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कई चैनलों में सेलरी संकट, दीपावली होगी काली

कहीं कंपनी के दिवालिया होने के आसार,  कहीं नई-पुरानी कंपनी की नीतियों में तकरार और कहीं आर्थिक मंदी की मार- अंततः भुगत रहा है पत्रकार। वायस आफ इंडिया, लाइव इंडिया और आईटीएन–  इन तीनों जगहों पर कार्यरत पत्रकार अपने दुर्भाग्य पर आंसू बहा रहे हैं। वायस आफ इंडिया को लेकर इतनी तरह की खबरें, सूचनाएं और अफवाह मीडिया मार्केट में पसरी हुई है कि अगर उन सभी पर कान दिया जाए तो उससे एक ‘कंप्लीट न्यूज पैकेज’ तैयार हो सकता है। संक्षेप में बस इतना कि वीओआई प्रबंधन लाचारी की उस चरम स्थिति में है जिसमें ‘क्या करें, क्या न करें’ तय करना मुश्किल हो रहा है। रीयल स्टेट बिजनेस में भारी मंदी और अन्य कई वजहों से त्रिवेणी समूह के आगे दिवालिया होने की स्थिति आन खड़ी हुई है।

<p align="justify">कहीं कंपनी के दिवालिया होने के आसार,  कहीं नई-पुरानी कंपनी की नीतियों में तकरार और कहीं आर्थिक मंदी की मार- अंततः भुगत रहा है पत्रकार। <strong>वायस आफ इंडिया, लाइव इंडिया </strong>और <strong>आईटीएन</strong>-  इन तीनों जगहों पर कार्यरत पत्रकार अपने दुर्भाग्य पर आंसू बहा रहे हैं। <a href="index.php/tv-web-radio/30-2008-06-19-11-03-59/556-tv" target="_blank">वायस आफ इंडिया</a> को लेकर इतनी तरह की खबरें, सूचनाएं और अफवाह मीडिया मार्केट में पसरी हुई है कि अगर उन सभी पर कान दिया जाए तो उससे एक 'कंप्लीट न्यूज पैकेज' तैयार हो सकता है। संक्षेप में बस इतना कि वीओआई प्रबंधन लाचारी की उस चरम स्थिति में है जिसमें 'क्या करें, क्या न करें' तय करना मुश्किल हो रहा है। रीयल स्टेट बिजनेस में भारी मंदी और अन्य कई वजहों से त्रिवेणी समूह के आगे दिवालिया होने की स्थिति आन खड़ी हुई है।</p>

कहीं कंपनी के दिवालिया होने के आसार,  कहीं नई-पुरानी कंपनी की नीतियों में तकरार और कहीं आर्थिक मंदी की मार- अंततः भुगत रहा है पत्रकार। वायस आफ इंडिया, लाइव इंडिया और आईटीएन–  इन तीनों जगहों पर कार्यरत पत्रकार अपने दुर्भाग्य पर आंसू बहा रहे हैं। वायस आफ इंडिया को लेकर इतनी तरह की खबरें, सूचनाएं और अफवाह मीडिया मार्केट में पसरी हुई है कि अगर उन सभी पर कान दिया जाए तो उससे एक ‘कंप्लीट न्यूज पैकेज’ तैयार हो सकता है। संक्षेप में बस इतना कि वीओआई प्रबंधन लाचारी की उस चरम स्थिति में है जिसमें ‘क्या करें, क्या न करें’ तय करना मुश्किल हो रहा है। रीयल स्टेट बिजनेस में भारी मंदी और अन्य कई वजहों से त्रिवेणी समूह के आगे दिवालिया होने की स्थिति आन खड़ी हुई है।

