Connect with us

Hi, what are you looking for?

वेब-सिनेमा

हिंदी साहित्य में भूचाल, उदय प्रकाश घिरे

तस्वीर

पुरस्कार या फुरस्कार ?? हिंदी के सुपरस्टार कथाकार उदय प्रकाश के सितारे इन दिनों गर्दिश में हैं। योगी आदित्यनाथ के हाथों एक पुरस्कार लेने के बाद हिंदी साहित्य के वाम और प्रगतिशील विचार वाले छोटे-बड़े बुद्धिजीवी उदय प्रकाश की तगड़ी घेरेबंदी कर चुके हैं। अभी-अभी हिंदी के करीब 50 छोटे-बड़े विद्वानों-साहित्यकारों ने संयुक्त रूप से एक विज्ञप्ति जारी कर उदय प्रकाश के योगी आदित्यनाथ के हाथों पुरस्कार लेने पर नाखुशी जाहिर करते हुए विरोध जताया है। इस विज्ञप्ति में कहा गया है-

तस्वीर

तस्वीर

पुरस्कार या फुरस्कार ?? हिंदी के सुपरस्टार कथाकार उदय प्रकाश के सितारे इन दिनों गर्दिश में हैं। योगी आदित्यनाथ के हाथों एक पुरस्कार लेने के बाद हिंदी साहित्य के वाम और प्रगतिशील विचार वाले छोटे-बड़े बुद्धिजीवी उदय प्रकाश की तगड़ी घेरेबंदी कर चुके हैं। अभी-अभी हिंदी के करीब 50 छोटे-बड़े विद्वानों-साहित्यकारों ने संयुक्त रूप से एक विज्ञप्ति जारी कर उदय प्रकाश के योगी आदित्यनाथ के हाथों पुरस्कार लेने पर नाखुशी जाहिर करते हुए विरोध जताया है। इस विज्ञप्ति में कहा गया है-

”हमें इस घटना से गहरा आघात पहुँचा है कि कुछ दिन पहले हिन्दी के प्रतिष्ठित और लोकप्रिय साहित्यकार उदय प्रकाश ने गोरखपुर में पहला “कुँवर नरेंद्र प्रताप सिंह स्मृति सम्मान” योगी आदित्यनाथ जैसे कट्टर हिन्दुत्ववादी , सामन्ती और साम्प्रदायिक सांसद के हाथों से ग्रहण किया है, जो ‘ उत्तर प्रदेश को गुजरात बना देना है ‘ जैसे फ़ासीवादी बयानों के  लिए कुख्यात रहे हैं, हम अपने लेखकों से एक ज़िम्मेदार नैतिक आचरण की अपेक्षा रखते हैं और इस घटना के प्रति सख्त-से-सख्त शब्दों में अपनी नाखुशी और विरोध दर्ज करते हैं…”

यह विवाद इन दिनों हिंदी साहित्य में तूफान की रफ्तार से बढ़ रहा है। विवाद को बढ़ाने में बड़ी भूमिका खुद उदय प्रकाश ने निभाई। उन्होंने आग में घी डालने का काम किया। अपने उपर उंगली उठाए जाने पर उदय प्रकाश ने जो प्रतिक्रिया व्यक्त की, उससे उदय प्रकाश को चाहने और सराहने वाले वामपंथी विचारधारा वाले साहित्यकार सकते में हैं। अब सभी पानी पी-पी कर उदय प्रकाश को गरिया रहे हैं। 

बात करते हैं विस्तार से। चर्चित कथाकार उदय प्रकाश के पांच जुलाई को गोरखपुर में गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी, भाजपा सांसद योगी आदित्य नाथ के हाथों पहला ‘नरेंद्र स्मृति सम्मान’ साभार प्राप्त करने पर इन दिनों साहित्य जगत में भूचाल-सा आ गया है। इस सम्मान समारोह में हिंदी के एक और प्रतिष्ठित साहित्यकार परमानंद श्रीवास्तव की उपस्थिति भी चर्चाओं में है। बताया जाता है कि इस कार्यक्रम की तब तक कहीं कोई खास सुगबुगाहट नहीं रही, जब तक कि इसकी तल्ख सूचना ‘कबाड़खाना’ ब्लॉग पर वरिष्ठ पत्रकार एवं चिट्ठाकार अनिल यादव की पोस्ट के रूप में प्रकाशित नहीं हुई थी। इसके बाद तो आलोचना-प्रत्यालोचना, साफ-सफाई का मानो लावा-सा फूट पड़ा। उदय प्रकाश की आगबबूला टिप्पणी भी नमूदार हुई।

जिस ब्लॉग (‘कबाड़खाना’) पर अनिल यादव की यह हंगामाखेज टिप्पणी प्रकाशित हुई, उसके संचालक अशोक पांडेय का कहना है कि ‘कभी उदय प्रकाश ने लिखा था कि “आदमी मरने केबादकुछ नहीं सोचता / आदमी मरने के बाद कुछ नहीं बोलता / कुछ नहीं सोचने, और बोलने से आदमी मर जाता है…”  तो खबर ये है कि खून सने हाथों से इनाम लेना मंजूर करने वाले उदय प्रकाश ने सोचना छोड़ दिया है।’

