दिमाग को चेंज कर रहा है फेसबुक!

वॉशिंगटन : फेसबुक पर कितने मित्र हैं आपके? हाल ही में हुए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि सोशल नेटवर्किंग साइट पर ढेर सारे दोस्तों वाले व्यक्तियों के दिमाग में एक खास तरह का पदार्थ ज्यादा सघन पाया जाता है जिससे इस बात की संभावना बढ़ी है कि इस तरह के साइट लोगों के दिमाग को बदल रहे हैं।

लफंगों की आखिरी शरणस्थली होती है देशभक्ति

आनंद प्रधानदेश में पत्रकारिता छात्रों को तैयार करने वाले प्रीमियर इंस्टीट्यूशन इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) के प्रोफेसर आनंद प्रधान की हिम्मत की दाद देनी चाहिए. शिक्षण जैसे पेशे में और खासकर पत्रकारिता जैसे पेशे के लिए नौनिहाल तैयार करने वाले काम में वर्तमान में इस कदर खरी-खरी बोलने और लिखने वाले अध्यापक बेहद कम हैं.

दुनिया का हर नौवां व्‍यक्ति फेसबुक परिवार का सदस्‍य

नई दिल्ली। पहले ‘ट्विटर’ और अब ‘गूगल प्लस’ जैसे दो प्रबल प्रतिद्वंद्वियों के मैदान में आने के बावजूद विश्‍व की सबसे लोकप्रिय सोशल नेटवर्किग वेबसाइट फेसबुक के सदस्यों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है और अब दुनिया का हर नौवां व्यक्ति फेसबुक ‘परिवार’ का सदस्य है। सोशल नेटवर्किग वेबसाइटों पर नजर रखने वाली वेबसाइट ‘ऑनलाइन सोशल मीडिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में माइक्रो ब्लागिंग वेबसाइट ट्विटर के सदस्यों की संख्या 20 करोड़ हुई है।

आजतक पर घंटे भर लहराती रही नागिन

: एनडीटीवी वाले भूंकप में मर चुके लोगों को ही पांच-पांच लाख रुपये दिलवाने पर आमादा : बीबीसी को भी सिक्किम में आए भूकंप में दिखता है ‘नजारा’ : फेसबुक पर पत्रकार साथी सुशांत झा ने अपने जो स्टेटस अपडेट किया है, उसे पढ़कर लोग खूब मजे ले रहे हैं. खबर देने वालों की खबर लेने का काम इन दिनों फेसबुक और ट्विटर पर खूब हो रहा है. सुशांत झा के ताजे स्टेटस के बहाने आजतक, एनडीटीवी इंडिया और बीबीसी हिंदी को कठघरे में खड़ा किया गया है.

क्या स्विस बैंक में सबसे ज्यादा धन नीरा राडिया ने जमा कर रखा है?

फेसबुक पर अमित मोदी नामक एक मीडियाकर्मी ने एक खुलासा किया है. उन्होंने इस खुलासे में यह तो कहीं नहीं लिखा है कि उनकी जानकारी का आधार, स्रोत क्या है पर उन्होंने जो कुछ बताया है, वह अगर सच है तो बहुत सनसनीखेज है. उन्होंने फेसबुक वालों को इस बात की मुबारकबाद दी है कि स्विस बैंक में काला धन जमा करने वालों का नाम व राशि का पता लग चुका है.

भड़ासी चुटकुला (24)

ये चुटकुला मीडिया पर नहीं है, मीडिया से संबंधित नहीं है. ”भड़ासी चुटकुला” में अब तक मीडिया से संबंधित चुटकुले ही शामिल किए जाते रहे हैं, लेकिन आज एक नान-मीडिया जोक पब्लिश किया जा रहा है. यह चुटकुला एक मित्र ने मुझे एसएमएस किया. इतना सटीक लगा और पसंद आया कि इसे मैंने फेसबुक पर डाल दिया. फेसबुक पर मेरे दो एकाउंट हैं. एक में पांच हजार दोस्त हैं. फ्रेंड लिमिट पूरी होने से दूसरे नया एकाउंट बनाया जिसमें करीब साढ़े छह सौ दोस्त हैं.

