: मीडिया न्यूज की एक और हिंदी वेबसाइट : खबर लेने वालों की इस कदर खबर ली जाएगी, इससे कुछ साल पहले हम सभी बेखबर थे. लेकिन भड़ास4मीडिया ने जो सिलसिला शुरू किया, उसे आगे बढ़ाने को कई वरिष्ठ-कनिष्ठ लोग आगे आ गए हैं. जाहिर है, अकेले शुरू हुआ यह सफर कारवां में तब्दील हो चुका है. दुनिया को समानता और न्याय की नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले मीडिया हाउस कितने अनैतिक हैं, उनके अंदर की दुनिया कितनी स्याह है, इसका खुलासा करने का सिलसिला तेज हो चुका है. कई लोग अपने सीमित संसाधनों में बिना लाभ हानि की आशा के मीडिया न्यूज को साहस के साथ प्रकाशित प्रसारित कर रहे हैं.
इसी कड़ी में नया नाम जुड़ा है आशीष बागची का. बनारस के वरिष्ठ पत्रकार आशीष बागची कई अखबारों में वरिष्ठ पदों पर रहने के बाद इन दिनों खुद का साप्ताहिक अखबार निकाल रहे हैं, पूर्वांचल दीप नाम से. इसी नाम से उनकी एक वेबसाइट भी है जिसमें खासकर पूर्वांचल के जिलों में होने वाली मीडिया की गतिविधियों को प्रकाशित किया जाता है. आशीष बागची के साथ पूर्वांचल की मीडिया के कई धुरंधर जुड़े हुए हैं. इनमें सुरेश प्रताप भी हैं जो कुछ महीनों पहले दैनिक जागरण, वाराणसी से रिटायर हुए हैं. फिलहाल हम यहां पूर्वांचलदीप डॉट कॉम में प्रकाशित कुछ खबरों को दे रहे हैं. इन खबरों की भाषा आपको बनारसी अंदाज का जायका दिलायेगी और यह भी बताएगी कि मीडिया को अपने घर की खेती मानने वालों पर नकेल कसने वाले पत्रकारों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है.
यशवंत
एडिटर
भड़ास4मीडिया
जागरण के इंचार्ज दक्खिन मुखी
वाराणसी। मठीय भिड़ंत में फेरबदल के बाद जागरण वाराणसी के सभी डेस्क इंचार्ज दक्खिन मुखी बैठाए गए हैं। लंबे टेबुलों को थोड़ा-थोड़ा सरकाकर स्पेस निकाला गया है। अब कोई भी इंचार्ज गेट से आने वाले को देख सकेगा। यही नहीं अबतक चीफ सिटी रहे डिप्टी न्यूज एडिटर रजनीश त्रिपाठी अपने समाचार संपादक का पिछवाड़ा निहारेंगे। फेरबदल के बाद पहली सोमवारी मीटिंग में नये चीफ सिटी इंचार्ज ने अपने रिपोर्टरों से अखबार को और जानदार बनाने की मुहिम में जुटने का निर्देश दिया। दूसरी ओर मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण मौसम का मिजाज बदला है और अधिकतम तापमान गिरकर 23 डिग्री सेल्शियस तक पहुंच गया है। इसका असर बनारस की मीडिया पर भी गहराई से पड़ा है।
यह असर दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, अमर उजाला और राष्ट्रीय सहारा जो जल्द ही प्रकाशित होने वाला है, के संपादकीय विभाग पर भी देखा जा सकता है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ का असर अगले तीन-चार दिनों तक रहेगा। पश्चिमी विक्षोभ के चलते मौसम ठंडा हुआ है लेकिन मीडिया जगत में गर्मी आ गयी है। अचानक हुए इस फेरबदल के बारे में इतना तो पता चला है कि शनिवार की रात को ही संबंधित लोगों को संकेत दे दिया गया था जिसका खुलासा रविवार को हुआ। रविवार को जब शाम को लोगबाग ड्यूटी पर आए केबिन जमींदोज पाया और इंचार्जों का टेबुल दक्खिनमुखी देखा तो वे समझ गए कि खेल हो चुका है। पहले संपादकीय प्रधान दो माने जाते थे और अलग-अलग सत्ता जैसी दिखती थी। इसकी एक वजह केबिन भी थी। सिटी पर पकड़ कम होते जाने से रजनीश त्रिपाठी वैकल्पिक समाचार संपादक माने जाने लगे थे। पर अब पूरे पूर्वांचल में खासतौर पर जिलों में भी यह संदेश दे दिया गया है कि समाचार संपादक के आगे कोई तिनका बराबर भी नहीं है।
