गुलाब कोठारी ने पत्रिका अखबार के पहले पन्ने पर जो विवादित संपादकीय लिखा, उसे और उस पर पत्रकारों की तरफ से आई प्रतिक्रियाओं को भड़ास4मीडिया में स्थान दिया जाना पत्रिका प्रबंधन को शायद नागवार गुजरा है. इसी कारण पत्रिका के सभी संस्करणों में भड़ास4मीडिया को खोलने और देखने पर पाबंदी लगा दी गई है. भड़ास4मीडिया वेबसाइट के पैदा होने के बाद अब तक दर्जनों बड़े छोटे संस्थानों ने इसे अपने-अपने यहां प्रतिबंधित किया.
ऐसा इसलिए क्योंकि इस वेबसाइट पर अब तक पवित्र गाय माने जाने वाले मीडिया संस्थानों के भीतर भरे कचरे का खुलासा किया जाता रहा, जो उन्हें बेहद नागवार लगता रहा. संस्थानों में इस साइट के प्रतिबंधित किए जाने की खबर पर भड़ास4मीडिया में कभी नहीं प्रकाशित की गई क्योंकि हम लोग ये मानकर चलते रहे कि भड़ास का मतलब ही एक किस्म का विद्रोह है जिसे सिस्टम और संस्थान पचा न पाएंगे और इसे दबाने की सारी कोशिश करेंगे. मुकदमों, लीगल नोटिसों, प्रतिबंधों, लांछनों, आरोपों…. आदि को झेलते हुए बड़े हो रहे भड़ास4मीडिया ने हमेशा यह दिखाया कि हम किसी आग्रह-पूर्वाग्रह से नहीं, किसी एक के प्रति पक्षधर होकर नहीं, बल्कि एक खुले मंच की तरह आपरेट कर रहे हैं जिसमें सबकी बातें आती हैं, और जरूरत पड़ने पर भड़ास4मीडिया के लोगों के खिलाफ भी इसी पोर्टल पर खबरें लेख आदि का प्रकाशन हो जाता है.
हां, अगर झुकाव व आग्रह की बात की जाए तो भड़ास4मीडिया कामन जर्नलिस्टों और मीडियाकर्मियों के हितों का ज्यादा पक्षधर है, बनिस्पत मीडिया मालिकों या प्रबंधकों के. आम पत्रकारों का पक्षधर होने के खतरे भी भड़ास4मीडिया को समय-समय पर उठाने पड़े हैं और आज भी गाहे-बगाहे धमकियां और गालियां चली आती हैं. लेकिन मीडिया संस्थान जान लें कि किसी एक भड़ास का गला घोंटने से भड़ास निकाले जाने का क्रम नहीं रुकेगा बल्कि इस भड़ास जैसे आज दर्जनों हिंदी पोर्टल अपने-अपने सामर्थ्य के हिसाब से सच्चाई को सामने-लाने का प्रयास कर रहे हैं और यह अब एक आंदोलन का रूप ले चुका है. ऐसे में ज्यादा अच्छा है कि हर कोई खुद को ज्यादा ट्रांसपैरेंट बनाए ताकि बेहतर लोकतांत्रिक चेतना के साथ एक बेहतर माहौल और समाज का निर्माण किया जा सके.
रही पत्रिका और गुलाब कोठारी की बात तो गुलाब जी ने संपादकीय लिखकर अच्छा काम किया है. आजकल के मालिक अपनी बात नहीं रखते क्योंकि उन्हें विरोध होने का डर रहता है. गुलाब कोठारी ने वाकई हिम्मत का काम किया है. उन्होंने विरोध किए जाने के खतरे को उठाते हुए भी अपने मन की बात लिख डाली. पर वे ये क्यों मान रहे हैं कि उन्होंने जो लिखा है, उसे पूरा पत्रकार जगत उसी रूप में सही मानकर स्वीकार कर लेगा. गुलाब कोठारी की बात एक बड़े बहस की शुरुआत है और गुलाब कोठारी ने अपनी कोई अकेले की बात नहीं कही है बल्कि उन्होंने अपने जैसे सारे मालिकों की भावनाओं को शब्द दिया है.
तो, अब पत्रकारों की तरफ से भी बात रखी जा रही है और उसे भी गुलाब कोठारी को उसी अभिव्यक्ति की आजादी की तरह लेना चाहिए जिस आजादी के तहत उन्होंने लिखा है. चूंकि अखबार के मालिक वे खुद हैं, इसलिए वे अपना जैसा भी लिखा छाप सकते हैं लेकिन आम पत्रकार उनके यहां कर्मचारी होता है सो उनकी बात उनके अखबार में शायद ही छपे. इसी कारण भड़ास जैसे मंच पैदा हुए हैं जो आम पत्रकारों की बातों व दुखों को सबके सामने लाने का काम करते हैं. सुना है कि राजस्थान के कई वरिष्ठ पत्रकार कोठारी खानदान की कुंडली तैयार कर रहे हैं. अगर वे लोग ऐसा कर पाते हैं तो उस संपूर्ण कुंडली का विस्तृत प्रकाशन भड़ास4मीडिया पर किया जाएगा.
