Connect with us

Hi, what are you looking for?

दुख-दर्द

आइए, इस टीवी जर्नलिज्म पर रोएं!

एक वीडियो, जो है भड़ास4मीडिया के पास, जिसमें छिपा है टीवी पत्रकारिता का एक ऐसा भयावह सच, जिसे जान-देख-पढ़ आप सिहर जाएंगे, सिर पर हाथ रख खुद से पूछेंगे- किस समाज में रहते हैं हम! खुद से कहेंगे- क्या यही है चौथा खंभा? दूसरों को समझाएंगे- मीडिया वालों से बच के रहना रे बाबा!


<p> <object classid="clsid:d27cdb6e-ae6d-11cf-96b8-444553540000" width="505" height="300" codebase="http://download.macromedia.com/pub/shockwave/cabs/flash/swflash.cab#version=6,0,40,0"> <param name="width" value="505" /> <param name="height" value="300" /> <param name="src" value="http://www.youtube.com/v/PEjtUUopRP8" /><embed type="application/x-shockwave-flash" width="505" height="300" src="http://www.youtube.com/v/PEjtUUopRP8"></embed> </object> </p> <p align="justify">एक वीडियो, जो है भड़ास4मीडिया के पास, जिसमें छिपा है टीवी पत्रकारिता का एक ऐसा भयावह सच, जिसे जान-देख-पढ़ आप सिहर जाएंगे, सिर पर हाथ रख खुद से पूछेंगे- किस समाज में रहते हैं हम! खुद से कहेंगे- क्या यही है चौथा खंभा? दूसरों को समझाएंगे- मीडिया वालों से बच के रहना रे बाबा!</p> <hr width="100%" size="2" />

एक वीडियो, जो है भड़ास4मीडिया के पास, जिसमें छिपा है टीवी पत्रकारिता का एक ऐसा भयावह सच, जिसे जान-देख-पढ़ आप सिहर जाएंगे, सिर पर हाथ रख खुद से पूछेंगे- किस समाज में रहते हैं हम! खुद से कहेंगे- क्या यही है चौथा खंभा? दूसरों को समझाएंगे- मीडिया वालों से बच के रहना रे बाबा!


टेलीविजन की एक दिक्कत है। खबर अगर बहुत बड़ी है लेकिन उसके साथ विजुवल्स नहीं है तो वह खबर नहीं चलेगी। गिर जाएगी। या फिर सिर्फ टिकर में दौड़ती रहेगी। या फिर कुछ देर ब्रेकिंग न्यूज टाइप की पट्टी के साथ फ्लैश होती रहेगी। स्क्रीन पर दिखेगा वही तमाशा या वही खबर जिसके पास ठीकठाक विजुवल हो। तो टीवी जर्नलिस्टों और कैमरापर्सन्स पर ठीकठाक विजुवल लाने का भारी दबाव होता है। इस दबाव के कारण कैमरापर्सन्स और टीवी जर्नलिस्ट अक्सर खबरें क्रिएट करते हैं। खबरें आयोजित करते-कराते हैं। खबरें प्रायोजित करते-कराते हैं। और इस आयोजन-प्रायोजन से मिले विजुवल्स के जरिए खबर बनाकर टीवी के संपादक लोग इस पर कई घंटे खेलते-खिलवाते हैं। इस खेल से टीवी के मालिकों को भले ही अच्छी टीआरपी और अच्छी टीआरपी से अच्छा बिजनेस मिल जाता हो लेकिन जिस ग्रासरूट लेवल पर आयोजन-प्रायोजन का काम कैमरापर्सन्स और टीवी जर्नलिस्ट करते हैं, वहां मानवीयता ताक पर रख दी जाती है। वहां पत्रकारिता के नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं। वहां झूठ को सच और सच को झूठ बना दिया जाता है। वहां भरोसे और विश्वास का कत्ल कर दिया जाता है। वहां संजीदगी और संवेदना को ताक पर रख दिया जाता है। प्रायोजित विजुअल्स का यह दबाव इन टीवी जर्नलिस्टों से ऐसे अनैतिक कारनामे करा देता है जिससे पूरी पत्रकार बिरादरी ही नहीं बल्कि पूरे भारतीय समाज का सिर शर्म से झुक जाता है। इतना लंबी भूमिका बांधने का मकसद सिर्फ यही था कि यहां हम जिस खबर की चर्चा करने जा रहे हैं, उसे किसी अलग-थलग या इकलौती प्रायोजित खबर की तरह न ट्रीट किया जाए बल्कि इसे टीवी जर्नलिज्म की खबरें प्रायोजित कराने की खराब परंपरा का ही हिस्सा माना जाए।

