गोरिया करि के सिंगार… गोरिया करि के सिंगार…. अंगना में पीसे लीं हरदिया… होली है!!! जोगीरा सारा रा रा रा : मुफ्त टिकट मिल गया था जाने के लिए और उनका नमक खाकर लौटा हूं, साथ में इस साइट पर मौर्य टीवी का विज्ञापन भी चल रहा है, इसका हक अदा करने के लिए नहीं लिख रहा हूं कि प्रकाश झा में तो बड़ा दम है. परसों शाम जिन लोगों ने पटना में मौर्य टीवी के लांचिंग समारोह को देखा होगा, उन्हें महसूस हुआ होगा कि जमीन से उठा यह आदमी सिर्फ अपनी प्रतिभा, सोच, मेहनत, क्षमता, साहस और सही समय पर सही फैसले लेने के गुण के कारण आज देश के जाने-माने लोगों में शुमार है. कुछ हद तक हम हिंदी वालों के लिए रोल माडल भी है. मुझ जैसे धंधेबाज (अंग्रेजी के अंटरप्रिन्योर या इंटरप्रेन्योर या हिंदी के उद्यमी जैसे शब्दों का ठेठ देहाती वर्ड तो धंधेबाज ही होता है, ऐसा मैं मानता हूं.) के लिए तो वो बिलकुल रोल माडल सरीखे हैं. कैसे आप किसी की नौकरी-चाकरी-गुलामी में दुखी दिल से जिंदगी खपा देने की जगह अपने पर भरोसा करते हुए कोई काम शुरू करते हैं और उसमें कामयाबी के झंडे गाड़ने के बाद नए-नए क्षेत्रों में भी वैसा ही धमाल कर गुजरने की तमन्ना से बढ़ चलते हैं, यह प्रकाश झा से सीखता हूं.
प्रकाश झा का पिछले दिनों भड़ास4मीडिया पर जो इंटरव्यू प्रकाशित किया था, उसमें खासकर मैंने एक सवाल पूछा था हिंदी बेल्ट के लोगों के बारे में जो अपना धंधा करने की जगह नौकरी करने को ही जीवन का अंतिम लक्ष्य मान लेते हैं. तब उन्होंने बहुत सही जवाब दिया था- ”हम लोग थोड़े आरामतलब स्वभाव के हैं, जब खाने और जीने भर को मिल जाता है तो हम आलसी हो जाते हैं. पर जब हम किसी शहर जाते हैं काम के लिए और मुश्किलों से दो-चार होते हैं तो बहुत कुछ झेलते-सीखते हैं और फिर बहुत कुछ रचने भी लगते हैं.”
प्रकाश झा से मीडिया के उन साथियों को सबक लेना चाहिए जो अपने मालिकों के रहमोकरम को कायम रखने मात्र को ही जिंदगी का लक्ष्य बनाए बैठे हैं और इसी जोड़-गणित में जवानी का कीमती हिस्सा होम कर देते हैं. फिल्म में इतना नाम कमाने, शीर्ष पर पहुंचने के बाद अब वो आदमी, मतलब प्रकाश झा, मीडिया, राजनीति और बिजनेस, तीनों क्षेत्रों में भी जोर-शोर से सक्रिय हो गए हैं और नया कुछ कर गुजरने के लिए लगभग आमादा-से हैं. मौर्य टीवी के लांचिंग समारोह में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी संकेत-संकेत में कह गए कि इन्होंने पिछली फिल्म ‘अपहरण’ बनाई तो उसके बाद बिहार में अपहरण उद्योग रुक गया (जाहिर है, इसका क्रेडिट नीतीश कुमार को मिलना चाहिए), नई फिल्म ‘राजनीति’ बनाई है, देखिए होता क्या है. कुछ लोगों ने इसका यह अर्थ भी निकाला कि प्रकाश झा राजनीति में दूर तक जाने का इरादा रखते हैं और उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा से प्रोफेशनल नेताओं के हाथ-पांव फूल सकते हैं. प्रकाश झा के चुनाव लड़ने और बिहार में राजनीतिक सक्रियता दिखाने से यह तो स्पष्ट है कि राजनीति के जरिए भी वे कुछ नया करना चाहते हैं.
कैलाश खेर ने जिन शब्दों में प्रकाश झा की तारीफ की, उससे जाहिर होता है कि प्रकाश झा दोस्तों के दोस्त हैं. अच्छे लोगों को पसंद करने वाले हैं. काम करने वालों से प्यार करते हैं. भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी मृदुल और रवि किशन ने प्रकाश झा से अनुरोध किया कि जिस तरह उन्होंने बालीवुड में झंडे गाड़े हैं, वैसे ही भोजपुरी फिल्म उद्योग का उद्धार करने के लिए इस तरफ रुख कर दें. प्रकाश झा बोले- आपने तो मुझे लपेट लिया.