भड़ास4मीडिया के पास त्रिवेणी ग्रुप से जुड़े कुछ ऐसे दस्तावेज हैं जिसको देखने के बाद एक नजर में यही लगता है कि यह कंपनी अपनी मौत मरने की ओर बढ़ रही है। इस कंपनी के खिलाफ कई लोग लंबी लड़ाई विभिन्न अदालतों में लड़ रहे हैं। कंपनी के निदेशकों के खिलाफ कई तरह के आदेश, नोटिस, जांच, मामले विभिन्न जगहों पर चल रहे हैं। गड़बड़ घोटालों की फेहरिस्त, कर्जों की लंबी लिस्ट के चलते कंपनी की ओर से लांच किए गए न्यूज चैनल को भी तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इस कंपनी के न्यूज चैनल वीओआई के पत्रकार बहुत कुछ झेलने के लिए अभिशप्त हो चुके हैं।

दिल्ली से लेकर देश के कई प्रदेशों में स्थित ब्यूरो के साथियों को तनख्वाह के लाले पड़ चुके हैं। सेलरी न मिलने पर ब्यूरो के कुछ लोगों ने इस्तीफा देना भी शुरू कर दिया है। ये लोग नई जगह ज्वाइन करने से पहले नहीं चाहते कि उनके इस्तीफे की खबर उजागर हो। नई खबर ये है कि दीपावली से ठीक पहले छंटनी की लिस्ट तैयार करके हर ब्यूरो से एक दो लोगों का गर्दन उड़ाया जा रहा है। कल से शुरू हुई इस प्रक्रिया में दिल्ली से फोन करके चिन्हित पत्रकारों से इस्तीफा देने को कहा जा रहा है। लालच यह दिया जा रहा है कि इस्तीफा दे देने से दीपावली के पहले समस्त बकाये का भुगतान कर दिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि जो लोग इस्तीफा देने से इनकार कर रहे हैं उन्हें किसी भी तरह का भुगतान न करने की धमकी दी जा रही है।

वीओआई का ज्यादातर स्टाफ प्रोबेशन पर है। इस चैनल को अभी छह महीने कंप्लीट नहीं हुए। कोई परमानेंट नहीं है। कानूनी लड़ाई लड़ने में भी समस्या दिख रही है। इसके पहले पश्चिम बंगाल, गुजरात, आंध्र प्रदेश की राजधानियों में बने बनाए आफिसों को वीओआई ने बिना कारण बताए बंद कर दिया और इसमें कार्यरत लोगों को पैदल होने पर मजबूर कर दिया।

वीओआई के दिल्ली आफिस में भी ढेर सारे पत्रकार बिना तनख्वाह मिले काम करते जा रहे हैं। परिवार और बच्चे वाले ये पत्रकारों खराब माली हालत से काफी आक्रोश में हैं और चैनल को सबक सिखाने के लिए तरीके पर विचार कर रहे हैं।  कहा तो यहां तक जा रहा है कि वीओआई में किसी भी दिन हड़ताल होने की खबर सुनाई पड़ सकती है। चैनल के कंटेंट को लीड करने वाले लोग इन सारी स्थितियों से आंख मूंदे बस अपनी सुनाए और कराए जा रहे हैं। उन्हें न तो अपने अधीनस्थों की दिक्कतों की चिंता है और न ही खुद के घटिया व्यवहार पर अफसोस। वे भूखी-प्यासी निरीह टीम को भेड़ की तरह हांकने में ही अपना गौरव देख रहे हैं।


दूसरी कहानी लाइव इंडिया की

पहले जनमत था जो बाद में लाइव इंडिया बना। पहले इसके मुख्य मालिक अधिकारी ब्रदर्स थे, अब एचडीआईएल हो गया है। लाइव इंडिया के देश भर में फैले स्ट्रिंगर परेशान हैं। जो जनमत के जमाने से इस चैनल के साथ हैं वो खासकर ज्यादा दुखी हैं। उन्हें जनवरी-फरवरी से पेमेंट नहीं मिला है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी और पूर्वी हिस्से के कई स्ट्रिंगरों ने भड़ास4मीडिया को सबूतों के साथ अपनी कहानी बयान की है। इसमें पैसे के अभाव में परिवार को पालने-पोसने में आ रही दिक्कतों के बारे में विस्तार से बताया गया है। एक स्ट्रिंगर जिसका लाइव इंडिया पर बकाया जनवरी महीने से है, का संदेश भड़ास4मीडिया के पास कुछ इस रूप में आया-

”Sir, HDIL Live India TV ne pahucha diya bhukhmari ki kagar par. kuchh karen. 9 months se payment nahi mila. kyon na parivar sahit suicide kar lun!”