मामला है फिरोजाबाद का। उत्तर प्रदेश के इस शहर में 30 जून को एक सिपाही दारू पीकर इतने नशे में हो गया कि उसका चलना-फिरना मुहाल था। सिपाही वर्दी में था। सिपाही की तैनाती इन दिनों लखनऊ में है। सिपाही का नाम है विजय पाल। सिपाही विजय पाल जाने किन हालात में शराब पीने के बाद सड़क पर गिर गया तो उसके चारों ओर भीड़ इकट्ठी हो गई। सिपाही को जो रिक्शा चालक साथ ले जा रहा था, वह सिपाही को उठाने और समझाने लगा। इसी दौरान अपने को एमएच1 का स्ट्रिंगर बताने वाले कैमरामैन कृष्ण कुमार पोरवाल पहुंच गए और रिक्शा चालक को उकसाकर सिपाही को पिटवाना शुरू कर दिया। रिक्शा चालक नशे में धुत एक सिपाही को पीटते हुए….कल्पना कीजिए…आज के टीवी जर्नलिज्म के लिहाज से यह कितनी टीआरपी बटोरू स्टोरी बनती है! कैमरामैन पोरवाल का दिमाग बिलकुल ठीक चल रहा था। पोरवाल रिक्शा चालक को उकसाता रहा और सिपाही को पिटवाता रहा। भांति-भांति के एंगल से वीडियो बनाता रहा। आसपास मजमा जुटा हुआ था। लेकिन यह कैमरामैन इस बात से बेखबर था कि उसकी हरकत भी कुछ कैमरों में जाने-अनजाने शूट हो रही है।

कई न्यूज चैनलों पर नशेड़ी सिपाही को रिक्शा चालक द्वारा पीटे जाने की खबर विजुवल्स के बल पर चल तो गई लेकिन यह कहीं नहीं दिखाया गया कि दरअसल सिपाही को रिक्शा चालक ने पीटा नहीं बल्कि रिक्शा चालक से जबरन पिटवाया गया और पिटवाने का काम करने वाला कोई और नहीं बल्कि अपने को टीवी जर्नलिस्ट बताने वाला कैमरामैन है।

भड़ास4मीडिया के पास जो वीडियो है, जिसे हम इसी खबर में बिलकुल उपर दे चुके हैं, उसमें टीवी चल चुकी खबर के पीछे की असली खबर है। वीडियो में ब्लू शर्ट पहने और हाथ में वीडियो कैमरा लिए हुए जो शख्स है, वही कृष्ण कुमार पोरवाल है जो खुद को एमएच1 का स्ट्रिंगर बताता है। पोरवाल वीडियो में रिक्शाचालक को सिपाही को मारने के लिए बार-बार कह रहा है। पोरवाल रिक्शाचालक का हाथ पकड़कर उसे जबरदस्ती सिपाही के उपर बैठाने का प्रयास कर रहा है। दूसरे न्यूज चैनलों के स्ट्रिंगर भी कृष्ण कुमार पोरवाल से कम दोषी नहीं हैं क्योंकि उन लोगों ने पोरवाल को गलत काम करने से कतई नहीं रोका बल्कि पोरवाल के उकसावे से घटित हो रही घटना को बढ़-चढ़कर शूट करने में लगे रहे। पोरवाल तो केवल एक प्रतीक है, एक मोहरा है, जिसकी करनी आज इस वीडियो के जरिए सबके सामने आ गई लेकिन पोरवाल के अगल-बगल जो ‘समझदार’ कैमरामैन थे, वे क्यों नहीं सिपाही को बचाकर अपनी मानवीयता का परिचय दे रहे?

