Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

बरखा और वीर सांघवी को जवाब देना होगा

बरखा दत्त और वीर संघवीराडिया राज 2 : देश के हजारों पत्रकारों के रोल माडल बरखा दत्त और वीर सांघवी के उपर जो आरोप हैं, वे बेहद संगीन किस्म के हैं. नीरा राडिया के खेल में इन लोगों के शामिल होने के संकेत सरकारी दस्तावेजों से पता चलते हैं. अभी तक इन दोनों के नामों की सिर्फ चर्चा भर थी कि ये लोग भी टेलीकाम घोटाले में किसी न किसी प्रकार से शामिल बताए जाते हैं. दिल्ली की मीडिया सर्किल में इन दोनों नामों को पिछले कई हफ्तों से उछाला जा रहा था. पर भरोसा नहीं होता था कि ये नाम भी किसी न किसी रूप में इसमें शामिल होंगे. अब जबकि दस्तावेज हाथ लग चुके हैं और मीडिया के कई लोगों के पास ये दस्तावेज पहुंच चुके हैं, बरखा दत्त और वीर सांघवी के नाम इस प्रकरण के दागदार चेहरे के रूप में ब्लागों-पोर्टलों पर दर्ज होने लगे हैं. कल को यह प्रकरण अन्य मंचों-माध्यमों पर भी उठेगा. सबकी निगाह बरखा दत्त और वीर सांघवी पर होगी. उन्हें इस बारे में क्या कहना है?

बरखा दत्त और वीर संघवी

बरखा दत्त और वीर संघवीराडिया राज 2 : देश के हजारों पत्रकारों के रोल माडल बरखा दत्त और वीर सांघवी के उपर जो आरोप हैं, वे बेहद संगीन किस्म के हैं. नीरा राडिया के खेल में इन लोगों के शामिल होने के संकेत सरकारी दस्तावेजों से पता चलते हैं. अभी तक इन दोनों के नामों की सिर्फ चर्चा भर थी कि ये लोग भी टेलीकाम घोटाले में किसी न किसी प्रकार से शामिल बताए जाते हैं. दिल्ली की मीडिया सर्किल में इन दोनों नामों को पिछले कई हफ्तों से उछाला जा रहा था. पर भरोसा नहीं होता था कि ये नाम भी किसी न किसी रूप में इसमें शामिल होंगे. अब जबकि दस्तावेज हाथ लग चुके हैं और मीडिया के कई लोगों के पास ये दस्तावेज पहुंच चुके हैं, बरखा दत्त और वीर सांघवी के नाम इस प्रकरण के दागदार चेहरे के रूप में ब्लागों-पोर्टलों पर दर्ज होने लगे हैं. कल को यह प्रकरण अन्य मंचों-माध्यमों पर भी उठेगा. सबकी निगाह बरखा दत्त और वीर सांघवी पर होगी. उन्हें इस बारे में क्या कहना है?

ये दोनों दिग्गज पत्रकार किस रूप में इस खेल में शामिल थे? उनकी भूमिका किस स्तर तक सीमित थी? क्या ये नीरा राडिया से पैसे लेकर ये काम करते थे? क्या उनके पत्रकारीय दायित्व में किसी को मंत्री बनाने या न बनाने का काम भी आता है? ढेरों सवाल हैं. नए लोग जो पत्रकारिता में आ रहे हैं, उनके माथे पर शिकन होगी क्योंकि वे उम्मीद नहीं करते कि बरखा दत्त और वीर सांघवी जैसों का नाम किसी गोरखधंधे से जुड़ा पाया जाएगा. यह विश्वास और भरोसा दरकने जैसा है.

जिन्हें लोग रोल माडल मानकर अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ते हैं, वे ही जब ऐसी हरकत में लिप्त मिलते हैं तो सवाल खड़ा हो जाता है कि आखिर आज के दौर में किसे कोई अपना आदर्श माने. प्रदेशों में पत्रकार सत्ता से लाभ पाने के लिए किस तरह की हरकतें करते हैं, यह किसी से छिपी बात नहीं है. मुलायम के समय में लाभ लेने वाले लोगों की लिस्ट आई थी और छपी थी. ढेर सारे लोगों के चेहरे बेनकाब हुए थे. आखिर क्या यही है पत्रकारिता? किसी तरह मीडिया में बड़े पद पाकर सत्ता से करीबी बनाना और लाभ लेना ही अगर पत्रकारिता है तो कहा जाना चाहिए कि पत्रकारिता अनैतिक दलालों का एक संगठित गिरोह है जो जनता का सच बयान करने का जिम्मा अपने कंधे पर लेती है लेकिन जुट जाती है लाभ लेने-दिलाने के खेल में.

कोई सच कह रहा था कि इस देश में इस दौर में बड़े मीडिया हाउस, बड़े पत्रकार, बड़े ब्यूरोक्रेट और बड़े नेताओं ने एक काकस बना लिया है. मीडिया हाउसों में होड़ इस बात की है कि कौन सत्ता के सबसे ज्यादा नजदीक है और कौन सत्ता से सबसे ज्यादा लाभ ले पा रहा है. जनता के प्रति पक्षधरता की अवधारणा तो गए जमाने की बात हो चुकी है. सबकी कोशिश भरी जेब वालों तक पहुंचने की ही है, जो भूखे पेट वाले हैं, उन तक मीडिया पहुंचना नहीं चाहता क्योंकि मीडिया के विज्ञापनदाता वर्ग को भूखे पेट वाला भाता नहीं है क्योंकि वो उनका उपभोक्ता नहीं है. मिडिल क्लास के लोगों के लिए पत्रकारिता हो रही है और सत्ता के घपलों-घोटालों में शामिल होकर, इन घपलों-घोटालों से लाभ लेकर इन घपलों-घोटालों पर पर्दा डालने का काम करने लगी है पत्रकारिता.

हर रोज प्रतिमाएं टूट रही हैं. हर रोज कइयों के आभामंडल खत्म हो रहे हैं. हर रोज नाउम्मीदी के भयावह सपने प्रकट हो रहे हैं. बाजार के खेल ने पवित्र संस्थाओं और नामी-गिरामी तेवरदार लोगों को भी अपने गिरफ्त में ले चुका है. कभी आईपीएल प्रकरण तो कभी स्पेक्ट्रम प्रकरण तो कभी मधु कोड़ा प्रकरण, सबमें मीडिया के लोगों के नाम किसी न किसी रूप में आते-उछलते रहे हैं. पर दिल्ली के मीडिया दिग्गज आमतौर पर किसी बडे़ खेल में पाए नहीं जाते थे. सिर्फ चर्चाएं हुआ करती थी. हवा में आरोप उछाले जाते थे. लेकिन आयकर महानिदेशालय की रिपोर्ट ने जो बातें बताई हैं, उससे तो साफ-साफ पता चल रहा है कि बरखा दत्त और वीर सांघवी नीरा राडिया के पैरोल पर थे, उनके लिए लाबिंग करने का काम करते थे.

जाहिर है, ये काम पवित्र नहीं है और इस काम को बिना किसी आर्थिक लाभ के नहीं किया गया होगा. उम्मीद करें हम कि ये रिपोर्ट गलत हो और ये दोनों पत्रकार पाक साफ हों पर इसके लिए भी तो इन्हें बोलना होगा, आगे आना होगा और कहना होगा कि ये लोग ऐसा नहीं करते थे, ये रिपोर्ट गलत है. वैसे भी अपने देश में बहुत कम ऐसे नौकरशाह बचे हैं जो ईमानदारी से अपना काम करते हैं. ज्यादातर सत्ता के जरिए मैनेज हो जाते हैं और बड़े बड़े घोटालों की जांच में से असली मुजरिम बेदाग छूट कर बाहर निकल जाते हैं. इस देश ने देखा है कि कैसे अरबों के घोटाले करने वाले राजनेता बेदाग बरी हो गए और पता ही नहीं चल पाया कि आखिर घोटालों के दोषी कौन हैं और उन्हें क्या सजा मिली. कई बार छोटी मछलियों को फांस दिया जाता है और बड़ी मछलियां आराम से घपले-घोटाले करके बच निकलती हैं.

