मुंबई में थाने में पत्रकारों से हैवानियत

Spread the love

मोहम्मद खालिदअब्दुल बाकी अंसारनशे में धुत्त थे पुलिस वाले : मुंबई में भिवंडी पुलिस स्टेशन के आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों ने नशे में धुत्त होकर बीती रात एक घटना की कवरेज कर रहे दो पत्रकारों को पट्टों से इतना पीटा कि उन्हें अस्पताल में दाखिल कराना पड़ा। पुलिस की हैवानियत से पत्रकारों में भारी रोष है। कोई सुनवाई न होने पर रात चार बजे थाने के सामने पत्रकारों को धरना देना पड़ा। डीसीपी ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है। सहारा मुंबई के रिपोर्टर दानिश आजमी ने बताया कि स्थानीय न्यूज चैनल ‘आपकी आवाज’ के रिपोर्टर अब्दुल बाकी अंसारी और मोहम्मद खालिद को 2-3 अगस्त की रात सूचना मिली कि भिवंडी थाने के शांति नगर इलाके में एक लड़की का अपहरण हो रहा है। अपहर्ता लड़की को लेकर भाग रहे हैं। दोनों रिपोर्टर तत्काल कवरेज के लिए मौके पर पहुंच गए। दोनों ने ज्यों ही घटना को शूट करने की कोशिश की, पुलिसकर्मियों ने दोनों के कैमरे छीन कर जमीन पर पटक दिए और मां-बहन की गालियां देने लगे। इतना ही नहीं, नशे में धुत्त पुलिसकर्मी दोनों रिपोर्टरों को धकेलते हुए भिवंडी स्टेशन ले आए और अंदर बंद कर पट्टे से जमकर पिटाई की। 

जब पत्रकारों को इस घटना का पता चला तो महुआ, मी मराठी, उर्दू टाइम्स आदि के दस-पंद्रह रिपोर्टर रात में ही भिवंडी पुलिस स्टेशन पहुंच गए। पुलिस वालों का दुस्साहस देखिए कि उनके साथ भी गाली-गलौज किया गया, धमकाया गया। पुलिस कर्मियों का कहना था कि बिना उनकी परमिशन के घटना की शूटिंग की जा रही थी। पुलिस की ज्यादती से गुस्साए सभी पत्रकार रात चार बजे भिवंडी थाने के सामने धरने पर बैठ गए। बात बढ़ते देख सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर भरत निंबालकर को बुलवाया गया। धरना दे रहे पत्रकारों की मांग पर पीड़ित दोनों पत्रकारों को बाहर ले आया गया, जो पुलिस की पिटाई से कराह रहे थे। उन्होंने निबांलकर के सामने रात की आपबीती बयान करते हुए बताया कि उन्हें थाने लाकर पीटने वाले छहों पुलिस वाले अपहरण की घटना के दौरान नशे में धुत्त थे। इस पूछताछ के बाद पुलिस पिटाई से आहत दोनों पत्रकारों को इंदिरा गांधी मेमोरियल अस्पताल भिवंडी में भर्ती कराया गया।  

इधर, थाने पर धरना दे रहे पत्रकारों ने जब निंबालकर से छहों पुलिस कर्मियों के मेडिकल चेकअप की मांग की तो उनमें से पांच को मौके से खिसक जाने दिया गया। सिर्फ एक पुलिसकर्मी का ही मेडिकल परीक्षण कराया गया। मेडिकल रिपोर्ट में साबित हो गया कि वह शराब के नशे में था। इसके बाद पत्रकारों का प्रतिनिधि मंडल डीसीपी जोन-2 चंद्रशेखर बैठंकर से मिला। उन्होंने कहां कि पूरे घटनाक्रम की जांच कराएंगे। इस पर ऐतराज जताते हुए पत्रकारों का कहना था कि तत्कालीन गृहमंत्री आर.आर. पाटिल घोषित कर चुके हैं कि यदि कोई पत्रकार से मारपीट करता है, कवरेज में बाधा डालता है तो उस पर पचास हजार रुपये तक जुर्माना लगेगा और उसे तीन साल के लिए सस्पेंड कर दिया जाएगा। फिर इन नशेड़ी पुलिस कर्मियों को तत्काल दंडित क्यों नहीं किया जा रहा है। पत्रकारों का कड़ा रुख देख डीसीपी कहा कि इसकी जांच के लिए मुझे पांच दिन का समय चाहिए। इस जवाब से गुस्साए पत्रकार उठ कर चलने लगे तो उन्होंने कहा कि कार्रवाई के संबंध में वह आज चार बजे तक कुछ बता सकेंगे।

इस पूरे वाकये का सबसे दुखद पक्ष ये रहा कि मेडिकल रिपोर्ट मिल जाने के बावजूद कार्रवाई तो दूर, उल्टे दोनों पत्रकारों के खिलाफ भिवंडी थाने में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई। डरा-धमका कर इसमें मोहरा बनाया गया उस महिला को, जिसकी लड़की का अपहरण हो रहा था। रिपोर्ट उस महिला की ओर से ही दर्ज कराई गई।  सब कुछ देखते-सुनते हुए भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों तक ने पीड़ित दोनों पत्रकारों का बयान दर्ज नहीं कराया है। अब पत्रकारों को डीसीपी के फैसले का इंतजार है।

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *