एक मुलाकात
भोजपुरी इंटरटेनमेंट चैनल ‘महुआ‘ और हिंदी-भोजपुरी न्यूज चैनल ‘महुआ न्यूज‘ के बाद पीके तिवारी की टीम अगले दो-तीन महीनों में एक फिल्मी और एक म्यूजिक चैनल लांच करने की तैयारी में जुट गई है। पीके तिवारी सेंचुरी कम्युनिकेशन लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। सेंचुरी कम्युनिकेशन वही कंपनी है जो एक जमाने में प्रोडक्शन हाउस के रूप में दूरदर्शन के लिए प्रोग्राम बनाया करती थी।
पीके तिवारी के निर्देशन में सेंचुरी कम्युनिकेशन ने जो ग्रोथ हासिल की हैं, वह नए मीडिया उद्यमियों के लिए प्रेरणादायी है। सेंचुरी के बैनर तले आज छह अलग-अलग कंपनियां संचालित हो रही हैं और सभी कंपनियां लाभ में हैं। इन कंपनियों के जन्म लेने, स्थापित होने और छा जाने के पीछे जिस एक शख्स की मेहनत, लगन और विजन है, वो हैं पीके तिवारी। महुआ न्यूज की लांचिंग के बाद भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह ने ग्रुप के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर पीके तिवारी से मुलाकात की और कई मुद्दों पर बात की। पेश है कुछ अंश-
–30 दिसंबर 1948 को पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिला गाजीपुर के युवराजपुर गांव में पैदा हुआ। पांचवीं तक गांव में ही पढ़ाई की। पांचवीं के बाद पिताजी ने बेहतर शिक्षा-दीक्षा के लिए देहरादून बोर्डिंग स्कूल भेज दिया। ग्रेजुएशन दार्जिलिंग के एक मिशनरी स्कूल से किया। पिता के गुजर जाने के बाद अचानक मुझे पैतृक बिजनेस को संभालना पड़ा। यह बिजनेस मेटल का था। कोलकाता में रहने वाला चाचा से बिजनेस में अलगाव होने के कारण मेरे पर सारा भार आ पड़ा। मैं दिल्ली आ गया। पिता के न होने और चाचाओं से अलग हो जाने के कारण मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करूं। दिल्ली में मेरा एक क्लासफेलो मिला। उसने खुद को फिल्म निर्माण का जानकार होने की बात बताई और इससे जुड़े नेशनल-इंटरनेशनल सर्टिफिकेट दिखाए। हम दोनों ने मिलकर फिल्म बनाने की योजना तैयार की। 1984 में मीडिया और पत्रकारिता पर आधारित फिल्म ‘न्यू देल्ही टाइम्स‘ बनकर तैयार हो गई। फिल्म बनाने में पैसा कम से कम (15 लाख रुपये) खर्च करने की रणनीति बना रखी थी और फिल्म को मीडिया के जरिए प्रचार काफी मिल गया। 1985 में इस फिल्म को ‘बेस्ट फिल्म आफ द इयर’ अवार्ड मिला। इस एक फिल्म ने मेरे लिए रास्ता खोल दिया। हम लोगों को दूरदर्शन से प्रोग्राम बनाने के लिए काम मिलने लगा। 87 में पोस्ट प्रोडक्शन के लिए अपनी कंपनी खोली- सेंचुरी कम्युनिकेशंस नाम से। दस साल बाद 1997-98 में दिल्ली में अपना सबसे बड़ा स्टूडियो बनाया। अपने आफिस के लिए जमीन लेकर बिल्डिंग बनवाई और 2003 में इसमें शिफ्ट हो गए। इसी साल 2003 में बांबे में पोस्ट प्रोडक्शन के काम के लिए कंपनी डाली।
दो साल बाद 2005 में बांबे में भी अपनी जगह खरीदकर उसमें शिफ्ट हो गए। बांबे के बाद चेन्नई में पोस्ट प्रोडक्शन कंपनी लांच की। 2008 में लंदन में स्टूडियो खरीदा और इसी वर्ष भोजपुरी इंटरटेनमेंट चैनल महुआ लांच किया। इस साल एक मार्च से महुआ न्यूज आपके सामने हाजिर है।
–आपने जो सफर शुरू किया, उसमें लगातार आगे बढ़ते रहे। क्या कभी असफल नहीं हुए?
–गिरे भी हैं। कई बार गिरे। लेकिन रिस्क कैलकुलेटेड लेता हूं। जब आप पहले से कैलकुलेट करते हैं तो चीजें खराब होने पर भी उससे निकलने-उबरने में कोई विशेष परेशानी नहीं होती। कोई चीज करने से पहले उसका बुरा से बुरा अंजाम क्या होगा, अच्छा से अच्छा क्या होगा, ये जरूर सोचना चाहिए। यह मेरा मानना है। चैनल लांच में भी रिस्क था। पर पोस्ट प्रोडक्शन जाब और स्टूडियो खुद का होने के चलते कोई चीज मार्केट से आउटसोर्स करने नहीं जाना पड़ा। इससे रिस्क थोड़ा कम था।
–आपकी कुल कितनी कंपनियां हैं और इसमें कितने लोग काम करते हैं?