राजा को मंत्री बनवाने का मामला हो या फिर टेलीकाम घोटाला, खेल काफी बड़ा है. नीरा राडिया जिस आत्मविश्वास से पूरे सिस्टम को मैनेज करने में सफल हो जाती है, यही वजह है कि अब ऐसे घोटालों की खबरें कम ही बाहर निकल पाती हैं. जिन पर सरकार पर नजर रखने का जिम्मा हो, अगर वही घोटाले-घपले के एक बड़े खेल का हिस्सा बन जाएं तो फिर तो इस देश, समाज और पत्रकारिता का भगवान ही मालिक है. बहुत निराशाजनक तस्वीर है. देखना है कि यह पूरा प्रकरण अब क्या मोड़ लेता है. हम सभी मीडिया वालों को बरखा दत्त और वीर सांघवी के पक्ष का इंतजार करेगा.

यशवंत

एडिटर, भड़ास4मीडिया

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. ankit mathur

    May 7, 2010 at 4:33 am

    सनसनी खेज़…..:o

  2. sonu kumar

    May 7, 2010 at 6:40 am

    Yashwant bhayi….Apne bhut acha likha

  3. mazmoon

    May 7, 2010 at 10:45 am

    shame on u barkha-vir
    shame! shame!

  4. prem upadhyay

    May 7, 2010 at 11:52 am

    is khabar ki breaking chalane3 ka maada kisi news channel me nahi hai ye wahi channel hain jo ladkiyon ki mout ko TRP yani Paise me badlte hai are bewkoofoon is khabar ko chala kar dekho TRP bam-bam na kare to kahena

  5. ajay golhani

    May 8, 2010 at 4:35 pm

    Bahut nirasha hoti hai yeh sunkar. 100 mein se 100 baiman, kaise banega Bharat Mahan.

  6. sushil Gangwar

    May 9, 2010 at 9:33 am

    kal chenneal one par sach ka sach chal raha tha . Kamaan Naveen ji sabhale huye the kuchh bade patrakaar or kuchh neta bhi ek dusre par taane kaste najar aa rahe the. Media ko barbaad or badnaam karne me sabse bada haath netaoo ka hai. ensaan ko pahle apne garemaan me jhaak kar dekhna chahiye ? Ajj barkha dutt or veer ko nishana banaya jaa raha hai . Kya media hi dushit hai desh ka dusra varg nahi . Sabse dushit bah hota hai jo dusre ko dushit kare. Vah hai hamre desh ka Neta ?
    Editor – sushil Gangwar http://www.sakshatkar.com

  7. Ramandeep, Chandigarh

    May 12, 2010 at 8:42 am

    V. good sir, aap ne khulasa kiya. thanks.

  8. dhanish sharma

    November 19, 2010 at 7:40 am

    i belive in barkha ji and sagvi ji.vo javav jarur da sakta hain.

  9. dhanish sharma

    November 19, 2010 at 7:41 am

    muja to yakin nai hota asi khabro pa.

  10. RAJ SINH

    November 20, 2010 at 6:44 am

    शसक्त और साहसपूर्ण आलेख . कुछ सत्ता के दलाल गिरोहों की टिप्पणियां बेशर्मी से बचाव भी कर रही हैं.ये सब काकस के ही चमचे चपाटे ही हैं .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

हलचल

: घोटाले में भागीदार रहे परवेज अहमद, जयंतो भट्टाचार्या और रितु वर्मा भी प्रेस क्लब से सस्पेंड : प्रेस क्लब आफ इंडिया के महासचिव...

Advertisement