत हैं:

अन्ना व बाबा के सवालों का सटीक जवाब है ‘अर्थक्रांति’

दिनेश चौधरीछत्तीसगढ़ के एक छोटे-से कस्बे बालोद में स्थानीय महावीर विद्यालय का सभागार खचाखच भरा हुआ है। वातावारण में थोड़ी उमस भी है। व्याख्यान प्रारंभ हुए कोई दो घंटे हो चुके हैं, फिर भी लोगों की एकाग्रता भंग नहीं हुई है। मजे की बात यह है कि व्याख्यान किसी धर्मगुरु का नहीं है, जो सरस पौराणिक गाथायें सुनाकर श्रोताओं को बांधे हुए हो।

क्या स्विस बैंक में सबसे ज्यादा धन नीरा राडिया ने जमा कर रखा है?

फेसबुक पर अमित मोदी नामक एक मीडियाकर्मी ने एक खुलासा किया है. उन्होंने इस खुलासे में यह तो कहीं नहीं लिखा है कि उनकी जानकारी का आधार, स्रोत क्या है पर उन्होंने जो कुछ बताया है, वह अगर सच है तो बहुत सनसनीखेज है. उन्होंने फेसबुक वालों को इस बात की मुबारकबाद दी है कि स्विस बैंक में काला धन जमा करने वालों का नाम व राशि का पता लग चुका है.

नेता खुश हुआ क्योंकि उसकी खींची लकीर पर मीडिया चल पड़ा

पुण्य प्रसून वाजपेयीमीडिया न हो, तो अन्ना का आंदोलन क्या फ़ुस्स हो जायेगा. मीडिया न होता, तो क्या रामदेव की रामलीला पर सरकारी कहर सामने आ नही पाता. और, सरकार जो खेल महंगाई, भ्रष्टाचार या कालेधन को लेकर खेल रही है, वह खेल बिना मीडिया के सामने आ नहीं पाता. पर जो कुछ इस दौर में न्यूज चैनलों ने दिखाया और जिस तरह सरकार ने एक मोड़ पर आकर यह कह दिया कि अन्ना की टीम संसद के समानांतर सत्ता बनाना चाहती है…

भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन के दौरान संत निगमानंद की जान गई

[caption id="attachment_20586" align="alignleft" width="142"]स्वामी निगमानंद जीस्वामी निगमानंद जी[/caption]एक दुखद खबर देहरादून से है. साधु निगमानंद की मौत हो गई. वे अनशन पर थे और कोमा में चले गए थे. उनका इलाज हिमालयन अस्पताल में चल रहा था. निगमानंद ने 19 फरवरी को अनशन शुरू किया था. वे दो मई को कोमा में चले गए थे. उसके बाद उनका उपचार किया जाता रहा पर वे वापस नहीं लौटे.

रामदेव के भाजपा एजेंट होने की चुगली करते ये दो वीडियो

: क्या भाजपा नेताओं के इशारे पर टूटा बाबा का अनशन? : निशंक-आडवाणी और निशंक-रामदेव वार्तालाप सुनिए :  उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने मीडिया वालों के सामने फोन पर आडवाणी और रामदेव से बातचीत की थी. यह बातचीत रामदेव के अनशन खत्म होने से ठीक पहले हुई.

बाबा रामदेव पर इंडिया टीवी वाले रजत शर्मा की टिप्पणी

Deshpremi Bharatvanshi नामक किन्हीं सज्जन ने deshpremi.bharat@gmail.com मेल आईडी से ग्रुप में मीडिया के सैकड़ों लोगों को एक मेल किया है, जिसमें एक लेख है और लेखक के बतौर इंडिया टीवी के मालिक रजत शर्मा का नाम है. चूंकि ये मेल रजत शर्मा की मेल आईडी या इंडिया टीवी की मेल आईडी से आफिसियली नहीं आया है, इसलिए ये कनफ्यूजन है कि वाकई ये लेख रजत शर्मा का है या नहीं.

असल में, हमारा समाज और सरकारी व्यवस्था लोकतांत्रिक नहीं है

राजकिशोर: यह नागरिक जमात क्या होती है : जब भारत सरकार ने जन लोकपाल विधेयक पर अण्णा हजारे और उनके समूह के साथ दोस्ती कर ली, तभी मुझे शक हो गया था कि सरकार ने बहुत मजबूरी में यह समझौता किया है और उसके भावी इरादे ठीक नहीं हैं। जन लोकपाल विधेयक वाकई एक रेडिकल विधेयक है और वह संसद द्वारा पारित हो गया, तो भ्रष्टाचार के एक बड़े और अहम क्षेत्र को प्रदूषण-मुक्त किया जा सकता है।

अन्ना हजारे, रामदेव और कांग्रेस (अंतिम)

दिनेश चौधरी: हां, मैं बिका हुआ हूं! : “आप अमेरिका के साथ हैं या नहीं हैं?”… 9/11 के बाद बुश ने सारी दुनिया से यही वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछा था और चूंकि वह दुनिया का दादा है इसलिए प्रश्न के उत्तर में “इनमें से कोई नहीं” वाला विकल्प नहीं रखा था। जिन्होंने उत्तर “नहीं” में दिया वे सब आतंकवादी कहलाये। प्रतिबद्धताओं को स्पष्ट करने-कराने की बुश की यह नीति कालांतर में काफी लोकप्रिय हुई।

भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का धुंआ देख उसे तुरंत बुझाने में क्यों जुटे सत्ताधारी?