ज्ञात हो कि जागरण वाराणसी के मठों की भिड़ंत में सिटी प्रधान पद से रजनीश त्रिपाठी को हटाकर जयप्रकाश पांडेय को उनकी जगह लाया गया है। यही नहीं रजनीश जिस केबिन में बैठते थे उसे भी ध्वंस कर दिया गया है। यह संकेत है कि जागरण के गांधीनगर मठ के खिलाफ कोई चूं तक न कर सके। जयप्रकाश पांडेय पहले भी सिटी चीफ रह चुके हैं। ऐन दीपावली से पहले बाजार में यह संदेश जाना बहुत जरूरी था कि मठअधिपति ने अपना कारखास बदल दिया है। रजनीश त्रिपाठी की अपनी एक अलग छवि है। वे निर्विवाद रहकर अपना काम बेहद शांति और सौम्य तरीके से करते हैं और पद पर बने रहने के जो पैंतरे आधुनिक मीडिया में पनप रहे हैं उनसे पूरी तरह अछूते हैं।
वे जनमुख से होते हुए आज के चीफ सिटी रिपोर्टर बने। तत्पश्चात अमर उजाला वाराणसी में आए। वाराणसी अमर उजाला से वे अमर उजाला इलाहाबाद चले गए और वहां संपादकीय प्रधान की कुर्सी तक पहुंच गए। अपने काम से उन्होंने सभी को बेहद प्रभावित किया। जबतक उन्हें स्थानीय संपादक का पद दिया जाता पता नहीं क्यों वे जागरण वाराणसी के सिटी प्रधान की कुर्सी पर आ गए। हालांकि अमर उजाला और हिंदुस्तान का कस्तूरबा गांधी नगर मार्ग, दिल्ली प्रबंधन अब भी रजनीश को लेने का इच्छुक बताया जाता है। चर्चा यह भी है कि आगामी दिनों में गांधीनगर विरोधी मठों को नेस्तनाबूद करने के लिए कुछ और फेरबदल किए जाएंगे। इस बीच पता चला है कि रजनीश का केबिन तोड़कर वहां सोफा डाल दिया गया है। रजनीश आज डाक में अलग से लगे एक टेबुल पर बैठकर काम करते दिखे। जयप्रकाश भी रिपोर्टरों के बीच बैठे। दूसरी ओर जागरण के सिटी रिपोर्टर शिवकृपा मिश्र गुरुघासी दास केंद्रीय विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर चले गए हैं। उन्होंने अभी इस्तीफा नहीं दिया है पर समझा जाता है कि वे यहां आकर इस्तीफा सौंप देंगे। शिवकृपा को नयी ज्वाइनिंग के लिए पूर्वांचल दीप की ओर से अमित बधाई। जागरण वाराणसी के पहले पेज पर मिर्जापुर से लाकर कौसर कुरेशी को बैठाया गया है। पूरे क्षेत्र में इस फेरबदल की व्यापक चर्चा है।
पुलिस ने पत्रकार को धकेला
गाजीपुर। कलम के सिपाही आखिर कब तक इस जनपद प्रशासन के द्वारा फर्जी घोषित किये जायेंगे। स्वामी सहजानन्द महाविद्यालय में हो रहे मतगणना के दौरान खबर लाने के लिए अन्दर जा रहे पत्रकार को एक चौकी इंचार्ज ने फर्जी करार देते हुए यह कहा कि तुम लोग फर्जी पत्रकार हो मैं इस परिचयपत्र को नहीं मानता तथा उस पत्रकार को धकेलते हुए गेट के बाहर निकाल दिया।
जब पत्रकारों ने इस कुकृत्य के लिए उच्चाधिकारियों से बात की तो उनके द्वारा पत्रकार से पूर्णतः माफी मांगी तथा बात को वहीं रफादफा कर दिया गया। वाराणसी से प्रकाशित होने वाले हिन्दी दैनिक समाचार पत्र के एक पत्रकार को बुरी तरह से झटकारा तथा उसके साथ अभद्रता से पेश आया। ये पहली घटना नही इससे पहले भी सदर कोतवाल की मौजूदगी में एक बार उसी चौकी इंचार्ज ने उसी पत्रकार के सामने जनपद के सभी पत्रकारों को फर्जी करार दिया था। चौथा स्तंभ कहे जाने वाले कलम के सिपाही को इस फर्जीवाडे़ जैसे शब्द की जिल्लत सहनी पड़ी।