यशवंत
एडिटर
भड़ास4मीडिया
ऐसी खबरें जो परंपरागत मीडिया में नहीं आ पातीं, दबा दी जाती हैं, गिरा दी जाती हैं, उन्हें हम तक भेजें. मीडिया के अंदर की वो खबरें जो कहीं नहीं छप पाती, आप भड़ास4मीडिया के पास भेजें. हमारी मेल आईडी bhadas4media@gmail.com है. आपकी खबरों-सूचनाओं का प्रकाशन सुनिश्चित किया जाएगा. और, ऐसा करके आप समाज को लोकतांत्रिक बनाने और सिस्टम को ज्यादा ट्रांसपैरेंट बनाने के महाअभियान में योगदान देंगे. अनुरोध करने पर मेल व जानकारी भेजने वालों का नाम भी गोपनीय रखा जाएगा.
Comments on “भड़ास पर पत्रिका समूह में पाबंदी”
Is khabar main kitni sachai hain?
Dada maan gaye.
yashwant ji, kahne aur karne me fark hota hai, maine ek khabar 3-4 baar cutting k saath bheji lekin aapne nahi chhpi jabki anil ji lagaatar mujhe ashwasan dete rahe k aaj chaap denge, kal chaap denge. aap ka bhi bahi haal hai k KAHO KUCH AUR KARO KUCH:D:D:D:D:D:D
yashwant ji aap kaam to bahut hi saandaar kar rahe hai, isame koi do ray nahi,ab aapane patrika samooh ki bakhiya udhedane ki tayyari ki hai to aapaka wah prayash bhi jaroor sarahaniya hoga. yashwant ji aaj akhabaar ke malik sirf sampadako ko chhodakar kisi aur karmachari ki taraf koi dhyan hi nahi dete aur na usaka koi wajood manate hai, fir bhi log rojagaar ki lalacha me sab kuchha sahate rahate hai, kabhi kabhi to aisa ho jaata hai ki log pratadana ko hi us sansathaan ka kanoon samaz lete hai aur apane sampadaak ya malik ko khush karane ke liye kuchha bhi anargal karate rahate hai, usaka karan bhi hai, kaafi adhakachhare log is peshe me aa gaye hai jinhe naitikata ya adarsh tatha pardarshita jaise sabdo se koi lena dena hi nahi hota, o sirf jugaad laga kar apana ullo seedha karane ki taak me rahate hai, fir rahi baat patrakarita ki to o to ab thode se logo ki gulaam hokar rah gai hai, baki log to sirf munimi kar rahe hai, jisase unaka ghar chalata rahe, yashwant ji me bhi usi tarah minimi karane wala ek akhabaari karmachari hu,jise apane baare me kuchha bhi bolane ka adhikaar tak nahi hai, kahi parichay tak nahi de sakate ham ki kisi sansthaan me ham bhi up sampadak hai, koi baat nahi jab roti ki jugaad hi karani hai to ye sab to bardast karana hi padega.aap lage rahiye, kyunki aap patrakarita jagat ke liye aaina ban gaye ho. bada achha lagata hai bhadas4media.com par khabaro aur jaankaariyo ko dekhakar.
भाई, प्रशांत जी, बदायूं जिले के हिंदुस्तान अखबार में ब की जगह व छप जा रहा है, इससे संबंधित आपकी लंबी चौड़ी मेल मुझे चार बार मिली लेकिन मुझे नहीं लगा कि इस तरह की खबर छापने पर हम लोगों को अपनी एनर्जी खर्च करनी चाहिए. अखबारों में भाषाई व ग्रामेटिकल त्रुटियां एक अलग विषय पर जिस पर समय समय पर लोग लिखते भी रहते हैं. अखबारों की हम उन्हीं गल्तियों को प्रकाशित करते हैं जिसमें खबर रिपीट होने जैसी कोई बात हो जाए. हालांकि खबर रिपीट भी एक सामान्य परंपरा है लेकिन जब यह बार बार होने लगे तो इसे भी प्रकाशित करते हैं. पर मुझे आप पर आश्चर्य होता है कि आप बदायूं में हिंदुस्तान अखबार में प्रूफ या ब की जगह व छपते जाने को लेकर इतने परेशान क्यों हैं. कहीं आपकी निजी खुन्नस तो नहीं? अगर हो भी तो इतने हल्के व छोटे मुद्दे उठाकर कुछ खास प्रभाव नहीं डाल सकेंगे आप. इसके लिए बड़े मामले पकड़ें और भेजें.
