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राडिया दुनिया की सबसे कुख्यात दलाल

[caption id="attachment_17437" align="alignleft" width="82"]एमजे अकबरएमजे अकबर[/caption]80 के दशक में कांग्रेस की छवि चौपट करने वाला बोफोर्स घोटाला 64 करोड़ रुपयों का था, इसकी तुलना में यह 2जी घोटाला 60 हजार करोड़ रुपयों से अधिक का बताया जा रहा है यानी बोफोर्स से हजार गुना : मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी को घोटाले के बारे में पता था, लेकिन सरकार की बदनामी के डर से वे चुप्पी साधे रहे :

एमजे अकबर

एमजे अकबर

एमजे अकबर

80 के दशक में कांग्रेस की छवि चौपट करने वाला बोफोर्स घोटाला 64 करोड़ रुपयों का था, इसकी तुलना में यह 2जी घोटाला 60 हजार करोड़ रुपयों से अधिक का बताया जा रहा है यानी बोफोर्स से हजार गुना : मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी को घोटाले के बारे में पता था, लेकिन सरकार की बदनामी के डर से वे चुप्पी साधे रहे :

”माय केस इस क्लीयर्ड, ना?” यह सवाल पूछा उस राजनेता ने जो टेलीकॉम मंत्री बनना चाहता था। उस महिला से जो एक बड़ी टेलीकॉम कंपनी के लिए लॉबीईंग उर्फ दलाली करती हैं। मध्यस्थता उर्फ दलाली करने वाली नीरा राडिया नामक महिला ने पहले नाम से संबोधित करते हुए सहजता से जवाब दिया, ”योर केस वाज क्लीयर्ड लास्ट नाइट ओनली।” राजनेता ने प्रश्न के अंत में जिस तरह ”ना” अक्षर का प्रयोग किया, वह सचमुच उनकी गुहार में दयनीयता का मर्मस्पर्शी बयान है। इस कहानी में करुणा से लेकर सस्ती भावुकता तक सब रंग शामिल हैं। कहानी का सबसे ताकतवर किरदार है हाई-प्रोफाइल दलाली करने वाली वह महिला। और हो भी क्यों नहीं? उसे सरकार की राज की बातें पता हैं। फिर दूरसंचार मंत्रालय में उसके कुछ न्यस्त स्वार्थ हैं और इसीलिए यह मंत्रालय चलाने वाले किसी भी व्यक्ति के साथ उसकी सीधी हिस्सेदारी होगी।

भावी मंत्री डीएमके के ए. राजा उनके कर्जदार हैं और उनकी सेहत के लिए यही बेहतर होगा कि वे उनके कर्ज को भूलें नहीं। राडिया यह स्पष्ट नहीं करतीं हैं कि बीती रात लिए गए निर्णय के बारे में उन्हें कैसे पता है, लेकिन वे यह जरूर इत्तला दे देती हैं कि राजा के लिए उन्होंने मध्यस्थता की थी। राजा को इसकी परवाह नहीं थी कि उन्हें यह ओहदा दिलवाने में किसी कारपोरेट या कारपोरेशन ने उनकी मदद की थी या नहीं, उन्हें तो बस किसी तरह वह ओहदा हासिल करना था।

एक साल बाद जाकर अब हमें यह पूरी कहानी पता चल सकी है। इसके लिए मामले का भंडाफोड़ करने वाली तेजतर्रार पत्रकारिता को श्रेय दिया जाना चाहिए, जिसने राजा और राडिया के बीच हुई बातचीत की ऑडियोटेप हासिल कर ली। मामले को समझने के लिए उसकी तह में जाना जरूरी है। राजा करुणानिधि परिवार के करीबी हैं और राडिया तो अब यकीनन दुनिया की सबसे कुख्यात मध्यस्थ उर्फ दलाल होंगी।

