मध्यप्रदेश के किसी मुख्यमंत्री ने पहली बार गणतंत्र दिवस पर ग्वालियर में तिरंगा फहराने का निर्णय लिया। इससे पहले किसी भी मुख्यमंत्री ने गणतंत्र दिवस पर ग्वालियर आकर तिरंगा नहीं फहराया। इस हिसाब से गणतंत्र दिवस पर ग्वालियर में तिरंगा फहराने वाले शिवराजसिंह मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बन गए। चूंकि मुख्यमंत्री एक दिन पहले ही शाम को ग्वालियर आ गए थे, इसलिए उन्होंने समय का सदुयपयोग भी खूब किया।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा भी ग्वालियर में उनके साथ ही थे, तो झा की सलाह पर मुख्यमंत्री निकल पड़े ग्वालियर से प्रकाशित होने वाले अखबारों के दफ्तरों में दस्तक देने के लिए। चूंकि इसकी सूचना पहले ही अखबारों के दफ्तरों में पहुंचा दी गई थी, इसलिए अखबारों के संपादकों ने तैयारी भी (कोई टोपी में सजा था तो कोई चमत्कृत) कर रखी थी। इन अखबारों ने सीएम की विजिट को कैसे ट्रीट किया, यह आपको बता दें। दो अखबारों के बीच राजस्थान से लेकर मध्यप्रदेश तक में जंग चली आ रही है। इसमें एक राजस्थान पत्रिका है तो दूसरा दैनिक भास्कर। मध्यप्रदेश में पत्रिका के नाम से प्रकाशित होने वाले अखबार ने पहले पेज पर सीएम, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष की दफ्तर यात्रा की फोटो छापी और लगे हाथों मुख्यमंत्री से यह सवाल भी कर डाले कि उनकी ग्वालियर के विकास को लेकर क्या सोच है।
इसका प्रकाशन भी पहले पेज पर किया। वहीं दैनिक भास्कर ने सीएम की अखबार में यात्रा का एक छोटा बॉक्स दिया, भीतर के पेज पर उनकी अखबार में यात्रा का फोटो नहीं था। इन दोनों ही अखबारों के संपादकों ने अपने फोटो अपने ही अखबार में छापने से परहेज किया। शायद अखबार की नीति के कारण। लेकिन दो अखबार ऐसे भी रहे जिनमें विज्ञापनों की भरमार थी फिर भी संपादकों ने अपने फोटो छापने के लिए कुछ स्थान निकाल ही लिया। नईदुनिया में संपादक डॉक्टर राकेश पाठक ने अपना सीएम के साथ फोटो पांचवें पेज पर प्रकाशित किया तो पीपुल्स समाचार के संपादक मनोज वर्मा ने अंतिम पेज पर इसे प्रकाशन लायक माना। हां, इन दोनों ही अखबारों से संपादक, सीएम से सवाल-जवाब करना भूल गए (शायद सजे होने की वजह से या फिर चमत्कृत होने के कारण)। स्वदेश में प्रभात झा ने अपनी कलम को मांजा है, इसलिए वे सीएम को स्वदेश भी लेकर गए।
ग्वालियर से एक वरिष्ठ पत्रकार द्वारा प्रेषित मेल पर आधारित
madan kumar tiwary
January 27, 2011 at 9:50 am
ठिक तो किया । अखबार मेरे बाप का और फ़ोटो छापे आपका । अगली बार ध्यान रखना , पत्नी और बच्चों को भी साथ में रखना और सीएम के बारे में उनके विचार भी छापना , ठिक वैसे हीं , जैसे बजट के तुरंत बाद , इलेक्ट्रोनिक चैनल वाले , वित मंत्री की पत्नी और बच्चों से पुछते हैं , कैसा लगा आपको यह बजट । और हां अपनी जो तस्वीर सीएम के साथ खिचावाई है , उसे एतिहासिक दस्तावेज की तरह रखना , हो सकता है बाल बच्चों को कभी सीएम से कोई काम हो तो उसे दिखला कर याद दिला सके की आप मेरे पापा से मिले थें। रही नई दुनिया की बात तो आलोक तोमर जी उसके कोई केझरीवाल , वेझरीवाल के बारे में लिख हीं चुके हैं। उन्होने हीं , प्रभाष जोशी , राजेन्द्र माथुर से लेकर सभी बडे पत्रकारों को पैदा किया है । लगे रहो बांगडो , लगे रहो ।
ramesh
January 27, 2011 at 11:47 am
maja aa gaya par report adhoori hai. poori report yah hai ki topiwale editor ke yaha harkar purani hai. purane akhwar me bhi unke jada aur maliko ke foto chapne me comptetion rahata tha. wahi peoples ke editor ka mouth cm ke aur na hokar fotographer ke aur hai ki kahi wah unka foto na kat di. lage raho kundli ko kik karne walo.
rahaul sharma
January 27, 2011 at 1:26 pm
gwalior ke patrakaro ki jai ho, unke aage chatukarita bhi sarmati he, cm ke saath foto chap ke ye dikahne ki kosis krenge ke be unke khas he,