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‘ब्राह्मण’ संपादक ने ‘क्षत्रिय’ पत्रकार भगाए!

रांची से खबर है कि हिंदुस्तान के संपादक अशोक पांडेय ने तीन पत्रकारों का तबादला दूरदराज की यूनिटों में कर दिया है. इनके नाम हैं वरीय सब एडिटर विनोद सिंह, उप समाचार संपादक संजय सिंह और उप समाचार संपादक संजय सिंह (पलामू वाले). इनमें विनोद सिंह को मेरठ यूनिट भेजा गया है. संजय सिंह को रांची से धनबाद जाने के लिए कह दिया गया है. जबकि संजय सिंह पलामू वाले को देहरादून भेजा गया है. इन लोगों को तत्काल संबंधित यूनिटों में रिपोर्ट करने को कहा गया है. इस तबादला आदेश से आफिस में खलबली मची हुई है. लोग घबराए हुए हैं.

<p style="text-align: justify;">रांची से खबर है कि हिंदुस्तान के संपादक अशोक पांडेय ने तीन पत्रकारों का तबादला दूरदराज की यूनिटों में कर दिया है. इनके नाम हैं वरीय सब एडिटर विनोद सिंह, उप समाचार संपादक संजय सिंह और उप समाचार संपादक संजय सिंह (पलामू वाले). इनमें विनोद सिंह को मेरठ यूनिट भेजा गया है. संजय सिंह को रांची से धनबाद जाने के लिए कह दिया गया है. जबकि संजय सिंह पलामू वाले को देहरादून भेजा गया है. इन लोगों को तत्काल संबंधित यूनिटों में रिपोर्ट करने को कहा गया है. इस तबादला आदेश से आफिस में खलबली मची हुई है. लोग घबराए हुए हैं.</p>

रांची से खबर है कि हिंदुस्तान के संपादक अशोक पांडेय ने तीन पत्रकारों का तबादला दूरदराज की यूनिटों में कर दिया है. इनके नाम हैं वरीय सब एडिटर विनोद सिंह, उप समाचार संपादक संजय सिंह और उप समाचार संपादक संजय सिंह (पलामू वाले). इनमें विनोद सिंह को मेरठ यूनिट भेजा गया है. संजय सिंह को रांची से धनबाद जाने के लिए कह दिया गया है. जबकि संजय सिंह पलामू वाले को देहरादून भेजा गया है. इन लोगों को तत्काल संबंधित यूनिटों में रिपोर्ट करने को कहा गया है. इस तबादला आदेश से आफिस में खलबली मची हुई है. लोग घबराए हुए हैं.

डरे हुए हैं कि कहीं उनकी बारी न आ जाए. तबादला आदेश पर 8 जुलाई की देर रात मुहर लगी है. उधर, इस तबादले को जातीय नजरिए से भी देखा जा रहा है. तीन गैर-ब्राह्मणों के तबादले को रांची यूनिट में ब्राह्मणवाद के पैर को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से की गई कार्यवाही बताया जा रहा है. एक जमाने में जब हरिनारायण सिंह रांची के संपादक हुआ करते थे तो इस यूनिट पर क्षत्रियवाद के आरोप यदा-कदा लगते रहे हैं.

अब अशोक पांडेय के आने के बाद गैर-ब्राह्रण पत्रकार परेशान हैं और मान रहे हैं कि तीन क्षत्रियों के तबादले के बाद बाकी गैर-ब्राह्रणों पर कभी भी गाज गिराई जा सकती है या उन्हें साइडलाइन किया जा सकता है. वैसे भी मीडिया में सवर्णों, खासकर ब्राह्मणों के भरे होने के किस्से, खबरें, चर्चाएं आदि समय-समय पर होती रहती हैं. रांची यूनिट में अचानक तीन गैर-ब्राह्मणों का एकसाथ तबादला कर दिए जाने के बाद पान-चाय की दुकानों पर खड़े होकर विश्लेषण करने वाले मीडिया विश्लेषक इसे जातीय नजरिए के आधार पर देखकर विश्लेषित कर रहे हैं और कुछ तो संपादक अशोक पांडेय के ब्राह्मण प्रेम के अतीत के किस्से पता करते अपने अगल-बगल वालों को सुना रहे हैं.

वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि जिन लोगों का तबादला किया गया है, उनके बारे में हिंदुस्तान प्रबंधन को सूचना मिली थी कि ये लोग भास्कर प्रबंधन से संपर्क में हैं और जल्द ही हिंदुस्तान से इस्तीफा दे सकते हैं, इसलिए तबादला किया गया. पर दूसरी तरफ, तबादले के शिकार लोगों के करीबियों का कहना है कि भास्कर वालों ने तो हर हिंदुस्तानी से संपर्क साधा था, तो क्या इस आधार पर हर किसी का तबादला नहीं कर देना चाहिए, केवल तीन को ही क्यों निशाना बनाया गया, और उन्हीं तीन को निशाना बनाया गया जो ब्राह्मण नहीं थे. फिलहाल, हिंदुस्तान, रांची में कार्यरत लोग इन तीन तबादलों को अपने-अपने तरीके से व्याख्यायित करने में जुटे हुए हैं.

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0 Comments

  1. Sunil kaushik kanina

    July 9, 2010 at 10:23 am

    Mere Vichar se tabadlon ko kewal jatiye najariye se dekhna buri bat hai. ye prabhandhan ka hissa hai.Media men sabhi jatiyan kam ker rahi hain. Kam men jati nahin Yogyata mayne rakhti hai.
    Sunil kaushik kanina(Haryana)

  2. Sarla

    July 9, 2010 at 10:24 am

    Ashok Panday ji jo bhi kar rahe hai mere hisab sey woh apni team bana rahey hai jo her sampadak aur har leader karta hai ab issey jatiwaad ka rag diya ja raha hai jo achhi baat nahi hai
    Hamey her cheeze ko negative nahi dekhna chaiye

  3. vijaya

    July 9, 2010 at 12:16 pm

    khabar achhi hai par heading thik nahi . heading me jyada jatiyatabad dikhta hai. sanjog bhi to ho sakta hai ki tino singh hi hain

  4. prashant kumaar

    July 9, 2010 at 12:46 pm

    Mere Bhai, Harinarayan Singh ne kabhi jaativadita nahi ki. Unhone sirf work culture ko pechana.Jab kabhi compter operator ki kami hui unhone khud matter ko compose kya. Hai koi mail ka lal aisa sampadak.Unhone logon ko samjhya ki ek sampadak bhi operator ka kaam kar sakta hai. Unka kad chota tha par unki unchai ko koi nahi maap sakta. Jab bhi kisi ne naraz hokar apna tyagpatra saunpa unhonein use apni jeb rakhar phir se kaam karne ke liye kaha.Kabhi kisi ko naukri se nahi nikala.Aaj to sampadak har baat par logon ko naukri se nikalne ki dhamki detein hai lekin Harinaraya Ji ne logon ko sirf thik se kaam karne ke liye kaha.Wo to shai mein HARI aur NARAYAN hain.

  5. ak mishra

    July 9, 2010 at 12:58 pm

    dikha koi apno ko apna samajhne wala. pandey ji ko mera slam

  6. गजेन्द्र राठौड़, बेंगलूरु

    July 9, 2010 at 2:36 pm

    आज की पत्रकारिता में आप जातिवाद,क्षेत्रवाद और भाषावाद को आसानी से देख सकते हैं। अशोक पांडेय ने राजपूत पत्रकारो का तबादला कर दिया तो इसमें कोई नया नहीं है। हिन्दी क्षेत्र के कई पत्रिकाओं में ऐसा ही हो रहा हैं। जातिवाद और क्षेत्रवाद हर अखबार में देखने को मिलेगा। यहीं नहीं नए व प्रशिक्षु प्रत्रकारों के प्रवेश में भी जातिवाद आसानी से देखा जा रहा हैं। यह राजपूत है, यह माथुर है, यह शर्मा है और यह जैन है……। अगर साक्षात्कार लेने वाला आपकी ही जाति का है, तो ठीक नहीं तो आप की तो लग गई…।

  7. rajesh patel

    July 9, 2010 at 2:59 pm

    ise jatiwadi rang dena kahi se bhi uchit nahi hai.

  8. pankaj kumar sharma

    July 9, 2010 at 3:06 pm

    yaswant ji tabaldley ko jaativaad , chhetravaad ke nazariye se nahi dekha chahiye…… hamey tabadley wale cheez ko positive lekar chalna chahiye, kirpaya issey negative mein na le………. tabadley to media mein hote rehte hai…… patrakaro ko bhi issey positive mein lena chahiye…… patrkar ko jahan kaam miley, jahan seva karne ka mauka miley ussey peechhe nahi hatna chahiye…… aap ye nahi samajheiye ki main brahman hokar brahman ka paksh le raha hoon….. main ek patrakar hone ke naaate ye baatein keh raha hoon………. pankaj patrakar, asst. producer

  9. vivek vajpayee

    July 9, 2010 at 3:25 pm

    भाई यशवंत जी मैं आपकी खबर से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। वैसे जातिवाद कहां नहीं है जो मीडिया में नहीं होगा। लेकिन किसी का तबादला भर होने से आप उसे जातिवादी कैसे करार दे सकते हैं। ये संयोग भी हो सकता है। इसलिए इतनी जल्दी कोई राय कायमकर किसी को जातिवादी ठहराना उचित नहीं होगा। शायद इलेक्ट्रानिक मीडिया की भांति सनसनी खेज हेडिंग लगाना आपकी भी मजबूरी रही हो। रही बात मीडिया में ब्राह्मण होने की तो मीडिया में ब्राह्मणों का कोई रिर्जवेशन तो है नहीं आज दिल्ली की मीडिया के ऊंचे पदों पर बैठे लोगों को ही देखे मुझे नहीं लगता कि सभी ब्राह्मण हैं।

  10. Seema Rajput

    July 9, 2010 at 3:48 pm

    इससे ज़्यादा बीमार मानसिकता आपकी साइट की और क्या हो सकती है कि आप पत्रकारिता को भी जाती के नज़रिए से देख रहे हैं. खुद राजपूत हैं तो रहिए, लेकिन यह ज़हर तो मत घोलिए इस पेशे में. ऐसे ही चलेंगे तो वह दिन दूर नहीं है, जब समझदार लोग आपकी साइट का बहिष्कार कर देंगे. बचकानी हरकतों से बाहर आइए. अपने को तो सभी क्रांतिकारी समझते हैं. लेकिन दुनिया जानने लगी है कि इस मंच के ज़रिए क्या धंधा चल रहा है.

  11. mahendra

    July 9, 2010 at 3:54 pm

    Dear Yashwant
    At last you have proved your class. It is shame that you have categorised us by caste. Do you know anything about the persons transferred other than their caste? They are journalists first.
    Second point,
    Do you know the plight of journalists of Prabhat Khabar? They are being forced to sign a bond of three years. If they chose to resign from PK before this perod, they will have to pay back 25% of the renumeration. You had written against this practice in the past. Why dont you write anything now? Because Harivanshji had paid your air travel expenses to visit Ranchi during PK’s silver jubilee functions.
    Last but not the least, don’t try to malign anybody.
    Regards
    Mahendra

  12. rohit

    July 9, 2010 at 8:29 pm

    yashwant ji ne jo likha hai wahi sachhai hai dost… ise aaplog anyatha na le. jo sanshthan me kaam kar rahe hain unpe kya gujar rahi hai ye bahar wale kya jane.

  13. Uttank

    July 9, 2010 at 9:08 pm

    Yashwant bhai agar aap Jatiwaad ke aadhar par apni patrakarita ki dukan chalana chahate hain to isme burai kya hai. Aur shayad logo ko itna uttejit hone ki jaroorat bhi nahi hai.
    Aaj ke jamane mein Mayawati, Mulayam, Lalu aur na jane kitne neta Jatiwaad ke aadhar par hi satta mein aaye hain aur apni dukan ko chala rahe hain. Agar aap bhi unka anusarn kar apni dukan chalana chahate ho to bedhark chalaoo qki iske liye kisi license ki jaroorat nahi hoti hai.

    Lakin yashwant ji sach ye hai ki b4m website ke content power mein ab kuch dam bacha nahi hai. Isiliye aap Jatiwaad ka sahara lekar apni dukan ko bachana chaha rahe hai qki satta sukh ka swaad aapko bhi lag chuka hai. Ek jaagruk journalist itna to janta hi hai ki Copy & Paste ka dhanda kab tak chal sakta hai. Aur haan ab to aam journalist bhi aap par nazar rakhne lage hain.
    Saawdhan rahne ki jaroorat hai ki kahin koi aapki poll na khol de.

  14. Sarita Singh

    July 10, 2010 at 5:04 am

    अशोक पांडेय जी से जुड़े इस मामले में सचाई है या नहीं, मैं नहीं जानती। लेकिन मीडिया में कुछ संपादकों का जाति प्रेम किसी से छिपा नहीं है। इस प्रवृत्ति को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए एक गंभीर बहस की जरूरत है। साथ ही ऐसे कुछ संपादकों को बेनकाब करना भी जरूरी है…

  15. kumar

    July 10, 2010 at 9:19 am

    Yashwant Bhai,
    yeh baat hazam nahi ho rahi ki ek unit ka sampadak caste line per teen logo ka transfer kar sakte hai.. yadi aapne likha hota ki transfer karwa diya to baat kuchh jamti.. rahi baat caste line per patrakarita ki to kya yeh baat nai hai kya.. kya jagran me bhahmin ke alawa ya sahara me rajput ke alawa koi survive kar paya ? aise bhi yeh ab koi discussion ka subject nahi raha.. transfer ka correct reason aapko batana chahiye na ki koi sathi baat kani chahiye..

