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मंदी के मारे मीडिया हाउसों के पत्रकार बने बेचारे

मंदी की मार से बचने के नाम पर किए जा रहे उपायों से मीडिया इंडस्ट्री में हजारों पत्रकारों को बेकार होना पड़ा है। भड़ास4मीडिया के पास मीडिया संस्थानों से छन छन कर आ रही सूचनाओं से पता चलता है कि स्थिति विकट हो चली है। हर मीडिया हाउस अपने सरवाइवल के लिए और मंदी की कथित आंधी से उबरने के लिए मैन पावर में कटौती का मंत्र अपनाए है। इससे हर रोज सैकड़ों लोगों की रोजी-रोटी छिन रही है। पता चला है कि इंडिया न्यूज ने अपने मुंबई आफिस को बंद करते हुए 30 से 35 लोगों को टाटा बाय बाय बोल दिया है। जी स्पोर्ट्स से 25 लोग निकाले गए हैं। ई 24 के मुंबई से संचालन को बंद कर इसे दिल्ली शिफ्ट किया जा रहा है। सहारा के चैनलों से कई जर्नलिस्टों को बाहर किए जाने की सूचना है। ईटीवी ने नया फरमान जारी किया है। ये सभी खबरें अब विस्तार से-

<p align="justify">मंदी की मार से बचने के नाम पर किए जा रहे उपायों से मीडिया इंडस्ट्री में हजारों पत्रकारों को बेकार होना पड़ा है। <strong>भड़ास4मीडिया</strong> के पास मीडिया संस्थानों से छन छन कर आ रही सूचनाओं से पता चलता है कि स्थिति विकट हो चली है। हर मीडिया हाउस अपने सरवाइवल के लिए और मंदी की कथित आंधी से उबरने के लिए मैन पावर में कटौती का मंत्र अपनाए है। इससे हर रोज सैकड़ों लोगों की रोजी-रोटी छिन रही है। पता चला है कि <strong>इंडिया न्यूज</strong> ने अपने मुंबई आफिस को बंद करते हुए 30 से 35 लोगों को टाटा बाय बाय बोल दिया है। <strong>जी स्पोर्ट्स </strong>से 25 लोग निकाले गए हैं। <strong>ई 24</strong> के मुंबई से संचालन को बंद कर इसे दिल्ली शिफ्ट किया जा रहा है। <strong>सहारा</strong> के चैनलों से कई जर्नलिस्टों को बाहर किए जाने की सूचना है। <strong>ईटीवी</strong> ने नया फरमान जारी किया है। ये सभी खबरें अब विस्तार से-</p>

मंदी की मार से बचने के नाम पर किए जा रहे उपायों से मीडिया इंडस्ट्री में हजारों पत्रकारों को बेकार होना पड़ा है। भड़ास4मीडिया के पास मीडिया संस्थानों से छन छन कर आ रही सूचनाओं से पता चलता है कि स्थिति विकट हो चली है। हर मीडिया हाउस अपने सरवाइवल के लिए और मंदी की कथित आंधी से उबरने के लिए मैन पावर में कटौती का मंत्र अपनाए है। इससे हर रोज सैकड़ों लोगों की रोजी-रोटी छिन रही है। पता चला है कि इंडिया न्यूज ने अपने मुंबई आफिस को बंद करते हुए 30 से 35 लोगों को टाटा बाय बाय बोल दिया है। जी स्पोर्ट्स से 25 लोग निकाले गए हैं। ई 24 के मुंबई से संचालन को बंद कर इसे दिल्ली शिफ्ट किया जा रहा है। सहारा के चैनलों से कई जर्नलिस्टों को बाहर किए जाने की सूचना है। ईटीवी ने नया फरमान जारी किया है। ये सभी खबरें अब विस्तार से-