..और इसी क्रम में आगे रंगनाथ सिंह की टिप्पणी भी गौरतलब रही कि ‘उदय प्रकाश जिसे गऊ-पट्टी कहते हैं उसमें जन्म लेने के कारण मेरे दिमाग में जन्म के समय सिर्फ गोबर भरा था।’

दिलीप मंडल का कहना है कि ‘उदयप्रकाश किसी से भी पुरस्कार लें या न लें, ये उन्हें ही तय करना है। जैसे कि मुझे ये तय करने का अवसर मिला होता तो मैं आदित्यनाथ के हाथों कोईपुरस्कारलेना शायद स्वीकार नहीं करता।….उदयप्रकाश के बारे में अनिल यादव की टिप्पणी तीखी है लेकिन मेरी राय में गलत नहीं है। …अनिल यादव की टिप्पणी पर बिफरकर उदय प्रकाश ने कबाड़खाना और उसके मुख्य मॉडरेटर के बारे में जो लिखा है और जैसी भाषा का इस्तेमाल किया है, वो गलत है।’

पंकज श्रीवास्तव कहते हैं कि ‘उदय प्रकाश किस कदर अपने पाठकों से बेईमानी कर रहे हैं, उसे जानने के लिए उनके ब्लाग पर ही चले जाइए। जनाब ने पूर्वांचल से लौटकर 9 जुलाई को जो पोस्ट लिखी, उसका नाम दिया “कुशीनगर से लौटकर।” बहुत अच्छे। इसमें एक-आध बार ये भी लिख दिया कि वे गोरखपुर भी गए थे। लेकिन ये नहीं बताया कि गोरखपुर में उनका सम्मान भी हुआ और वो भी योगी आदित्यनाथ के हाथों। कबाड़खाना में अनिल यादव की पोस्ट आने के बाद पुनश्च लिखना पड़ा। आखिर ये इतनी ही सम्मानजनक बात थी तो छिपाई क्यों गई?

Advertisement. Scroll to continue reading.

योगी उदयप्रकाश प्रकरण पर कवि वीरेन डंगवाल ने टिप्पणी की- ”बन्दर के हाथों कुत्ते की लेंडी को पुरुस्कार की तरह लेना बन्द करो दोस्तो! और अपनी भाषा का सम्मान करना सीखो!…..ब्राह्मणवाद मुर्दाबाद! ठाकुरवाद मुर्दाबाद!”

वीरेन डंगवाल की टिप्पणी को उद्धृत करने के बाद पंकज श्रीवास्तव ने लिखा- ”चलिए दिल से बोझ कुछ कम हुआ। वरना लग रहा था कि गोबर पट्टी वाकई वीर विहीन हो गई है। वीरेन जी ने खुलकर जो बात कही है वो बहुत लोगों के दिल की बात हो सकती है। फिलहाल वे चुप हैं। चुप हैं क्योंकि उन्हें उदय प्रकाश के नाराज होने का डर है। वैसे उदय प्रकाश खुद को बेहद सताया हुआ बताते हैं लेकिन उनका क्या जलवा है, वो इसी से पता चलता है कि कबाड़खाने से उनका ब्लाग हटा नहीं कि वापस लगा दिया गया। ऐसे प्रतापी लेखक और योगी आदित्यनाथ के करकमलों से सम्मानित व्यक्ति से टकराने वाले अहमक ही हो सकते हैं। क्या अद्भुत दृश्य है। लोग गिड़गिड़ा रहे हैं कि प्रभो माफी मांग नहीं सकते तो कोई ठीक-ठाक बहाना ही बता दो ताकि जान छूटे। किसी तरह ये प्रसंग समाप्त हो। लेकिन उदय हैं कि मानते नहीं। उलटा हुंकार कर कह रहे हैं कि कुछ भी ऐसा नहीं किया जिसकी सफाई दूं। पुरस्कार नहीं सम्मान ग्रहण किया है। हाय-हाय,इस सादगी पर कौन न मर जाए ऐ खुदा..!”

खबर

इस पूरे प्रकरण को सविस्तार जानने-समझने के लिए इन सभी लिंक पर क्रमशः क्लिक करें…..

  1. आपको कैसा लगा?
  2. पाखाने का फुस्कारा
  3. बेइमानी का उदय और चुप्पी साधे हिंदी वीर
  4. हिंदी साहित्य के नए माफिया का उदय
  5. उदय प्रकाश पर दो चार बातें खरी-खरी
  6. मैं मदन लाल मधु का ऋणी हूं
  7. उदय प्रकाश जी ने ऐसा किया ही नहीं होगा, आप झूठ बोल रहे हैं
  8. सरनेम बनाम रिअल कैरेक्टर
  9. जीतेंग डोमा जी उस्ताद
  10. पूर्ण-विराम
  11. वकील के कोट में शुगर-फ्री बताशा
  12. कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीरे नीमकश को
  13. ये सूरत बदलनी चाहिए
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Advertisement

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement