: बैंक की नौकरी से ली तीन महीने की छुट्टी : वरिष्ठ पत्रकार और उगांडा के एक बैंक को अपनी सेवाएं दे रहे अंचल सिन्हा फिर पत्रकारिता से जुड़ गए हैं. उन्होंने बैंक से तीन महीने की छुट्टी लेकर वे उगांडा के एक अंग्रेजी अखबार ‘द डेली मॉनिटर’ से अपनी नई पारी शुरू की है. उन्होंने यहां पर स्पेशल करेस्पांडेंट और राजनीतिक विश्लेषक के रूप में ज्वाइन किया है.
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अन्ना साहब, क्या इससे भ्रप्टाचार खत्म हो जाएगा?
[caption id="attachment_18562" align="alignleft" width="85"]अंचल सिन्हा[/caption]इससे पहले तक एक बार फिर लगने लगा था कि अब किसी भी तरह के जनांदोलन को पनपने का मौका नहीं है क्योंकि कोई चेहरा किसी जनांदोलन के नेतृत्व के लिए दिखता नहीं था। अब अन्ना हजारे जैसे लगभग गुमनाम या यों कहिए कि किसी एक राज्य में ही चर्चित नाम के सामने आने से एक आस जग गई है। लगता है कि गांधी- इंदिरा गांधी वाला गांधी नहीं- और जयप्रकाश के बाद नेतृत्व की जो खाली जगह बची थी उसके लिए एक नाम सामने आ गया है।
चुपचाप चले गए अनिल भैया
[caption id="attachment_19685" align="alignleft" width="94"]अनिल सिन्हा[/caption]मेरे बड़े भैया यानी अनिल सिन्हा चुपचाप चले गए। मैं पिछले दो दिनों से निणर्य नहीं कर पा रहा था कि उनके बारे में यहां लिखा जाए या नहीं। पर आज रहा नहीं जा रहा है। कम से कम अखबारी दुनिया के ज्यादातर वरीय लोग जानते हैं कि अनिल सिन्हा मेरे सबसे बड़े भाई हैं और अतुल सिन्हा सबसे छोटे। अनिल सिन्हा पटना छोड़कर लखनउ भले ही आकर बस गए थे पर उनके मन में पटना और अपने पुराने मित्रों का मोह आखिर तक बसा रहा था।
…और अब ब्रा बम का हौव्वा
[caption id="attachment_18562" align="alignleft" width="85"]अंचल सिन्हा[/caption]: विदेश डायरी : अगर इस समय यहां उगांडा में भारत के विजुअल मीडिया का कोई रिपोर्टर होता तो अपने देश के लिए खूब चटपटी खबर बनाता और उसे वहां के हिंदी चैनल पूरे दिन पूरी प्रमुखता से इसे चलाते रहते। मेरे जैसे व्यक्ति के लिए यह औरत के अपमान वाली खबर है, पर इसे विश्व भर की औरतों को जानना चाहिए। खबर है कि उगांडा की सरकार अपने संसद के इस आखिरी सत्र में एक बिल लाने जा रही है, जिसमें यहां के सुरक्षा अधिकारी औरतों के ब्रा को बाकायदा छूकर उसमें बम होने के संदेह की जांच कर सकेंगे। और इसके लिए जरुरी नहीं है कि हर जगह महिला सुरक्षा अधिकारी ही रहें। कोई भी सुरक्षा अधिकारी चाहे वह पुरुष हो या महिला, किसी भी औरत के ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर उसकी जांच कर सकता है।
इस पूर्व प्रधानमंत्री को लोन चाहिए था
: विदेश डायरी : आज छड़ी टेकते हुए एक बुजुर्ग से सज्जन मेरे आफिस में घुसे तो मुझे बहुत नई बात नहीं लगी। यहां अनेक लोग रोज आते हैं और इस या उस काम के लिए लोन लेते हैं। यह सज्जन एक दिन पहले भी मेरे पास आ चुके थे और क्योंकि नके पास उस समय कोई सेक्योरिटी जैसी चीज नहीं थी इसलिए मैंने उन्हें मना कर दिया था। उस समय मेरा बॉस भी आफिस में नहीं था इसलिए मैं अपनी ओर से कोई रिस्क लेना नहीं चाहता था। आज बॉस भी था फिर भी वे पहले मेरे पास ही आए, मुझसे हाथ मिलाया और सीधे बॉस के कमरे में चले गए। थोड़ी देर बाद बॉस ने मुझे बुलाया। वे सज्जन वहीं बैठे थे।
जूनियर रहे किसी इगोइस्ट मित्र के अधीन काम न करें
[caption id="attachment_19064" align="alignleft" width="122"]अंचल सिन्हा[/caption]: नया साल – पुराना साल : अंचल सिन्हा की नजर में : जीवन का एक और साल कम हो गया। इस जाते हुए साल में मेरे सामने अनेक चित्र आ रहे हैं और जा रहे हैं। मेरे लिए एक मायने में अपने जीवन के लिए यह खास साल भी रहा है क्योंकि इसी साल मैंने यह भी जाना कि कभी भी अपने से अनेक चीजों में जूनियर रहे किसी मित्र के अधीन काम नहीं करना चाहिए, वह भी तब तो और भी नही जब वह इगोइस्ट हो।
फिर तो बाबा कर देंगे नेताओं की छुट्टी!
