: अगर लोकपाल बन गया तो आधे मंत्री जेल में होंगे : सरकार लोकपाल मामले को पटरी से उतारना चाहती है : “2जी मामले में सीबीआई अगर निश्पक्ष तरीके से जांच कर रही होती तो अनिल अंबानी अब तक जेल में होते” ये बात कही जनलोकपाल पर बनी संयुक्त ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य प्रशांत भूषण ने सीएनईबी के सप्ताहिक कार्यक्रम क्लोज एनकाउंटर में। कार्यक्रम के होस्ट हैं वरिष्ठ पत्रकार किशोर मालवीय।
किशोर के साथ खास बातचीत में प्रशांत भूषण ने कहा कि रिलायंस के तीन अधिकारियों को इस आरोप में जेल में डाल दिया गया कि उन्होंने स्वान टेलीकॉम का गठन किया और फिर उससे नाजायज फायदा लेने के लिए शाहिद बलवा को ट्रांसफर कर दिया। लेकिन अनिल अंबानी की कंपनी में 10 करोड़ रुपये से उपर की रकम को ट्रांसफर करने का अधिकार केवल अनिल अंबानी और उनकी पत्नी को था जबकि इसमें हजारों करोड़ का ट्रांसफर हुआ है और इस डील से सीधे- सीधे फायदा मालिक को मिला है।
लोकपाल पर ड्राफ्टिंग कमेटी को लेकर सरकार के रवैये पर सवाल उठाते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि पहली बैठक में जो बड़े मुद्दे थे और जिनपर विवाद हो सकता था उनको किनारे कर दिया गया लेकिन बाद की बैठकों में हमलोगों ने बड़े और अहम मुद्दों पर बात शुरू करने की बात कही तो सरकार की ओर से कहा गया कि प्रधानमंत्री, जजों और संसद में वोट के बदले घूस लेने वाले सांसदो को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा जाय।
प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार ने लोकपाल पर संयुक्त ड्राफ्टिंग कमेटी को जनमत के दबाव में मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि सरकार लोकपाल मामले को पटरी से उतारना चाहती और इसी के मद्देनजर हमलोगों के खिलाफ एक रणनीति के तहत अभियान चलाया गया और दिग्विजय सिंह, अमर सिंह सहित अन्य कई प्रभावी लोगों ने सरकार के इशारे पर ऐसा किया। उन्होंने बेबाकी से स्वीकार किया कि सीडी प्रकरण में आवाज उनके पिता शांति भूषण थी लेकिन उसे बहुत चलाकी से अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की गई।
प्रशांत भूषण ने कहा कि लोकपाल से सबसे अधिक कांग्रेस डरी हुई है क्योंकि वह अभी सरकार चला रही है और जिसकी सरकार होती है वह भ्रष्टाचार में सबसे ज्यादा शामिल होता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में 2जी मामले की जांच चल रही है तो कई मंत्री और अधिकारी जेल में है अगर लोकपाल बन गया तो आधे मंत्री जेल में होगें। प्रशांत भूषण ने एक सवाल के जवाब में कहा कि न्यायपालिका में भी भ्रष्टाचार है और कुछ जजों को प्रभावित किया जा सकता है।
प्रशांत भूषण ने अन्ना हजारे और स्वामी रामदेव के बीच किसी भी तरह के मतभेद की बात से इंकार किया। उन्होंने कहा कि स्वामी रामदेव ने प्रधानमंत्री और जजों को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने की बात किसी गलतफहमी में बोला होगा क्योंकि जो आदमी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहा है वह इस तरह की बात कैसे कह सकता है? उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि इसका मतलब आप ये कह रहें हैं कि प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार की खुली छूट होनी चाहिए? प्रशांत भूषण ने कहा कि हमलोग स्वामी रामदेव के अनशन का समर्थन कर रहे हैं लेकिन ये कोई जरूरी नहीं कि हमलोग उनके अनशन में साथ बैठें। सीएनईबी के इस कार्यक्रम का प्रसारण 5 जून रविवार शाम 7 बजे होगा और इसका दोबारा प्रसारण मंगलवार रात 9:30 बजे होगा। प्रेस रिलीज
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yes it may be posible
Sarkar janlokpal ke liye gamhbir nahein hai.sageer.a.khaksar/sidharthnagar.