आजतक न्यूज चैनल के बुरे हाल ने इसके मालिक अरुण पुरी की कुंभकर्णी नींद तोड़ दी है. खबर है कि उन्होंने पिछले दिनों चैनल के शीर्षस्थ लोगों की एक बैठक बुलाई और दो टूक कह दिया कि आप लोग अब टीआरपी की चिंता छोड़ दें, प्रलय और ज्योतिष आदि दिखाने बंद कर दें, हार्डकोर खबरों की तरफ लौटें, क्योंकि टीआरपी की चिंता ने चैनल की जो दुर्गति कर दी है, उससे ज्यादा दुर्गति अब ठीक नहीं. सूत्रों के मुताबिक अरुण पुरी का ऐसा आदेश इसलिए देना पड़ा क्योंकि इंडिया टीवी ने आजतक की चूलें हिला दी है.
बताया जा रहा है कि विज्ञापनदाताओं ने भी आजतक को अंगूठा दिखाना शुरू कर दिया है जिसके कारण आजतक की आधे से ज्यादा मार्केटिंग टीम ने टारगेट पूरा न होने के कारण निकल लेना बेहतर समझा. विज्ञापन के रेट आजतक के ज्यादा हैं. पर टीआरपी में इंडिया टीवी आजतक से ज्यादा है. इस विरोधाभाष का नुकसान आजतक को रेवेन्यू के रूप में उठाना पड़ रहा है. आजतक का विज्ञापन रेट ज्यादा होने के कारण विज्ञापनदाता ज्यादा टीआरपी वाले और कम विज्ञापन रेट वाले इंडिया टीवी की तरफ जा रहे हैं. आजतक के मार्केटिंग के लोगों से विज्ञापनदाताओं ने कह दिया है कि वे ज्यादा रेट देकर कम दिखने वाले चैनल के पास क्यों जाएं.
सूत्रों के मुताबिक अरुण पुरी ने बिजनेस का फंडा गड़बड़ा जाने को देखते हुए फिर से न्यूज की तरफ लौटने को कहा है क्योंकि विज्ञापनदाताओं की नजर में आजतक चैनल की साख इंडिया टीवी की ही तरह है. इंडिया टीवी ने जिस फंडे से खुद को टीआरपी चार्ट में बढ़ाया, वही फार्मूला आजतक ने अपनाया, सो आजतक अपने न्यूज वाले ट्रैक से फिसलकर नान-न्यूज वाले चूतियापे के कार्यक्रमों का शहंशाह बनने लगा. इससे आजतक की जो साख दर्शकों के मन में हुआ करती थी, वो खत्म हो गई. विज्ञापनदाता मानते हैं कि जब इंडिया टीवी और आजतक की साख बराबर है तो वे ज्यादा रेट पर विज्ञापन आजतक को क्यों दे, इससे अच्छा है कि वे कम पैसे में आजतक से ज्यादा टीआरपी वाले इंडिया टीवी के पास चले जाएं.
सूत्रों के मुताबिक अरुण पुरी ने फिर से अपनी न्यूज टीम को न्यूज की तरफ लौटने को कह दिया है. पर बड़ा सवाल ये है कि जो लोग न्यूज टीम के अगुवा है, वो इस कदर कनफ्यूज और सरोकार रहित हो चुके हैं कि उन्हें अब समझ में नहीं आ रहा कि वे न्यूज क्या दिखाएं. ऐसे में इस कयास को भी बल मिल रहा है कि देर सबरे आजतक में पुण्य प्रसून वाजपेयी जैसे न्यूज व सरोकार वाली पत्रकारिता के चर्चित चेहरे को लाना पड़ेगा. लेकिन आजतक में न्यूज सेक्शन में जो लोग शीर्ष पर हैं, वे अपने रहते पुण्य प्रूसन को इंट्री करने देंगे, इसमें संदेह है. और पुण्य प्रसून भी किसी बंधन में बंधकर काम करना पसंद नहीं करेंगे इसलिए माना जा रहा है कि देर सबेर आजतक की न्यूज टीम के शीर्ष लोगों को इधर उधर किया जा सकता है और दूसरे चैनल के बेहतर लोगों को लाया जा सकता है. एक कयास इंडिया टीवी के विनोद कापड़ी को आजतक लाने की थी लेकिन इस चर्चा में दम नहीं दिखाई दे रहा है.
uday
July 13, 2011 at 12:26 pm
vigyaapan dataaon ki baat to mai nahi janta ki wo kya sochte hain par itna jarur kah sakta hoon ki khabaron ke maamle me Aaj Tak ka koi sani nahi hai aur trp ke me bhale hi aaj tak thoda bahut aage pichhe ho lekin khabron ki sachchayi janne ke liye log aaj bhi aaj tak par hi aate hain.