हरिवंश: दुनिया के एक विख्यात न्यायविद, न्यायमूर्त्ति हैंड ने कहा था, आजादी के बारे में… नैतिकता या भ्रष्टाचार के प्रसंग में भी वही चीज लागू है…. उनका कथन था, आजादी मर्दों-औरतों के दिलों में बसती है. जब वहां यह मर जाती है, तब इसे कोई संविधान, कानून या अदालत नहीं बचा सकती… :

पारदर्शिता क्रांति में नेता, अफसर, व्यवसायी बाधक

: पर अब रोके न रुकेगा यह महाभियान : भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम से कांग्रेस के अंदर भी खदबदाहट मची है. कोई कांग्रेसी चाहकर भी रामदेव और अन्ना के आंदोलन को सपोर्ट नहीं कर पा रहा क्योंकि देश में भ्रष्टाचार की जमनोत्री-गंगोत्री कांग्रेस को ही माना जाता है, और, बाबा व अन्ना का आंदोलन कांग्रेस के राज करने के तौर-तरीके के खिलाफ है जिसके कारण लाखों करोड़ रुपये विदेश में ब्लैकमनी के रूप में जमा है.

अन्ना के मंच से उतारी गईं वामपंथी नेता

[caption id="attachment_20540" align="alignleft" width="94"]कविता कृष्णनकविता कृष्णन[/caption]नई दिल्ली : राजघाट पर जुटे अन्ना हजारे के हजारों समर्थकों ने जंतर-मंतर की तरह ही एक बार फिर भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में अन्य दलों के नेताओं को किसी भी तरह से जुड़ने नहीं दिया। अगर कोई पार्टी से जुड़ा व्यक्ति मंच पर दिखा भी तो उसे लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा और मजबूरन उस नेता को चुपचाप वहां से खिसक लेना पड़ा।

अन्ना हजारे, रामदेव और कांग्रेस – (एक)

दिनेश चौधरी: जब धर्म धंधे से जुड़ता है तो उसे योग कहते हैं- हरिशंकर परसाई : इस समय देश की राजनीति में कुकरहाव जैसा मचा हुआ है। पता नहीं आपके किस बयान को किस रूप में ले लिया जाये और हमले करने के लिये आप पर किसी प्रवक्ता को छोड़ दिया जाये। इन प्रवक्ताओं ने और कुछ किया हो या न किया हो, कुछ बातों को अच्छी तरह से स्थापित कर दिया है।

”अमूल बेबी” के बोल कब फूटेंगे

[caption id="attachment_20539" align="alignleft" width="94"]भूमिका रायभूमिका राय[/caption]: रामदेव से लेकर अन्ना और भाजपा तक को कुछ न कुछ मिला… हर बार की तरह इस बार भी ठगी गई सिर्फ जनता : एक बार फिर जनता ठगी-सी खड़ी है. अवाक है और परेशान भी। अवाक, क्योंकि जिन हाथों में उसकी सुरक्षा का दायित्व था, उन्हीं हाथों से उसे ज़ख्म मिले हैं और परेशान इसलिए, कि आखिर वो जाए तो जाए कहां?

बाबा व भक्तों पर जुल्म के खिलाफ आज ब्लैक डे मनाएं

यशवंत सिंहकुछ काम अन्ना ने किया और काफी कुछ बाबा ने कर दिखाया. अन्ना ने करप्ट कांग्रेसियों पर भरोसा किया और सरकार के झांसे में आ गए तो नतीजा ये है कि उन्हें अब रोना पड़ रहा है, मुद्दा पीछे छूट गया और तेवर पीछे रह गया. शेष है तो सिर्फ फिजूल की बैठकों का दौर और बेवजह की उठापटकों की चर्चाएं.

लोकपाल बन गया होता तो अनिल अंबानी अब तक जेल में होते

: अगर लोकपाल बन गया तो आधे मंत्री जेल में होंगे :  सरकार लोकपाल मामले को पटरी से उतारना चाहती है :  “2जी मामले में सीबीआई अगर निश्पक्ष तरीके से जांच कर रही होती तो अनिल अंबानी अब तक जेल में होते” ये बात कही जनलोकपाल पर बनी संयुक्त ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य प्रशांत भूषण ने सीएनईबी के सप्ताहिक कार्यक्रम क्लोज एनकाउंटर में। कार्यक्रम के होस्ट हैं वरिष्ठ पत्रकार किशोर मालवीय।

क्या प्रधानमंत्री को लूट की खुली छूट होनी चाहिए?

: स्वामी रामदेव के अनशन पर उठ रहे सवाल का जवाब भी मिलना चाहिए :  स्वामी  रामदेव का अनशन परेशानी खड़ी करने वाला है :  भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम ज्यादा अहम है : प्रधानमंत्री  के पास देश की सुरक्षा से जुड़ी सूचना होती है साथ ही कई मंत्रालय सीधे उसके हाथ में होते हैं तो क्या ऐसे में प्रधानमंत्री को लूट की खुली छूट होनी चाहिए? न्यायपालिका में भी भ्रष्टाचार किस हद तक अपनी जड़ें जमा चुका है?