सहारा की लांचिंग टली
वाराणसी। राष्ट्रीय सहारा की लांचिंग टल गयी है। अब यह लांचिंग 10 से 13 नवंबर के बीच कभी होगी। इसके लिए महामहिम राज्यपाल की डेट लेने की कोशिश की जा रही है। इस बीच सहारा की डमी निकालने का काम चल रहा है। सहारा वाराणसी का संपर्क लखनउ और दिल्ली से सुचारु करने की कोशिश की जा रही है। सहारा में कानपुर से आए मनोज श्रीवास्तव ने अपनी ज्वाइनिंग कल करा दी। सहारा में एक गोपनीय मुहिम रिपोर्टिंग टीम को फेल करने की भी चलने की सुगबुगाहट पत्रकारिता खेमे में है। कल नये अपराध संवाददाता को स्कूटर से दलाल स्ट्रीट ले जाया गया और चाय-पान कराया गया। हालांकि, अपराध संवाददता काफी परिपक्व इंसान हैं। इस खबर की दिल्ली में भी काफी चर्चा है। पत्रकारिता की डी कंपनी के सरगना इन दिनों एक शादी की बात कहकर दिल्ली गये हुए हैं। वे भी वाराणसी सहारा का हालचाल लेते सुने गए। स्वजातीय समीकरणों में माहिर सरगना जी का दिल्ली प्रवास पत्रकारिता क्षेत्र में कोई न कोई गुल खिलाएगा ऐसा यहां के अपने को लगाने वाले पत्रकार मान रहे हैं।
डी कंपनी चलाएगी सहारा?
वाराणसी। सहारा वाराणसी में अंत में डी कंपनी की ही चली। डी कंपनी के ही खास आदमी को बीट वितरण में बीएचयू सहित जिला प्रशासन थमाया गया है। सोचिए, कहां बीएचयू और कहां जिला प्रशासन की इतनी भारी भरकम बीट। एक तीर घाट तो दूसरा मीरघाट। बीएचयू अपने आप में दो फुलफ्लेज्ड रिपोर्टरों की बीट है। फिर जिला प्रशासन को सभी अखबारों में कई वरिष्ठ रिपोर्टर देखते हैं। सहारा में जिसे बीएचयू सहित जिला प्रशासन सौंपा गया है, वह हाल में ही बनारस के एक अन्य अख़बार से आया है। वहां डी कंपनी की हर मामले में चलती है, यहां तक कि संपादकीय प्रभारियों पर भी उसका सिक्का चलता है। खट्टे चने के साथ पीएनयू क्लब की 6 लबनी अमृत हो तो बड़े बड़े संपादक फिसल जाएं, संपादकीय प्रभारियों की क्या बिसात? बहरहाल जिस रिपोर्टर को एक तीरघाट और दूसरा मीरघाट दिया गया है, उसके पीछे एक खास मकसद डी कंपनी का यह है कि चाहे जो हो प्रशासन बीट हाथ से जाने नहीं देना है। सहारा के जिस रिपोर्टर को यह बीट दी गयी है वह पहले उस अख़बार में बीएचयू का संवाद सूत्र हुआ करता था, आज वह न सिर्फ एक रिपोर्टर है बल्कि बीएचयू के साथ जिला प्रशासन कवर करने का अधिकारी भी बन गया है। इसे कहते हैं ‘‘डी कंपनी मेहरबान…..तो……।’’ दूसरी ओर इस बीट वितरण ने राजेंद्र द्विवेद्वी और विजय राय के कान खड़े कर दिए हैं। सभी लोग सिर्फ और सिर्फ लांचिंग हो जाने का वेट कर रहे हैं। सहारा में जो नयी बीट बनी है उसके प्रधान सुधीर सिंह बनाए गए हैं। उनके सेकेंड मैन के रूप में अमर नाथ श्रीवास्तव काम करेंगे। कानपुर से आ रहे मनोज श्रीवास्तव क्राइम के फुलफ्लेज्ड इंचार्ज होंगे। बीट इस प्रकार है-सुधीर सिंह (भाजपा और कमिश्नरी सहित समन्वयक की भूमिका), अमर नाथ श्रीवास्तव (आबकारी, कांग्रेस), मनोज श्रीवास्तव (अपराध), त्र्ािपुरेश कुमार राय (सहयोगी मनोज श्रीवास्तव), कानपुर से आए रामेंद्र सिंह चौहान (नगर निगम, विकास प्राधिकरण, जल संस्थान), ज्ञान सिंह रौतेला (रेलवे, परिवहन, आरटीओ)। एस. पी. सिंह सभी टेबुलों के साथ समन्वयक के रूप में काम करेंगे। वे सीधे लखनउ में राजेंद्र द्विवेद्वी को रिपोर्ट करेंगे। कानपुर से आए अभयानंद शुक्ल डाक डेस्क के प्रभारी होंगे। लखनउ से आए रामकृष्ण बाजपेयी जनरल डेस्क की कमान संभालेंगे। सिटी डेस्क की इंचार्जी का काम गोरखपुर से आए कपिल सिन्हा संभालेंगे।
