एक ऐसा न्यूज चैनल जिसमें सुबह और शाम डेढ़-डेढ़ घंटे गुरुद्वारा से सीधा प्रसारण होता है, गुरुवाणी का. ऐसा इसलिए क्योंकि ये मालिकों का आदेश है. इस आदेश का पालन राहुल देव ने भी किया और अनुरंजन झा भी कर रहे हैं. आजकल की पत्रकारिता में मालिक ऐसा प्राणी होता है जो सारे महान महान संपादकों के लिए आदरणीय और भाई साहब और चेयरमैन सर या एमडी सर होता है.
बाकी दुनिया में चाहें जितने ऐब या गुण हों लेकिन मालिक में कोई ऐब-कमी की गुंजाइश नहीं क्योंकि मालिक मालिक होता है और मालिक इसलिए मालिक होता है क्योंकि वो लाखों रुपये और ढेर सारे सुख हमें देता है. वो चाहे सहारा हो या सीएनईबी, पी7न्यूज हो या इंडिया न्यूज, हर जगह चेयरमैन सर सर्वोच्च होते हैं. हर जगह मदर कंपनी अपनी असली मां से सगी होती है कर्मियों के लिए. और इन इन कंपनियों में काम करने वाले लोग अपनी मदर कंपनीज के खिलाफ कुछ नहीं सुनना चाहते. अन्ना हजारे में, प्रशांत भूषण में लाखों गुण दोष ये लोग निकालेंगे लेकिन अपनी अपनी कंपनीज के फ्राड, अपने अपने चेयरमैनों के फ्राड पर आंख मूंदे रहेंगे.
बात कुछ और कर रहा था और लिख कुछ और गया. लेकिन मुद्दा यही है कि मालिक ने कह दिया तो कह दिया. सीएनईबी के मालिक पंजाबी हैं. उनका अरबों खरबों का कारोबार है और सीएनईबी पर जो इनवेस्टमेंट है वो कारोबार से होने वाले मुनाफे में चुटकी बराबर है. सीएनईबी उनके लिए किसी आध्यात्मिक शांति की तरह है. इसीलिए इन मालिकों ने राहुल देव के जमाने में राहुल देव से कह रखा था कि क्राइम की खबर, अपराध की खबर न दिखाइए और सुबह शाम नियम से गुरुद्वारे की गुरुवाणी का सीधा प्रसारण करवाइए. राहुल देव मालिकों के आदेश को अच्छे शब्दों में ढालकर तार्किक तरीके से पेश करने की कला में माहिर हैं. उन्होंने मालिकों की इस उदारता को पत्रकारिता से कनेक्ट कर सीएनईबी को एनडीटीवी जैसा बता डाला.
खैर, सीएनईबी कभी एनडीटीवी तो बन नहीं पाया लेकिन हां इतना जरूर हुआ कि चैनल की बची-खुची साख खत्म होने लगी और चैनल से जुड़े प्रमुख लोग एक एक कर अलविदा कहते गए. अचानक अनुरंजन झा परिदृश्य में आए. छंटनी, इनक्रीमेंट, रंगरोगन, लेआउट-कलेवर, कंटेंट, विजन, लोगो, टीम… सभी में बदलाव की घोषणा की और सबको एक एक कर बदल डाला. अब जिस तरह का सीएनईबी सामने आया है, वो कितना अच्छा-बुरा है, ये तो नहीं पता लेकिन हां, पिछले कुछ दिनों तक चैनल देखने के बाद लगने लगा है कि ये चैनल अतियों को जीता है.
मतलब ये कि सुबह-शाम गुरुवाणी का सीधा प्रसारण और आधी रात को सेक्स समस्याओं का निराकरण. कोई डाक्टर जैन हैं जो सेक्सोलाजिस्ट हैं वह आधी रात में लिंग और योनि की सभी समस्याओं को एंकर के श्रीमुख से सुनते हैं और उसका मौखिक समाधान पेश करते हैं. सेक्स समस्याओं का प्रोग्राम आना चाहिए टीवी पर. अखबारों में भी इसे प्रकाशित होना चाहिए. मैं तो इसके पक्षधर हूं. हालांकि भारतीय परंपरा को हर बात पर सामने रखने वाले लोग कह सकते हैं कि सेक्स समस्याओं पर खुलेआम चर्चा नहीं होनी चाहिए क्योंकि बच्चों पर गलत असर पड़ सकता है लेकिन आधी रात को न्यूज चैनल पर सेक्स समस्याएं तो दिखाई ही जा सकती हैं.
पर सवाल ये भी है कि अपराध की खबरें न दिखाने वाले चैनल पर घनघोर सेक्सी सवाल जवाब आधी रात को भी कितना उचित है. लगता है कि सीएनईबी के मालिकों को भी सेक्स समस्याओं वाले कार्यक्रम में अच्छी खासी रुचि है तभी तो वे शाम को जनता को गुरुवाणी सुनाने के बाद देर रात को गुप्तांगवाणी सुनाने वाले कार्यक्रम को प्रसारित करा रहे हैं. मैं इन दो अतियों वाले कार्यक्रम को लेकर संशय में हूं कि इन्हें अच्छा कहूं या बुरा. हां, लेकिन ये अटपटा जरूर लगता है कि शाम के वक्त गुरुवाणी और रात के वक्त सेक्स समस्याएं. है न कंट्रास्ट. और, ये कंट्रास्ट ही किसी को भीड़ से अलग बनाता है. तो कह सकते हैं कि अनुरंजन झा ने सीएनईबी को कुछ अलग बना दिया है.
Comments on “अतियों को जीता एक न्यूज चैनल”
are yar jyada charcha kyoun karte ho….. cneb ko lekar…. is cahnnel me bhi papi hai , isi bahane wah guruvani sunkar kuch pap maf kara lete hai uske bad ek pap kar lete hai, dhnde me sab chalta hai…. phir sardar guru jee ko kyoun sath nahi lekar chale…..
गुरुवाणी सुनना आदत होगी और गुप्तांगवाणी कमजोरी
kitna achcha contrast hai dear… sara manoranjan ek he jagah pr uplabdh hai…
तो अब पता चला कि भडास4मीडिया के श्री महामहोपाध्याय 1008 परमयोगी स्वामी यशवंतानंद सिंहनादी जी महाराज देर रात तक क्यों जागते हैं और सुबह देर तक क्यों सोते रहते हैं।
जाहिर है गुरूवाणी सुनने के लिए तो नहीं ही इतना परिश्रम करते होंगे।
channelo ke malik channel, information sharing ke liye apne selfish interest ko pura karne ke liye karte hai. Malik apne ko news and es business samajne ka dhong karte hu kuch v bakwas chalate hai, or top management ke log apni naukri bachane ke liye kuch v khusi khusi karte hia.
Agar Anuranjan Jha v oro ki tarah aphi naukri bachane ke liye apne malik ke esare pe thora nach diya to esme koe burae nhi hai. Keep it up Mr. Anuranjan Jha and News channels ko etna bakwas bana do log news channel dekhe hi na…………………