दिलीप मंडल का दोगला चरित्र उजागर

जब से आईआईएमसी सवालों के घेरे में आया है तभी से वहाँ के हिन्दी पत्रकारिता के निदेशक प्राध्यापक आनन्द प्रधान चुप हैं. सूत्रों के अनुसार कुछ कहते भी हैं तो बस इतना ही कि जो हुआ वो कागजी या तकनीकी गलती के कारण हुआ. चलिए एक बार को ये मान भी लें तो कोई बात नहीं, जब कभी ऐसे मामले उजागर होने शुरू होते हैं तो आम तौर पर ऐसे ही नन्हे-मुन्ने बयान रटी-रटाई अवस्था में सामने आते हैं.

एनडीटीवी के रवीश ने आम्रपाली के अनिल से पूछा- कितने पत्रकार फोन करते हैं?

Ravish Kumar : कल मैंने आम्रपाली के सीएमडी से सवाल कर दिया कि कितने संपादक पत्रकार आपको फ्लैट में डिसकाउंट के लिए फोन करते हैं अभी प्राइम टाइम में बता दीजिए। मुझे यह भी मालूम है कि आप बिल्डरों के भय से कई पत्रकार ख़बर नहीं लिख पाते। तो इतनी बेचारगी समझ नहीं आ रही है आप लोगों की। अनिल शर्मा मुस्कुराते ही रहे। शायद जानते होंगे कि ऐसे टिटपुंजिया पत्रकारों के उत्साही सवालों से ज़मीनी हकीकत को ठेंगा न फर्क पड़ता है।

”आज विश्व टेलीकाम दिवस है, मन कर रहा है मोबाइल उठाकर जंगल में फेंक दूं”

Anand Pradhan : आज विश्व टेलीकाम दिवस है और मन कर रहा है कि आज अपने मोबाइल को उठाकर जंगल में फेंक दूँ… तंग आ गया हूँ…दिन भर बिल्डरों के मेसेजेज पढकर और फ़ालतू के फोन सुनकर…ये भी कोई जिंदगी है..

फेसबुक पर मदिरा महात्म्य… अथ श्री राजू मिश्रा उवाच

वेब-ब्लाग ने बहुत से लोगों को मंच प्रदान किया है. संपादकों से दूर. संपादन से परे. जो दिल में वो जमाने के सामने. इंटरनेट ने पोर्टल, ब्लाग, फेसबुक और ट्विटर जैसे माध्यमों के जरिए इस सदी के मनुष्यों को अभिव्यक्ति की सबसे बड़ी आजादी दी है. इसी कारण इसे न्यू मीडिया और भविष्य का मीडिया कहा जाता है. फेसबुक पर हिंदी समाज के लाखों लोग सक्रिय हैं. पत्रकार से लेकर आम पढ़े लिखे युवक तक फेसबुक के जरिए अपनी फोटो, विचार, भावना आदि को व्यक्त करते हैं.

लंदन का ‘शाही शादी कांड’ और रवीश की फेसबुकी कमेंटरी

रवीश कुमार से कभी कभी मुझे ईर्ष्या होती है. ये आदमी इतना क्रिएटिव हर वक्त कैसे बना रहता है. रवीश की रिपोर्ट जब एनडीटीवी पर देखता हूं तो देखता ही रह जाता हूं. लगता है कोई अदभुत किस्म की फिल्म देख रहा हूं जो हर तरह के भाव मन में पैदा कराए जा रही है, न चाहते हुए भी. मानवीय संवेदना, उल्लास, खिलंदड़पना…. इतने रस रंग भाव रवीश की रिपोर्ट में होते हैं कि आंखें हटती नहीं. और यही रवीश जब फेसबुक पर होते हैं तो भी उतने ही सहज.

रवीश कुमार का वीकली ब्लाग कालम शशि शेखर ने शहीद किया!

