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चैनल खोलना नहीं होगा आसान

भारतीय टेलीविजन बाजार में चैनलों की तेजी से बढ़ती बाढ़ तो दूसरी तरफ चैनलों की गिरती साख से चिंतित केन्द्र सरकार अब अपनी मौजूदा “चैनल अनुमति नीति” में भारी बदलाव लाने जा रही है. एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत, नए चैनलों को अनुमति देने से संबंधित मौजूदा दिशानिर्देशों की गहन समीक्षा की जा रही है. सरकार की चिन्ता का एक कारण यह भी है कि नए चैनल शुरू करने वालों में से कइयों की पृष्ठभूमि संदिग्ध है और उनका मीडिया से कोई लेना-देना नहीं है.

<p align="justify">भारतीय टेलीविजन बाजार में चैनलों की तेजी से बढ़ती बाढ़ तो दूसरी तरफ चैनलों की गिरती साख से चिंतित केन्द्र सरकार अब अपनी मौजूदा "चैनल अनुमति नीति" में भारी बदलाव लाने जा रही है. एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत, नए चैनलों को अनुमति देने से संबंधित मौजूदा दिशानिर्देशों की गहन समीक्षा की जा रही है. सरकार की चिन्ता का एक कारण यह भी है कि नए चैनल शुरू करने वालों में से कइयों की पृष्ठभूमि संदिग्ध है और उनका मीडिया से कोई लेना-देना नहीं है. </p>

भारतीय टेलीविजन बाजार में चैनलों की तेजी से बढ़ती बाढ़ तो दूसरी तरफ चैनलों की गिरती साख से चिंतित केन्द्र सरकार अब अपनी मौजूदा “चैनल अनुमति नीति” में भारी बदलाव लाने जा रही है. एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत, नए चैनलों को अनुमति देने से संबंधित मौजूदा दिशानिर्देशों की गहन समीक्षा की जा रही है. सरकार की चिन्ता का एक कारण यह भी है कि नए चैनल शुरू करने वालों में से कइयों की पृष्ठभूमि संदिग्ध है और उनका मीडिया से कोई लेना-देना नहीं है.

सूचना व प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने दैनिक हिंदुस्तान अखबार से खास बातचीत में इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा, “हम असीमित चैनलों को अनुमति देने की मौजूदा नीति पर पुनर्विचार कर रहे हैं. चैनलों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हमारे पास सीमित स्पेक्ट्रम उपलब्ध हैं, जिनका हमें सही इस्तेमाल करना ही होगा. हमें कुछ नई नीतियां बनानी होंगी.” सरकार के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने प्रसारण क्षेत्र के रेगुलेटर ट्राई को लिखा है कि वह उन्हें सुझाए कि कितने और चैनलों की गुंजाइश इस देश में है और चैनलों की तेजी से बढ़ रही संख्या पर कैसे नियंत्रण लगाया जाए. पत्र में मंत्रालय ने चिंता वयक्त की है कि नए चैनल शुरू करने वालों में बिल्डर, ठेकेदार, शिक्षा क्षेत्र में व्यापार करने वाले, स्टील व्यापारी समेत वैसे लोग हैं जिनका मीडिया से इसके पहले कोई ताल्लुक नहीं था. पिछले कुछ महीनों में मंत्रालय को शिकायत मिल रही थी कि चैनल शुरू करने में मदद करने वाले कुछ स्वघोषित एजेंट और दलाल मोटा पैसा लेकर चैनल शुरू करवाने का धंधा चला रहे हैं. सरकार ने अभी तक 498 चैनलों को अनुमति दी है और 250 नए चैनलों के आवेदन मंत्रालय के सामने विचाराधीन हैं. नए चैनलों को प्रसारण की अनुमति लेने के लिए गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और अंत में सूचना व प्रसारण मंत्रालय से अनुमति लेनी होती है.

चैनल कितने हैं-

दिसंबर 2008 तक के आंकड़े : कुल चैनल- 417, न्यूज चैनल- 197

सितंबर 2009 तक के आंकड़े : कुल चैनल- 498, नए आवेदन- 150

सरकार की मुख्य आपतियां?

  • गैर मीडिया क्षेत्र के लोग चैनल शुरू कर रहे है.
  • चैनल का लाइसेंस लेकर चैनल शुरू नहीं करते. बन्द होने का खतरा रहता है लगातार
  • कई चैनलों में नौकरियों को लेकर कोई सुरक्षा नही.

संभावित नए दिशा-निर्देश

  • जो लोग चैनल शुरू करना चाहते हैं, उनका मीडिया के क्षेत्र में कितना पुराना अनुभव है?
  • प्रस्तावित चैनल स्वामी के पास क्या 3 वर्ष तक चैनल चलाने की वित्तीय क्षमता है?
  • चैनल में नियुक्त पत्रकारों/कर्मचारियों के लिए रोजगार गारंटी के क्या मानदंड हैं?

साभार : दैनिक हिन्दुस्तान

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