राष्ट्रमंडल खेल में घपले-घोटालों की नित नई कहानियां पता चल रही हैं लेकिन किसी की निष्पक्ष जांच नहीं हो रही क्योंकि निष्पक्ष जांच होगी तो कांग्रेसियों के चेहरे पर कालिख पुत जाएगी. बड़े-बड़े घपले-घोटाले करके बिना डकार लिए उसे पचा जाने में माहिर कांग्रेसियों ने पूरे मुद्दे को राजनीतिक रंग दे दिया है. भाजपा नेता सुधांशु मित्तल के यहां छापे डलवाकर भाजपा को इशारा कर दिया कि ज्यादा हो-हल्ला किया तो तेरे लोगों को भी फंसा देंगे.
सो, अब सब चुप हैं. खेल हो गया और घपले का खेल भी खत्म हो गया. पर खेलों के प्रसारण अधिकार में घपले को लेकर नया बवाल शुरू हो चुका है. आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. फंसाए जा रहे हैं प्रसार भारती के सीईओ बीएस लाली. लेकिन बीएस लाली ने कह दिया है कि वे साफ पाक हैं और घपले के लिए जिम्मेदार अगर कोई है तो वे हैं केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी. लाली के कहे का अर्थ तो यही निकलता है कि वे साफ-पाक हैं और अंबिका दोषी हैं. उधर, बहती गंगा में प्रसार भारती की चेयरपर्सन मृणाल पांडे ने भी हाथ धो लिया है. उन्होंने भी प्रसार भारती के सीईओ बीएस लाली पर निशाना साधा. उन्होंने बयान दिया- ”एसआईएस लाइव को प्रसारण ठेका देने के मामले में मुझे भी अंधेरे में रखा गया. मुझे कभी बैठकों से संबंधित जानकारी नहीं दी गई. जो कागजात दिए भी गए उनमें से महत्वपूर्ण हिस्से गायब थे. मुझे आशा है कि जिन लोगों ने भी गड़बड़ी की है उन्हें सजा मिलेगी.” इस प्रकार मृणाल पांडेय ने अंबिका सोनी को बचाकर बीएस लाली पर निशाना साध दिया है. सही भी है. अंबिका सोनी से बनाकर रखने में ढेरों फायदे हैं. और लाली को निपटा देने में भी मृणाल को कई फायदे हैं.
पूरे प्रकरण को अलग-अलग मीडिया हाउस अलग-अलग चश्मे से देख रहे हैं. ज्यादातर मीडिया हाउस केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी के इस प्रकरण में शामिल होने पर चुप्पी साध गए हैं और बीएस लाली की ऐसी-तैसी करने में जुटे हैं. दैनिक भास्कर में आज प्रकाशित खबर को पढ़कर जाना जा सकता है कि यह मीडिया हाउस लाली को निपटाने पर तुल गया है और अंबिका सोनी को किसी भी रूप में कटघरे में खड़ा करने की कोशिश नहीं कर रहा है. भास्कर की खबर इस प्रकार है–
”राष्ट्रमंडल खेलों का प्रसारण अधिकार दिए जाने में घोटाले की आशंका को लेकर घिरे प्रसार भारती के सीईओ बीएस लाली को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सलाह दी थी कि वह हड़बड़ी में सार्वजनिक बयान जारी करने से बचें। प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी अपनी सलाह में मंत्रालय ने कहा था कि लाली की ओर से आनन-फानन बुलाई जा रही प्रेस वार्ता से शंकाएं कम होने की जगह बढ़ेंगी। इससे सरकार की और किरकिरी होगी। ऐसे में उन्हें इस तरह के किसी भी आयोजन से बचना चाहिए। लेकिन लाली ने इस सलाह को दरकिनार करते हुए दूरदर्शन महानिदेशक अरुणा शर्मा के साथ संवाददाता सम्मेलन आयोजित करते हुए न केवल केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया बल्कि परोक्ष तौर पर यह स्थापित करने की भी कोशिश की कि उन्हें कांग्रेस आलाकमान का वरदहस्त प्राप्त है। सूत्रों के मुताबिक ब्रिटेन की एसआईएस लाइव को करीब 246 करोड़ रुपए का प्रसारण ठेका देने में कथित हेराफेरी और इसके जांच दायरे में आने की आशंका से सफाई देने के लिए लाली की ओर से प्रेस वार्ता पर गृह मंत्रालय ने कहा था कि इस तरह का कोई भी कदम जांच पूरी होने के बाद उठाया जाना चाहिए। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘जांच शुरू होने से पहले ही यह कहना ज्यादा सवाल पैदा करता है कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई है, इसमें मंत्रालय की सहमति थी और यह आला स्तर पर भी निगरानी के दायरे में था।’ गृह मंत्रालय के इस अधिकारी ने कहा, ‘ऑडिट महानिदेशक ने गृह मंत्रालय से भी दिल्ली पुलिस की खरीदारी के साथ ही ईआईसीएल की ओर से किए गए काम से संबंधित फाइल हासिल की है। ऐसे में जब मंत्रालय को यह पता है कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई है तो उसे फाइल देने में किसी तरह की आपत्ति क्यों होगी। यही नहीं, वह जांच रपट आने से पहले किसी तरह का सार्वजनिक बयान भी क्यों देगा। यही सलाह प्रसार भारती को भी प्रेषित की गई थी। हालांकि उसने इसे दरकिनार कर दिया।”