पता नहीं, पत्रकारिता और जनता के हित में शशिशेखर ने कितने काम किए हैं, लेकिन ये जरूर है कि उन्होंने अपनी हरकतों से लोगों की बददुवाएं खूब ली हैं. अच्छा भला रवीश कुमार का ब्लाग पर एक वीकली कालम हिंदुस्तान में छपता था और कई ब्लागर तो सिर्फ इस कालम को पढ़ने के लिए अपने यहां हिंदुस्तान मंगाते थे, अब उस कालम को हिंदुस्तान प्रबंधन ने बंद कर दिया है. जबसे हिंदुस्तान का लेआउट अंतरराष्ट्रीय हुआ है, क्षेत्रीय पहचान वाले बोल-वचन गोल हो गए हैं.

फेसबुक पर शांति भूषण प्रशांत भूषण के पक्ष में एक लंबी बहस

Avinash Das : एक समाजवादी सज्‍जन और एक दलितवादी पत्रकार ने पूछा है कि शांतिभूषण की फीस 25 लाख क्‍यों? मैं ये पूछना चाहता हूं कि शांतिभूषण या प्रशांत भूषण ने वंचितों, संघर्षशीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के पक्ष में जितनी भी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ी, क्‍या उनसे भी फीस के रूप में 25 लाख रुपये वसूले?

अन्ना की मुहिम को पंक्चर करने में लगे हैं इंडियन एक्सप्रेस और शेखर गुप्ता

Ajit Anjum : इंडियन एक्सप्रेस पहले दिन से अन्ना की मुहिम को पंक्चर करने में जुटा है. आज तो शेखर गुप्ता ने भी 4-5 हजार शब्दों का लेख लिख मारा है. अन्ना की टीम के खिलाफ भ्रष्ट नेताओं की जमात एकजुट हो गई है. कांग्रेस अन्ना के आंदोलन को डिरेल करने के खेल में लगी है और एक्सप्रेस उसके एजेंडे को डिजायन कर रहा है. नेताओं के गेम प्लान के बारे में कुछ नहीं छाप रहा है. ऐसा क्यों?

अंधे हो गए हैं पटना के पत्रकार

बिहार में पत्रकारिता के स्‍तर और तेवर को लेकर फेसबुक पर एक बहस चल रही है. आई-नेक्‍स्‍ट, पटना के संपादक रवि प्रकाश के स्‍टेटस पर बिहार में लालू और नीतीश के राज की तुलना पुरानी खबर और नई खबर के रूप में की गई है तथा बिहार में पत्रकारों के बदले चरित्र को ब्रेकिंग न्‍यूज बताया गया है. नीतीश के सुशासन में बिहार के पत्रकारों को खबरें नहीं दिखने के भी आरोप हैं. नीचे फेसबुक पर चल रही बहस.

जीवन और समाज की कहानी सुनातीं कुछ तस्वीरें

तस्वीरें सीधे दिल और दिमाग पर असर करती हैं. और कई कई बार देखने के बाद तस्वीरों से कई कई नए अर्थ निकलते हैं. फेसबुक पर कुछ ऐसी तस्वीरें मिलीं, जो ठिठक कर सोचने को मजबूर करती हैं. जनसत्ता के संपादक ओम थानवी ने अपने एक युवा दिनों की तस्वीर डाली है, यह लिखकर- ”पुत्र डॉ मिहिर ने कहीं घर के कबाड़ से मेरा यह फ़ोटो ढूंढ़ निकाला है! पता नहीं कब किसने कहाँ खींचा था. फिर भी, सुकूते-आरज़ी … “फूल खिले शाखों पे नए और रंग पुराने याद आए!”…”