इंडिया न्यूज ने अपने मुंबई आफिस को लगभग बंद कर दिया है। यहां कार्यरत सभी 30 से 35 लोगों से एक महीने की सेलरी पोस्ट डेटेड चेक के रूप में देकर रिजाइन ले लिया गया है या फिर रिजाइन न करने पर सेलरी न देने की धमकी दी गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इंडिया न्यूज के सीईओ हरीश गुप्ता ने पिछले दिनों अपने मुंबई दौरे के दौरान कहर बरपाया। पता चला है कि नौकरी जाने से नाराज कुछ पत्रकारों ने हरीश गुप्ता के सामने ही अपना विरोध दर्ज करा दिया। ज्ञात हो कि इंडिया न्यूज के मुंबई आफिस की सभी भर्तियां एसएन विनोद ने अपने कार्यकाल के दौरान की थी। एसएन विनोद के इंडिया न्यूज से इस्तीफा देने के बाद से मुंबई आफिस लावारिस के रूप में काम कर रहा था। मुंबई आफिस के हेड के रूप में अभी तक किसी को ज्वाइन तक नहीं कराया जा सका। हालांकि इस पद के लिए मुंबई के कई वरिष्ठ पत्रकारों के नाम समय-समय पर उछलते रहे लेकिन ज्वाइन करने कोई नहीं आया। सूत्रों का कहना है कि इंडिया न्यूज की तरफ से मुंबई में जो स्टाफ रखा गया, उसमें कई लोग नए आने वाले भोजपुरी चैनल गंगा के लिए भी थे लेकिन इन्हें निकालकर प्रबंधन ने यह संकेत दे दिया है कि इस ग्रुप का निकट भविष्य में भोजपुरी चैनल लांच करने का कोई इरादा नहीं है। सूत्रों के मुताबिक इंडिया न्यूज चैनल, इंडिया न्यूज मैग्जीन और आज समाज अखबार के जरिए मीडिया क्षेत्र में पदार्पण करने वाला यह ग्रुप अब किसी विस्तार से बचते हुए अपने इन्हीं ब्रांडों को मजबूत बनाने में जुटा है, वो भी कम से कम खर्च में। इसी के तहत स्टाफ हटाने का काम चल रहा है। इंडिया न्यूज में पहले भी बड़े पैमाने पर लोग निकाले जा चुके हैं।

ई 24, बालीवुड का न्यूज चैनल, अब मुंबई में नहीं रहेगा। इसका आफिस को दिल्ली शिफ्ट किए जाने की खबर है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैग ग्रुप का इंटरटेनमेंट न्यूज चैनल ई 24 लांचिंग के बाद से ही लगातार अंदरूनी राजनीति में उलझा हुआ है। कई लोग आए और गए। दर्जनों लोग रखे और निकाले गए लेकिन यह चैनल ढर्रे पर नहीं आ सका। चैनल को लेकर जो उम्मीद प्रबंधन ने की थी, वो रिजल्ट भी नहीं आ रहा था जबकि  दिल्ली से लांच और संचालित न्यूज 24 लगातार बेहतर काम कर रहा है और बताया जाता है कि अंदरूनी राजनीति भी यहां न के बराबर है। बैग ग्रुप के एमडी भी दिल्ली में ही बैठते हैं और यहां खुद का अपना बड़ा आफिस है। मुंबई में ई 24 किराए के आफिस से संचालित हो रहा है जिसका किराया ही हर माह लाखों रुपये है। इन्हीं सब स्थितियों को देखते हुए प्रबंधन ने मुंबई से संचालित हो रहे ई 24 के सभी स्टाफ को सूचित कर दिया है कि वे या तो दिल्ली आ जाएं या फिर मुंबई में ही कहीं नौकरी तलाश लें। मुंबई में सिर्फ ब्यूरो आफिस होगा। सूत्रों के अनुसार लगभग दो दर्जन से ज्यादा मीडियाकर्मी नौकरी तलाश रहे हैं क्योंकि इनमें से ज्यादातर मुंबई में ही रहना चाहते हैं।