  16. Akshay pratap singh

    July 10, 2010 at 9:39 am

    आज की पत्रकारिता में आप जातिवाद,क्षेत्रवाद और भाषावाद को आसानी से देख सकते हैं। अशोक पांडेय ने राजपूत पत्रकारो का तबादला कर दिया तो इसमें कोई नया नहीं है। हिन्दी कई पत्रिकाओं में ऐसा ही हो रहा हैं। जातिवाद और क्षेत्रवाद हर अखबार में देखने को मिलेगा। यहीं नहीं नए व प्रशिक्षु प्रत्रकारों के प्रवेश में भी जातिवाद आसानी से देखा जा रहा हैं। यह राजपूत है, यह माथुर है, यह शर्मा है और यह जैन है……। अगर साक्षात्कार लेने वाला आपकी ही जाति का है, तो ठीक नहीं तो आप की तो लग गई…।

  17. vikram singh jadon

    July 10, 2010 at 9:42 am

    patrikarita mai jati wad ka koi sthan nahi hai, yadi prabhit hokar aisa kiya gaya hai to behad sharm ki baat hai.

  18. ABC

    July 10, 2010 at 9:51 am

    Are Bhai, sabka samay aata hai. jin logon ke baare men aapne likha hai, unhen Jati ke naam per hi promotion mila tha, Harinarayan Singh nahin hote to sanjay singh sr. sub se aage bahin barh paate. sanjay singh palamu wale ko to daroo peene ke alawa kuchh aata hi nahi hai.

  19. Sapan Yagyawalkya

    July 10, 2010 at 11:23 am

    पत्रकारिता प्रबुद्धजनो का क्षेत्र है . यदि प्राचीन वर्णव्यवस्था के मूल आधार को बिना किसी पूर्वाग्रह के समझ सकें तो प्रत्येक पत्रकार ब्राह्मण की श्रेंणी में आता है. वैसे भी ब्राह्मण वही है जो अन्य सभी का निस्पृह भाव के साथ हित चिंतन करता है.जातिवाद जैसे छिछले सोच को अन्य क्षेत्रों के लिए छोड़ दें.कृपया पत्रकारिता में इस तरह के विचारों का प्रवेश वर्जित रखें. *सपन याज्ञवल्क्य ,बरेली (म.प्र.)

  20. vsr

    July 10, 2010 at 1:49 pm

    jatibad koi nai baat nahi hi .

  21. prashant rajawat-pariwar today

    July 10, 2010 at 3:20 pm

    jatigat bhedbhao thek nahi.

  22. praveen raj singh

    July 11, 2010 at 5:32 am

    yashwant je very few journalist has courage to speak in favor of truth.but people dont like bitter truththats why folloe thw western up adage KANEY SEY KANA MAT KAHIYO KANA JAEYGA RUTH DHIREY SEY PUCH LIO BHAYYA TERI KAISEY GAYI FOOT

  23. Haritima

    July 11, 2010 at 5:48 pm

    Bramhno ne kitne hi dusri jati k logo ko bahar kia hai.yah baniyo k sath ganth se chal raha hai.ispe pramod ranjan ka ‘media me hissedari’ blog pe padhe.

  24. Chandrabhan Singh

    July 12, 2010 at 6:04 am

    Sampadak ke adhikaro or nirnaya ko lanchhit mat kijiye.

  25. v kumar

    July 12, 2010 at 1:34 pm

    panday ji
    aap ne jo jativad ko badhya hai wo koi nai baat nahi hai dunia ke sare pandit yahi kae rahe hai bramahino ki adat hai jasye hi badi post mil jati hai apni hi jati ke logo ko us dept me entry kara lete hai. inke sabse bade dusman thakur & kaystha hai jaha bhi inhe ye dono jati ke logo ka samana karna padta hai ye unke khilaf sajish karne lagte hai .

  26. Vikram Kumar

    July 14, 2010 at 6:54 am

    Sampadak ki koi jati nahi hoti agar kucha bhi hota hai aajkal patrakarita mein to wo hota hai malick ki chupi marjee aur jise pura karne ka madhyam hota hai sampadak kyon ki ajkal sampadak sampadkiya na likhkar prabandhan ke kam mein jyada ruchi rakhate hain

  27. rajiv

    July 14, 2010 at 12:26 pm

    bhadas bhai, apke yanha kis caste ka bol bala hai?

