मीडिया स्टडीज ग्रुप (MSG) और जर्नलिस्टस यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी (JUCS) की तरफ से वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़िया, विजय प्रताप, शाह आलम, और ऋषि कुमार सिंह अयोध्या में मंदिर मस्जिद विवाद पर अदालती फैसले के मद्देनजर प्रेस परिषद द्वारा खबरों पर निगरानी रखने की मांग को लेकर भारतीय प्रेस परिषद पहुंचे. इन लोगों ने भारतीय प्रेष परिषद के अध्यक्ष को एक पत्र सौंपा. पत्र में जो कुछ कहा गया है, उसे हम नीचे प्रकाशित कर रहे हैं-
प्रति-
अध्यक्ष , भारतीय प्रेस परिषद
नई दिल्ली
विषय- अयोध्या में मंदिर मस्जिद विवाद पर अदालती फैसले के मद्देनजर परिषद द्वारा खबरों पर निगरानी रखने की अपेक्षा
हमें समाचार माध्यमों से जानकारी मिली है कि अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद संबंधी मुकदमें का फैसला कुछ दिनों में आने वाला है। न्यायालय ये फैसला करेगी कि बाबरी मस्जिद-रामजन्म भूमि पर मालिकाना हक किसका है। हमने ये पाया है कि साम्प्रदायिक शक्तियां एक बार फिर सामाजिक वातावरण बिगाड़ने की पृष्ठभूमि तैयार करने में सक्रिय हो गई हैं। साम्प्रदायिक दंगे भड़काने या साम्प्रदायिक माहौल को खराब करने में मीडिया की भी प्रमुख भूमिका रही है। प्रेस परिषद ने भी अपने अध्ययन में ये पाया है कि कुछ मीडिया संस्थानों की साम्प्रदायिक दंगे फैलाने में अहम भूमिका रही है।
हम समाज के जागरूक नागरिक और संस्था होने के नाते मीडिया द्वारा किए जाने वाले समाज और संविधान विरोधी व्यवहारों को लेकर अपनी एक जम्मेदारी महसूस करते हैं। हमने समय-समय पर समाचारों या समाचार माध्यमों की उन दूसरी सामग्रियों के के प्रति पाठकों, दर्शको और श्रोताओं को सचेत करते हैं जिसका समाज पर खराब असर होता है। मीडिया में काम करने वाले लोगों के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी महसूस करते हुए हमने उनके साथ एक संवाद बनाने की प्रक्रिया अपनायी और हमने समय-समय पर मीडिया के व्यवहारों को दुरूस्त करने का एक मौहाल बनाने की कोशिश की है। अतीत की तरह इस बार भी हमने मीडियाकर्मियों के बीच यह संवाद किया कि किस तरह से खबरों को साम्प्रदायिक होने से बचाया जा सकता है। हमने ये भी अपेक्षा की कि मीडिया में जो लोग साम्प्रदायिक शक्तियों के साथ मिलकर वातावरण खराब करना चाहते हैं, उनपर भी हम नजर रखेंगे। उनकी खबरों या दूसरी सामग्री के प्रति लोगों को सचेत करने की प्रक्रिया चलाएंगे। हम आपकी सुविधा के लिए मीडियाकर्मियों के नाम की गई एक अपील की प्रति संलग्न कर रहे हैं। साथ ही हम कैसे खबरों के साम्प्रदायिक होने से बच सकते हैं और खबरों की साम्प्रदायिक सदभाव बनाने में भूमिका को लेकर भी अपने सुझाव अपने साथियों के समक्ष पेश किया है।
हम आपसे अनुरोध करना चाहते हैं कि अतीत के अनुभवों के मद्देनजर परिषद को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिए। परिषद को भी खबरों और दूसरी सामग्री पर निगाह रखने का एक ढांचा विकसित करना चाहिए। ये कदम इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के आने से पहले तत्काल उठाना चाहिए। संस्थान की भूमिका साम्प्रदायिक दंगों के बाद मीडिया संस्थानों की भूमिका की जांच या अध्ययन करने में तो देखी गई है लेकिन हम आपसे अपेक्षा करते हैं कि हमें घटनाओं की आशंका के आलोक में ही कोई कारगऱ कदम उठाना चाहिए। हमें भरोसा है कि आप इस मामले की संवेदनशीलता को महसूस करते हुए इसे गंभीरता से लेंगे।
हम है
मीडिया स्टडीज ग्रुप (MSG)
जर्नलिस्टस यूनियन फ़ॉर सिविल सोसायटी (JUCS)
dhirendra prata singh
September 7, 2010 at 1:53 pm
mitro abhi faisala aya nahi aur aap logo ne bhi any sampradayik sangthano ki tarah jameen taiyar karni suru kar di khair ap ka pryas safal ho kamna h lekin faisale tak intjar karna sahi rahega.
anand sahu mahasamund
November 29, 2010 at 11:47 am
yasvantji namaskar
mr anil chamadiya ji ka email id & mobil no mil sake to unhe kuchh bhejna hai