दूसरे स्ट्रिंगर ने मेल के जरिए ये बातें कहीं हैं-

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”i m writing this to u with a huge expectations for necessary action that i am  working with Janmat tv as a stringer since 2006. now Janmat is  known as Live India tv,  taken over by hdil group from adhikari brothers my grivence is that being a multi crorers group hdil has no market value group has not paid not only mine but of all over stringers outstandings since feburary 2008. in the conditions i am passing my life with my family no day’s i will pray to god not to show this type of days to anybody as comming diwali festival is going to be black for me it should not appear for anbody else in a nut shell i can say that ” kissi ka dill itna maat dukao ki nikley badduaey.”

भड़ास4मीडिया के पास पक्की सूचना है कि लाइव इंडिया के सभी स्ट्रिंगर आपस में संपर्क स्थापित कर एक संगठन बनाने की तैयारी में लगे हैं। ये सभी मिलकर जरूरी हुआ तो दिल्ली में प्रदर्शन भी कर सकते हैं। ऐसा अगर होता है तो मीडिया के इतिहास में एक नई परंपरा शुरू हो जाएगी जिसके चलते आगे कोई भी कंपनी अपने इंप्लाइज के हक मारने से पहले दो बार सोचेगी।

उधर, लाइव इंडिया के कुछ स्ट्रिंगरों ने भड़ास4मीडिया को बताया कि चैनल के बड़े अधिकारियों ने नवंबर मध्य तक पेमेंट कराने का आश्वासन दिया है लेकिन ये आश्वासन काफी दिनों से दिए जा रहे हैं। चैनल के कुछ अधिकारियों का कहना है कि जनमत के समय के बकाये भुगतान का पेमेंट नई कंपनी नहीं करेगी। स्ट्रिंगरों का कहना है कि वे लोग कानूनी लड़ाई लड़ने की सोच रहे हैं पर उनका पक्ष इसलिए कमजोर हो जाता है क्योंकि उनके पास लिखित में कोई प्रमाण नहीं होता। न तो सेलरी स्लिप मिलती है न ही अप्वायंटमेंट लेटर दिया जाता है। सारा हिसाब कच्चा रहता है और उन्हें प्रत्येक स्टोरी के लिए भुगतान इकट्टे महीने में किए जाने की परंपरा रही है लेकिन अब तो कई महीनों से रुपये के दर्शन ही नहीं हुए।


तीसरी कहानी आईटीएन की

कुछ हफ्तों पहले मुंबई में आईटीएन मुंबई नाम से आईपी टीवी लांच करने वाली कंपनी आईओएल नेटकाम लिमिटेड की हालत काफी खराब चल रही है। शेयर बाजार में आए भूचाल ने इस कंपनी के अरमान को आंसुओं में बहा दिया। कंपनी की जितनी भी योजनाएं थीं, वो सब खटाई में पड़ती नजर आ रही हैं। दिल्ली-एनसीआर में दीपावली तक लांचिंग की तैयारी टाल दी गई है। यहां के कर्मचारियों को भी देर से वेतन मिलने की समस्या होने लगी है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि शेयर मार्केट में भूचाल से जिस कदर इस कंपनी का नुकसान हुआ है उसके चलते आने वाले दिनों में उसे अपने कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ सकती है और कई योजनाओं को रद करना पड़ सकता है। यहां काम करने वाले पत्रकार भी कंपनी की खराब माली हालत को महसूस करने लगे हैं और खुद को अब संकट में घिरता हुआ महसूस करने लगे हैं।

फिलहाल तो इतना ही कहा जा सकता है कि मीडिया के एक बड़े हिस्से के लिए आने वाली दीपावली काली साबित होगी।


आप अपनी राय [email protected] पर मेल कर सकते हैं।

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