‘टैम’ वाले कितने बड़े चोर, धंधेबाज और साथ ही साथ चिरकुट भी हैं (ये सब इसलिए लिखा जा रहा है क्योंकि दरअसल टीवी न्यूज इंडस्ट्री से कंटेंट गायब कराने का श्रेय इन्हीं ‘टैम’ वालों को जाता है और इन्हीं ‘टैम’ वालों ने टीवी पत्रकारों को जोकर बनकर काम करने को मजबूर कर रखा है), यह जानना हो तो दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक खबर पढ़ लीजिए। टेलीविजन आडियेंस मीजरमेंट (टैम) वाले आजकल दूरदर्शन न्यूज यानि डीडी न्यूज पर बहुत मेहरबान हो गए हैं। इसे कई निजी न्यूज चैनलों से आगे बताने लगे हैं। ये काम वे सिर्फ मौखिक नहीं कर रहे हैं, बल्कि आंकड़े देकर बता-समझा रहे हैं। वजह यह है कि केंद्र सरकार ने संकेत दे दिया है कि वे टैम वालों के रेटिंग के अर्जी-फर्जी नाटक से खुश नहीं है और जल्द ही एक राष्ट्रीय टेलीविजन मीजरमेंट एजेंसी बनाने के काम को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा।
इतना सुनते ही टैम वालों के गोल-मटोल चेहरे सूख गए हैं। उनकी अंग्रेजी और गुणा-भाग, सब ‘इज इक्वल टू जीरो’ के संकेत देने लगे हैं। ऐसे माहौल में जो रीढ़विहीन बाजारू संस्थाएं करती हैं, टैम ने भी वही करना शुरू कर दिया है। प्रभावशाली का चारण गान। सत्ता की गणेश परिक्रमा। उसने पब्लिक ब्राडकास्टर डीडी न्यूज की रेटिंग तेजी से बढ़ानी शुरू कर दी है। इसे बढ़िया और खूब लोकप्रिय चैनल बताने के आंकड़े पेश करने लगे हैं। अब इन चिरकुट ‘टैम’ वाले ‘टामियों’ से पूछा जाना चाहिए कि आखिर अभी तक उन लोगों ने डीडी न्यूज की असल रेटिंग को डीडी न्यूज से माइनस करके किस-किस चैनल में जोड़ा और बेचा व बदले में उनसे कितना पैसा कब-कब लेते-खाते रहे? इन ‘टैम’ वाले ‘टामियों’ की चिरकुटई जानने के लिए दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक खबर पेश है-
ऐसे बदली रेटिंग
हाल तक अपनी रेटिंग में दूरदर्शन को सबसे निचले क्रम पर रखने वाली एकमात्र निजी रेटिंग एजेंसी टैम ने अचानक दूरदर्शन को किसी एक टाइम स्लाट में सबसे अधिक देखा जाने वाला चैनल करार दिया है। अपनी रेटिंग में कंपनी ने कहा है कि साढ़े आठ बजे के समय में मेट्रो शहरों में दूरदर्शन को 77 प्रतिशत दर्शकों ने देखा जबकि इसी तरह एक विशेष समय में मेट्रो शहरों में 20 प्रतिशत दर्शकों ने देखा। इसके बाद कंपनी ने एक निजी समाचार चैनल को दिखाया है।
टैम के इस हृदय परिवर्तन से खुद सूचना-प्रसारण मंत्रालय के अधिकारी भी हक्के-बक्के हैं। हालांकि उन्हें इस बदलाव की वजह समझने में ज्यादा देरी नहीं लगी। दरअसल पिछले दिनों सूचना-प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने टैम की निष्पक्षता को लेकर उठने वाले संदेह की चर्चा के साथ सरकारी समर्थित एक राष्ट्रीयकृत रेटिंग एजेंसी के गठन में तेजी लाने की बात की थी। बस यहीं से टैम का हृदय परिवर्तन शुरू हो गया। असल में टैम निजी चैनलों पर ही ज्यादा ध्यान देता था और दूरदर्शन को दायरे में लेता ही नहीं था। लेकिन अब सरकार की बोली बदलते ही उसकी बोली बदल गई है।