रामदेव के सत्याग्रह पर पत्रकारों की तीन त्वरित टिप्पणियां

: अपरोक्ष सत्ता संघर्ष ही है बाबा रामदेव का आंदोलन : प्रकृति, मानवता, समाज, देश हित, ईमानदारी और सच्चाई की बातों का कौन समर्थन नहीं करना चाहेगा? सकारात्मक मानसिकता वालों की तो बात ही छोडिय़े, इन मुद्दों पर नकारात्मक सोच रखने वाले भी हां में हां करते नजर आते हैं, ऐसे में योग गुरू बाबा रामदेव की बातें किसी को भला क्यूं बुरी लगेंगी?

अन्ना ने खाया धोखा पर होगी बाबा की जीत

आलोक कुमार: स्वामी रामदेव के आगे केंद्र सरकार के सारे दांव विफल होते नजर आ रहे हैं : रामदेव के आंदोलन में है लोहिया की खुशबू : योग गुरू रामदेव हठयोग की वैभवकारी मुद्रा में हैं। बाबा की मुद्रा से सियासी कुर्सी की चूलें हिली हुई है। सत्याग्रह का दायरा अन्ना हजारे की तुलना में व्यापक है।

कांग्रेस के एजेंट अमर सिंह को एक्सपोज करने की जरूरत

: भड़ास पर अब न छपेगा अमर का कोई लेख, वचन या ब्लाग लेखन : इंडिया टीवी पर रजत शर्मा वाले कार्यक्रम आपकी अदालत को कल देख रहा था. इस कार्यक्रम में जज बने थे अमर उजाला के संपादक अजय उपाध्याय. कथित कठघरे में बैठे थे अमर सिंह. अमर सिंह ने वही सारी बातें कहीं जो उन्होंने पिछले दिनों मीडिया वालों से बातचीत के दौरान कही थी. उड़ि बाबा… जेनुइन है… उसी अंदाज में. शांति भूषण और प्रशांत भूषण की धज्जियां उड़ाए जा रहे थे.

आज सबसे कठिन है भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना उर्फ अन्ना की घेरेबंदी

हरिवंश: ईमानदार लोगों को समाज भी समय के साथ व्यावहारिक नहीं मानता : जब तक जेपी भ्रष्टाचार के खिलाफ चुप रहे, उन्हें शासक वर्ग पूजता रहा, जैसे ही, 74 में वह बोले, उन पर चौतरफा प्रहार शुरू हुआ, उनके गांधी शांति प्रतिष्ठान की जांच के लिए कुदाल आयोग बैठा : गांव का सीधा-साधा आदमी भ्रष्टाचार के खिलाफ आज लड़ना चाहता है, तो उसे इस कदर व्यवस्था घेर लेगी कि या तो वह आत्महत्या कर लेगा या दयनीय पात्र बन जायेगा :

फेसबुक पर शांति भूषण प्रशांत भूषण के पक्ष में एक लंबी बहस

Avinash Das : एक समाजवादी सज्‍जन और एक दलितवादी पत्रकार ने पूछा है कि शांतिभूषण की फीस 25 लाख क्‍यों? मैं ये पूछना चाहता हूं कि शांतिभूषण या प्रशांत भूषण ने वंचितों, संघर्षशीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के पक्ष में जितनी भी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ी, क्‍या उनसे भी फीस के रूप में 25 लाख रुपये वसूले?

अन्ना के समर्थन में और भूषण पिता पुत्र के खिलाफ

संपादक महोदय, भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल बजाने वाले अन्ना हजारे अपने कुछ साथियों पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों पर चुप क्यों हैं?  सरकार से भ्रष्ट मंत्रियों व भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की अपेक्षा रखने वाले अन्ना हजारे को अपनी टीम को आरोप मुक्त रखना होगा. इसीलिए जरूरी है कि भूषण पिता-पुत्र पर लग रहे आरोपों की स्वतंत्र जांच कराई जानी चाहिए और आरोपों की जांच पूरी होने तक भूषण पिता-पुत्र को ड्राफ्ट कमेटी से स्वतः हट जाना चाहिए या हटा दिया जाना चाहिए.

Lokpal- Gateway to the Promised World ?

Lokpal or Jan Lokpal or Ombudsman or whatever name you give to this organization, it is a person who is expected to act as a trusted intermediary between the Government and the general public which would act as a watchdog, an authority and a force to look into, receive, enquire into, act upon, prosecute and penalize corrupt public authorities.

अपने साथियों के भ्रष्टाचार पर अन्ना की चुप्पी के खिलाफ जंतर-मंतर पर होगा प्रदर्शन

: 25 अप्रैल को “न्याय करो अन्ना” की मांग के साथ जंतर मंतर पहुंचिए : भूषण पिता-पुत्र पर लगे आरोपों की जांच करवाएं अन्ना : इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एंड डोक्यूमेंटेशन इन सोशल साइंसेज (आईआरडीएस),  नेशनल आरटीआई फोरम तथा अन्य सहयोगी संगठनों द्वारा “न्याय करो अन्ना” की मांग के साथ एक प्रदर्शन का आयोजन 25 अप्रैल 2011 को 10 बजे से 1.30 बज तक जंतर मंतर पर किया जा रहा है.

