हिसार चुनाव में दो रीजनल न्यूज चैनलों की राजनीति

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जगमोहन फुटेला: टोटल तो एक बहाना है… : टोटल टीवी या उस के मालिकों में इतना दम नहीं है कि हरियाणा में अपना प्रसारण बंद होने पर वे खापों की पंचायत बुलवा कर उन से सरकार के खिलाफ संघर्ष का ऐलान करा सकें. ये मान लेना भी सरासर गलत होगा कि चैनल चौटाला का है या कि टोटल के हक़ में खाप का फतवा उन ने जारी कराया होगा. सहानुभूति हो सकती है.

मगर टोटल चौटाला का होता तो पिछले विधानसभा चुनावों के सर्वेक्षण में बहुमत उसे चौटाला का बताना चाहिए था. कभी चौटाला का मीडिया सलाहकार रहने भर से विनोद मेहता न टोटल टीवी के मालिक हो गए थे, न टोटल चौटाला की रखैल ही हो गया था. और अब तो वो विनोद मेहता चला भी नहीं रहे टोटल का काम काज. एक पत्रकार के रूप में अपना मानना है कि कमोबेश टोटल के खासकर हरियाणा की राजनीति को लेकर हुए आकलन सकारात्मक और सही साबित हुए हैं. न मानों तो इस बार हिसार के मामले में भी देख लेना. मगर झगड़ा दरअसल टोटल का हिसार पे सर्वे का नहीं, कुछ और है.

टोटल चलता रहता या अब बंद है तो भी हिसार का नतीजा बदलने नहीं वाला. ये लड़ाई हिसार या उस की जीत हार की नहीं, चैनल वार की है. हिसार में, सब जानते हैं कि सवाल सिर्फ सांसद की एक सीट नहीं, खुद हुड्डा की कुर्सी का है. सो दांव पे बहुत कुछ लगा है. ऐसे में इस चुनाव से पहले आमद वहां गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा के हरियाणा न्यूज़ की भी हो गई थी. टोटल के चिर परिचित चेहरे उमेश जोशी को टोटल से ले आया गया होगा ये सोच के चाल चरित्र चेहरा वैसा ही दिखेगा. मगर उमेश जोशी के वहां होने न होने का कोई मतलब नहीं है. वे वहां हैं भी तो नहीं हैं.

आप खोल के देख लो. इस चैनल पे सरकारी विज्ञापन के अलावा जो दस खबरें चलतीं हैं उनमें से सात तो जैसे सीधे सीधे जन संपर्क विभाग ने बना के भेजी लगती हैं और बाकी तीन में तीन चौथाई से ज्यादा समय तक हुड्डा साहब दिखाई दे रहे हैं. नीचे स्ट्रिप में गोपाल कांडा के कार्यक्रमों का हवाला भी है. ऐसे में टोटल कैसे चले? एक म्यान में दो तलवारें रह सकती हैं, एक गली में दो कुत्ते भी. लेकिन हरियाणा के केबल नेटवर्क पर जब एक चैनल गृह राज्य मंत्री का भी हो तो उस से मिलता जुलता कोई दूसरा चैनल कैसे चल सकता है? सवाल चैनल के बिजनेस नहीं, हरियाणा न्यूज़ अगर हिसार सीट जितवा सके तो कांडा के कांग्रेस पे एहसान का भी है.

सच्चाई हालांकि इसके उलट है. ये मान लेना कि कोई भी चैनल या अखबार चार दिन में आते ही जनता की सोच बदल देता है, गलत है. ये सही होता तो लाला जगत नारायण कभी चुनाव नहीं हारते. पंजाब केसरी में तब भी आज जितनी धमक थी जब लाला जी कालका से चुनाव लड़े. रोज़ अख़बार में समर्थन देने वालों की फोटुएं छपती थीं. बड़ी बड़ी खबरें भी. लगता था कि और कोई है ही नहीं मैदान में. सिर्फ लाला जी हैं. मगर जब नतीजा आया तो लाला जी की शायद ज़मानत भी नहीं बची थी. उसके बाद उन के परिवार में किसी ने कभी चुनाव नहीं लड़ा. अब वे प्रोफेशनल तरीके से अखबार निकालते हैं और सरकार किसी की भी हो, राज वो करते हैं. अकाली पत्रिका को देख लो, नवां ज़माना, लोक लहर, पाञ्चजन्य, जन्संदेश या खुद कांग्रेस के कांग्रेस वीकली या कांग्रेस साप्ताहिक को. कहाँ हैं वो सब?

तो, हरियाणा न्यूज़ के आने या टोटल के जाने से हिसार का परिणाम या उसके बाद का घटनाक्रम नहीं बदल जाएगा. न मिर्चपुर का मतलब बदलेगा, न खापें ही ये मान लेंगी कि संगोत्र विवाह से ले के आरक्षण तक के मामले में उन के साथ जो हुआ वो ही सही था. मान्यताएं और अवधारणायें आसानी से नहीं बदला करतीं. सरकारी और ज्यादा दिखने वाले चैनल ही अगर असरकारक होते तो सरकारें कभी न बदलतीं. विरोध और विद्रोह तो उन राजसत्ताओं में भी हुए हैं जहां कोई प्राइवेट मीडिया है ही नहीं. जनता सब जान लेती है. और हरियाणा में कोई तीन दशक तक तक गाँव गाँव विचरण के अनुभव से अपना मानना है कि हरियाणा की जनता तो इस मामले में बहुत ज्यादा सचेत और परिपक्व है. खाप ने टोटल के बहाने से धमकी टोटल को चलाने के लिए नहीं दी है. जानती है खाप कि सरकार केबल वाले को टोटल केबल में नहीं डालने देगी तो खाप नहीं डाल देगी तार को खम्भे से उतार के. खाप ने टोटल के बहाने से जाटों को आन्दोलन याद दिलाना था, दिला दिया है !

एक पुरानी कहावत है- आटा गूंथती है तो हिलती क्यों है? हिसार में सरकार वही कर रही है. टोटल पे वार के ज़रिये वो नहीं, उसकी कुंठा बोल रही है. गिरी वो गधी से है, गुस्सा कुम्हार पे निकाल रही है. हिसार में उसके पिछड़ने के कारण और हैं. दोष वो अपने माफिक न चल रहे मीडिया को दे रही है. शुकर मनाओ कि हिसार का चुनाव ठीक से निबट जाए. वरना हिसार की हार प्रहार तो कोई भी, किसी पर भी कर सकती है. मान के चलो हिसार में लोक सभा की एक सीट नहीं, फैसला तो हुड्डा और हरियाणा में कांग्रेस के आर या पार का होना है.

लेखक जगमोहन फुटेला चंडीगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार हैं. कई अखबारों में वरिष्ठ पदों पर रहने के बाद इन दिनों न्यू मीडिया में जर्नलिस्टकम्युनिटी.कॉम समेत कई पोर्टलों के जरिए सक्रिय हैं. इनसे संपर्क journalistcommunity@rediffmail.com के जरिए किया जा सकता है.

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