जो चैनल अपने शुरुआत से लेकर पिछले कुछ महीनों तक नंबर वन की कुर्सी पर आसीन रहा, यदाकदा के छिटपुट उदाहरणों-अपवादों को छोड़कर, वह अब लगातार तीसरे नंबर पर है. कभी खबरों, तेवर और सरोकार के मामले में भी नंबर वन माने जाना वाला यह न्यूज चैनल आजतक अब उन्हीं चूतियापों, कलाबाजियों और बेसिरपैर की खबरों व करतबों के लिए जाना जाता है जिसके लिए इंडिया टीवी कुख्यात व बदनाम है.
टैम वाले टामियों के टीआरपी मीटर, जो शहर के मोटे व भरे पेट वालों के घरों में लगते हैं और उन घरों में समस्या व सरोकार नामक कोई चिड़िया नहीं होती, में शीर्ष पर आने के लिए इंडिया टीवी ने वही किया जो किसी बाजारू चैनल को करना चाहिए. भरे व मोटे पेट वालों के पेट में गुदगुदी लाने, चेहरे पर बेवकूफों वाला भौचक्कापन भरने, शरीर में कभी-कभार सिहरन-ऐंठन-मरोड़ उठाने, कभी नाटक-नौटंकी तो कभी फुल मसाला वाले प्रोग्राम दिखाने की परिघटना ने रंग जमाया और टैम वाले टामियों के टीआरपी मीटर में दर्ज होते गए.
सो, इंडिया टीवी सारी गालियों-बेइज्जती के बावजूद भी टामियों के टीआरपी मीटर पर आगे बढ़ता गया. इंडिया टीवी को दरअसल इंडिया टीवी के कार्यक्रमों ने नहीं बल्कि आजतक वालों ने भी बढ़ाया है. इंडिया टीवी की नौटंकी से डरे आजतक के लिजलिजे और रीढ़विहीन संपादकों को कुछ भी समझ में आना बंद हो गया. जो जैसी सलाह देने लगा, वो वैसा करने लगे. और धीरे धीरे इंडिया टीवी का क्लोन बनने लगा आजतक. धीरे धीरे स्थिति ऐसी होती गई कि आजतक खोलो तो लगे कि इंडिया टीवी देख रहे हैं और इंडिया टीवी खोलो तो लगे कि यहां तो चूतियापे का चरम है. सो, अगर चूतियापा ही देखना है तो वहां देखा जाएगा जहां चरम पर मामला हो, मद्धिम मद्धिम वाला क्यों देखा जाए. सो, इंडिया टीवी ने जहां खुद को न्यूज चैनल की जगह इंटरटेनमेंट चैनल बना लिया, बिना सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को सूचित किए और इस मनोरंजन, रहस्य, जुगुप्सा, कामेडी, भय आदि विचारविहीन कार्यक्रमों के जरिए उसने खुद को सबसे ज्यादा एलीट शहरी दर्शकों तक पहुंचाया वहीं आजतक ने खुद को ऐसा बना लिया कि न तो उसके पास न्यूज वाले दर्शक रहे और न इंटरटेनमेंट वाले. माया मिली न राम वाली हालत हो गई है आजतक की.
टामियों की रिपोर्ट में लगातार तीसरे नंबर पर है आजतक. स्टार न्यूज नंबर दो है, इंडिया टीवी नंबर एक है. आजतक वाले नंबर तीन पर है. आजतक के हेड कमर वहीद नकवी को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं. कोई कह रहा है कि रिटायर हो रहे हैं, समय पूरा हो चला है. कोई कह रहा है कि रिटायर हो गए है सलाहकार बने रहेंगे और कई जगहों पर सलाह देंगे. नकवी के बाद शैलेष हैं. उनको लेकर भी चर्चाएं काफी दिनों से उड़ रही हैं. कोई कह रहा है शंट कर दिए गए हैं तो कई कह रहा है कि अब आजतक वालों के मीडिया स्कूल के हेडमास्टर बना दिए गए हैं शैलेष. भले अभी तक नकवी और शैलेष के साथ कुछ न हुआ हो और सिर्फ अफवाहें उड़ रही हों लेकिन इन दोनों के साथ जल्द ही कुछ न कुछ होने वाला जरूर है वरना फिजा में यूं ही धुआं धुआं सा न महूसस होता.