पंकज शुक्ला से परेशान पंकज शुक्ला ने फेसबुक पर दुखड़ा रोया

जी. हेडिंग लगाने में कोई गड़बड़ नहीं हुई है. गड़बड़ी का कारण बना है नाम. पंकज शुक्ला दो लोगों के नाम हैं, दोनों लोग मीडिया में हैं, जर्नलिस्ट हैं. दोनों का बरेली से रिश्ता है. दोनों की उम्र लगभग एक है. दोनों ही पंकज शुक्ला प्रिंट और इलेक्ट्रानिक माध्यमों के अच्छे जर्नलिस्ट हैं. इन दिनों एक प्रिंट में हैं तो दूसरे टीवी में. दोनों मीडिया में नौकरी छोड़ते पकड़ते रहते हैं. इस कारण जब कोई अज्ञानी पत्रकार सुनता है कि पंकज शुक्ला ने फलां जगह ज्वाइन कर लिया तो वो अपने परिचित पंकज शुक्ला को फोन मिला देता है और पता चलता है कि वो ये वाले पंकज शुक्ला नहीं हैं.

मीडिया वालों ने भले भुला दिया लेकिन रेणु को फेसबुकियों ने याद रखा

[caption id="attachment_20149" align="alignleft" width="122"]फणीश्वर नाथ रेणुफणीश्वर नाथ रेणु[/caption]स्‍मरण : रेणु by Hrishikesh Sulabh on Monday, 11 April 2011 at 09:20 : आज रेणु की पुण्‍यति‍थि‍ है। 11 अप्रैल सन् 1977 को रेणु का देहावसान हुआ था।  उनका जन्‍म बि‍हार के पूर्णि‍या ज़ि‍ले के औराहीं हिंगना गांव में  4 मार्च सन् 1921 को हुआ था। लेखक के रूप में सक्रि‍य होने से पहले वे स्‍वतंत्रता संग्राम के योद्धा थे।

पिता गुजरे तो डरी बहनों ने सात माह तक खुद को घर में कैद रखा

[caption id="attachment_20147" align="alignleft" width="179"]सात माह तक पड़ोसियों को भी पता नहीं चला कि पड़ोस में क्या दुख-सुख हैसात माह तक पड़ोसियों को भी पता नहीं चला कि पड़ोस में क्या दुख-सुख है[/caption]Manish Mishra : नोएडा के सेक्टर-29 में पिता की मौत के गम में सात महिने तक घर में बंद रही बहनें, पुलिस और समाजसेवी संगठन ने दोनों लड़कियों को बाहर निकाला। दोनों की हालत भूख और पानी की कमी के कारण बेहद खराब थी। एक बहन का नाम सोनाली, दूसरी का अनुराधा है। वे दोनों कैलाश हॉस्पिटल में भर्ती हैं।

15 दिनों के भीतर अपनी संपत्ति घोषित करेंगे अनुरंजन झा

Anuranjan Jha : देश से करप्शन कम करने में पहला कदम यह हो कि हम पत्रकारों को अपनी संपत्ति और उसके स्रोत का खुलासा करना चाहिए… क्योंकि हम सच दिखाने का दावा करते हैं …समाज के हितैषी का भरोसा दिलाते हैं। सबसे पहले शरुआत इसी समुदाय से होनी चाहिए। मैं 15 दिनों के अंदर करने जा रहा हूं। ...People’s Outburst against Barkha Dutt at INDIA GATE...

जो काम प्रणय रॉय को करना चाहिए, वो अब आम भारतीय को करना पड़ रहा है

Alok Kumar : आप ख़ुद ही देख लीजिए.. इस प्रदर्शन को लीड कर रहे एक आईआईएमसी छात्र को पुलिस परेशान कर रही है, वीडियो देखने के लिए क्लिक करें- Barkha Dutt chor hai, Barkha Dutt (NDTV) ko jail me daalo said Indians at India Gate

Rajesh Roshan : लड़के को परेशान किया जा रहा है??? बरखा केवल मानहानि का दावा ठोंक सकती हैं, बकिया लगता नहीं है कुछ होगा….और जो लड़का ये कर सकता है मुझे नहीं लगता है कि वो परेशान हो रहा होगा

लोकपाल पद पर बैठे किसी आदमी में हिटलर की आत्मा प्रवेश कर गई तो?