तो ये थी दैनिक भास्कर की रिपोर्ट. सूत्रों का कहना है कि आमतौर पर बड़े घपले घोटालों में छोटी मछलियां ही फंसती हैं और बड़ी मछलियां अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर बच निकलती हैं. अगर प्रसार भारती के सीईओ बीएस लाली कह रहे हैं कि ब्रिटेन स्थित एसआईएस लाइव को मंत्री अंबिका सोनी की सहमति के बाद ही प्रसारण का अधिकार दिया गया था, तो इसे माना जाना चाहिए और लाली की ही तरह अंबिका सोनी को भी जांच के घेरे में रखना चाहिए. 246 करोड़ के इस करार में एसआईएस कंपनी की तरफदारी को लेकर विवाद शुरू हुआ. आरोप लगते देख लाली ने दूरदर्शन महानिदेशक अरुणा शर्मा के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता की थी और खुद पर लग रहे आरोपों को खारिज करते हुए इसका जिम्मा सूचना प्रसारण मंत्रालय पर थोप दिया. लाली ने स्पष्ट तौर पर कहा कि कंपनी को सारे भुगतान शेड्यूल के अनुसार किए गए और मंत्री की पूरी रजामंदी के बाद. लाली का यह भी कहना है कि कंपनी का चयन भी सूचना और प्रसारण मंत्री की रजामंदी से किया गया. अरुणा शर्मा का कहना था कि छह कंपनियों का चयन किया गया था जिनमें से निम्बस और एसआईएस लाइव ने बोलियां लगाई थीं, निम्बस समूह के टूटने के बाद एसआईएस लाइव ही दौड़ में थी जिसे अनुबंध दिया गया.
इस घपले-घोटाले की जांच में भी कुछ निकलने की संभावना नहीं है. जिस तरह कलमाडी बच गए, उसी तरह अंबिका सोनी बच जाएंगी. संभव है लाली को प्रसारण घोटाले की बाली पहनाकर किनारे कर दिया जाए, जिस प्रकार कलमाडी को बचाते हुए उनके अधीनस्थ कुछ अफसरों को राष्ट्रमंडल खेल शुरू होने से पहले ही किनारे कर दिया गया था. यह मुल्क अब नैतिकताओं से संचालित नहीं होता. यह मुल्क अब संविधान व कानून से संचालित नहीं होता. यह संचालित होता है पार्टी और कुर्सी की निहिति स्वार्थी राजनीति के तहत. संभव है कुछ दिन और आपको अंबिका सोनी, बीएस लाली और मृणाल पांडेय के बयान सुनने-पढ़ने को मिल जाएं लेकिन यकीन मानिए, कोई बड़ा उलटफेर या कोई बड़ा खुलासा नहीं होने जा रहा क्योंकि खुलासा करने का काम करने वाले मीडिया हाउस व न्यूज चैनल सत्ता के चारण बनकर उनके इशारे पर राजनीति व रणनीति के तहत खबरें प्रकाशित प्रसारित कर रहे हैं. किसे फंसाना है, किसे बचाना है, यह सब सत्ता के इशारे पर होता है और इसके बदले सत्ता के ढेर सारे लाभ इन कारपोरेट मीडिया हाउसों को मिलते हैं.
kumar sameer
October 27, 2010 at 6:09 pm
koi naye bat nahi. choti machliyon ka yah hal to hota hi raha hai. jante hue bhi galti ki hai to bhugtega koun. bari machaliya to bachti hi rahi hai aur is bar bhi aisa ho jaye to koi naye bat nahi hogi kyonki …………:)
anupama dutt
October 28, 2010 at 4:29 pm
Mantree ya PBBoard per Aakshep lagane se pehle Bhadas ko TV channelon se prapt yeh jankaree bhi Pathkon ko chaiye thee , ki Lalli ki adhyakshta valee CWG prasaran kee svayatt kametee kis tarah kaam karne ko adhikrit thee , aur uske khilaf is prakriya ko todney ko leker Mantralaya va Board kee pramukh shikayten kya hain ?
Lalii apnee tanashah shaili ke liye jane jate rahe hain aur faisley lene ke vivadaspad tareekon ke liye bhee . Aapke apne poorvagrah pathkon tak sahee jankaree phunchane mein aadey nheen aane chaiye .
RAHUL TRIPATHI DANIK PRABAT
November 6, 2010 at 2:53 pm
“चोर चोर मौसेरे भाई” सीडब्लूजी मेँ हुए घोटालोँ मेँ ठेकेदारोँ, प्रसारक ही नही कई सफेदपोश बराबर के जिम्मेदार हैँ, बस जाँच सटीक हो जाए।कलई देश के सामने होगी।
sunil kumar
November 11, 2010 at 12:48 pm
aaj sarkarii work ushi mantri ko diya jata hai jo jyada kamisan la kar de