पेज रिपीट होने के लिए संपादक को सौ प्रतिशत जिम्मेदार माना जाना चाहिए क्योंकि ऐसी भयानक गलती सिर्फ एक आदमी की लापरवाही से नहीं हो सकती है और अगर एक ही आदमी के सिर इतनी बड़ी जिम्मेदारी है तो संपादक को तनख्वाह काहे की मिलती है ? पेज रिपीट होने की गलती संपादकीय विभाग वालों की लापरवाही से कम और प्रेस वालों की लापरवाही से ज्यादा होने की आशंका रहती है। फिर भी अखबार निकालना टीम का काम है और टीम का मुखिया अपनी जिम्मेदारी से कैसे बच सकता है।
मुख्य बात यही है कि अखबार छापने वाले अखबार नहीं पढ़ते होंगे तभी ऐसी गलती हो सकती है। (ताजा उदाहरण अंग्रेजी अखबार का है और प्रेस के निचले स्तर के कर्मचारी अंग्रेजी नहीं पढ़ते होंगे तो भी उन्हें अखबार को देखना तो चाहिए ही) और अगर अखबार इतना ही नीरस निकलता हो कि कर्मचारी भी नहीं पढ़ते / देखते हों तो ऐसी गलती होगी ही। तारीख पुरानी नहीं हो सकती क्योंकि उसे तो आम मजदूर भी चेक कर लेता है और अगर पुराने पेज पर कोई शैतानी में गलत तारीख चिपका दे तो भी ऐसी गलती हो सकती है। इसके अलावा-
- पेज बनाकर एडिटोरियल वाले ने अपनी ओर से ओके कर दिया और प्रिंट करने वालों ने कोई दूसरा पेज उठा लिया।
- किसी एडिशन में कोई पेज जाना है और किसी में कोई दूसरा। इस भ्रम में गलती हो जाए।
- आखिरी समय पर करेक्शन या किसी अन्य काम से पेज का प्रिंट, निगेटिव या प्लेट संपादकीय विभाग वाले मंगा लें और प्रेस वालों को पता ही नहीं रहे।
- प्रेस का माहौल बहुत ही औपचारिक लिखत-पढ़त वाला हो और भिन्न विभाग वालों में तालमेल ना हो।
- टाइम्स ऑफ इंडिया कई संस्करणों वाला अखबार है और यहां संपादकीय पेज रिपीट हुआ है जो एक ही जगह बनकर सभी केंद्रों को भेजा जाता होगा। अब अगर दिल्ली / मुंबई में बनने वाला पेज किसी कारण से अहमदाबाद नहीं पहुंचेगा तो वहां के लोग क्या करेंगे? आसान तरीका है पुराना पेज छाप दो, अगले दिन माफी मांग लो।
यहां एक किस्सा बताना दिलचस्प रहेगा। एक अखबार में छपने वाला साप्ताहिक राशिफल पंडित जी ने नहीं भिजवाया। एडिशन का समय हो रहा था, पेज बनाने वाले को घर जाने की जल्दी थी, उसने पुराने अखबार में से एक राशिफल निकाला और पेज बनवाकर घर चला गया। अगले सप्ताह पंडितजी राशि फल देने आए (पुराने समय की बात है, तब ई मेल नहीं होता था) तो उन्होंने जानना चाहा कि पिछले हफ्ते का राशिफल किसने लिखा था? उन्हें बताया गया कि हमने कोई पुराना निकाल कर चिपका दिया। पंडित जी संतुष्ट हुए कि अखबार में उनका कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं आया है। मैं मौके पर ही मौजूद था, सो मैने पंडित जी से पूछ लिया – लेकिन राशिफल तो गलत छप गया न? उन्होंने कहा बिल्कुल नहीं, आपने किस समय, किस सप्ताह का राशिफल निकाला, यह सब समय से निर्धारित होता है। जो छपा वह बिल्कुल ठीक था ! और गाड़ी चलती रही।
इससे और ऐसी तमाम गलतियों से बचने का एकमात्र अचूक तरीका है कि शिफ्ट या एडिशन इंचार्ज अखबार छपना शुरू होने पर पहला अखबार चेक करके घर जाए। पूरी टीम को साथ लेकर चलने वाला संपादक / एडिशन इंचार्ज सिर्फ पत्रकार साथियों को ही नहीं, दूसरे विभागों के लोगों को भी साथ लेकर चलेगा तो लोग गलती होने से पहले (छपने से पहले) बता देंगे वरना लोग इंतजार करेंगे कि एडिशन इंचार्ज गलती करे और ब्लॉग वाले को फोन करें।
लेखक संजय कुमार सिंह वरिष्ठ पत्रकार रहे हैं. पत्रकारिता को बाय-बाय बोलने के बाद वे इन दिनों अनुवाद का काम बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। उनसे संपर्क anuvaadmail@gmail.com या 9810143426 के जरिए कर सकते हैं.
Comments on “संपादक को सौ प्रतिशत जिम्मेदार माना जाना चाहिए”
YASHWANTJI,
no need to write BADE PAIMANE in your comment above.SANJAY is a person,not a factory or translation machine.