अमर सिंह ने अपने ब्लाग पर भी भूषण पिता-पुत्र को दौड़ाया

अमर सिंह पिछले कुछ दिनों से अच्छा खासा मनोरंजन कर रहे हैं. देश की जनता मजे ले रही है. अमर सिंह टीवी पर प्रकट होकर जिस जिस तरह की आवाजें निकालकर भूषण पिता पुत्र को गरिया रहे हैं, वो बहुतों को पसंद आया. खुद को झंडूबाम कहने वाले अमर सिंह की खासियत यह है कि जब वे आगबबूला होते हैं किसी के खिलाफ तो झंडूबाम नहीं बल्कि बम हो जाते हैं.

हाईकोर्ट ने लोकपाल बिल ड्राफ्टिंग कमिटी मामले में एटार्नी जनरल को तलब किया

अधिवक्ता अशोक पांडे और सामाजिक कार्यकर्त्री डॉ नूतन ठाकुर के लोकपाल बिल के ड्राफ्टिंग कमिटी से सम्बंधित एक रिट याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ खंडपीठ ने आज भारत के एटार्नी जनरल को आदेशित किया है कि वे कोर्ट में उपस्थित होकर इस सम्बन्ध में स्थिति स्पष्ट करें. साथ ही कोर्ट ने प्रधान मंत्री कार्यालय, कैंबिनेट सेक्रेटरी तथा विधि व न्याय मंत्रालय को भी नोटिस जारी कर अपना जवाब देने को कहा है.

भूषण पिता पुत्र का एक और कारनामा, माया सरकार से खूब ली माया

पुराना बवाल खत्म नहीं हो रहा है कि नया बवाल शुरू हो जा रहा है. ताजी खबर यह है कि शांति भूषण प्रशांत भूषण फेमिली प्राइवेट लिमिटेड ने यूपी की मायावती सरकार से भरपूर माया दबाया है. इन पिता-पुत्र ने करीब सात करोड़ रुपये के दो फार्महाउस मार्केट रेट से करीब वन फोर्थ सस्ते में झटक लिया. और, माया सरकार ने माया हस्तांतरण का ये कारनामा अपने विवेकाधीन कोटे से किया है. इस नए घटनाक्रम से शांति और प्रशांत की खराब चल रही शांतिपूर्ण जिंदगी में खलल की मात्रा और ज्यादा बढ़ गई है.

किस मुस्लिम नेता ने दिल्ली के पत्रकारों को पीसी में दो हजार रुपये बंटवाए?

मेल टुडे में आज एक न्यूज पब्लिश हुई है. RAISINA Tattle शीर्षक के वाले कालम में प्रकाशित न्यूज के मुताबिक पिछले दिनों दिल्ली में एक प्रमुख मुस्लिम संगठन की तरफ से आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों को लिफाफे में बंद कर दो दो हजार रुपये दिए गए. कुछ पत्रकारों ने जब लिफाफा खोलकर देखा तो उनके होश उड़ गए. इन लोगों ने तुरंत मुस्लिम नेता से शिकायत की और लिफाफे लौटा दिए. मुस्लिम नेता बचाव की मुद्रा में आ गए और उन्होंने इस करतूत को अपने मीडिया मैनेजरों पर थोप दिया.

भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम का पहला राउंड सोनिया गाँधी ने जीता

शेष नारायण सिंह: एक विश्लेषण : अन्ना हजारे का आन्दोलन उच्चकोटि की राजनीति का उदाहरण है : पर आसानी से हार नहीं मानने वाले हैं हमारे देश के प्रोफेशनल नेता : अन्ना हजारे के अनिश्चितकालीन अनशन के दौरान मैं अस्पताल में पड़ा था. मुझे तो पीड़ा थी लेकिन डाक्टरों ने कहा कि बहुत ही मामूली बीमारी है. जो भी हो उस दौर में कुछ लिख नहीं पाया.

घनघोर दिनों में अचानक इतना उजास… क्या यही चमत्कार है!

नीरज भूषण भावनाओं का महल, मृगतृष्णाओं का पहाड़; सूनी-सहमी आत्माएं, अवाक खड़ा देश…  कहीं यह अप्रैल फूल तो नहीं : तब हमें देश की जनसँख्या बताई गई थी. हम सवा अरब हो चुके थे. इतने सारे मानव. इतने सारे. हमें लगने लगा– चंद दानवों को तो चुटकी में ही मसल देंगे. तभी हमनें दर्जन भर क्रिकेट खेलने वाले देशों की महफिल में वर्ल्ड कप पर भी कब्ज़ा जमाया था.

जब तक मैं जिंदा हूं, ब्लैकमेल करता रहूंगा : अन्ना हजारे

अन्ना हजारे को पकड़ने की होड़ मीडिया हाउसों में लगी हुई है. सब उन्हें गेस्ट एडिटर बना रहे हैं. शुरुआत की टाइम्स आफ इंडिया ने. उसके बाद भास्कर वालों ने अन्ना को पकड़ा. टाइम्स आफ इंडिया आफिस में अन्ना ने पत्रकारों के सवालों के जवाब भी दिए. अन्ना के टीओआई व नभाटा के गेस्ट एडिटर बनाए जाने पर एक रिपोर्ट नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हुई है. इस रिपोर्ट को पढ़ने से पता चलता है कि अन्ना का विजन व विश्वास कितना साफ है. रिपोर्ट इस प्रकार है…

