लेकिन आप खुद महसूस करेंगे कि दोनों के प्रति आपके मनोभाव में अंतर होगा. टाटा और एनडीटीवी, दोनों ने अपनी एक खास तरह की छवि बनाने पर काफी मेहनत और पैसा खर्च किया है. याद कीजिए टाटा नमक के उस विज्ञापन को जिसमें अंत में कहा जाता है कि मैंने देश का नमक खाया है.
रवीश भाई की रिपोर्ट बंद होने से मैं चिंतित हूं, चकित नहीं. याद कीजिए साल भर पहले एनडीटीवी ने लगभग हर अंग्रेजी अखबार और चैनल पर एक विज्ञापन दिया था. उस विज्ञापन में कहा गया था कि “WHY SHOUT AND SCREAM WHEN NDTV HAS 60% VIEWVERSHIP.” इस पूरे विज्ञापन में एनडीटीवी के जिन पत्रकारों की फोटो थी उसमें एनडीटीवी हिंदी से कोई नहीं था. कोई भी बड़ा कार्यक्रम उठा कर देख लीजिए, एनडीटीवी हिंदी के पत्रकार हमेशा बाहर ही रहे, या फिर हाशिए पर.
एनडीटीवी हिंदी के पत्रकारों की स्थिति एनडीटीवी समूह में वैसी ही है जो समाज में दलितों की है. बरखा दत्त की सामाजिक समझ विनोद दुआ और रवीश कुमार के मुकाबले कहां ठहरती है, यह मुझे बताने कि आवश्यक्ता नहीं है. हिंदी वहां भी दलित है.
बृजेश सिंह
तहलका
मध्य प्रदेश संवाददाता
jitendra
June 11, 2011 at 2:52 pm
agar vakai main esa hain to ye behad dukhad samachar hain. kyoki is samay tv channel par bas ravish ki riport hi esa programme hain jo aam aadmi ki jindgi se jude mudde uthata tha.lekin angreji ke bolbale main hindi ka gala ghota ja rha hain.
Girish Mishra
June 11, 2011 at 3:25 pm
Unfortunate.
But why has NDTV taken this decision?
कमल शर्मा
June 11, 2011 at 3:33 pm
रवीश कुमार हिंदी के बेहतरीन पत्रकार है और उनकी हर रिपोर्ट आम आदमी के लिए होती है। एनडीटीवी की सम्पदा कहे जा सकते हैं लेकिन रवीश की रिपोर्ट बंद होने की खबर बुरी कही जा सकती है। एनडीटीवी ही क्या, अनेक संस्थानों में हिंदी की कद्र नहीं है जबकि इस देश में हिंदी काफी कुछ नहीं सब कुछ है।
sonupardesi
June 11, 2011 at 3:50 pm
is prog, ka naam KHBIS KI REPORT hona chahiya tha …bika hua channel
धीरेन्द्र
June 11, 2011 at 3:50 pm
क्यों परेशान हैं मियां
faizan musanna
June 11, 2011 at 5:00 pm
अब समाचार नहीं सचमार कि ज़रुरत है .ऐसे मैं रवीश कि क्या ज़रुरत है भाई . अब अख़बार प्रोडक्ट बनगया है ,तो रवीश को अपनी दुकान बंद कर देना चहिये .
SIKANDER HAYAT
June 11, 2011 at 5:03 pm
hum sab aapas me ladte rehte ha or ye angrezi peshach hame kis kadar loot rehe ha iska andaza bi nahi lagaya ja sakta ha desh par inka behisab or byanak dabav ha yaha tak ki ravish sahab jese lagbhag mahan aadmi bi apne blog me jaipur sahiyhe utsav ki report me in angrezi peshacho ko clean chit dete dekhaye deye mene tab bi unhe comment deya ta ki ye hindi valo par koi raham nahi karne vale
dhanish sharma
June 11, 2011 at 9:42 pm
main raveesh ki report band hona sa shocked hu….i m great fan of raveesh ji..so i miss raveesh ki report..
dhanish sharma
June 11, 2011 at 9:43 pm
so sad………..
🙁
dhanish sharma
June 11, 2011 at 9:44 pm
main haran bhi hu .:o
anuja sharma, IIMC
June 11, 2011 at 11:55 pm
koi mujhe ye bayayega ki ye ravish kumar hain kaun? kya ndtv ke koi Reporter hai? vaise bhi ndtv itna bakvas channel hai use dekhta hi kaun hai? ndtv khabar to dikhata kam aur chupata jyaada hai….fir uska khabar dikhane ka tarika to dd se bhi kharab hai. suna hai nd tv ke ye log har mahine lakho rupaye lete hain lekin khabar ke naam par kaam to do kaudi ka bhi nahi karte hain.