Ajit Anjum : सैद्धांतिक तौर पर मैं अन्ना हजारे के साथ हूं. भ्रष्ट नेताओं और नौकरशाहों पर नकेल कसने की ताकत से लैश लोकपाल इस देश में होना ही चाहिए. लेकिन अब मेरे जेहन में एक सवाल है. मैंने अन्ना की टीम की तरफ से तैयार जन लोकपाल बिल को दो बार पढ़ा है. इसमें लोकपाल को असीम अधिकार दिए जाने की बात कही गई है. इसके खतरे भी हैं. अगर लोकपाल के पद पर कोई बैठे किसी आदमी में हिटलर की आत्मा प्रवेश कर गई तो?

फेसबुक पर पत्रकारों के लिए अलग पेज

दुनियाभर में पॉपुलर सोशल नेटवर्किग साइट फेसबुक ने पत्रकारों के लिए भी अलग से पेज लॉन्च किया है। “जर्नलिस्ट ऑन फेसबुक” नाम के पेज में दुनियाभर के पत्रकार एक दूसरे से जुड़कर इसे रिपोर्टिग टूल के रूप में भी इस्तेमाल कर सकेंगे।

फेसबुक पर दिलीप मंडल पर बरसे अजीत अंजुम

दिलीप मंडल आपको अक्सर ‘दलित दलित’ करते मिल जाएंगे, यहां वहां जहां तहां. फेसबुक पर भी. हर चीज में ‘दलित एंगल’ तलाशेंगे. हर चीज पर ‘शक’ करेंगे. और ये करना कतई गलत काम भी नहीं है. शक करने का एक पूरा दर्शन है जो कहता है कि हर चीज पर शक करो. इस लोकतंत्र में हर किसी को कोई दर्शन मानने-जानने की छूट है. दिलीप जी अगर हर चीज पर शक करते हैं तो उससे एक अच्छी चीज ये हो रही है कि कम से कम कोई आंख मूंद कर भरोसा तो नहीं करेगा और आंख मूंद कर हम सभी ने जब जब जिस पर भरोसा किया, वो दिल तोड़ गया.

8 बड़े प्रभावशाली करप्टों को बचाने के लिए 4 अन्य करप्टों पर पिल पड़ने की परियोजना पर पक्ष-विपक्ष की सहमति!

संदेहवाद अमर रहे! : मुझसे कई लोग पूछते कहते हैं कि गासिप, अफवाहों, चर्चाओं को खबर की तरह पेश क्यों किया जाता है भड़ास पर. मैं उनसे कहता हूं कि न्यू मीडिया के लिए गासिप, चर्चाएं और अफवाह भी खबर की तरह हैं और ये सच हैं या नहीं, इनका खंडन मंडन तुरंत कमेंट्स के जरिए किया जा सकता है. पर मेरी बात से बहुत लोग संतुष्ट नहीं हो पाते.

अब फेसबुक पर देखी जा सकेंगी फिल्‍में

मशहूर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक मीडिया क्षेत्र की अग्रणी कंपनी वार्नर ब्रदर्स के साथ मिलकर वेब पर लोगों को फिल्‍म देखने का विकल्‍प मुहैया कराएगी. फेसबुक इस्‍तेमाल करने वाले तीन डॉलर में फिल्‍म देखने का‍ विकल्‍प चुन सकते हैं. इसके जरिए वे 48 घंटे तक फिल्‍मों का आनंद ले सकेंगे. वार्नर ब्रदर्स ने इसका परीक्षण भी शुरू कर दिया है.

गांधीजी को अमिताभ का जोरदार सेल्यूट

: गणतंत्र दिवस के दिन फेसबुक पर ‘आई हेट गांधी’ ग्रुप बैन कराने में पाई सफलता : अमिताभ ठाकुर की लड़ाई रंग लाई. गणतंत्र दिवस के दिन ही गांधी विरोधी उस ग्रुप को बैन कर दिया गया जिसके खिलाफ आईपीएस अधिकारी अमिताभ ने लखनऊ के एक थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. ग्रुप को बैन करने की कार्रवाई शिकायत मिलने के बाद फेसबुक कंपनी ने की.