  28. dk singh

    July 15, 2010 at 4:20 am

    यशवंत जी जरूरी है चाहे वो राजपूत हो या ब्रह्मन, या किसी और जाती का… यदि जातीय आधार पर फैसले करता है |तो ऐसे लोगो को बेनकाब होना चाहिए | आप के लेख से कुछ लोगो को मिर्ची लग सकती है | ऐसे लोग छद्म स्वार्थी तत्त्व हैं जिन्हें अपने भले में ही भला दिखाई देता है | यहाँ तक इनका कमेन्ट लिखने का मकसद भे किसी को खुश करने के लिए होता है |किसी को आप के हवाई जहाज के टिकट टिकट पर आपत्ति है | किसी को आप के राजपूत होने पर| किसी को लगता है यशवंत पूरे मीडिया को लुटे ले रहे हैं | मैं खुद राजपूत हूँ मेरे सारे वरिस्थ लोग ब्रह्मन हैं | लेकिन आज तक कभी मुझे जातिवाद की बात महसूस नहीं हुई | जितना प्यार और सहयोग मुझे अपने संसथान अपने मिला उतना तो शायद किसी को मिला हो | यह सही है की कई संस्थानों में जातिवाद का बोलबाला है | खास तौर पर अखबारों में जातिवाद के खेल जमकर खेले जाते हैं | अंत में मै यही कहना चाहूँगा कि जहाँ लोग छमतावान नहीं हैं | जिनमे कमियां हैं जो कमजोर हैं वही लोग जातिवाद क्ष्त्रवाद का सहारा लेते हैं और कई बार | बेहतरीन पत्रकारों को भी इतना कुठित कर देते है | की भड़ास निकल ही आती है | यशवंत जी सड़े गले जातिवाद तंत्र के वाइरस अभी भी लोगो की मानसिकता को बीमार कर रहे हैं | उनकी पहचान करते रहिये | और लिखते रहिये |जितना ही रिअक्सन आएगा उतना ही ये मानसिकता टूटेगी |और हम मीडिया के लोग… अब हमें मुक्त ओ जाना चाहिए | इन दुराग्रहो से |दुनिया में बहुत अच्छी है| दुनिया बहुत खूबसूरत है | हम सब पत्रकार बधू पर जिम्मेदारी है | अतीत के पिंजर को तोड़ कर एक नयी दुनिया नए भारत और नए विश्व की कल्पना करे ना कि तुच्छ मानसिकता में फंस कर नव जीवन के सर्जन गीत की जगह अतीत के अनीति राग में जाया होते रहे…………..
    dk singh

  29. krishna mohan

    July 15, 2010 at 3:50 pm

    Akhabaro mein aisa hota hi rahta hai.brahamanvad koi nai bat nahi hai. abhi desh mein brahamanvad habhi hai.krishna mohan.

  30. markanday mani gkp

    July 16, 2010 at 7:48 pm

    bahi bari to aati hi hai.

  31. JASWANT GURJAR

    July 17, 2010 at 8:19 am

    written by JASWANT GURJAR is tarah ki sankeerna soch media ke kshetra men to kam se kam nahi honi chahiye.media ki har baat or suchna par janta vishwas karti hai,janta ke is vishwas kayam rahne do.
    BHARATKESARI.COM NEWS PORTAL

  32. binay kumar singh,Palamu

    August 13, 2010 at 9:11 am

    mere bichar men prabandhan ke kisi nirnay ko jatigat dristikon se nahi dekha jana chahiye jahan tak palamu wale sanjay singh ki bat hai to unhone palamu men kya gul khilaya hai yeh kisi se chipa nahi hai phir bhi aaj jo samaj ki jo ishthi hai usme yeh sawal uth hi jata hai.

  33. kundan vashishth

    September 1, 2010 at 1:53 pm

    Dear Yashvant g iss se aisa lg rha h ki aap jaativad kr rhe hain. iska aapke paas kya praman h. plz Bhdas ko news k liye rhne de, politics n kren.

  34. munes shukla

    September 22, 2010 at 10:35 am

    ashok pandey ji ko jatiwadi kahana yashawant ji apki jatiy sonch ko parilachhchhit karta hai app jatiy jahar gholne wale apradhi hain

  35. ashish awasthi

    December 10, 2010 at 2:43 am

    अशोक पांडेय जी से जुड़े इस मामले में सचाई नहीं, है किसी का तबादला भर होने से आप उसे जातिवादी कैसे करार दे सकते हैं।sanu awasthi sumerpur unnao

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