जी स्पोर्ट्स, जी समूह के इस चैनल के बारे में खबर है कि इसके दिल्ली आफिस से लगभग 25 लोगों को चलता कर दिया गया है। बिना कारण बताए निकाले जाने से ये सभी भौचक्के हैं। इनमें वीडिया एडीटर से लेकर जर्नलिस्ट तक शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक जी समूह न्यूज चैनलों में अतिरिक्त स्टाफ का पता कर उन्हें किनारे लगाने में जुटा है।

सहारा ग्रुप ने अपने न्यूज चैनलों से आधा दर्जन से ज्यादा ट्रेनीज को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खर्चे बचाने के क्रम में सहारा ग्रुप ने यह कदम उठाया है। इससे पहले प्रोमो और प्रोग्रामिंग सेक्शन के 25 लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया गया था। बेहतर परफार्म न करने के नाम पर कई चैनलों के कर्मियों की पिछले माह की सेलरी में भी कटौती कर दी गई थी। सत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में कई और लोग भी बाहर किए जा सकते हैं।

ईटीवी ने स्ट्रिंगरों को निकाले जाने के अभियान के साथ ही बचे हुए स्ट्रिंगरों के लिए आदेश जारी किया है कि इनकी खबरों का बिल महीने में किसी रूप में 5 हजार से उपर न जाए। इस फरमान से स्ट्रिंगरों के होश उड़े हुए हैं। इसी के चलते बिहार और झारखंड के कई स्ट्रिंगरों ने साधना न्यूज में मौके मिलते ही पाला बदलने में भलाई समझी। इससे पहले ईटीवी राजस्थान, बिहार, यूपी, मध्य प्रदेश आदि प्रदेशों के दर्जनों स्ट्रिंगरों को बाहर का रास्ता दिखा चुका है।

ज्ञात हो कि यूटीवी अपने दिल्ली आफिस को बंद करने का ऐलान कर चुका है। सकाल के दिल्ली आफिस पर ताला लग चुका है। वीओआई के कई प्रदेशों के आफिस को बंद किया जा चुका है। दैनिक जागरण अपने बिजनेस अखबार का प्रोजेक्ट टाल चुका है। अमर उजाला पंजाब से अपना कामधाम समेट चुका है। इसी अखबार के सेकेंड ब्रांड कांपैक्ट का गाजियाबाद से प्रकाशन टाला जा चुका है।  भास्कर समूह अपने यहां भी छंटनी शुरू कर चुका है। पेज आपरेटरों का काम संपादकीय विभाग के हवाले कर इनसे मुक्ति पाई जा रही है। एमएच1 न्यूज सहित कई चैनलों ने अपने स्ट्रिंगरों के पेमेंट रोक दिए हैं। इसी तरह के दर्जनों मामले पिछले तीन महीनों के दौरान हुए हैं, जिनके बारे में सूचनाएं भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित होती रही है।

उल्लेखनीय है कि ये वो सूचनाएं हैं जो इस पोर्टल तक पहुंच सकी हैं। छंटनी के कई ऐसे मामले भी होंगे जिनके बारे में सूचनाएं नहीं मिल सकी हैं।  मतलब, हर टीवी चैनल व अखबार में छंटनी की जा रही है। कोई बड़ी संख्या में कर रहा है तो कोई एक-एक कर चुपचाप कर रहा है। खर्चे बचाने के लिए नई भर्तियों पर रोक लगा दी गई है। कई तरह की कटौतियां के जरिए व्यय को सीमित किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि आर्थिक मंदी का दौर पूरे एक वर्ष तक चलने के आसार हैं और इस दौरान मीडिया इंडस्ट्री में रोजगार के नए अवसर मुश्किल से पैदा होंगे। जिस तरह से अब तक हजारों पत्रकार अपने काम से हाथ धो चुके हैं, आगे आने वाले दिनों में यह संख्या बढ़ेगी ही।


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