अन्ना की चिट्ठी में सोनिया से सवाल, दिग्गी को फटकार

सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर जज ने करप्शन पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए राहुल गांधी को पत्र लिखा तो राहुल ने ऐसा जवाब दिया कि इस जवाब में खुद राहुल फंस गए और उनकी फजीहत होने लगी. अब अन्ना हजारे ने राहुल की मां को लेटर लिख दिया है. इस चिट्ठी में अन्ना हजारे ने ऐसी बातें कहीं हैं जिसका जवाब सोनिया गांधी को देना होगा और यकीन मानिए, सोनिया बोलेंगी तो फंसेंगी. चोरों की सरकार की माता उर्फ संरक्षणदाता तो वही हैं. आइए, पढ़ते हैं, अन्ना ने आखिर लिखा क्या है…

ये है अमर सिंह – शांति भूषण – मुलायम सिंह यादव की बातचीत का टेप, आडियो प्लेयर पर क्लिक करके सुनें

जिस टेप ने भूषण पिता-पुत्र की नींद हराम कर रखी है, पुलिस में शिकायत दर्ज करने को मजबूर किया, फोरेंसिक एक्सपर्ट्स से जांच करवाना पड़ा, और जिस टेप ने अन्ना हजारे की टीम में विभेद पैदा करने की कोशिश की, उस टेप को पहली बार पब्लिकली प्रसारित किया जा रहा है. और यह प्रसारण भड़ास4मीडिया पर आप यहीं सुनेंगे.

विवादित सीडी की बातचीत भास्कर में प्रकाशित

पूर्व कानूनमंत्री और अपने पिता शांति भूषण और सपा प्रमुख मुलायम सिंह एवं अमर सिंह की कथित बातचीत के टेप को गंभीर साजिश बताते हुए सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने सीडी को फर्जी करार दिया है. उनका दावा है कि यह जोड़-तोड़ कर तैयार की गई है. इस मामले में उन्‍होंने अमर सिंह का हाथ होने का शक जताते हुए सरकार के लोग के शामिल होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया.

गेस्‍ट एडिटर अन्‍ना हजारे ने संभाली भास्‍कर की कमान

सिने स्‍टार अभिषेक बच्‍चन कल प्रभात खबर के अतिथि संपादक थे तो भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आइकन बन चुके अन्‍ना हजारे दैनिक भास्‍कर के गेस्‍ट एडिटर थे. गेस्‍ट एडिटर के रूप में अन्‍ना ने अखबार प्रकाशन की बारीकियों को भी समझा. उन्‍होंने दैनिक भास्‍कर के लिए विशेष संपादकीय लिखा. जिसे दैनिक भास्‍कर से साभार लेकर नीचे प्रकाशित किया जा रहा है.

शांति भूषण की ईमानदारी की गारंटी नहीं देंगे अन्ना हजारे

: स्वामी अग्निवेश ने शांति भूषण सीडी प्रकरण में अमर सिंह का हाथ होने का शक जताया : शांति भूषण को लेकर जो सीडी इस समय चर्चा में है, उसे अमर सिंह से जोड़ा जा रहा है. स्वामी अग्निवेश का कहना है कि शांति भूषण सीडी प्रकरण में अमर सिंह पर शक हो रहा है. स्वामी अग्निवेश का कहना है कि उन्हें उनके करीबी लोगों ने जो जानकारी दी उसके मुताबिक अमर सिंह अपनी खाल बचाने के लिए सीडी का इस्तेमाल कर सकते हैं. स्वामी अग्निवेश का कहना है कि शांति भूषण ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है, इसलिए उनके कई बड़े दुश्मन हो सकते हैं.

राहुल गांधी से ऐसे घटिया जवाब की उम्मीद नहीं थी

यशवंत सिंहराहुल जब दलित के घर जाकर रात में रुकते हैं, वो हीरो बनना नहीं था. राहुल जब यूपी की सड़कों पर गाड़ियों के काफिले के साथ यात्रा करते हैं तो वो हीरो बनना नहीं था. अन्ना हजारे अगर आमरण अनशन कर बैठे और भ्रष्टाचार के खिलाफ हल्लाबोल कर बैठे तो यह इसलिए कर बैठे क्योंकि वो हीरो बनना चाहते थे. बहत्तर वर्ष का आदमी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सार्थक बिल लाने की मांग करते हुए आमरण अनशन कर देता है और देश भर के लोगों को अपने साथ कनेक्ट कर लेता है, तो यह परिघटना राहुल को पच नहीं रहा.

शांति और प्रशांत भूषण के खिलाफ स्टांप चोरी का वाद दायर, जवाब तलब

: 1.33 करोड़ के स्टाम्प शुल्क कमी से लटकी रजिस्ट्री : 20 करोड़ की भूमि एक लाख में ली : इलाहाबाद के पॉश इलाके सिविल लाइंस में लगभग बीस करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति (भवन सहित 7818 वर्गमीटर भूमि) की पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण एवं उनके वरिष्ठï वकील पुत्र प्रशान्त भूषण, द्वितीय पुत्र जयन्त भूषण एवं पुत्री शेफाली भूषण द्वारा करायी जा रही रजिस्ट्री एक करोड़ तैंतीस लाख सात हजार नौ सौ रुपये मूल्य के स्टाम्प की कमी के कारण विवाद में फंस गयी है।

शांति भूषण और प्रशांत भूषण ने एक लाख में ले ली 20 करोड़ रुपये की संपत्ति

: लखनऊ और इलाहाबाद से प्रकाशित डेली न्यूज एक्टिविस्ट ने किया खुलासा : पिता-पुत्र ने किया स्टाम्प शुल्क कानून के प्रावधानों का उल्लंघन : इलाहाबाद। क्या आप विश्वास करेंगे कि कोई व्यक्ति 20 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की सम्पत्ति अपने किरायेदार को मात्र एक लाख रुपये में ‘एग्रीमेंट टू सेल’ कर देगा। नहीं न, लेकिन यह एक चौंकाने वाली हकीकत है।

