: टीआरपी में लाइव इंडिया से पिटने के बाद एनडीटीवी इंडिया में मचा हुआ है बवाल : एनडीटीवी इंडिया से ताजी सूचना ये आ रही है कि संजय अहिरवाल ने अपना त्यागपत्र प्रबंधन को सौंप दिया है. संजय के इस्तीफे की खबर बहुत तेजी से एनडीटीवी के लोगों के बीच सरकुलेट हो रही है लेकिन कोई भी एनडीटीवी वाला इस सूचना की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं कर रहा है.
भड़ास4मीडिया ने जब संजय अहिरवाल को फोन किया तो उन्होंने अपने इस्तीफे की चर्चा पर आश्चर्य जताया और इसे अफवाह करार दिया. पर सूत्र कहते हैं कि एनडीटीवी इंडिया में इन दिनों अशांति का आलम है. डाक्टर प्रणय राय अब बचे-खुचे पुराने लोगों को ठिकाने लगाने की तैयारी कर चुके हैं और इसी क्रम में संजय अहिरवाल की विदाई की गई है या किए जाने की तैयारी है. चर्चा है कि जल्द ही पंकज पचौरी और अभिज्ञान प्रकाश का नंबर आ सकता है. लाखों रुपये सेलरी पाने वाले ये लोग काफी समय से एनडीटीवी में हैं. प्रबंधन के बदले रुख का पता इसी बात से चलता है कि संजय अहिरवाल, पंकज पचौरी आदि के कुछ डेली शोज का बंद कर दिया गया है. इन्हें रुटीन न्यूज में लगा दिया गया है. पंकज पचौरी इस समय मैनेजिंग एडिटर के पद पर हैं.
निजी तौर पर बेहद विनम्र, सरल और समझदार संजय अहिरवाल को देबांग के जाने के बाद चैनल की कमान भी सौंपी गई थी. लेकिन संजय ज्यादा दिन तक उस पद पर नहीं बने रह पाए. बाद में एनडीटीवी प्राफिट से अहिंदीभाषी अनिंदो का लाकर हिंदी चैनल एनडीटीवी इंडिया का सर्वेसर्वा बना दिया गया. सूत्रों के मुताबिक डाक्टर प्रणय राय को लगने लगा है कि इस बदले हुए जमाने में अब पुराने लोगों से चैनल का काम नहीं चल पा रहा है. इसी कारण टीआरपी में लगातार गिरावट आ रही है. हालांकि टीआरपी कभी एनडीटीवी प्रबंधन के लिए प्रमुख फैक्टर नहीं रहा लेकिन चैनल की दर्शनीयता और गंभीरता भी जब स्टैगनेंट हो जाए, मोनोटोनस हो जाए और लोग चैनल को एक रुटीन की तरह लेने लगें तब वाकई संकटकाल होता है. एनडीटीवी इंडिया में आजकल यही हो रहा है. सब कुछ कर्मकांड और रुटीनी-सा हो गया है.
कुछ एक शोज को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर शोज थकाऊ और उबाऊ तरीके से पेश किए जाते हैं और उनका कंटेंट भी सेवेंटीज-एट्टीज के समाजवादी डिबेटों सरीखा होता है. जबकि दुनिया और समाज में इतना ज्यादा बदलाव हो चुका है कि उस अंडर करंट को एनडीटीवी इंडिया पकड़ नहीं पा रहा है और खुद के सभ्य व गंभीर चैनल होने के अहं में एकला सिमटा व तना हुआ है. इस यथास्थितिवाद से प्रबंधन पार पाना चाहता है लेकिन प्रबंधन के दिवालियेपन की हद ये है कि वो हिंदी का बॉस अहिंदी वाले को बनाकर हिंदी के जनमानस को जीतना चाहता है. हिंदी के जनमानस से उपजे देसज और प्रतिभावन लोगों को चैनल में न लाकर, ऐसे लोगों के हवाले चैनल को न करके प्रणय राय खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं.
संभव है कि डाक्टर प्रणय राय इस एंगल पर भी विचार कर रहे हों और अनिंदो का हिंदी से हटाकर अंग्रेजी में भेज दिया जाए लेकिन फिलहाल तो यह सब कानाफूसी तक ही सीमित है. मार्च महीना एनडीटीवी समेत सभी चैनलों और अखबारों के कर्मियों के लिए मुश्किल भरा होता है. छंटनी का डर सभी को सताता है इस महीने क्योंकि मीडिया हाउस इसी माह में छंटनी कर नए वित्तीय वर्ष जो कि एक अप्रैल से शुरू होता है, के लिए अपनी नई प्लानिंग करते हैं. पर मुख्य बात ये है कि एनडीटीवी सरीखे उम्मीद के आखिरी केंद्र के रूप में बचे न्यूज चैनल में जो आंतरिक उठापटक शुरू हुई है, पिछले एक बरस से, उसका नतीजा चैनल की अच्छी सेहत के रूप में निकलेगा या यह चैनल भी अन्य चैनलों की तरह चिरकुट बन जाएगा, कुछ कह सकना अभी जल्दबाजी है. आपका क्या कहना है.
यशवंत
एडिटर
भड़ास4मीडिया
परसनल मेल आईडी: yashwant@bhadas4media.com
चेतावनी : कानाफूसी कैटगरी की खबरें चर्चाओं, अफवाहों, कयासों पर आधारित होती हैं, जिसमें सच्चाई संभव है और नहीं भी. इन खबरों को अगर कोई प्रामाणिक मानकर पढ़ता है तो वह उसकी मर्जी व समझ पर निर्भर करता है और वह उसके लिए खुद जिम्मेदार है.
