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थी..हूं..रहूंगी के लिए वर्तिका नंदा को ऋतुराज सम्मान

डॉ.वर्तिका नंदा को प्रतिष्ठित परम्परा ऋतुराज सम्मान से सम्मानित किया गया है.  वर्तिका जी को यह सम्मान उनके कविता संग्रह 'थी.. हूं… रहूंगी' के लिए मिला। सम्मान समारोह दिल्ली में हुआ। यह कविता संग्रह महिला अपराध पर आधारित है। इस विषय पर लिखा जाने वाले यह अपने तरह का अनूठा कविता संग्रह है। हर साल यह सम्मान दिया जाता है। वर्तिका नंदा को पुरस्कार देने का निर्णय तीन सदस्यी निर्णायक मंडल ने की। इसमें राजनारायण बिसारिया, डा. अजित कुमार और डॉ. कैलाश वाजपेयी शामिल थे।

डॉ.वर्तिका नंदा को प्रतिष्ठित परम्परा ऋतुराज सम्मान से सम्मानित किया गया है.  वर्तिका जी को यह सम्मान उनके कविता संग्रह 'थी.. हूं… रहूंगी' के लिए मिला। सम्मान समारोह दिल्ली में हुआ। यह कविता संग्रह महिला अपराध पर आधारित है। इस विषय पर लिखा जाने वाले यह अपने तरह का अनूठा कविता संग्रह है। हर साल यह सम्मान दिया जाता है। वर्तिका नंदा को पुरस्कार देने का निर्णय तीन सदस्यी निर्णायक मंडल ने की। इसमें राजनारायण बिसारिया, डा. अजित कुमार और डॉ. कैलाश वाजपेयी शामिल थे।

इससे पहले विजय किशोर मानव, डा. अनामिका, नरेश सक्सेना, बालस्वरूप राही, पवन करण व विष्णु नागर आदि परम्परा ऋतुराज सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं। परंपरा ऋतुराज सम्मान के साथ एक लाख रुपये की राशि भी दी जाती है।  डॉ. वर्तिका नंदा इस कविता संग्रह को लेकर पिछले काफी वक्त से उत्साहित रही हैं. अपने कविता संग्रह के बारे में उन्होंने कहा कि, थी ..हूं..रहूंगी की कहानी अपने आप में एक अलग तरह की रचना है. बतौर वर्तिका, "पिछले साल एक मरजानी मर गई और तब यह लगा कि कई बार मरते-मरते कोई औरत जब बच जाती है, तो बदल जाती है। अपराध की रिपोर्टिंग ने यही सिखाया और बताया। इस लिए इस बार अनायास ही कविताएं एक नए भाव के साथ उग आईं। वर्तिका आईआईएमसी की छात्रा रही हैं। मीडिया में लंबे वक्त तक सक्रिय रहने के बाद उन्होंने पढ़ाने के लिए आईआईएमसी को चुना। यहां वह कई सालों तक विद्यार्थियों को टीवी पत्रकारिता पढ़ाती रही हैं।

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