भास्कर, रांची से 4 गए, 6 जाएंगे

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: मनोज ने अमर उजाला, देहरादून और गोविंद ने हिंदुस्तान, लखनऊ छोड़ा :  दैनिक भास्कर, रांची से दो विकेट फिर गिरे हैं. दोनों ने हिंदुस्तान ज्वाइन किया है. भास्कर, रांची छोड़ने वालों के नाम हैं मधुरेंद्र श्रीवास्तव और शैली खत्री. मधुरेंद्र नेशनल टैलेंट पूल के सदस्य रहे हैं. वे डिप्टी न्यूज एडिटर पद पर कार्यरत थे. उन्होंने नई पारी की शुरुआत दैनिक हिंदुस्तान, पटना के साथ की है. शैली खत्री को जबलपुर से रांची भेजा गया था. उन्होंने भी हिंदुस्तान, पटना ज्वाइन किया है.

सूत्रों के मुताबिक इन दोनों की लोगों की सेलरी इसलिए इनके एकाउंट में आ गई क्योंकि ये पहले से भास्कर में काम कर रहे थे और इनके एकाउंट खुले हुए थे. लेकिन रांची में जिन लोगों के एकाउंट नहीं खुले हैं, उनकी सेलरी अभी तक उनके पास नहीं पहुंची है. इसी कारण कई और इस्तीफा देने वाले लोग चुपचाप भास्कर, रांची में काम कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि सेलरी मिलते ही करीब आधा दर्जन लोग भास्कर, रांची से इस्तीफा दे देंगे.

एक अन्य सूचना के मुताबिक दैनिक भास्कर, रांची से पंकज वत्स ने इस्तीफा देकर अमर उजाला, गाजियाबाद ज्वाइन किया है. नरेंद्र कुमार, जो भास्कर, रांची में डिप्टी न्यूज एडिटर पद पर कार्यरत थे और आई-नेक्स्ट, रांची से इस्तीफा देकर आए थे, उन्होंने भी आफिस  जाना बंद कर दिया है.

एक अन्य जानकारी के मुताबिक अमर उजाला, देहरादून में कार्यरत मनोज त्रिपाठी अपनी नई पारी की शुरुआत हिंदुस्तान, बरेली के साथ करने वाले हैं. संभवतः 13 सितंबर को वे हिंदुस्तान, बरेली में ज्वाइन करेंगे. मनोज गोरखपुर के रहने वाले हैं.

हिंदुस्तान, लखनऊ में कार्यरत गोविंद पांडेय ने इस्तीफा देकर अमर उजाला, लखनऊ के साथ नई पारी शुरू की है. वे हिंदुस्तान में लोकल डेस्क पर सेकेंड इंचार्ज की हैसियत से काम करते थे. वे दैनिक जागरण, लखनऊ के भी हिस्से रह चुके हैं.

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Comments on “भास्कर, रांची से 4 गए, 6 जाएंगे

  • Satish Sharma, Bhopal says:

    written by Satish Sharma, Bhopal, September 10, 2010
    Bhaskar ne M.P. Aur C.G. k hawkers ki kya durdasha ki he jara yaha k logo se puchiye. Jo Akhabar 50 saal se unka sath de rahe hawkers ko galiya aur jute se nawazata he unhe janwaro ki tarah treat karta he vah jharkhand k hawkers ka kya bhala karega? Shuru me pair jamane k liye Hawkers ko haddi dalne ka kam karega aur kaam niklte hi unki aukat dikha dega. Bhaiyo Bhopal ki hakikat yahi k hawkers se pucho (jo 50 saal se pidit the) ki kaise patrika launch hone se pahle bhaskar ne hawkers se apne talwe chatwaye he. Is akhabar ko bilkul bhi ghass mat dalna nahi to ye bhasmasur ban jayega.

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  • भाई साहब आप अशोक पांडे जी के ज्यादा करीब लगते हैं। पर आपको बता दें कि अशोक पांडे के कारण ही रांची हिन्दुस्तान से पूरे एक दर्जन लोगों ने संस्थान छोड़ दिया। इस बात का एहसास पांडे जी को भी है। तभी तो एक-एक आदमी को फोन कर वे रोकने का प्रयास कर रहे हैं। पहले वे खुद ही कहा करते थे- अरे यार भास्कर वालों ने हिन्दुस्तान वालो को नकार दिया है। भास्कर वाले कहते फिर रहे हैं कि हिन्दुस्तान के रिपोटॆर अौर डेस्क के लोग बेकार है। पांडे जी की एेसी बातें सुनकर ही लोगों ने संस्थान छोड़ दिया। इसके अलावा पांडे जी ने अपने दो चेले श्री परकाश मिश्रा, आलोक पांडे को भी कानपुर से ले आये और उन्हें इंचाजॆ बना दिया। लोगों का यह बात खटकी, कि पांडे जी ज्यादा ही जाितवाद कर रहे हैं। जब हिन्दुस्तान से लोगों का जाना शुरू हुआ तो, पांडे जी को भारी पड़ने लगा। यह बताने की जरुरत नहीं कि राजीव मिस्रा को रोकने के लिए पांडे अपने दोनों चेले के साथ राजीव मिश्रा का घर अगोर रहे थे।
    आपको हिन्दुस्तान से छोड़कर दैनिक भास्कर जाने वालों के बारे में सूचना दे रहा हूं। ये हिन्दुस्तान रांची के संपादक अशोक पांडे ठीक काम कर रहे हैं। भास्कर में इंदौर, जबलपुर और अन्य स्थानों से आए पत्रकारों को घर लौटने के मौका दे रहे हैं। भास्कर वाले लोकल और जानकार लोगों को हिन्दुस्तान से तोड़कर अपने यहां ला रहे हैं। हिन्दुस्तान रांची से अबतक ११ लोग भास्कर रांची जा चुके हैं। पेश है उनकी सूची
    अमरेंद्र कुमार (प्रमुख संवाददाता)
    जितेंद्र कुमार (प्रमुख संवाददाता)
    सतीश कुमार (परमुख संवाददाता)
    पवन कुमार (वरीय संवाददाता)
    संजय सिंह (डीएनइ)
    विनोद सिंह (चीफ सब एडिटर)
    राजीव मिश्रा ( चीफ सब)
    सत्य परकाश चौधरी (चीफ सब)
    रविंदऱ पांडे (सीनियर सब)
    जयंत पांडे (स्टींगर)
    राजीव गोस्वामी (स्टींगर)
    करबी (स्टींगर)

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  • Sujesh Ch. Narayan, Ranchi says:

    दैनिक भास्कर, रांची, प्लेटफ़ारम बन गया है लोग आ रहे है जा रहै है. संपादक ओम गोड को ऐसे लोगो को रखना चाहिए जो टिक कर रहे

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