खैर मनाएं कि मैंने बरखा दत्त पर चप्पल नहीं फेंका : योगेश शीतल

योगेश कुमार शीतल: इंटरव्यू : बिहार के बेगूसराय के रहने वाले योगेश कुमार शीतल के नाम में भले ही शीतल शब्द जुड़ा है लेकिन हैं वे फायरब्रांड. उनकी कद काठी और चेहरे मोहरे से आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि उनके दिल में भ्रष्ट व्यवस्था और भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कितनी आग है. योगेश कुमार शीतल ने इंडिया गेट पर करप्शन के खिलाफ जनसैलाब को कवर करने आईं एनडीटीवी की ग्रुप एडिटर बरखा दत्त को भागने पर मजबूर कर दिया.

Why Media and Civil society failed to raise Corruption issue in Bihar?

The Anna Hazare wave has reached Bihar like in many other parts of the country. Students, teachers, senior citizens and many activists took to roads on Friday expressing their solidarity to Anna Hazare, who is on fast unto death to pressurize government for bringing Jan Lok Pal Bill to curb rampant corruption in our system. Corruption is all pervasive and accepted fact of our life.

शिवेंद्र की चर्चा नहीं, लोग अन्‍ना-अन्‍ना की रट लगा रहे हैं

करप्‍शनजिस जन लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर अन्‍ना ने अनशन कर सरकार को झुकने को मजबूर कर दिया उसके पीछे दरअसल एक गुमनाम शख़्स की अहम भूमिका है. इस शख़्स का नाम है- शिवेंद्र सिंह चौहान. [ http://www.facebook.com/shivendraschauhan ] सोशल एक्टिविस्ट अरविंद केजरीवाल के सतत अभियानों को जन जन तक पहुंचाने का प्रयास असल में शिवेंद्र का ही है.

बरखा के खिलाफ मुहिम तो 6 अप्रैल को ही शुरू हो गयी थी…

वरिष्ठ पत्रकार अनंत मित्तल की अगुवाई में लगभग 50 मीडिया छात्र और पत्रकार 6 अप्रैल को जंतर मंतर पर पूरे दिन अन्ना के समर्थन में उपवास पर बैठे थे… उसी दिन शाम को एनडीटीवी का रिपोर्टर आया और हम सबसे कहने लगा कि अन्ना के आन्दोलन पर बरखा दत्त लाइव कर रही हैं, आप लोग आ जायें… लेकिन इस पर अनंत जी ने बरखा का नाम सुनते ही मना कर दिया उन्होंने कहा कि पत्रकारों की फजीहत कराने वाली बरखा दत्त को कोई अधिकार नहीं है भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रोग्राम करने का…

नीरा राडिया की दलाल बरखा दत्त वापस जाओ!

[caption id="attachment_20106" align="alignnone" width="505"]योगेश कुमार शीतल : शानदार कामयोगेश कुमार शीतल : शानदार काम[/caption]

: इंडिया गेट पहुंची बरखा को जनविरोध के कारण भागना पड़ा : नारेबाजी की शुरुआत करने वाले आईआईएमसी छात्र को डर है कि एनडीटीवी उस पर झूठा केस कर सकता है :

जागरण वालों ने अन्ना के नाम पर माल पीटा

भ्रष्टाचार मिटे या न मिटे, लेकिन दैनिक जागरण वालों ने अपने खजाने में कुछ माल बढ़ा लिया है भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना के अभियान से. आप अचरज में पड़ जाएंगे कि आखिर कैसे. बताते हैं आपको. ये तो आप जानते ही हैं कि धंधा करने में जागरण वाले बहुत तेज हैं. तन बेच देंगे, मन बेच देंगे, मुर्दे का कफन बेच देंगे और जरूरी हुआ तो वतन भी बेच देंगे. इसी टाइप की सोच से प्रेरित जागरण समूह से आप भी धंधा करना सीख सकते हैं. धंधा करने का इनके हिसाब से मतलब यही होता है कि कोई भी मौका मत छोड़िए.

”एनडीटीवी वाले मुझे झूठे केस में फंसा सकते हैं”

[caption id="attachment_20105" align="alignleft" width="94"]योगेशयोगेश[/caption]इंडिया गेट पर बरखा दत्त के लाइव प्रागाम में मेरे कुछ साथियों को शामिल होने के लिए बुलाया गया था। कार्यक्रम में बरखा को देख मैं अपने पर नियंत्रण कर पाने में असफल हो गया और आपस में ये निर्णय करके कि बरखा को इस मौके पर रिर्पोटिंग का नैतिक अधिकार नहीं है हमलोगों ने चप्पल चलानी चाही, लेकिन एक साथी के कहने पर ठहर गए।

जंतर मंतर डायरी – पांच

: अन्ना, जेएस वर्मा की यही ईमानदारी है! : पिछले पांच अप्रैल से दिल्ली के जंतर-मंतर पर आमरण अनशन कर रहे अन्ना हजारे की ओर से जन लोकपाल बिल को लेकर कुछ सुझाव आये हैं। उन सुझावों को कल शाम मीडिया से साझा करते हुए आंदोलन के मुख्य सहयोगी अरविंद केजरिवाल ने बताया कि ‘अन्ना चाहते हैं, जन लोकपाल के मसौदा समिति का अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायधीश जेएस वर्मा या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश रह चुके संतोष  हेगड़े को बनाया जाये।’