–छह कंपनियां हैं। लंदन में दो, बांबे में दो, एक महुआ और एक सेंचुरी। कुल 1700 से 1800 लोग मेरे यहां काम करते हैं।
–एक सवाल मीडियाकर्मियों की तरफ से। ऐसा देखा जा रहा है कि आर्थिक मंदी के नाम पर मालिक लोग अपने यहां धडा़धड़ छंटनी कर रहे हैं और खर्चे में कटौती के नाम पर अपने कर्मियों की रोजी-रोटी छीन रहे हैं। आप भी शुरू में एक मीडियाकर्मी ही थे और मेहनत-लगन से आगे बढ़ते गए। क्या एक मनुष्य और एक पूर्व मीडियाकर्मी होने के नाते आपको मीडियाकर्मियों का छंटनी किया गलत नहीं लगता?
–देखिए, मैं अपनी बात बता सकता हूं। आर्थिक मंदी के इस दौर में हम लोगों ने बजाय किसी को निकालने के, नया चैनल लांच करके कई मीडियाकर्मियों को रोजगार दिया है। मेरी कोशिश रहती है कि मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार दे सकूं। छंटनी के दौर में भी हमने कोई ऐसा काम नहीं किया जिस पर मीडियाकर्मी उंगली उठा सकें या सवाल खड़ा कर सकें।
–भोजपुरी चैनल लांच करने का खयाल कैसे आया? क्या इसके पीछे वजह आपका भोजपुरी इलाके से होना है या कुछ और?
–बात केवल भोजपुरी की नहीं है। इस देश में जब बंगाली में 10 चैनल चल सकते हैं, तमिल में 16 चैनल चलाए जा सकते हैं, तेलगू में 12 चैनल दर्शकों के लिए हैं तो भोजपुरी में दो-चार चैनल क्यों नहीं हो सकते! वैसे भी, हिंदी के बाद भोजपुरी बोलने वालों की संख्या और भौगोलिक एरिया बहुत बड़ा है। पर दुर्भाग्य से इस भाषा में कोई चैनल नहीं था। दो साल पहले भोजपुरी चैनल लाने के लिए शुरुआत किया। महुआ के लिए हमने 200 से ज्यादा भोजपुरी फिल्मों का सैटेलाइट राइट खरीदा। हर एक भोजपुरी फिल्म में पांच से लेकर आठ गाने होते हैं इस तरह से 1600 गानों का बैंक बना। भोजपुरी में न्यूज बुलेटिन बनाए। इस प्रकार से पिछले साल महुआ अस्तित्व में आया और कंटेंट व रेवेन्यू के लिहाज से शानदार परफार्म कर रहा है। यह भोजपुरी दर्शकों का अपनी भाषा के प्रति प्रेम और ललक दर्शाता है।
–जब आप छात्र होते थे तो आपकी सबसे प्रिय अभिनेत्री कौन हुआ करती थी?
–वहीदा रहमान पसंद थीं। ‘गाइड’ फिल्म कई बार देखी। 10 दिन में एक फिल्म देखा करता था।
–आपके जीवन की वो बातें, जिससे आपको आगे बढ़ने की ताकत मिलती है?
–दुनिया में आपको हर तरह के लोग मिलते हैं- अच्छे भी और बुरे भी। अपने मकसद से नहीं भटकना चाहिए। कई बार बिना फल की कामना किए संघर्ष जारी रखना पड़ता है तो इसे सकारात्मक रूप में लेना चाहिए। मैं रोजाना दो घंटे ध्यान करता हूं। मैं बहुत ज्यादा आध्यात्मिक हूं। मेरी आस्था ही शक्ति के रूप में परिवर्तित होती है। आफिस से घर जाने से पहले कुछ न कुछ जरूर पढ़ता हूं ताकि हर दिन कुछ न कुछ पा सकूं, सीख सकूं। जो भी होता है ईश्वर की भक्ति और शक्ति से ही होता है। जितना हो सके, मजबूरों और गरीबों की मदद में आगे आना चाहिए। बीमार, बूढ़ों और जरूरतमंदों की मदद की परंपरा हमारे यहां रही है। मैं कोशिश करता हूं, ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद कर सकूं। इस काम में मुझे आत्मिक सुख मिलता है।
–महुआ न्यूज की लांचिंग के बारे में बताएं? आगे की क्या योजना है?
–महुआ टीवी के अच्छे प्रदर्शन के बाद महुआ न्यूज लांच किया है। हम लोग उत्तर प्रदेश, झारखंड, उत्तरांचल, बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली और एनसीआर इलाकों को लक्ष्य करके कंटेंट और मार्केटिंग की स्ट्रेटजी बनाए हैं। बीते महीने से महुआ टीवी टाटा स्काई पर भी आ गया है। यह चैनल मुंबई और पश्चिम बंगाल समेत कई अन्य जगहों पर भी देखा व पसंद किया जा रहा है। आगे की योजना फिल्म और संगीत के चैनल लाने की है। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है।
–आपने समय दिया, बात की, इसके लिए शुक्रिया, आगे के प्रोजेक्ट्स के लिए शुभकामनाएं।
–धन्यवाद जी। बहुत बहुत धन्यवाद।
पीके तिवारी से अगर आप कुछ कहना चाहते हैं तो उन्हें [email protected] पर मेल कर सकते हैं।
vijay
January 21, 2010 at 6:30 am
kya ye mail sahi hai aur sahi hai to kya ye mail padate hai aur jaha tar risk ki baat hai to kis risk ki baat kar rahe hai
deepak Singh
October 18, 2011 at 5:44 pm
yaswant ki sari patrakarita gajipur ke pas hi kyoun ghumti hai……..bada radddi aadmi hai yaswant…