मदन कुमार तिवारी
June 12, 2011 at 2:48 am
एन डी टी वी में अब देखने को रहा क्या ? पहाडगंज की गलियां, कोलकोता के छोटे से कमरे में बिहारियों का दर्द , उनके बक्से से अपने बक्से की तुलना , कौन दिखायेगा यह सब। वह सायकिल की सवारी । टीवी बहुत हीं कम देखता हूं। रवीश की रिपोर्ट छोड नही पता था। बहुत बुरा हुआ ।
kamal
June 12, 2011 at 4:07 am
channel’s kab kis saal, kis mahine, kis hafte, kis din, kis ghante, kis minute, kis second aur saala kis pal kiske hathon bik jaye koi pata nahi…
Sujeet Kumar Jha
June 12, 2011 at 4:09 am
Ravish ki Report chala gaya, Tussi Na jao :'(:'(>:(
neerajjha
June 12, 2011 at 4:19 am
ravish ki report aam aadmi se juri hoti thi.jisme bhukhe nage ko dikhaya jata hai aur en chanalo par enki reporte ki jagah kaha hai.enhe to chahiye tata birla aut khule badan wale log
ये क्या हो रहा है....
June 12, 2011 at 4:45 am
बंद-वंद नहीं हुई है महाराज, ब्रेक मिला है। देख नहीं रहे हैं आजकल रोज़ रात को एक घंटे का बुलेटिन पढ़ते हैं रवीश कुमार। उसके बाद भला कहां वक्त मिल पाता होगा, एक रिसर्च बेस्ड प्रोग्राम बनाने का। ये तो हर चैनल में होता है कि नये प्रोग्राम आते हैं और पुराने या तो बंद हो जाते हैं या उनको कुछ समय के लिये ब्रेक दे दिया जाता है। एनडीटीवी पर दिभांग के वक्त आने वाला खबरों की खबर उनकी छुट्टी के बाद बंद हो गया था। बाद में फिर शुरु भी हो गया और अब फिर बंद है। ये सब तो चलता रहता है चैनलों में। रवीश कुमार आउटपुट के भी हेड हैं उनको वहां भी वक्त देना पड़ता है, एक आदमी कितने काम कर सकता है भाई।
rukmani
June 12, 2011 at 4:50 am
there are only two programs on NDTV which I regularly see. Now there is no reason to see NDTV.
rakesh jadly
June 12, 2011 at 6:59 am
ravish is the only journalist who uses mind n heart in a balance way,
hope he will keep this status foever…
mahar choudhary
June 12, 2011 at 7:32 am
if this is true then is sad for all of us because ravish ji is the best journalist of hindi ,i think “ab logo ko accha dekne ki adat nahi “
त्रिभुवन
June 12, 2011 at 7:56 am
पहले दिबांग का काम कह्तम फिर रविश की छुट्टी .
जय हो प्रणब राय एंड कंपनी की.