हाईकोर्ट, प्रेस क्लब और जंतर-मंतर : एक रोजनामचा

कल दिल्ली हाईकोर्ट गया था. एचटी मीडिया ने जो मानहानि का मुकदमा कर रखा है उसी की तारीख थी. कोर्ट में क्या क्या हुआ और आगे क्या होने वाला है, उसकी जानकारी आप नीचे के वीडियो लिंक पर क्लिक करके देख-सुन सकते हैं. वहां से जब फ्री हुआ तो प्रेस क्लब आफ इंडिया गया. खाना खाने. प्रेस क्लब में नए लोग जबसे चुनाव जीतकर आए हैं तबसे जाना नहीं हुआ.

अन्ना को कहीं पिपली का नत्था न बना दें ये लोग

राजेश रंजनअन्ना और नत्था में अंतर तो बहुत हैं लेकिन बहुत समानता भी देखी जा सकती है या कहें कि खोजी जा सकती है। नत्था की जमीन गिरवी पर थी, बचाने के लिए उसने सोचा जान ही दे दी जाए। अन्ना का देश गिरवी पर है, बचाने के लिए जान देने के लिए तत्पर हैं। वहाँ पिपली था, यहाँ जंतर-मंतर है। तमाशा जारी है।

फेसबुक पर अन्ना को लेकर दिलीप मंडल और प्रमोद जोशी आमने-सामने

फेसबुक पर इन दिनों अन्ना ही अन्ना छाए हैं. दिलीप मंडल ने कुछ शंकाएं जाहिर की हैं. उन शंकाओं का समाधान किस तरह हो रहा है, आप देख-पढ़ सकते हैं. बहुत रोचक बहस है. आपभी इसमें शरीक हों. शुरुआत दिलीप के उस स्टेटस से, जिस पर बहस शुरू हुई- Dilip Mandal : लोकपाल बिल बनाने के लिए सिविल सोसायटी के सदस्यों का चुनाव कैसे होगा? सिक्का उछालकर? अन्ना के लिए गानो वालों, हमारा ज्ञान बढ़ाओ। हम तो सिविल सोसायटी हैं नहीं। आप हो, तो बताओ?

जंतर मंतर डायरी – चार

किशन बाबूराव ऊर्फ अण्णा हजारे के आमरण अनशन का गुरुवार को तीसरा दिन था. उन्हें समर्थन देने वालों का जमावड़ा लगा रहा. इनमें चलचित्र जगत के कई नाम शामिल थे. जंतर-मंतर पर पिछले तीन दिन से मोमबत्ती ब्रिगेड सक्रिय है. जगह-जगह मोमबत्तियां जलाई जा रही हैं. इस दृश्य को अपने कैमरे में कैद करने के लिए टीवी वाले सक्रिय हैं. शॉट को और सजीव और जीवंत बनाने के लिए वे मोमबत्तियां और झंडे बांटते नजर आए. एक अदद बेहतर विजुअल का सवाल था.

जंतर मंतर डायरी – तीन

दिल्ली में एक जगह है जंतर-मंतर। वहां तीन दिन से अन्ना हजारे धरना दे रहे हैं। उनके धरने को देखने बहुत लोग लगातार जा रहे हैं। वहां से लौट रहे लोग बता रहे हैं कि अन्ना हजारे के जज्बात देखने लायक हैं। 78 वर्ष की उम्र में उन्होंने महाराष्ट्र से दिल्ली आकर जो काम कर दिखाया है, वह कोई नहीं कर सका है। लोग यह भी कह रहे हैं कि उन्होंने एक ऐसा अनशन किया है जो देश में भ्रष्टाचार खत्म करने के बाद ही खत्म होगा। जोशीले  लोग इसी बात को ‘दूसरे गांधी का दूसरा स्वतंत्रता आंदोलन’ के रूप में समझाने की कोशिश कर रहे हैं।

जंतर मंतर डायरी – दो

किशन बाबूराव हजारे ऊर्फ अण्णा हजारे मंगलवार से दिल्ली के जंतर-मंतर पर बैठे हैं. वे कुछ खा -पी नहीं रहे हैं. उनकी मांग है कि सरकार जन लोकपाल विधेयक को पास करे. उन्होंने घोषणा की है कि अगर सरकार जन लोकपाल विधेयक को पास नहीं करेगी तो वे यहीं बैठे-बैठे जान दे देंगे. उनके समर्थन में वहाँ 169 अन्य लोगों ने भी आमरण  अनशन  कर लिया है. मीडिया में लगातार खबरे आ रहीं हैं कि अण्णा के समर्थन में देश के अन्य शहरों में भी बड़ी संख्या में लोगों ने खाना-पीना छोड़ दिया है.