Pushpendra mishra
July 13, 2011 at 12:49 pm
Punya prasun bahpei ji ke aane se aaj tak ka rutba tv patrakarita me laout sakta hai. kyuki sp singh ji ka koi chela hi unke rope paoudhe ko faldayak bana sakta hai ..
vishnu kant shukla
July 13, 2011 at 12:58 pm
आज तक को कैंसर हो गया है। कोई भी इलाज कर लें, कुछ नहीं होगा। सोगों के दिमाग से यह चैनल उतर चुका है। चेहरा बदल देने से चैनल नहीं बदल जाएगा प्यारे। पुरी जी…जब नोट छाप रहे थे तब न्यूज ध्यान नहीं आया….अब फटने लगी तो न्यूज न्यूज चिल्लाने लगे….
chandan singh
July 13, 2011 at 1:24 pm
yeh channel nahi advertisement bazzar hai ishay hum newws nahi ad delhnay kohltay hai or ab too Prabhu Chawla kaa or Nira Wadia kay 7 phone recording dekh kar kabhi aaj tak dekhnaa.
naresh
July 13, 2011 at 8:36 pm
aaj tak ne chutiyape ki had kar di hai lagatar ek week se Yuvraj singh ki divyadristy ki faltu baat ko lekar prime time me pura programm chala rahe hain taur, logon ko bewkuf samjhtye hai kya??/ aise waiyat kism ki news dekhnege..aur mujhe lagta hai aaj tak me decision maker koi hai hi nahi na hi kisi ko news ki samjh hai…
neha jain
July 14, 2011 at 5:23 am
It is right that Aaj Tak has lost its charm but still Aaj Tak has printed on peoples’s mind. If it has back on its main objective”Aaj Tak, Sabse Tez”, it will regain no.1 position. Al d best Aaj Tak.
Manish Gupta
July 14, 2011 at 6:04 am
इंडिया टीवी भले ही टीआरपी में आगे हो लेकिन जब दर्शक को असल में खबर देखनी होती है तो लोग आज तक ही देखते हैं हां वो बाद दिगर है कि ड्रामे के लिए इंडिया टीवी लगाया जाता है जिस कारण वो नंबर वन की दौड में आगे है …. वैसे लोग बाग ड्रामा पसंद हो गए हैं और न्यूज में भी ड्रामा देखने लगे हैं ।
bharat singh
July 14, 2011 at 5:02 pm
darasal ab villeges me bhi lagbhag logo k pas tv hai. aur andh vishwash vahi basta hai. isliye india tv ki ……trp….jyada hai. dusari bat yeh ki aj tak ka market me bahut asar hai. lekin unke (aj tak) reporters me dam nahi hai. kyoki unhe dusre parakarita par vishvash nahi hai.
Ravi teja
July 14, 2011 at 8:27 pm
india tv bakvaas karta hai to kya uska presentation aaj tak se bahut aage hai jab bakvaas hi karni hai to khul kar karta hai or agar kisi ko khabar dekhni hogi to na vo india tv dekhega na aaj tak aaj bhi ZEE NEWS ka hi jalwa hai
Ajay Tiwari
July 15, 2011 at 6:29 pm
आज तक की ऐसी की तैसी, NDTV और IBN7 बंद हो गए क्या ? जो ख़बरों के लिए चरित्रहीन चैनलों की बाट देख रहे हो . . . .
रिंकू सिंह
July 17, 2011 at 5:45 pm
मैं तो कितनो ही महीने से आजतक नहीं देखता।
ek sajjan
July 17, 2011 at 6:25 pm
😉 HINDI K CHANNEL TO BAKWAS HO GAYE ,,, INME OR RURAL ME JHAD FOONK KARNE WALON ME ADHIK FARK NAHI RAHA GAYA,
BC LOGON KO BEVKUF SAMAJHTE HEN. LOGON KO BE KYA HE GIRO BC OR GIRO. PUBLIK SUB SAMAJTI HE KON NEWS DIKHA RAHA HE OR KON Bhdvaagiri kar raha ,,,,