बिहार-झारखंड की टीआरपी पटना के 40 घरों में!

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अब तो सत्ताधारी कांग्रेस को भी पटा लिया है ‘टैम’ के ‘टामियों’ ने : टीवी चैनलों की व्यूवरशिप बताने वाली कंपनी टैम (टेलीविजन आडिएंस मीजरमेंट) के नए नए खेल रोज देखने को मिलते हैं। कंपनियों को बेवकूफ बनाकर करोड़ों रुपये कमाने की तरकीब किसी को अगर सीखना हो तो टैम के टॉमियों से सीख सकते हैं। टैम के इन टॉमियों ने अब कांग्रेस को भी अपनी लुभावनी चालों से अपने गिरफ्त में ले लिया है। पता चला है कि कांग्रेस मुख्यालय में टैम की इतनी पहुंच हो गई है कि अब कांग्रेस का चुनाव प्रचार टैम के टॉमियों की फौज और बड़ी-बड़ी विज्ञापन एजेंसियों के अंग्रेजीदां बाबा लोगों के हाथ में आ गई है। जहां तक टैम की टीआरपी और जीआरपी का सवाल है तो सबसे पहले झारखंड का ही उदाहरण ले लीजिए। बिहार और झारखंड में टैम के कुल जमा चालीस मीटर हैं और वो भी सिर्फ और सिर्फ पटना में हैं।

यानि कि टैम के टॉमियों की वीकली रिपोर्ट में बिहार-झारखंड की टीआरपी-जीआरपी के जो आंकड़े दिए जाते हैं वो सिर्फ पटना के चालीस घरों से लिए गए होते हैं और दुनिया की आंखों में धूल झोंकी जाती है कि ये आंकड़े पूरे बिहार-झारखंड के हैं। इस समय कांग्रेस के प्रचार के लिए जो विज्ञापन कांग्रेस मुख्यालय से जारी हो रहे हैं उसमें सबसे बड़ी भूमिका टैम के टॉमियों और बड़ी विज्ञापन एजेंसियों के ‘बाबा लोग’ छाप एक्ज़ीक्यूटिव्स की है।

मजे की बात ये है कि इस बार कांग्रेस ने अपने चुनाव प्रचार का जिम्मा “ग्रुप एम” नाम की एड कंपनी को दिया है। ये कंपनी टैम की एसोसिएट कंपनी है यानि चित भी टैम की और पट भी टैम की। कांग्रेस से ग्रुप एम ने प्रचार के नाम पर सैकड़ों करोड़ रुपये का ठेका लिया है। अब टैम चाहे जो आंकड़े दिखाए। इस बार ग्रुप एम ने प्रचार का ठेका लेने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रखा था और वो इसमें कामयाब भी हो गया। बात झारखंड चुनावों की करें तो यहां कांग्रेस के प्रचार के लिए विज्ञापन देने का पूरा काम कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता श्री मोतीलाल बोरा के जिम्मे है और उन्हें भी ये समझ नहीं आ रहा है कि पटना के चालीस घरों से लिए गए आंकड़े झारखंड की व्यूवरशिप का आइना कैसे हो सकते हैं?

लेकिन पाठकों को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इससे पहले भी कांग्रेस अपना चुनाव प्रचार अंग्रेजीदां बाबा लोगों के हवाले कर चुकी है। 1988 में राजीव गांधी ने कांग्रेस के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी। तब राजीव गांधी ने कांग्रेस के प्रचार का जिम्मा रीडिफ नाम की एक विज्ञापन एजेंसी को दिया था। इस एजेंसी ने पार्टी से सैकड़ों करोड़ रुपये लिए थे और ऐसा प्रचार किया कि कांग्रेस का सफाया ही हो गया। अब मोतीलाल बोरा जी भी उसी राह पर चल रहे हैं। भगवान उन्हें और उनकी कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को सदबुद्धि दे।

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