लखनऊ से बसपा का अखबार निकलने जा रहा है. जनसंदेश टाइम्स. पहले जनसंदेश नाम से चैनल खुला. अब जनसंदेश टाइम्स नाम से अखबार खुलने जा रहा है. लखनऊ के कयासबाज मान रहे हैं कि ये बहिन जी की बड़ी तैयारी का हिस्सा है. जिस तरह लखनऊ व इलाहाबाद से प्रकाशित डेली न्यूज एक्टिविस्ट उर्फ समाजवादी पार्टी का परचम लहराते हुए बहिन जी और उनके कारिंदों के कान काटने में लगा रहता है, उसी तरह बहिन जी चाहती हैं कि अगर किसी भी गलती से उनकी सरकार फिर सत्ता में न आ पाए तो दूसरी सत्तासीन पार्टियों के कान काटने का काम जनसंदेश टाइम्स करे.
दरअसल मीडिया विश्लेषक इसे एक नए मीडिया युग के शुरुआत के रूप में भी देख रहे हैं. पहले मीडिया से निष्पक्षता की अपेक्षा की जाती थी लेकिन अब जो दौर है उसमें मीडिया वाले पैसे लेकर अपनी पक्षधरता साबित करते हैं. ऐसे में नेताओं को बड़ी दिक्कत होने लगी है. कल तक जो अखबार सत्ता में रहने पर नेताजी उर्फ मुलायम के जय जय कहते लिखते थे, वे सभी आजकल नेताजी के नाम पर चुप्पी साधे हैं और बहिन मायवती जी के चरणों में जय जय करके झुक झुक जा रहे हैं. जागरण वालों ने अपने दोस्त व शुभचिंतक लालजी टंडन से चुनाव में पेड न्यूज के लिए पैसे मांग लिए तो दुखी लालजी टंडन ने काफी कुछ मीडिया वालों के सामने कहा. सौ बात की एक बात की अखबार वाले अब किसी के नहीं रह गए हैं, सिर्फ पैसे के पक्षधर हैं, जो पैसा फेंकेगा, उसका तमाशा दिखाएंगे.
इस माहौल में अगर पोलिटिकल पार्टियां अपने-अपने विचारधारा को पोषित करने वाले और दूसरे सत्ताधारियों के विचारधाराओं, कुनबे, कामकाज की पोल खोलने वाले अखबार निकालने की ओर बढ़ रहे हैं तो बुरा नहीं है. कम से कम जनता को यह तो पता होगा कि फलां अखबार फलां पार्टी से संबंधित है. जागरण ने हिंदुत्व की भाजपाई विचारधारा के रथ पर सवार होकर जिस कदर प्रसार व दाम का मुनाफा कमाया, उसी का नतीजा है कि यह अखबार आज तक तमाम कुकर्म के बावजूद नंबर वन बना हुआ है. प्रोफेसर निशीथ राय वाले डेली न्यूज एक्टिविस्ट ने माया के जंगलराज का जिस तरह साहसपूर्वक खुलासा किया है, वह बेहद सराहनीय काम है.
ऐसे में अगर कल को नेताजी की सरकार जोड़तोड़ से बनती है तो नेताजी के राज का असर चित्रण जनसंदेश टाइम्स करने लगे तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए. निशीथ राय की टीम का जवाब देने के लिए सुभाष राय की टीम कमर कसकर तैयार है. अब किसी भी दिन जनसंदेश टाइम्स का लांच संभव है. इन पार्टीबाज अखबारों की संभावित लड़ाई में लखनऊ के दूसरे अखबारों का हाल क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी. खैर, ये सब तो कयास हैं, कानाफूसी है, कनबतिया हैं, इनमें सच्चाई की मात्रा कितनी है, इसे तो पढ़ने के बाद पाठक लोग ही बताएंगे.
mohan
January 24, 2011 at 2:40 pm
chalo es bahane patrkaro ko rojgaar to milega…………
Abul bashar khan,Faizabad
January 26, 2011 at 2:17 pm
Agar Rozgar hi chahiye to chaye- Paan ki dukan khol lo. kam se kam Aatm-samman to bacha rahega.
Dont mind…maine ye tippadi kisi vyakti vishesh ko nahi ki hai.
anil kumar pant
January 26, 2011 at 2:35 pm
If Heathy competion than is good.
Ramanand Soni
January 28, 2011 at 3:01 pm
Ajkal neta ko sirf neta bane rahane main vishwas nahi rah gaya hai. Vah ab patrakar bhi banana chahata hai. Kal tak media ko Galiyan dene wali BSP ab khud media ke kshetra main kudane ja rahi hai. Kahin Bahinji Akhbar ki ot main (under cover) CBI jaisi investigating agenciyon se apani jan to nahi bachane ki soch rahi hain ?
Ravindra kushwah
January 31, 2011 at 2:40 pm
kam ke aadhar par neta apni pahachan banaye rakhne me nakam ho rahe hain. ese me akhbar nikalna wajood banae rakhne ka behtar vikalp ho sakata hai. mayawati ne bhi yahi socha hai. ab media karmiyon ko rajniti me aana chahie.
Ravindra kushwah
January 31, 2011 at 2:43 pm
rajniti me seemit hote vikalpon ne netaon ki chinta badhaee hai. mayawati akhbar nikalen to rajniti choden, swagat hai
Jagdish shukla Gwalior
February 6, 2011 at 7:09 pm
Before starting the publication of a news paper bahan ji should giveup politics.This wiil be better for bahan ji.Because this is not government which counduct by the mercy of God.This is news paper.Publication of a news paper is totly diffferent by counduction of a government.finely we can guess how Maya justify the newspaper.
thanks
Jagdish shukla
Gwalior