देश के कुछ सबसे मशहूर कारपोरेटों के बहीखातों में उनका नाम दर्ज है। लेकिन इन दोनों के बीच हुई बातचीत को कारपोरेट जगत की कद्दावर हस्तियों ने रिकॉर्ड नहीं किया था। इसे टेप करने वाले थे आयकर विभाग के अधिकारी, जिन्हें अंदेशा था कि राडिया ने कुछ धांधलियां की हैं। अधिकारियों ने फोन टेपिंग की यह कार्रवाई गृह सचिव की औपचारिक अनुमति के बाद ही की। यह संयोग ही था कि टेपिंग की छह माह की अवधि के दौरान ही आम चुनाव हुए और सरकार बनी। सरकार के पास यह जानकारी कई महीनों से थी, लेकिन सरकार ने केवल अफसरों के तबादले की ही कार्रवाई की, क्योंकि वह राजनेताओं को बचा लेना चाहती थी।

गठबंधन की स्थिति में सहयोगी दलों का अधिकार होता है कि वे कैबिनेट में अपने कोटे से प्रतिनिधित्व की मांग करें। लेकिन विभागों का बंटवारा तो प्रधानमंत्री का ही विशेषाधिकार है। डॉ फारूक अब्दुल्ला वरिष्ठ राजनेता हैं और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे उन्हें दिए गए मंत्रालय से ज्यादा खुश नहीं थे, फिर भी उन्होंने प्रधानमंत्री के विशेषाधिकार का सम्मान किया। डीएमके के मंत्रियों को दिए गए विभागों में भी बदलाव किया गया था, लेकिन उसने कोई एतराज नहीं किया। लेकिन दूरसंचार मंत्रालय को लेकर वे जिद पर अड़ गए, जबकि प्रधानमंत्री इसके लिए अनिच्छुक थे। सवाल यह है कि डीएमके क्यों जिद पर अड़ी हुई थी और प्रधानमंत्री क्यों यह मंत्रालय उन्हें नहीं देना चाहते थे?

क्योंकि दोनों को ही पता था कि पहली यूपीए सरकार में दूरसंचार मंत्री के रूप में राजा का कार्यकाल साफ-सुथरा नहीं था। 80 के दशक में कांग्रेस की छवि चौपट करने वाला बोफोर्स घोटाला 64 करोड़ रुपयों का था। इसकी तुलना में यह 2जी घोटाला 60 हजार करोड़ रुपयों से अधिक का बताया जा रहा है यानी बोफोर्स से हजार गुना। हाल ही में सोनिया गांधी ने सरकार पर दबाव बनाया था कि वह गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करे, लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार ने यह कहते हुए इसे टाल दिया कि सरकार के पास इसके लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। जबकि देखा जाए तो एक साल की खाद्य सुरक्षा की कीमत 60 हजार करोड़ रुपयों से काफी कम होती है।

माना जा रहा है कि मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी को घोटाले के बारे में पता था, लेकिन सरकार की बदनामी के डर से वे चुप्पी साधे रहे। लेकिन सबसे अहम सवाल यही है कि मध्यस्थता करने वाली महिला को महकमों के बंटवारे की जानकारी कैसे लगी? राडिया के संपर्क किस तरह के थे, इसका सबूत हैं वे टेप, जिनमें उसकी बातचीत रिकॉर्ड की गई। यह मामला डीएमके में चल रही अंदरूनी लड़ाइयों को भी जाहिर करता है। घोटाला तो उजागर हो गया, लेकिन मंत्री और मध्यस्थ के बीच हुई उन सैकड़ों बातों के बारे में सोचें, जो टेप न हो सकीं। न जाने उनमें और कितनी कालिख होगी?

लेखक एमजे अकबर देश के जाने-माने पत्रकार हैं और ‘द संडे गार्जियन’ के संपादक हैं.