आज से दो-तीन दिन पहले उगांडा की इस स्वार्थी धरती पर, जहां मौज मस्ती के अलावा कोई गंभीर जीवन कहीं नहीं दिखता, टीवी पर दिल्ली का एक कार्यक्रम दिखा। कंपाला में सिटी केबल के एक एजेंट ने कुछ भारतीय चैनलों को दिखाना आरंभ किया है। इसमें बाबा रामदेव का चैनल भी है। 14 नवंबर को बाबा और उनके अनेक समर्थकों, जैसे- मुसलमानों के प्रतिनिधि बन रहे कल्बे सादिक, शायद यही नाम है, और ईसाइयों के भी एक वरीय पादरी के साथ स्वामी अग्निवेश और किरन बेदी आदि- को एक मंच पर देखकर एक अजीब सी अनुभूति हुई।
मैं अपना पोस्टर-बनैर नहीं लगवा सका
अंचल सिन्हा बैंक की नौकरी छोड़कर पत्रकारिता करने आए तो बिजनेस भास्कर, हमारा महानगर और चौथी दुनिया की छोटी-छोटी पारियों के बाद अब वे पत्रकारिता को भी पूरी तरह अलविदा कह चुके हैं. फिर से बैंक की दुनिया में वापस लौट गए हैं. पहले सरकारी नौकरी थी. अबकी प्राइवेट मिली. उसी बैंक की नौकरी के प्रोजेक्ट पर इन दिनों विदेश प्रवास पर हैं.
विदेश यात्रा पर निकले दो हिंदी पत्रकारों के अनुभव
भारत के दो हिंदी पत्रकार इन दिनों विदेश में हैं. हिंदुस्तान, लखनऊ के विशेष संवाददाता दयाशंकर शुक्ल सागर अमेरिका में डेरा डाले हैं तो वरिष्ठ पत्रकार अंचल सिन्हा उगांडा में. सागर को अमेरिका की जोन्स हापकिंस यूनिवर्सिटी ने बुलाया है. उन्हें टोबैको कंट्रोल लीडरशिप प्रोग्राम के लिए फेलोशिप मिली है.
इससे अच्छा बैंक में ही मैनेजरी करना है
अंचल सिन्हा ने अखबार की नौकरी को नमस्ते और बैंक की दुनिया में फिर लौटने का फैसला लिया : अंचल सिन्हा ने अखबारी दुनिया को नमस्ते करने का निर्णय लिया है. लगभग तीस वर्ष पूर्व से वह बैंक ऑफ बड़ौदा में विभिन्न पदों और बाद में प्रबंधक के पद पर कार्य करते हुए स्वतंत्र लेखन कर रहे थे.
प्रभात रंजन दीन पहुंचे ‘चौथी दुनिया’
अंचल सिन्हा का इस्तीफा : ‘बाइलाइन’ नामक मैग्जीन से हटने के बाद पिछले महीने एक नई कंपनी ज्वाइन करने वाले प्रभात रंजन दीन ने महीने भर में ही पाला बदल दिया है. वे चौथी दुनिया में एडिटर (इनवेस्टीगेशन) के पद पर पहुंचे हैं. प्रभात रंजन दीन ने पिछले माह जब देववर्षा रतनज्योति प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी ज्वाइन किया था तो कई सारी घोषणाएं की थीं जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर के न्यूज़ पोर्टल के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी में साप्ताहिक पत्रिका, दैनिक समाचार पत्र और न्यूज़ चैनल लांच करना शामिल था. लेकिन इन घोषणाओं में से किसी एक को भी मूर्त रूप देने की नौबत नहीं आई. प्रभात ने चुपचाप चौथी दुनिया का दामन थाम लिया है.
मर्जी चले तो एडिट पेज व पोलिटिकल ब्यूरो बंद कर दूं!