आप कह सकते हैं कि जब मानवीय होना आज के जमाने में मूर्ख होने जैसा हो चुका हो तो कोई क्यों मानवीय बनेगा? आखिर पेट भरने के लिए चैनल को स्टोरी बनाकर भेजनी ही है और स्टोरी पर पैसे तभी मिलेंगे जब उस स्टोरी में आन एयर हो सकने की क्षमता हो, इसलिए कोशिश यह होती है कि स्टोरी वही भेजी जाए जो चल जाए और स्टोरी चलती वही है जिसमें मिर्च-मसाला ज्यादा हो, जिसमें सनसनी ज्यादा हो….!

सुना आपने। सिस्टम कुछ इस तरह का बना दिया गया है ताकि कोई मानवीय ही नहीं रह सके, हर कोई धंधा करता-कराता नजर आए और धंधे में कोई मानवीय व संवेदनशील टाइप का प्राणी गलती से आ जाए तो उसके प्राण ले लिए जाएं या फिर उसे धंधेबाज बना दिया जाए।

खैर, फिर लौट कर खबर के पीछे की असली खबर पर आते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

रिक्शा चालक द्वारा नशे में धुत सिपाही को पीटे जाने का समाचार और वीडियो जब न्यूज चैनलों के पास पहुंचा तो सभी इस पर खेलने लगे। न्यूज चैनल बार-बार सीन रिपीट करने लगे। स्टोरी को लंबा खींचने के लिए फिरोजाबाद के एसपी का फोनो लेना तय हुआ। न्यूज चैनलों ने फीरोजोबाद के एसपी रघुवीर लाल से संपर्क किया और पूछा- बताएं, आखिर उनका नशे में धुत सिपाही जो रिक्शे वाले से मार खा रहा है, समाज की कैसे रक्षा करेगा?

एसपी रघुवीर लाल ने फोनो के दौरान जो कहा सो कहा लेकिन यह भी कहा कि सिपाही को रिक्शे वाले ने नहीं पीटा बल्कि एक कैमरामैन ने रिक्शे वाले के जरिए उसे पिटवाया। वे जांच करा रहे हैं और दोषी पाए जाने पर कैमरामैन के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

उधर एमएच1 ने इस बात से इनकार किया है कि पोरवाल उनका स्ट्रिंगर है। दरअसल, एसपी रघुवीर लाल ने कैमरामैन की हरकत के बारे में जब एमएच1 को सूचित किया तो वहां से कहा गया कि कृष्ण कुमार पोरवाल अब उनके स्ट्रिंगर नहीं हैं।

आप उपर दिए गए वीडियो को ध्यान से देखिए। आप को साफ पता चल जाएगा कि रिक्शे वाला हर कदम कैमरा मैनों के कहने पर, उकसाने पर उठा रहा है और कैमरा मैन बजाय सिपाही को बचाने, उसे अस्पताल या उसके घर पहुंचाने के, सिर्फ खबर बना रहे हैं। पोरवाल तो जल्दी से ‘अच्छी’ खबर बनाने के अधैर्य के मारे रिक्शे वाले को उकसाता गया लेकिन उसके उकसाने का ‘शुभ लाभ’ सभी कैमरा मैनों ने उठाया।

इसीलिए पोरवाल के साथ वहां मौजूद सभी कैमरा मैन इस अमानवीय और शर्मनाक घटना के लिए जिम्मेदार हैं। और इनसे कम जिम्मेदार नहीं हैं इनके न्यूज चैनलों के दिल्ली बैठे संपादक जो इस अमानवीय और प्रायोजित विजुअल्स को हंसी-खुशी अपने न्यूज चैनल पर चलाते रहे।