फेसबुक के संस्‍थापक मार्क को टाइम ने चुना पर्सन ऑफ द ईयर

दुनियाभर में लोकप्रिय सोशल साइट फेसबुक के संस्‍थापक मार्क जकरबर्ग को प्रतिष्ठित अमेरिकी मैगजीन टाइम ने पर्सन ऑफ द ईयर के खिताब से नवाजा है. टाइम प्रतिवर्ष ऐसे व्‍यक्ति को इस अवार्ड से सम्‍मानित करती है, जिसने दुनिया पर सबसे ज्‍यादा सकारात्‍मक या नकारात्‍मक प्रभाव डाला हो. इस दौड़ में मार्क जकरबर्ग के साथ पूरी दुनिया में तहलका मचाने वाले विकी‍लीक्‍स के संस्‍थापक-संपादक जूलियन असांजे भी थे.

केबल चैनल बैन, यूट्यूब-फेसबुक पर मुकदमा

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फेसबुक और यूट्यूब पर दिखाए जा रहे तीन मिनट के वीडियो जिसमें युवक को सुरक्षाबलों के समक्ष नग्न अवस्था में परेड करवाई जा रही है, का संज्ञान लेते हुए दोनों नेटवर्क के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। श्रीनगर में लोकल केबल चैनल 9 टीवी पर भी पाबंदी लगा दी गई है। यूट्यूब और फेसबुक पर तीन मिनट की वीडियो क्लिपिंग दिखाई जा रही है, जिसमें दिखाया गया है कि सोपोर कस्बे में सुरक्षाबलों के जवानों ने एक युवक को नंगा करके उससे परेड करवाई।

फेसबुक से दुखी क्यों हैं भाई लोग?

त्रिनिदाद और टोबैगो दक्षिण अमेरिका का एक छोटा सा देश है। आबादी और आकार में अपनी दिल्ली से भी छोटा। मगर इन दिनों यह देश खबरों में इसलिए हैं क्योंकि यहां भारतीय मूल की कमला प्रसाद विसेसर प्रधानमंत्री चुनी गई है। वे दुनिया में भारतीय मूल की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं और उनके पूर्वज पूर्वी उत्तर प्रदेश से 1810 में मजदूरी के लिए इस देश में पहुंचे थे। खबर तो यह भी है लेकिन कमला विसेसर ने अपना पूरा चुनाव अभियान फेसबुक के जरिए चलाया। उनकी फेसबुक पर चवालीस हजार सात सौ तिरासी सदस्य बुधवार सुबह तक थे।

दिल्ली में वो चार ‘लड़कीबाज पत्रकार’ कौन हैं?

फेसबुक पर अजीत अंजुम

अजीत अंजुम ने अभी-अभी स्पष्ट किया है कि ये चार ‘लड़कीबाज’ लोग संपादक स्तर के नहीं हैं, पत्रकार हैं और न्यूज चैनलों में मध्यम स्तर पर कार्यरत हैं. अजीत अंजुम का कहना है कि ‘लड़कीबाज संपादक’ शब्द लिखे जाने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कास्टिंग काउच के आरोपी एडिटर रैंक के हैं जबकि ऐसा है नहीं. अजीत अंजुम के मुताबिक वे फेसबुक पर भी अपने स्टेटस में यह अपडेट डालने जा रहे हैं कि लड़की ने जो नाम बताए हैं, वे नाम संपादक स्तर के लोगों के नहीं है. वे मध्यम स्तर पर काम करने वाले पत्रकारों के नाम हैं. अजीत अंजुम द्वारा नई जानकारी देने के बाद अब इस खबर के शीर्षक में ‘लड़कीबाज संपादक’ हटाकर उसकी जगह ‘लड़कीबाज पत्रकार’ लिखा जा रहा है. -एडिटर