सामाजिक संस्था आईआरडीएस ने मंजुनाथ व सत्येंद्र को केंद्र सरकार द्वारा उचित प्रकार से सम्मानित कराने हेतु एक अभियान एक माह से चला रखा है. संस्था ने राष्ट्रपति सहित पुरस्कारों देने वाले सभी विभागों व उसके प्रमुख अधिकारियों को आवेदन पत्र भेजा है, प्रस्ताव सौंपा है. आइए, थोड़ा वक्त निकालकर एक बार फिर मंजुनाथ और सत्येंद्र को जान लें, याद कर लें.
मंजुनाथ शंमुगम आईआईएम, लखनऊ के एक पूर्व छात्र हैं. उन्होंने बंगलोर के एक प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज से पास करने के बाद आईआईएम, लखनऊ से एमबीए किया था. अपने अन्य तमाम साथियों से अलग उन्होंने किसी बड़े व्यावसायिक संस्थान या मल्टी-नेशनल में ना जा कर एक सरकारी संयंत्र इंडियन आयल चुना, जिसमें वे लखनऊ में मार्केटिंग विभाग में तैनात किये गए. यहीं से उन्हें लखीमपुर खीरी जिले का कार्य भी देखना पड़ता था. उस जिले में स्थित गोला नामक स्थान पर एक पेट्रोल पम्प का उन्होंने निरीक्षण किया और उसे गलत पाए जाने की स्थिति में बंद करने के आदेश दे दिए. लेकिन उनके इस कार्य को पम्प मालिक द्वारा अन्यथा लिया गया और उनकी मात्र अपने कर्तव्यों को सही ढंग से सम्पादित करने के जुर्म में इन लोगों ने मिल कर हत्या कर दी. इस घटना का व्यापक विरोध हुआ और अंत में जा कर सभी मुज्लिम पकड़े गए तथा उन्हें सजा भी हुई. पर एक ईमानदार तथा कर्तव्यनिष्ट व्यक्ति अपने आदर्शों के कारण अल्पायु में ही मार दिया गया. ऐसे व्यक्ति सारे देश और समाज के लिए आदर्श होते हैं और हम सभी को इनका सम्मान करना ही चाहिए.
सत्येन्द्र नाथ दुबे भी इसी प्रकार प्रतिष्ठित आईआईटी, कानपुर से बीटेक तथा आईटी, बीएचयू से एमटेक थे. वे अपने आदर्शों और सोच के तहत किसी बड़ी कंपनी या अमेरिका ना जा कर नेशनल हाईवे अथोरिटी ऑफ़ इंडिया में गए. अपनी नौकरी के दौरान लगातार भ्रष्टाचार तथा गलत कृत्यों का विरोध किया. यहां तक कि उन्होंने लार्सन एंड टुब्रो जैसी संस्था को भी उसके कार्यों की त्रुटि तथा कथित अनियमितता के कारण नहीं बख्शा. इन्हीं कार्यों से उनके तमाम दुश्मन बन गए और संभवतः उन्हीं ताकतों ने मिल कर एक रात जब वे गया स्टेशन से अपने आवास पर जा रहे थे तो उनकी हत्या कर दी. सुबह इस नौजवान की लाश किसी सड़क के किनारे यूँ ही फेंकी हुई मिली. इस घटना ने पूरे राष्ट्र को स्तब्ध कर दिया और इसकी देश-विदेश में तीखी भर्त्सना हुई. इस प्रकरण में भी मुलजिम पकड़े गए और उन्हें सजा भी मिली पर ऐसा कहने वाले लोग भी हैं कि शायद मुख्य षडयंत्र किन्ही बड़ी ताकतों का था. श्री सत्येन्द्र ने अपने विभाग की गड़बड़ियों के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय तक को गोपनीय पत्र भेज कर सूचित किया था जो संभवतः किन्ही माध्यमों से लीक हो गया था.
इस प्रकार हम पाते हैं कि ये दोनों युवा विलक्षण तथा अदभुत थे. इन दोनों ने आम प्रचलन तथा औसत मान्यताओं से अलग जाकर अपना कार्य अपनी मर्जी के अनुसार किया तथा अपने आदर्शों पर चलते हुए बीच रास्ते में ही शहादत को प्राप्त कर लिया. ऐसे लोगों के प्रति मन में श्रद्धा उत्पन्न होना स्वाभाविक है.
आईआरडीएस, लखनऊ ने इन्हीं कारणों से इन दोनों लोगों को समुचित रूप से सम्मानित कराने हेतु यह प्रयास चलाया है. इसके लिए पत्र के अलावा आनलाइन पेटीशन अभियान भी चलाया गया है. फेसबुक पर भी Padma Awards for Sri satyendra Dubey and Sri Manjunath शंमुगम नाम से ग्रुप बनाया गया है. इन दोनों शहीद युवाओं को समुचित सम्मान दिलाने के अभियान में अच्छी संख्या में लोगों की सहमति मिल रही है. इसे आगे अन्य तमाम माध्यमों से लोगों तक और सम्बंधित अधिकारियों तक पहुंचाया जाना चाहिए. आप लोगों से भी इसमें उचित सहयोग का आग्रह है.
अमिताभ ठाकुर
अध्यक्ष, आईआरडीएस, लखनऊ
संपर्क सूत्र : [email protected]
shravan shukla
November 9, 2010 at 9:33 am
निर्विवादित रूप से देश के सच्चे सपूतो को उचित सम्मान मिलना चाहिए
shravan shukla
November 9, 2010 at 9:34 am
एक गुजारिश है सभी से..कृपया इस कार्य को राजनीति के दायरे में न लाये ओर सभी एक साथ मिलकर सहयोग दे..
सदर
श्रवण शुक्ल