जंतर मंतर डायरी – एक

अजय प्रकाश: भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्नावतार : ये अन्ना के आमरण अनशन की पहली सुबह थी. कल से लगातार खट रहे कैमरे खामोश थे और मीडिया वाले ऊंघ रहे थे. कुछ चाय की चुस्कियों से अपनी थकान मिटाने की कोशिश कर रहे थे. तो कुछ चहलकदमी करके पैरो में सिमट आई एकरसता तोड़ रहे थे. सूरज आसमान में चढ़ रहा था और जिंदगी फुटपाथ पर उतरने लगी थी. अन्ना के समर्थन में लगे नारों -पोस्टरों को देख लोगबाग पूछे जा रहे थे, जन लोकपाल बिल क्या होता है.

क्या टाई के बगैर गंभीर पत्रकारिता नहीं हो सकती?

काश , शरद जोशी आज जिंदा होते! तो शरद जोशी को सचमुच बहुत सुख मिलता यह देख कर कि लापतागंज (सब टीवी पर आने वाला उनकी कहानिओं पर आधारित सीरिअल) उनकी महज़ एक व्यंग्यात्मक कल्पना नहीं थी बल्कि यह हकीकत है. और इसे हकीकत बनाया है “खबर हर कीमत पर”  का दम भरने वाले एक हिंदी खबरिया चैनल, IBN7 ने.  यह बात हमारे जैसे तमाम दर्शकों को पता ही नहीं चलती अगर आपने (यशवंत) हमें उकसाया नहीं होता IBN7 देखने के लिए, यह कह कर कि यह चैनल अन्ना हजारे के अनशन का बेहद व्यापक कवेरेज कर रहा है.

अन्ना हजारे का अनशन एक ड्रामा है!

लेखक मदन कुमार तिवारी बिहार के गया जिले के हैं. वहां एक धाकड़ वकील के रूप में जाने जाते हैं. भड़ास से लंबे समय से जुड़े हुए हैं. बेबाकबयानी के लिए चर्चित हैं. भड़ास में प्रकाशित होने वाले आलेखों पर खुलकर टिप्पणी देते रहते हैं. उन्होंने अन्ना हजारे के आंदोलन की जो लहर चल रही है, उसमें उल्टी दिशा में तैरने की कोशिश की है. इस बाबत उन्होंने एक संक्षिप्त पत्र भी मुझे लिखा है, पत्र पढ़ने के बाद उनका लेख पढ़ें. पत्र यूं है-

लोकपाल पद पर बैठे किसी आदमी में हिटलर की आत्मा प्रवेश कर गई तो?

Ajit Anjum : सैद्धांतिक तौर पर मैं अन्ना हजारे के साथ हूं. भ्रष्ट नेताओं और नौकरशाहों पर नकेल कसने की ताकत से लैश लोकपाल इस देश में होना ही चाहिए. लेकिन अब मेरे जेहन में एक सवाल है. मैंने अन्ना की टीम की तरफ से तैयार जन लोकपाल बिल को दो बार पढ़ा है. इसमें लोकपाल को असीम अधिकार दिए जाने की बात कही गई है. इसके खतरे भी हैं. अगर लोकपाल के पद पर कोई बैठे किसी आदमी में हिटलर की आत्मा प्रवेश कर गई तो?

एक कार्टूनिस्ट की नजर में अन्ना का आंदोलन

जनसंदेश टाइम्स अखबार के सीनियर डिजायनर सुशील दोशी ने अन्ना हजार के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान पर एक कार्टून बनाकर भेजा है. उसे यहां प्रकाशित किया जा रहा है. अन्ना हजारे के आंदोलन को मीडिया ने जोरदार तरीके से सपोर्ट किया है. अखबारों और चैनलों ने भरपूर कवरेज दिया है और दे रहे हैं. यह बहुत अच्छी स्थिति है. उम्मीद बंधने लगी है कि बाजार के लाख दबाव के बावजूद कुछ करने की गुंजाइश है. और यह भी कि आखिरकार जनता की भावनाओं को देर तक दबाया और इगनोर नहीं किया जा सकता. फिलहाल ये कार्टून देखें…

सोनिया मांग मान लेंगी और अन्ना का आंदोलन खत्म करा देंगी!

: देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए अन्ना के साथ खड़े हो जाएं : एक सज्जन कह रहे थे, देखना, सोनिया गांधी बहुत ऊंची राजनीतिज्ञ हैं। वह अन्ना हजारे की मांग मान लेंगी और उनका आंदोलन खत्म करा देंगी। मेरे मन में यह सवाल बार-बार उठ रहा है कि अगर मांगें मानकर आंदोलन खत्म कराना है, तो इसमें ऊंचा होना कहां हुआ? ऊंचे तो अन्ना हजारे ही साबित हुए, जिन्होंने कुंभकर्णों को अहसास करा दिया है कि भारत की जनता को निर्जीव मानने की भूल करोगे, तो पछताओगे।

उत्तर प्रदेश के दो भ्रष्‍ट मंत्रियों की छुट्टी

: ये हैं अनंत कुमार सिंह अंतू और बाबू सिंह कुशवाहा : भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे देश में माहौल बनता जा रहा है. दिल्ली में अन्ना हजारे अनशन पर बैठे तो शरद पवार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बने मंत्रियों के समूह से इस्तीफा देना पड़ा. आज खबर यूपी से है. हालांकि यूपी में जो हुआ है उसका सीधा संबंध अन्ना हजारे के अनशन से नहीं है लेकिन कहीं न कहीं ये माना जा रहा है कि जनता में भ्रष्टाचार के खिलाफ पैदा हुए आक्रोश को देखते हुए कई प्रदेशों के मुख्यमंत्री अब भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने लगे हैं.