एक अच्छे खासे चैनल की हत्या करने के अपराधी तो ये दोनों लोग हैं ही. अगर पुण्य प्रसून बाजपेयी अपने सीरियस कार्यक्रमों के जरिए, अगर रवीश कुमार अपने सरोकार वाले प्रोग्रामों के जरिए, अगर दीपक चौरसिया अपने न्यूज तेवर और उर्जा के चलते अच्छी खासी टीआरपी ला सकते हैं तो ये आजतक वालों को क्यों नहीं समझ में आ रहा कि उन्हें अपना वक्त दुनिया भर के चैनलों पर चलने वाले कार्यक्रमों में से कौतुक तलाशने या यूट्यूब से कोई चौंका देने वाला वीडियो निकालने में लगाने की बजाय नया पुण्य प्रसून बाजपेयी, रवीश कुमार और दीपक चौरसिया पैदा करने में लगाना चाहिए. आखिर आजतक ऐसा संस्थान क्यों बन गया जहां अब कोई पुण्य प्रसून, दीपक चौरसिया नहीं दिखता. सब एक गमले में लगे नन्हें मुन्ने फूल पत्ते टाइप नजर आते हैं. या फिर अगर आजतक ने तय ही कर लिया है कि उन्हें इंडिया टीवी के रास्ते जाना है तो बड़ा आसान है. नकवी को भगाओ और कापड़ी को बिठाओ.
विनोद कापड़ी को इसका श्रेय दिया ही जाना चाहिए कि इस शख्स ने टैम वाले टामियों के मीटर की नब्ज को अच्छे से पकड़ रखा है और येन केन प्रकारेण वह टैम वाले टामियों की नजरों में खुद के चैनल को नंबर वन बनाने में सफल है. पर विनोद कापड़ी जिस तरह से टैम वाले टामियों की नब्ज को पकड़ते हैं उससे भले ही किन्हीं रजत शर्माओं को मुद्रा के रूप में फायदा मिल जाता हो, पर उससे हमारे समाज और हमारी पत्रकारिता को कुछ नहीं मिलता, उल्टे डिप्रेशन होता है. तो, विनोद कापड़ी की पत्रकारिता में इसलिए कभी नाम नहीं लिया जाएगा कि उन्होंने समाज और सरोकार की बुनियादी समझ को जीते हुए पत्रकारिता की. उन्होंने ”नामी जर्नलिज्म” की जगह शुद्ध रुपेण ”टामी जर्नलिज्म” की व कर रहे हैं.
….जैसे इन नेताओं को ”डाग-विजय” कहने लगी है जनता और इंटरनेट पर ऐसी तस्वीरों को खूब देखा-भेजा जा रहा है, तो वह दिन दूर नहीं जब टामी एडिटरों को भी ऐसे ही सम्मानित-महिमामंडित किया जाएगा, इंटरनेट पर…. आखिर आप कैसे किसी को रोक सकते हैं अपनी भड़ास निकालने से… रामदेव प्रकरण में दिग्विजय का जो सोनिया दरबार के डागी की तरह भौंकना रहा, उसका सही रुपक, प्रतिबिंब तो यही तस्वीर है ना….
पर यह भी ठीक है कि विनोद कापड़ी ने अपना एक छोर, एक एक्सट्रीम पकड़ रखा है और उसे अच्छे से, प्लांड तरीके से आगे बढ़ाने में सफल हैं. पर इन नकवियों और शैलेषों का क्या किया जाए जो बिजूका बनकर रह गए. ये न विनोद कापड़ी से आगे निकल पाए और न ही पुण्य प्रसून बाजपेयी व दीपक चौरसिया जैसे तेवर बचाकर रख पाए. संभव है, इन वरिष्ठों को यहां लिखा बुरा लगे, लेकिन जो सच्चाई है पार्टनर उसे देर सबेर तो स्वीकार करना ही पड़ेगा, मानना ही पड़ेगा. चलिए, हम दुआ करते हैं कि जल्द ही आजतक की फुल सर्जरी होगी और ऐसे अंग-प्रत्यंगों को बचाकर जो हरे भरे हैं, उन सभी को निकाल दिया जाएगा, जिनके कारण आजतक में सड़ांध फैली हुई है.
यशवंत
एडिटर
भड़ास4मीडिया
bhadas4media@gmail.com
Comments on “आजतक अभीतक है नंबर तीन, नकवी और शैलेष का क्या होगा!”