JAIPRAKASH NARAYAN
June 12, 2011 at 11:10 am
THIK HUA RAVISH KUMAR KE SATH..BAHUT HI NAQLI AUR MULTI FACED INSAN HAI RAVISH. NAYE LOGON…KHAS TAUR PE LADKON KI KABHI RAVISH NE KOI HELP NAHI KI..RAISON KI TERAH REHTA HAI AUR INTEL BANEGA PSEUDO
pk
June 12, 2011 at 12:49 pm
achha hua, rawan ko bechane wale ka asali aukat samane aa gaya
kumar alok
June 12, 2011 at 1:42 pm
उनका ऐपिसोड बाजार के लिये कितना महत्वपूर्ण था सवाल इस बात का है ..शुरआत के ऐपिसोड में जमकर ऐड आते थे । मैनें उनसे कहा भी था कि जनता के सरोकारों से जुडे सवालों पर आधारित आपके प्रोग्राम में इतना ऐड देखर मैं दंग हूं। कम समय में उनका प्रोग्राम लोकप्रिय था । हां वो दलित करोडपतियों वाला ऐपिसोड सत्यपरक नही था । बाद में आउटलुक ने इसपर कवर स्टोरी की थी ।
Anuj
June 13, 2011 at 3:03 am
मेरे हिसाब से एन डी टी वी इंडिया का एक बेहतरीन कार्यक्रम बंद हो गया है…. चाहे पहाडगंज की गलियां हो या बदरपुर के छोटे से कमरे में बिहारियों का दर्द या खोड़ा कालोनी के सीवर की कहनी….किसी चैनल में है इतना दम कि वो दिखायेगा यह सब। टीवी पर ऐसे प्रोग्राम बहुत हीं कम देखेने को मिलते हैं। भाषा के बारे में कहने के लिए मेरे पास तारीफ़ के लिए शब्द नहीं है.. नए पत्रकारों के लिए इससे ज्यादा सीखने के लिए कहीं और नहीं मिल सकती… मैं कभी भी रवीश की रिपोर्ट छोड नही पता था। जो हुआ वो बहुत बुरा है।
imroj
June 13, 2011 at 11:56 am
ye bahut bura hua. kamse kam yuwa pidhi ko ravish ki report se bahut kuch sikhne ko milta tha. ravish ki report hi ndtv ki jann thi. use band nahi karna chahiye
Rohit Bist
June 13, 2011 at 1:37 pm
चलो बंद हुआ इग्नू का ज्ञान दर्शन चैनल…selfsaticfaction के लिए झख्खी प्रोग्राम बनाया जा रहा था। लाखों की सैलरी पाकर बड़ी बड़ी बातें करने वाले एक नकली शख्स की दुकान बंद हुई। ;D;D;D;D;D;D;D;D
दीपक श्रीवास्तव, गोरखपुर
June 14, 2011 at 6:11 am
अगर यह खबर सच है तो वास्तव में एक बेहतरीन कार्यक्रम को हम खो रहे हैं…… रवीश की रिपोर्ट को एक बार देखने वाला बंदा उनका कायल हो जाता है.. बेहद सरल भाषा में रवीश कितने लोगों का दर्द उभारकर सामने लेकर आते थे, और बातों बातों में देश की अर्थव्यवस्था से लेकर विदेश नीति तक की बातें आम जुबान में कह देने की क्षमता इनके सिवा मुझे किसी और में नही दिखती है……..
santoshkatyal
June 17, 2011 at 12:37 pm
I always watch the every report of Mr. Ravish Kumar. I miss this programme very much. Why ndvt taken this decision, which reports for every common men.
असित नाथ तिवारी
June 17, 2011 at 4:40 pm
रवीश की रिपोर्ट को बंद करना आत्मघाती कदम है।
RAJESH CHAUHAN
June 18, 2011 at 8:43 am
RAVISH KI REPORT KA THEEM JITNA PRACTICAL HOTA THA., BHASHAI TAUR PAR VAH USSE B JYADA MAJBOOT THI. NAVODIT PATTARKARON KE LIE PRERNA HAIN RAVISH. YE PROGRAMME CONTINUE RAHNA CHAHIE THA
Mukesh
June 18, 2011 at 6:23 pm
Ye bahut bura huaa. Aisi ummid nahi thi. Bebak kala aur sidhi baat se janta k dukh-dard ko janmaanas tak pahunchane me mahir hain ravis bhaiya. Sk mukesh. gaya
rajesh chourasia
June 19, 2011 at 12:52 pm
एन डी टी वी इंडिया का एक बेहतरीन कार्यक्रम बंद हो गया है….
बिहारियों का दर्द या खोड़ा कालोनी के सीवर की कहनी….
टीवी पर ऐसे प्रोग्राम बहुत हीं कम देखेने को मिलते हैं। भाषा के बारे में कहने के लिए मेरे पास तारीफ़ के लिए शब्द नहीं है…
maine कभी भी रवीश की रिपोर्ट छोड नही पता था।
जो हुआ वो बहुत बुरा है।
deepk kumar
June 19, 2011 at 4:45 pm
bahut galat hua.nd tv ke log rajniti karke ravish ko kinare lagaye hai.report se lagatar ravish ki lokpriyata badh rahi thi.yahi bat kuch logo ko pasand nahi thi.fir v ravish jindabad.
k c jha
June 20, 2011 at 6:48 am
एन डी टी वी इंडिया का एक बेहतरीन कार्यक्रम बंद हो गया है….