[caption id="attachment_17019" align="alignleft" width="130"]अंचल सिन्हा[/caption]हिंदी पत्रकारिता का नया चेहरा : हिंदी पत्रकारिता का मतलब भले ही कागजों में न बदला हो लेकिन व्यवहार में इसका चेहरा बदल गया है. इसकी अगुआई की है इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने. यह पत्रकारिता से ज्यादा फिल्म बनाने का जरिया बन गया है. हाल ही में इसी विषय पर ‘रण’ नामक जो फिल्म आई है, उसने यह बात लगभग प्रमाणित कर दी है कि खबरें कैसे बनाई जाती हैं. कुछ अतिशयोक्तियों को नजरंदाज करें तो इस फिल्म में अनेक महत्वपूर्ण बातें उठाई गई हैं. उनमें से एक यह कि पहले मीडिया का काम था कि जो घटना हो गई है या जिसे होने की संभावना है, उसे दिखाया जाय। अब मीडिया का काम हो गया है जबरन किसी बात को घटना बताना और उसकी रिपोर्टिंग करना. कई बार तो इलेक्ट्रानिक मीडिया अपने तकनीक से घटना को गढ़ता है और उसे ऐसे दिखाता है जैसे कोई तूफान आ गया हो.
आनंद पांडेय, अंचल और संध्या की नई पारी
राहुल मिश्र ने ‘चौथी दुनिया’ छोड़ा : हमारा महानगर, दिल्ली में स्पेशल करेस्पांडेंट के रूप में कार्य कर चुके अंचल सिन्हा ने चौथी दुनिया, दिल्ली के साथ नई पारी शुरू कर दी है. उन्होंने डिप्टी एडिटर के पद पर इस वीकली न्यूजपेपर को ज्वाइन किया है. अंचल बिजनेस भास्कर, दिल्ली में भी काम कर चुके हैं. चौथी दुनिया में ही संध्या पांडेय ने मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ के ब्यूरो चीफ के रूप में पिछले महीने से काम शुरू कर दिया है.
हमारा महानगर, दिल्ली संग चार पत्रकार जुड़े
बिजनेस भास्कर, दिल्ली से कुछ माह पहले इस्तीफा देने वाले अंचल सिन्हा ने नई पारी दिल्ली से लांच होने जा रहे हिंदी दैनिक हमारा महानगर के साथ शुरू की है। अंचल ने स्पेशल करेस्पांडेंट के पद पर ज्वाइन किया है। वे बिजनेस भास्कर से पहले बैंक में अधिकारी थे। इसी तरह सुरेंद्र पंवार और सिंधु झा ने भी हमारा महानगर, दिल्ली में स्पेशल करेस्पांडेंट के पद पर ज्वाइन किया है। कई अखबारों में काम कर चुके अजय मिश्रा फीचर एडिटर के बतौर हमारा महानगर, दिल्ली का काम देखेंगे। इस अखबार के दिल्ली संस्करण के प्रभारी वरिष्ठ पत्रकार राजीव रंजन नाग हैं।
इस्तीफानामा : आशा है परेशानी कम होगी

अंचल सिन्हा जब तक बैंक की नौकरी करते हुए शौकिया तौर पर पत्रकारिता करते थे, उन्हें यह पढ़े-लिखों, विचारवानों और सरोकारों की दुनिया समझ में आती थी।
अंचल, संतोष सुमन व यामिनी ने बिजनेस भास्कर छोड़ा
बिजनेस भास्कर, दिल्ली के सीनियर रिपोर्टर अंचल सिन्हा के इस्तीफा देने की सूचना मिली है। अंचल बिजनेस भास्कर के पहले बैंक आफ बड़ौदा, गाजियाबाद में ज्वाइंट मैनेजर थे। बैंक की नौकरी के बावजूद आर्थिक पत्रकारिता में गहरी रूचि होने के नाते वे विभिन्न अखबारों में स्वतंत्र पत्रकार के बतौर पिछले 25 वर्षों से लिखते-पढ़ते रहे हैं। वे नवभारत टाइम्स, पटना और हिंदुस्तान, पटना से भी थोड़े-थोड़े समय के लिए जुड़े रहे।
जागरण नोएडा से दो गए, अंचल बिजनेस भास्कर में
दैनिक जागरण, नोएडा से दो लोगों ने नई दुनिया की राह पकड़ ली है। ये हैं- प्रभात मिश्रा और विवेकानंद झा। प्रभात मिश्रा लंबे समय से दैनिक जागरण, नोएडा में कार्य कर रहे हैं। वे यहां सेंट्रल डेस्क की स्थापना से ही इस डेस्क पर कभी इंचार्ज तो कभी वरिष्ठ भूमिका में अपने दायित्वों का निर्वहन करते रहे हैं। इससे पूर्व वे दैनिक जागरण, नोएडा में ही जनरल डेस्क के इंचार्ज हुआ करते थे। इसी तरह विवेकानंद झा यहीं पर संपादकीय विभाग में स्पोर्ट्स पेज के साथ जुड़े रहे हैं।
दूसरी खबर बिजनेस भास्कर की। अंचल सिन्हा ने लंबे समय तक बैंक की नौकरी करने के बाद अब यहां से इस्तीफा देकर पूरी तरह से पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा है।