अभी कुछ ही दिनों पहले एसपी की पुण्य तिथि पर जो संगोष्ठी दिल्ली के प्रेस क्लब में हुई थी, उसमें बताया गया कि एसपी दुखी लोगों के मुंह पर जबरन माइक घुसेड़ कर बाइट लेने के सख्त खिलाफ थे। वे ऐसी पत्रकारिता कतई नहीं चाहते थे। लेकिन आज हम लोग जो पत्रकारिता कर रहे हैं और करा रहे हैं, वह न सिर्फ अमानवीय और अधकचरी है बल्कि खुद पत्रकारिता का ही नाश करने वाली है। इन्हीं सब वजहों के कारण आज पत्रकारों, फोटोग्राफरों व कैमरापर्सन्स की इमेज एक भ्रष्ट, ब्लैकमेलर और दलाल की तरह बन चुकी है। पहले ये उपमाएं लोग दबी जुबान से देने लगे हैं, अब तो ब्लैकमेलर जैसे शब्द पत्रकारों के मुंह पर बोल दिए जाते हैं और पत्रकार चुप्पी साधे निकल लेते हैं क्योंकि पत्रकार बोलेगा-लिखेगा तभी न जब उसके अंदर कोई नैतिक साहस शेष हो।

यह वीडियो दुखी करने वाला है।

आखिर कैसे इस तरह की खबरों को हमारे टीवी के संपादक अपने चैनलों पर घंटों चलाते रह सकते हैं!

जरूरत है फर्जी खबर गढ़ने वालों के कारनामों को भी टीवी पर दिखाने की ताकि इस तरह की खबरों के प्रायोजन को हतोत्साहित किया जा सके।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इस पूरे प्रकरण के बारे में कैमरामैन कृष्ण कुमार पोरवाल का कहना है कि उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है। पोरवाल के मुताबिक वे घटना घटित होने के आधे घंटे बाद पहुंचे थे और तब तक रिक्शा वाला नशे में धुत सिपाही की छाती पर बैठ चुका था। पोरवाल का कहना है कि उनसे पहले ही कई न्यूज चैनलों के कैमरापर्सन्स वहां पहुंच चुके थे। पोरवाल कहते हैं कि मीडिया के कुछ लोग साजिश रचकर उन्हें फिरोजाबाद में पत्रकारिता नहीं करने देना चाहते, इसलिए इस तरह की खबरें मेरे बारे में फैलाई जा रही है। एमएच1 से अपने संबंध के बारे में पोरवाल कहते हैं उनके पास अथारिटी लेटर है एमएच1 का। फिलहाल यह चैनल यूपी, एमपी और महाराष्ट्र से खबरें नहीं ले रहा है क्योंकि इसके पीछे पैसे का संकट है।


आखिर में हम आपसे जानना चाहेंगे कि…

  1. क्या नशे की चरम अवस्था, जहां पीने वाले को खुद का होश न हो, में आ चुके किसी व्यक्ति की आप पिटाई करेंगे या उसे सही-सलामत उसके घर पहुंचाने की कोशिश करेंगे?

  2. फिरोजाबाद में न्यूज चैनलों के कैमरामैनों ने जो किया, वह सही किया या गलत किया?

  3. टीवी न्यूज चैनलों के संपादकों को प्रायोजित खबरें लेने-दिखाने पर सामूहिक रूप से रोक लगा देना चाहिए या नहीं?

  4. क्या पत्रकारिता वाकई ब्लैकमेलरों का गिरोह बनकर रह गई है या इसमें अभी कोई कमी रह गई है?


जवाब भेजने के लिए [email protected] का सहारा लें.
जवाब अगले 48 घंटों में मिल जाए ताकि समय से पब्लिश कराया जा सके.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

Uncategorized

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम तक अगर मीडिया जगत की कोई हलचल, सूचना, जानकारी पहुंचाना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. इस पोर्टल के लिए भेजी...

टीवी

विनोद कापड़ी-साक्षी जोशी की निजी तस्वीरें व निजी मेल इनकी मेल आईडी हैक करके पब्लिक डोमेन में डालने व प्रकाशित करने के प्रकरण में...

Uncategorized

भड़ास4मीडिया का मकसद किसी भी मीडियाकर्मी या मीडिया संस्थान को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है। हम मीडिया के अंदर की गतिविधियों और हलचल-हालचाल को...

हलचल

[caption id="attachment_15260" align="alignleft"]बी4एम की मोबाइल सेवा की शुरुआत करते पत्रकार जरनैल सिंह.[/caption]मीडिया की खबरों का पर्याय बन चुका भड़ास4मीडिया (बी4एम) अब नए चरण में...

Advertisement