मठों की भिड़ंत में रजनीश नपे
वाराणसी। जागरण वाराणसी के मठों की भिड़ंत में सिटी प्रधान पद से रजनीश त्रिपाठी को हटाकर जयप्रकाश पांडेय को उनकी जगह लाया गया है। यही नहीं रजनीश जिस केबिन में बैठते थे उसे भी ध्वंस कर दिया गया है। यह संकेत है कि जागरण के गांधीनगर मठ के खिलाफ कोई चूं तक न कर सके। जयप्रकाश पांडेय पहले भी सिटी चीफ रह चुके हैं। ऐन दीपावली से पहले बाजार में यह संदेश जाना बहुत जरूरी था कि मठअधिपति ने अपना कारखास बदल दिया है। रजनीश त्रिपाठी की अपनी एक अलग छवि है। वे निर्विवाद रहकर अपना काम बेहद शांति और सौम्य तरीके से करते हैं और पद पर बने रहने के जो पैंतरे आधुनिक मीडिया में पनप रहे हैं उनसे पूरी तरह अछूते हैं। वे जनमुख से होते हुए आज के चीफ सिटी रिपोर्टर बने। तत्पश्चात अमर उजाला वाराणसी में आए। वाराणसी अमर उजाला से वे अमर उजाला इलाहाबाद चले गए और वहां संपादकीय प्रधान की कुर्सी तक पहुंच गए। अपने काम से उन्होंने सभी को बेहद प्रभावित किया। जबतक उन्हें स्थानीय संपादक का पद दिया जाता पता नहीं क्यों वे जागरण वाराणसी के सिटी प्रधान की कुर्सी पर आ गए। हालांकि अमर उजाला और हिंदुस्तान का कस्तूरबा गांधी नगर मार्ग, दिल्ली प्रबंधन अब भी रजनीश को लेने का इच्छुक बताया जाता है। चर्चा यह भी है कि आगामी दिनों में गांधीनगर विरोधी मठों को नेस्तनाबूद करने के लिए कुछ और फेरबदल किए जाएंगे।
सुधीर-मनोज की जमेगी जोड़ी
वाराणसी। वाराणसी सहारा की रिपोर्टिंग टीम को सशक्त करने के लिए प्रबंधन ने सुधीर सिंह को तो पहले ही देहरादून से वाराणसी भेज दिया है और उन्होंने कार्यभार भी ग्रहण कर लिया है। अब कानपुर से मनोज श्रीवास्तव को वाराणसी रवाना होने को कहा गया है। मनोज और सुधीर दोनों ही सहारा वाराणसी के ब्यूरो में काम कर चुके हैं। मनोज वाराणसी से लखनऊ भेजे गए थे जहां उन्होंने क्राइम बीट पर जमकर पसीना बहाया और वहां अपना डंका बजवाया। क्राइम के मामले में आज भी लखनऊ में उन्हें याद किया जाता है। बाद में उन्हें कानपुर भेज दिया गया। कानपुर के उनके अन्य अखबारों के साथी अब भी मनोज को शिद्दत से याद करते हैं। मृदुभाषी और कठोर मेहनत को अपना संबल बनाने वाले मनोज वाराणसी में क्राइम रिपोर्टिंग को नयी धार देंगे, ऐसा सहारा प्रबंधन मान रहा है। दूसरी ओर सुधीर सिंह को वाराणसी सिटी की फिलहाल प्रधानी दी गयी है। वे कई धांसू विषयों पर काम कर रहे हैं और कोशिश में हैं कि उनकी रिपोर्टों से लांचिंग के दिन तहलहा मचाएँ। सुधीर सिंह वाराणसी में सहारा के अलावा दैनिक जागरण, हिंदुस्तान में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके हैं। माना जा रहा है कि दिल्ली व देहरादून जैसी राजधानियों से घूमकर आने के बाद उनकी रिपोर्टिंग और धारदार हो गयी है।
Comments on “डी कंपनी चलाएगी सहारा?…. जागरण के इंचार्ज दक्खिन मुखी… पुलिस ने पत्रकार को धकेला… सहारा की लांचिंग टली…”
🙂 mehnat rang lati hi hai, lage raho asli patrakaron………..
Samacharon ki bhasha badi hi kavyatmak hai, lage raho aur patrakarita khetra ke anjane pahluon ki jankari dete raho