श्रीमान सहाराश्री सुब्रत राय सहारा जी, सादर प्रणाम, क्या कोई ऐसा परिवार होता है जो अपने ही परिवार के किसी सदस्य को मुश्किल वक्त में अकेला छोड़ देता है? पर अपने सहारा परिवार में ऐसा हो रहा है। जब तक मैं चैनल को टीआरपी दिलाता रहा, सबका दुलारा रहा लेकिन चैनल के लिए खबर करते-करते जब कुछ लोगों ने मुझे अपना दुश्मन मानकर मेरे से भिड़ गए तो चैनल ने ही मुझे दुत्कार दिया। मैं राजेश स्थापक हूं। सहारा समय (मध्य प्रदेश/छत्तीसगढ़) में काम करता रहा हूं। मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि अब मुझे महसूस होता है कि सहारा समय न्यूज चैनल सिर्फ लोगों को अपना काम निकालने के लिए जोड़ता है और काम निकलते ही अकेला छोड़ देता है। मैं सहारा परिवार का अभिन्न हिस्सा रहा हूं लेकिन मेरे पर जब मुसीबत आई तो इस परिवार ने मेरा साथ छोड़ दिया। मुझे दरकिनार कर दिया। ऐसा हम मानते थे कि सहारा समय वाले अपने रिपोर्टर का पूरा साथ देते हैं पर यह मेरे मामले में मिथ्या साबित हुआ है।
सहारा समय के मुखिया होने के नाते आपको कई बातों की जानकारी ही नहीं मिलती होगी लेकिन मैं अपनी बात आप तक पहुंचाना चाहता हूं। आपको कतई जानकारी नहीं होगी कि चैनल में जिम्मेदार पदों पर बैठे बड़े अधिकारी चैनल की आड़ में सिर्फ रुपये बटोरने का खेल खेल रहे हैं। अगर आप कहें तो मैं इसे सिद्ध भी कर दूं लेकिन आपके सामने ही सिद्ध करूंगा क्योंकि मेरा किसी पर भरोसा नहीं रह गया है। मैंने सहारा समय के प्रारम्भ होने से लेकर दिसम्बर 2009 तक काम किया। जिस मंत्री ने आचरण संहिता के विरुद्ध चुनाव में घड़ी का वितरण किया था, उसके खिलाफ समाचार प्रसारित किया तो उसने मुझे जान से मरने की धमकी दे दी थी। तब प्रशासन ने मेरे साथ एक गनमैन लगा दिया ताकि मैं सुरक्षित रहूं। मैंने धमकी के मामले की रिपोर्ट भी दर्ज कराई। इस मामले में एक वर्ष बाद तक चालान नहीं पेश किया गया।
मुझ पर राजनैतिक और प्रशासनिक दबाव बनाकर राजीनामा कराने का प्रयास किया गया। मैंने ऐसा नहीं किया। इन नेताओं से सुरक्षित रहने के लिए मैंने नगरीय निकाय के चुनाव में पार्षद का चुनाव भी लड़ा किन्तु दुर्भाग्यवश हार गया। इसी दौरान घड़ी वितरण कांड में जान से मरने की धमकी देने वाले व्यक्ति ने एक फर्जी रिपोर्ट सिवनी कोतवाली में मेरे खिलाफ धारा 153 में दर्ज करा दी। तब मैंने फरार रहकर अपनी अग्रिम जमानत कराई। मैंने अपने साथ हुई प्रत्येक घटना की जानकारी डेस्क को दी किन्तु मेरी इस मामले में कोई मदद नहीं की गई। उल्टा मुझसे आईडी जमा करने के लिए कहा गया। अब मैं बेरोजगार भी हूं और असुरक्षित भी। मैंने चैनल की टीआरपी बढ़ाने के लिए कई बड़ी खबरें कीं और इसके चलते अफसरों व नेताओं से दुश्मनी भी मोल ली। मैं क्या करूं, समझ में नहीं आ रहा है। मुझे आपसे न्याय की उम्मीद है। मुझे मार्च 2009 से अपने काम का पेमेंट भी अभी तक नहीं मिला है। सहाराश्री जी, अपने सहारा परिवार के मुखिया होने के नाते मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि मेरे मसले की जांच कराकर मुझे न्याय दिलाएं।
-राजेश स्थापक
सिवनी, मध्य प्रदेश
मोबाइल- 09425426651
मेल- [email protected]
vijay mishra
January 20, 2010 at 8:12 am
ye to chalan ho gaya hai jab tak nichod sako nichod lo ras nikal jay to phek do
pragya pathak
January 20, 2010 at 12:59 pm
ye apke sath hi nahi hua najane kitne log lambi katar me shamil hai……
bename
January 28, 2010 at 1:18 pm
राजेश जी,
आपने सहारा में रहकर सिवनी में जो माल अंटी किया है, उसके बारे में तो विस्तार से बताएं। किस तरह आपने हम सराकरी कर्मचारियों को ब्लेक मेल कर लखनादौन से सिवनी आकर मकान दुकान, गाडी घोडा सब कुछ ले लिया . . . . , इस बारे में सहाराश्री को बताएं जरूर
आपका एक शुभचिन्तक सरकारी कर्मचारी