Comments on “पूरे घर को बदल डालेंगे डाक्टर प्रणय राय!”
NDTV jaise channel kabhi bhi bhedchaal ya bheedchaal ka hissa nahi bante…aatm manthan tto har jagah hota hai…ndtv ka apna alag darshak varg hai ..joi ndtv ka hi mureed hai…aise me ndtv agar apne content ki gambeerta se chhed chhad karega tto bhi achha nahi hoga…dr.roy apne aap me bahut kuch hain..ummeed hai wo apne tazurbe se sab thik kar lenge
ndtv india will be back…leave this foolish trp system…..there are many more who love to watch only ndtv india…..
यशवंत, एनडीटीवी इंडिया पीछे नहीं रह गया है, हमारे और तुम्हारे जैसे लोगों का स्तर इतना गिर गया है जो एनडीटीवी जैसे समाचार चैनल के तथ्यपरक और वाकई में गंभीर कार्यक्रमों की एहमियत को समझ नहीं पा रहे और उन पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। एनडीटीवी चैनल का टीआरपी में पिछड़ जाना भारतीय दर्शकों के गिरते मानसिक स्तर का सबसे बड़ा परिचायक है। आपके खबर लिखने के अंदाज से तो लग रहा है जैसे टीआरपी की दौड़ में सबसे ऊपर रहने वाले समाचार चौनल को सबसे बेहतर कहना चाह रहे हैं।
ndtv से बेहतर न्यूज़ चैनल हिंदुस्तान मे है ही नहीं या यु कहे की हिंदी का केवल एक मात्र सम्पूर्ण न्यूज़ चैनल है तो ndtv ….बाकि तो खबरिया चैनल लगते ही नहीं बकवास दिखाते है trp …के पीछे भागने वाले चोर से नज़र आते है |
It is difficult to guess a genous mind NDTV has its own oudince in the society and every household has one head who watches NDTV daily as a routine
एनडीटीवी में खबरों का चयन और प्रस्तुति…सबकुछ बेहतर है…हां कुछ चीजों को छोड़ दें तो…मसलन किसी दर्शक को अपनी हिंदी सुधारनी हो तो वो एनडीटीवी देखकर नहीं सुधार सकता क्योंकि इस पर दिखने वाला टेक्स्ट यानि टीकर, ब्रेकिंग ग्राफिक प्लेट्स पर हिंदी में लिखे गए टेक्स्ट में काफी गललियां होती हैं…लेकिन एनडीटीवी ने पत्रकारिता को सही मायनों में जीवित रखा हुआ है…
सर जी, NDTV के अंदर-बाहर के कुछ प्रोफेशनल खबरियों से मिली इस खबर के बारे में सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि NDTV की तरह ही भड़ास की भी एक छवि है कृपया उसे भी तो बरकरार रखें। संजय अहिरवाल 16 साल से NDTV में हैं और बहुत अच्छी हालत में रहे हैं । उनकी पत्नी अंग्रेजी के चैनल में बहुत ही मजबूत पोजीशन में हैं। संजय अगर जाएंगे तो अपनी मर्जी से और कुछ अच्छा करने के लिये। उनका प्रोग्राम सबसे ज़्यादा चलने वाला प्रोग्राम था और वो बंद नहीं हुआ बस कुछ वक्त के लिये ब्रेक दिया गया है। पंकज का कौन सा शो बंद हो गया सर जी। वो तो आजकल रोज़ दो घंटे का शो कर रहे हैं, रात को 9 बजे से 11 बजे का। वीकली हम लोग करते हैं और अंग्ररेजी के बिज़नेस चैनल प्रॉफिट पर रोज़ एक घंटे का मनी मंत्रा भी। सर जी, तथ्यों की पुष्टि तो कर लिया करें कृपया। रही बात बात अभिज्ञान और पंकज पचौरी के जाने की तो दोनों NDTV में हैं और रहेंगे, आप भी यहीं हैं और हम भी यहीं हैं, देखते रहिये। NDTV हमेशा से टीआरपी की होड़ से दूर रहा है ये बात आप भी लिखते रहे हैं। देश भर में ना जाने कहां पर लगे 3000 मीटर किसी चैनल की किस्मत और क्वालिटी का फैसला नहीं कर सकते हैं। अगर आप NDTV देखते हों तो आज गौर कीजियेगा कि चैनल पर 5-5, 7-7 मिनिट के विज्ञापन चलते रहते हैं। ये तो आप मानेंगे कि वो फर्जी नहीं होंगे और मुफ्त में नहीं चल रहे होंगे, पैसा मिल ही रहा होगा। यानी कमाई की राह में TRP कोई समस्या नहीं है। फिर समस्या कहां है, NDTV में। कहीं नहीं है सर, उन लोगों के दिलोदिमाग में है जो NDTV से किसी ना किसी कारण चिढ़ते हैं जलते हैं। NDTV वालों की शोहरत, लंबी-लंबी गाड़ियां और मोटी सैलेरी हर किसी की आंखों में चुभती है। ऐसे ही लोग रोज़ रात को किसी चंडूखाने में बैठकर इस तरह की खबरें उड़ाते हैं।
ndtv india is the best…
agar aapke bataye hue kane phusi me thodi si bhi sachchai hai to hamare jaise logo ko k liye bahut buri khabar hai. ndtv hin ek matra hindi news channel hai jisme news hota hai. baki k hindi news chanalon me cricket, cinema bhondi comedy hoti hai.