;D
मम्मी कह रही थीं की कोई कुत्ता पाल लो, मैंने कहा कोई देसी-मोडर्न मिला तो खरीद लूँगा| ये वाला पसंद आया, कितने में बिकाऊ है? ऊप्स! यह तो बिक चुका है 🙁
इसी “नस्ल” का कोई और मिलेगा क्या?
aapne bahur sahi likha hai yashwant bhai.aapka vishleshan ekdum sahi aur durust hai.bas thoda sa lag raha hai ki india tv ke prati aapke man me koi purvagrah hai.yadi aap vishwas karen to maean bataun ki india tv ya india tv type channlo ka maeaen sabse badha virodhi hoon.aese channlo ka license hi nirast ho jana chahiiyee.par idhar bahoot kooch badal gaya hay.aaj maen dekhta hoon ki india tv par hi sabse zyada news hotee hay.aaj tak ki bat rahne deejiye sir,star se bhi zyada news india tv par dikhnee lagee hayn.muje khood bari hairna huee.par ye sach hay.aap ki gali bhi dena chahiyee aur channel bhi dekhna chaiye.aap dekhoge to sach dikhega.sath hi zara dekho ki aaj tak ka kitna patan ho gaya hai.har samay ajab gajab aur channel par pandit.
Aaj tak ab kabhi aajtak nahi ban sakta safalata ki andhi daud me daudna hi ab is news channel ka kaam reh gaya hai .. darshako se inhe koi lene dena nahi hai … Desh me kuch bhi ho raha ho inhe to 11:30 aur 3 baje sas bahu ke jhade ya manoranjan channel par aa rahe reality shows hi dikhane hai .. Dusre kuch galat kar de to uski dhajjiya uda dete hai aur khud hi jaldbaji me galat headlines chalate rehte hai .. No. 1 No. 1 chillane se thodi na no. 1 ho jaate hai .. use kar ke bhi dikhana hota hai ..
sailesh aur naqvi ko ham kafi patrkar swargiya s p singh ki vidhwa kaha karte the .in ko kabhi pratibhawan patrkar nahi mana gaya tha bas jugadbazi se har jagah apna sikka chalate rahe hain.
I think you have some personal grudge or problem with india tv or vinod kapri . i dont know the truth but it seems you try to target both whenever you get some chance.
yashwant,if you really want to do investigation,investigate how come vinod kapri has bought a 5 bedroom penthouse in noida worth Rs. 2.60 crores with swimming pool and other luxuries.how come he is driving 22 lacs ford endevour car?investigate this.
भैय्या आप को क्यू मिर्ची लगी है अगर विनोद कापरी जी ने पेंट हाउस लिया या २२ लाख्स कार से घूमता है तो ?क्या आप की सोच भी वैसेही ही की एक चैनल का एडिटर झोपडी में रहना चाहिए.सोच को बदलो अभी आज तक कभी भी आज तक नहीं बन सकता आज तक ने अपनी विश्वस्नियाता खो दी है.आज तक के न्यूज़ अभी देश और समाज के मुद्दों से कोई सरोकार नहीं रखता.केवल बाजारू न्यूज़ बनाके बेचना और उससे जितना हो सके मुनाफा कमाना येही आज तक काम है .
अब आज तक से नकवी,अजयकुमार,शैलेन्द्र की दिन भाग गए है एक दिन आज तक सबसे लास्ट पायदान पे रहेंगा च्चुकी आज तक ने न्यूज़ का ट्रक बदला और इंडिया टीवी की नक़ल करने लगा तभी से आज तक की उलटी गिनती शुरू हुई थी.प्रसूनजी,दीपक चौरसिया जैसे लोगो को हाशिये पे रखके की ऐसे शख्स को बैठाना आज तक के लिए किरकिरी बन गई.
mirchi nahi lagee bhai.bas yashwant se ye kaha ki jara pata to lagaye ki majra kya hai.humne suna tha.to laga ki yashwant jara thik se pata kar lega.
BREAKING BHADAS NEWS. INDIA TV EXECUTIVE EDITOR RAVIKANT MITTAL RESIGNED.HE IS JOINING AAJ TAK SOON.NEXT IS VINOD KAPRI.
मुझे लेख के भाव में कोयी आपत्ति नही है लेकिन कुछ शब्दों का चयन यह बतााता है कि यशवन्त जी आप ने किसी योग्य गुरू से शब्दों का चयन नही सीखा है या तो आप चलताउ शब्द जो अर्मयादित है उसका मतलब ही नही जानते। जहां तक मै जानता हूं आप के गुरू सुनील श्रीवास्तव और धनजंय चोपड़ा जैसे लोगों से आपने पत्रकारिता की ए बी सी डी सीखी है। यह दोनों योग्य है खासकर सुनील जी को मैने शब्दो के लिए लड़ते देखा है। अपने लेख में आपने कई स्थानों पर चूतिया चूतियापा और चूतियापे शब्द इस्तेमाल किया है। अच्छा होता इसका अर्थ आप समझते और सार्वजनिक रूप से इस तरह के अर्मयादित शब्द इस्तेमाल नही करते।
वीरेन्द्र पाठक
एक कहाबत हैं…जो होता है अच्छे के लिए होता है…….