बिहारियों का दर्द / k c jha(kalam ki jeet)9910373481
Aamir
June 21, 2011 at 6:06 am
रवीश जी की रिपोर्ट को बंद करना मतलब सच्ची पत्रकारिता पर आघात की तरह है क्या कार्यक्रम हैं आजके न्यूज़ चैनल्स के पास आज ज्यादातर तो चैनल खुद में न्यूज़ बने हुए हैं….मैने रवीश जी की हर खबर को बड़े ही बारीकी से देखा है….अच्छी तन्ख्वा पर काम करने वाले को छप्पर में…मज़दूर की थाली में खाना खाते देखा है…वो रिपोर्ट नहीं थी….झूठे परिदृष्य से सच का आईना दिखाया था रवीश जी ने…..कलम की स्याही को टेलीवीज़न पर उतारा था रवीश जी की रिपोर्ट ने….जो भी हुआ बहुत गलत हुआ है…..रवीश जी मै आपसे कहना चाहुंगा इस रिपोर्ट को जारी रखे….आज भी इस झूठी दुनिया में सच देखने वाले लोग कम नहीं हैं।
कुछ कार्यक्रम ऐसे होते हैं जो टीआरपी से परे होते हैं।
suresh mishra
June 28, 2011 at 5:31 am
raveesh ji ki report band ho gayi, unki shoch aur chintan ko to koyi nahi band kar sakta na . itanaa jaroor hai ki wah vyakti aur varg ab apni peeda ke saath t.v. par nahi dikhegaa jisake liye patrakaarita paribhaashit hai. jis jagah ham aam patrakaar samaachar nahi khoj paate the wahin raveesh ji apani special report khoj lete hain . unki kabiliyat ko kaun band kar sakta hai . kisi naye episod ke saath eaveesh ji duniya ke saamane fir t.v. par aayenge hame yahi ummed hai. raveesh ji ko shubhakaamanayen. suresh mishra. india news , auraiya
azeez ahamed
July 8, 2011 at 8:11 am
mera bus chalta to ” ravish ki report” jaari rakhne ke liye NDTV ke office gate pr dharna de kr beth jata lakin jaanta hun ki kya frk padega beeke huye NDTV pr. bhaiyon ravish ki report is liye band ki gayi hai kyun ki us time pr dusre channal ka koi prograam log nahi dekh paa rahe honge to NDTV walo ko khareed kr band karwaya gaya hai “ravish ki report ko” NDTV per ek yug ka ant ho gaya hai.
Shailendra verma
July 30, 2011 at 12:46 pm
Ravish ji ki report band hona Sach ki hatya karne jaisa hai.
Rakesh Agrawal
August 13, 2011 at 5:50 pm
NDTV par ravish ki report bahut achcha program tha, iske band hone se NDTV ke darshak jarur kam honge, ye bahut durbhagypurn baat hai
arvinder
September 26, 2011 at 5:21 pm
unka andaaj sabse anokha tha muzhe herani is baat ki h ki Hindi ke patrkar ne jo khabro ka asli roop dikhaya tha use aaj tak koi bhi english patarkaar nhi dekha paya [[b]NDTV INDIA PER RAVEESH KI REPORT EK ASI REPORT THI JO ASAL ME ASLI KHABAR DIKHATI THI[/b]
moonu sharma
October 21, 2011 at 10:48 am
रवीश जी की रिपोर्ट को बंद करना मतलब सच्ची पत्रकारिता पर आघात की तरह है क्या कार्यक्रम हैं आजके न्यूज़ चैनल्स के पास आज ज्यादातर तो चैनल खुद में न्यूज़ बने हुए हैं….मैने रवीश जी की हर खबर को बड़े ही बारीकी से देखा है….अच्छी तन्ख्वा पर काम करने वाले को छप्पर में…मज़दूर की थाली में खाना खाते देखा है…वो रिपोर्ट नहीं थी….झूठे परिदृष्य से सच का आईना दिखाया था रवीश जी ने…..कलम की स्याही को टेलीवीज़न पर उतारा था रवीश जी की रिपोर्ट ने….जो भी हुआ बहुत गलत हुआ है…..रवीश जी मै आपसे कहना चाहुंगा इस रिपोर्ट को जारी रखे….आज भी इस झूठी दुनिया में सच देखने वाले लोग कम नहीं हैं।
कुछ कार्यक्रम ऐसे होते हैं जो टीआरपी से परे होते हैं।
deepak verma
October 11, 2013 at 8:06 pm
i need a ravish kumar ndtv ki e mail id….
can you help me