कैटरीना कैफ, अर्जुन रामपाल, मनोज वाजपेयी…. कई नामी-गिरामी कलाकार मौके पर मौजूद थे. कार्यक्रम शुरू होने के पहले मंच पर बिहार और झारखंड के क्षेत्रीय गीतों का जो दौर चला, उसने तो मन मोह लिया. मुझे होली वाला भोजपुरी गीत बहुत पसंद आया. उसकी कुछ लाइनें इस तरह हैं… गोरिया करि के सिंगार-3 …. अंगना में पीसे लीं हरदिया… होली है… गोरिया केहवा के तोहरी लोढ़िया सिलबटिया…. कहवा के हरदी पुरान हो…. अंगना में पीसे लीं हरदिया… होरी है…. गोरिया करि के सिंगार… बहुत मस्त गाया और बजाया है बंदों ने. इसमें जोगीरा भी है. लगा कि होली का दिन है और मैं अपने गांव में हूं. झारखंड के आदिवासियों का गीत समझ में तो नहीं आया पर दिल को छू गया. कार्यक्रम के दौरान मोबाइल से मैंने कई वीडियो बनाए, उसमें से पसंदीदा तीन वीडियो डाल रहा हूं. चौथे वीडियो में हैं मंच पर मंचासीन बालीवुड के कलाकारों के साथ प्रकाश झा. देखिए, सुनिए, गुनिए और इंतजार कीजिए आगे के अनुभवों को जानने-पढ़ने-देखने के लिए.
एक बार फिर मोबाइल से वीडियो बनाने के कारण खराब क्वालिटी के लिए माफी मांगता हूं. वैसे, मौर्य टीवी के साथियों तक आवाज पहुंच रही हो तो वे इन गीतों के ओरिजनल वीडियो, जो यू-ट्यूब पर अपलोडेड हों या अपलोड होने लायक साइज के हों, भिजवा दें तो मजा आ जाए. हां, याद रखिए, मैं केवल घूमने और मस्ती करने गया था, रिपोर्टिंग करने नहीं कि अच्छी क्वालिटी वाले वीडियो पैदा करने के लिए बड़ा-सा कैमरा ले जाता. अगर रिपोर्टिंग करने गया होता तो केवल तीन लाइन की खबर लिखता, वो इस प्रकार- ”आज मौर्या टीवी एक भव्य समारोह के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों लांच हो गया. इस मौके पर बालीवुड के नामी-गिरामी कलाकारों व गायकों ने पटना की जनता का भरपूर मनोरंजन किया.” तीन लाइन की जगह दो ही लाइन में सिमट गया, है ना यह कंप्लीट रिपोर्टिंग!! -यशवंत
sushil tripathi
February 4, 2010 at 9:51 am
kisi ke rahamokaram par aur jodgadit kar koi insaan kitne din saflata pa sakta hai? insaan ko apni alag pehchaan banane ke liye khud par vishwas karna chahiye.iski ek misal prakash jha ji hain. unhone jeevan me sanghars kiya hai tab aaj is mukam par pahunche hai ki.unke filmo se unki soch aur pratibha ka pata chalta hai. aap ne apne lekh me inka udaharad dekar yuva patrakaron ko ek acchi sikh di hai.
विनीत कुमार
February 4, 2010 at 7:21 am
सब तरह का मजा मिला इस पोस्ट से।..
Rakesh jha
February 4, 2010 at 8:40 am
such liquidity wrtting skills will improve the skills of aspirsants and all the best
Rakesh jha
February 4, 2010 at 8:42 am
is tarah ka post jiwant kar deta hai
Badri Nath Verma
February 4, 2010 at 9:28 am
Bhai yashwantjee aapki lekhani gazab ki hai.kisi bhi chij ko rochak dhang se prastut karane ki aapki kala ka to mai kayal hoo. bus yun hi likhate rahiye.
vikas kumar and Rakesh kumar
February 4, 2010 at 2:38 pm
Bhaiya kya Reporting kiya hai aapne? sara plot ek hi jagah se dikh gaya. vaakai aapka havaai yatra hamare nahi hone ki sari bharpai kar diya.
avinash kumar jha
February 4, 2010 at 3:50 pm
mine sirf aapke bataye 3 line wali news ko hi suna tha,,,,bt aapke lakhan ne to wahan ghatit hui ya dil si nikale aawaj ko bhi suna diya….bahut sukriya aapko ….aur aap plz reporting ke liye to jayega bhi mat……..
baburam
February 4, 2010 at 4:12 pm
यशवंत जी की जय हो.. जय जय हो….