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0 Comments

  1. panka

    May 27, 2010 at 9:26 am

    radia ke bare me kuchh aur batayen

  2. कमल शर्मा

    May 13, 2010 at 6:30 am

    एम जे अकबर सा. आप देश के वरिष्‍ठ और सम्‍मानित पत्रकार हैं। आप भलीभांति जानते हैं कि इस देश की सत्ता में आने वाले राजनेता बेहद भ्रष्‍ट हैं और जिसने भी सफाई का बीड़ा उठाया वह या तो इसी गंदगी का होकर रह गया या बाहर फेंक दिया गया। पहले दलाल सामने होते थे और कहते थे कि मैं दलाल हूं लेकिन अब जिस तरह दलाली के धंधे में परिवर्तन आया है और दलालों के जो महान कार्य हो रहे हैं वे देश की जनता के आंख कान खोल देने वाले हैं। जनता जागेगी तो ही कुछ होगा और इन दलालों का सफाया होना जरुरी है। देश को आजाद करते समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री विस्‍टन चर्चिल ने पहले ही भांप लिया था जिसकी वजह से संभृवत: उन्‍होंने कहा कि हम सत्ता लूटेरों के हाथों में सौंप रहे हैं और आज देश अपने ही लोगों के हाथों लूट रहा है। हर जगह लूटपाट। देश के किसी भी सैक्‍टर की किसी भी परियोजना में देख लीजिए महज दो सौ लोगों में से ही कुछ का पैसा लगा हुआ है। बाकी लोगों को न तो विकास हुआ है और न ही जीवन स्‍तर ऊपर उठा है। विकास के नाम पर आने वाले विनाश को कोई नहीं देख रहा लेकिन जिस दिन जनता जागेगी वह खुद संसद में घूसकर इन भ्रष्‍ट राजनेताओं और दलालों को मार भगाएगी।

  3. कलमवाला-गुंडा

    May 13, 2010 at 7:30 am

    असलामुअलेकुम ….. जनाब आप ने सही फरमाया है परन्तु सरकार गिरने के डर से सोनिया और मनमोहन की ख़ामोशी देश के साथ गदारी है ! इसी सरकार को पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं आप जेसे लोगो का देश क़र्ज़ दार रहेगा आप इन गद्दारों को बेनकाब करे हम आप के साथ है ! [img][/img]

  4. anis ahmad khan

    May 13, 2010 at 9:13 am

    KUFRA TUTA KHUDA KHUDA KARKE eak bade ne to is masle par kuch kaha

  5. Satya Prakash

    May 13, 2010 at 9:28 am

    M .J अकबर साहब ,जरा मीडिया वाले जो दलाल इस टेलकॉम घोटाले में शामिल हैं ,उनका भी नाम ले लेते तो क्या बिगड़ जाता ,डरते हैं क्या सर जी

  6. अतुल गंगवार

    May 13, 2010 at 9:32 am

    भईया काहे भड़भड़ा कर सोनिया, मनमोहन को गरिया रहे हैं….एक दिन सड़क पर खड़े होकर लोगों को बुलायेंगे कि करो उन्हे बेनकाब तो साहब किसी ओर की तो बात छोड़िये आपका साया भी साथ न देगा….वो दिन चले गए जब किसी जेपी ने इंदिरा गांधी की जड़े हिला दी थीं…पूरा देश इमिजेंसी के खिलाफ खड़ा हो गया था…. वी पी सिंह ने बोफोर्स के मुद्दे पर राजीव गांधी की सरकार बदल दी थी … आज इतने बड़े घोटाले के बाद भी सब शांत हैं तो समझिये न…. देश को अब इससे फर्क नही पड़ता. अगर पड़ता होता तो ओर भी ऐसे घोटाले हैं जिन की जांच की जाये तो सारी की सारी दाल काली मिलेगी…

  7. Nitin

    May 14, 2010 at 5:28 am

    Just have a feeling all this is been done some personal enmity why only website is publishing this every day???? no other channels publications or website..have this news….I think this is personal war which has come in media as it is we knw how India Media irresponsibly reporting thing…after all media is jus medium to to get things to peoples notice media is not at all final authority to decide thing of their own…this case is result of misuse of medium and fooling people for personal mediaum..thanks

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