राजीव शुक्ला पहली बार किसी पत्रकार के लपेटे में नहीं फंसे हैं. वे अक्सर फंसते रहते हैं. पत्रकार से मंत्री बने राजीव शुक्ला इसके पहले भी कई बार अपनी आदतों के चलते उलझ चुके हैं. कानपुर से पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले राजीव शुक्ला को बहुत पहले ही यह बात समझ में आ गई था कि नेताओं से सामान्य संबंध बनाने से नहीं, निजी संबंध बनाने से ज्यादा फायदा होता है.
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आरटीआई इस पर लगनी चाहिए की न्यूज24 की टीआरपी बढ़ी तो कैसे बढ़ी!
: राजीव शुक्ला और दीपक चौरसिया में नोंकझोंक : नीचे एक वीडियो है. स्टार न्यूज पर प्रसारित एक प्रोग्राम की. दीपक चौरसिया इंटरव्यू कर रहे हैं राजीव शुक्ला का. राजीव शुक्ला जो बीसीसीआई के उपाध्यक्ष हैं और केंद्रीय मंत्री भी हैं. बीसीसीआई को आरटीआई के दायरे में लाए जाने के मुद्दे पर राजीव-दीपक के बीच बातचीत चल रही थी. लेकिन जब राजीव शुक्ला बातचीत को बुद्धि-विवेक और टीआरपी तक ले गए तो दीपक ने भी करारा जवाब देते हुए सरकार के बुद्धि विवेक और न्यूज24 की टीआरपी पर सवाल खड़ा कर दिया.
अन्ना के आंदोलन से इंडिया टीवी का बैंड बजा, रिपोर्टरों को नोटिस
: चिटफंडियों, बिल्डरों, दलालों, सरकार समर्थकों, नान-न्यूज वालों के न्यूज चैनल धड़ाम हुए : खिसियाये इंडिया टीवी प्रबंधन ने अपने रिपोर्टरों पर निकाली भड़ास : अन्ना हजारे के समर्थन में जिस तरह पूरा देश उठ खड़ा हुआ है, उससे न्यूज चैनलों पर दबाव बहुत बढ़ गया है. कामेडी, भूत प्रेत, अंधविश्वास, अपराध, चिरकुटई आदि दिखाने का वक्त नहीं है. शुद्ध हार्ड न्यूज पर खेलने का दौर है.
अनुराधा चला चुकीं चैनल, न्यूज24 फिर अजीत अंजुम के हवाले
न्यूज24 के नाटक का अंत हो गया. दर्जनों पत्रकारों के करियर का नाश करने के बाद न्यूज24 प्रबंधन अंततः अपनी औकात में आ गया. कई जूनियर व कुछ सीनियरों की छोटी सी टीम के जरिए संचालित हो रहे न्यूज24 की कमान फिर से अजीत अंजुम के हाथ सौंप दी गई है. इस संबंध में आंतरिक मेल जारी कर दिया गया है. बीच में अजीत अंजुम को चैनल की जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया था और चैनल की पूरी कमान सुप्रिय प्रसाद को सौंप दी गई थी.
मौकापरस्ती, धोखा और बेशर्मी जैसे शब्द भी राजीव शुक्ला से शर्मा जाएंगे
[caption id="attachment_20797" align="alignleft" width="122"]राजीव शुक्ला[/caption]: इंडिया टुडे में एक स्टोरी छपी जिसमें एक जगह लिखा था कि राजीव शुक्ला अमर सिंह से भी बडे पावर ब्रोकर हैं : सफलता का अब एक और नाम है मौकापरस्ती. पर जब राजीव शुक्ला का नाम आता है तो यह मौकापरस्ती शब्द भी शर्मा जाता है. तब और जब उसमें एक और तत्व जुड़ जाता है धोखा.
राजीव शुक्ला दिन के कुल 24 घंटों में पूरे 48 घंटों का जीवन जीते हैं
: राजीव शुक्ला होने के अर्थ : राजीव शुक्ला अपने मुकाम पर पहुंच गए हैं। आज वे भारत सरकार में मंत्री है। और दूसरे शब्दों में कहा जाए तो वे उस सरकार का अंग हैं, जो देश की सवा सौ करोड़ जनता की किस्मत लिखने का काम करती हैं।
ओवर कानफिडेंस के मारे राजीव शुक्ला बेचारे की गलतबयानी का वीडियो
राजीव शुक्ला की ”जुबान फिसली या याददाश्त गई” संबंधी खबर आप पढ़ चुके होंगे. अब उस वीडियो को देखिए जिसमें वे ओवर कानफिडेंस में कह बैठते हैं पत्रकारों से कि- ”पोलिटिकल सवाल पूछो यार”. पर पोलिटिकल सवाल होते ही वो क्लीन बोल्ड हो जाते हैं. पहले ही सवाल के जवाब में ज्ञान बघारने लगते हैं कि लालकृष्ण आडवाणी जब देश के छह साल तक पीएम रहे तब तो वे काले धन के बारे में एक शब्द नहीं बोले… आदि-इत्यादि.