देश हित में काम करने पर नौकरी जाने का दंश झेलने वाले पत्रकार अशोक कुमार अपनी नई पारी भड़ास4मीडिया के साथ शुरू कर चुके हैं। उन्होंने असिस्टेंट एडीटर के बतौर ज्वाइन किया है। देश के सबसे प्रतिष्ठित मीडिया इंस्टीट्यूट आईआईएमसी के वर्ष 2005-06 बैच के छात्र रहे अशोक कुमार ने करियर की शुरुआत लोकमत समाचार, औरंगाबाद से की थी। यहां छह महीने काम करने के बाद अमर उजाला, अलीगढ़ में बतौर रिपोर्टर काम शुरू किया। यहां दो साल तक रहे।
अलीगढ़ में रिपोर्टिंग के दौरान ही अशोक कुमार ने राज ठाकरे की क्षेत्रवादी राजनीति से क्षुब्ध होकर इसके खिलाफ उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली के कई शहरों की जागरूकता यात्रा शुरू की। उनके नेतृत्व में आधा दर्जन छात्रों ने शहर-शहर जाकर युवाओं को देश बांटने वाली राजनीति और राजनेताओं के खिलाफ उठ खड़े होने की प्रेरणा दी और युवाओं के हस्ताक्षर लिए। कई शहरों के हजारों युवाओं के हस्ताक्षरों को एकत्र कर अशोक ने इसे देश के राष्ट्रपति और मुख्य चुनाव आयुक्त को सौंपा।
इस साहसी पहल के कारण बजाय अशोक का सम्मान करने के, उनको नौकरी से ही निकाल दिया गया। बाद में उन्होंने दिल्ली में कई मीडिया संस्थानों में नौकरी के लिए संपर्क किया लेकिन सबने उनके काम की सराहना करने के बावजूद नौकरी देने से परहेज किया। हालांकि दिल्ली से बाहर कई जगहों से अशोक के पास आफर आते रहे लेकिन वे दिल्ली में ही काम करना का मन बनाए हुए थे। अशोक कुमार की संवेदनशीलता, ईमानदारी और पत्रकारिता के प्रति प्रतिबद्धता को देखते हुए भड़ास4मीडिया प्रबंधन ने उन्हें सस्नेह और ससम्मान हिंदी मीडिया के इस नंबर वन न्यूज पोर्टल की टीम का हिस्सा बनने का न्योता दिया। अशोक कुमार ने इस न्योते को कुबूल किया। अशोक कुमार असिस्टेंट एडीटर के रूप में भड़ास4मीडिया के न्यूज सेक्शन को हेड करेंगे।
अशोक कहते हैं, ‘भड़ास4मीडिया से मेरा पहला परिचय तब हुआ जब मैंने क्षेत्रवादी राजनीति के खिलाफ युवाओं को जागरूक करने की मुहिम शुरू की। इस दौरान भड़ास4मीडिया टीम ने मेरा काफी सहयोग किया, हर कदम पर साथ दिया, आत्मविश्वास और मनोबल कम न होने दिया। जागरूकता यात्रा की समाप्ति के बाद जब मैं दिल्ली में नौकरी ढूंढ रहा था तो यशवंत भैया ने मेरी काफी मदद की। मैं उनसे लगातार संपर्क में रहा। एक दिन उन्होंने इस पोर्टल का हिस्सा बनने का आफर दिया तो हमेशा कुछ नया करने की चाहत के चलते इसे तुरंत स्वीकार लिया। भड़ास4मीडिया से मेरा भावनात्मक लगाव अब वास्तविक जुड़ाव में तब्दील हो चुका है। एक नए तरह के क्रांतिकारी प्रयोग के साथ जुड़कर उसे आगे बढ़ाने और सफल बनाने के ऐतिहासिक काम को करना मुझे काफी रोमांचित कर रहा है। इस तरह की चुनौतियों के संग जीने-मरने को मैं अपना सौभाग्य मानता हूं। मैं शुक्रगुजार हूं उन सभी लोगों का जिन्होंने मुझे फोन करके या मेल भेज करके अपने यहां ज्वाइन करने का आफर दिया। अंत में एक बात मीडिया के साथियों से कहना चाहूंगा कि वो अपने साथ होने वाले गलत बर्ताव का खुलकर विरोध करें। अगर हम ऐसा नहीं कर सकते तो फिर पत्रकारिता के जरिए समाज या देश में हो रहे गलत काम का कैसे विरोध कर सकेंगे? मुश्किलें आती हैं, लेकिन मुश्किलों में ही सफलता की नई सुबह की रोशनी भी छिपी होती है। मीडिया में कायम अंधेरे को दूर करने के लिए हम सभी मीडियाकर्मियों को खुद ही आगे आना होगा, अन्यथा यह अंधेरा एक दिन इतना बढ़ जाएगा कि हम अपनी शक्लें भी पहचानने के काबिल नहीं रह सकेंगे।”