आभार
यशवंत
यशवंत भाई आपने पुरी सच्चाई और साफ़गोई के साथ अपनी बात रखी है । भडास को एक ऐसे मंच के रुप में मानना चाहिये जो पत्रकार सहित सभी लोगों को अपनी बात रखने का मंच उपलब्ध कराता है । आखिर पत्रकार कहां जायेंगे ? कोई अखबार उनकी तकलीफ़ , उनके साथ हुई ज्यादती को तो निकालेगा नही , फ़िर क्या होगा ? भडास सेंसर के खिलाफ़ एक आंदोलन है , अभिव्यक्ति की आजादी का प्रतीक है । इसे जिंदा रहने दो मेरे दोस्तों , अखबार के मालिकों ।
यशवंत जी आपको भारतीय मीडिया का ” जूलियन असांज ” कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा . अंकित जी खबर सौ फीसदी सच है, पूरे पत्रिका समूह में भड़ास ब्लाक कर दी गयी है.पत्रिका ही नहीं पत्रिका के अन्य प्रकाशनों डेली न्यूज़ और न्यूज़ टुडे में भी भड़ास ब्लाक है.
ankit ji
khabar ekdum sach hai
Egypt bana diya hai ,patrika ko.
Kabhi mahatma gandhi ne kaha tha:
“First they ignore you, then they laugh at you, then they fight you, then you win”
Yahi bhadas ke saath hua, pahile so called bade media malikon ne isko ignore kiya, phir ispar hanste rahe aur ab unpar iska asar hone laga hai. Woh isse fight ke mood main aa gaye hain. Yeh bhadas ki jeet hai. Final jeet ki shuruat hai. Poonji pati hamesha tana shahi ka palan poshand karte aaye hain, ukno loktantrik vayavastha nahin bhaati jismen sab ko apni baat kahne ka adhikaar ho. Bhadas ne media karmiyon ko loktrantik manch diya hai jo poojipati media malikon ko raas nahin aa raha. Jeet loktantrik mulyon ki hogi.
Lage raho bhadasiyo, lage raho yashvant bhai.
दैनिक भास्कर समूह ने भी भड़ास को ब्लॉक करवा रखा है। अब पत्रिका ने भी यही किया है। यह सभी उस बिल्ली की तरह हैं, जो दूध पीते वक्त अपनी आंखें बंद कर लेती है और सोचती है कि उसे कोई नहीं देख रहा है। मगर अफसोस कि आंख बंद करने से रात नहीं होती है। सच का सामना करने के बजाए सच का मुंह बंद करना ज्यादा दिनों तक नहीं चलता है।
“Vinash Kale vipreet Buddhi”
Bhai Kamaal ho gaya,waqai lajawab .
Media organisation mein hi Bhadas block
Gulab kothari sochte hai ,jaise ghar par ya cafe mein to internet connection hota hi nahi hai .
Bhadas4media ko unblock kar do Patrika walo
Hey Ram Gulab kothari ko sadbuddhi dena,
Ye nahi jante ye kya kar rahe hai.
अरे साहब गुल सिर्फ यहां ही नहीं जागरण में भी है यहां भी भड़ास की वेबसाइट बैन है
PATRIKA ab unn logo par karwahi kar raha he jin logo ne office me bhadas website open ki the, mere ek dost ko pakda aur dhamki de daali aur kaha naukri pyari he to apne kaam se kaam rakho nahi to ghar baitho
TANASHAHI CHAL RAHE HE PATRIKA ME
yashwant ji aap nek kaam kar rahe hai..bus itna dhyan rakhiyaga ki kahi is per bhi malik kabbja na karne lage..badhai..bhagwan aapko dirghayu de..tash de sambal de
यशवंत जी नमस्कार.
पत्रिका का विरोध अपनी जगह है पर शुक्रवार को पत्रिका ने जबलपुर में इतिहास रच दिया.जहाँ सब अख़बारों ने पैसे लेकर कांग्रेस विधायक के काले कारनामे नहीं छपे या छोटा चाप वो भी विधायक और उसके भाई का नाम नहीं छापा. वही पत्रिका के संपादक ने एक बार में ही पूरी काली कहानी लिख दी.
जबलपुर के हर आम आदमी की जुबान पैर शिर्फ़ एक ही बात निकल रही थी की पत्रिका ने अब तक किसी को नहीं छोड़ा चाहए दादा हो या दबंग विधायक या फिर मेडिकल सेक्स स्कैंडल किसी भी चीज में पीछे नहीं रहा है
भास्कर जो सबसे आगे बना रहने का दावा करता है असल में विज्ञप्तियों को छापकर काम चलता है. वह का फोतोग्र्फेर हो या रिपोर्टर बस दुकान चलने से मतलब रखते है.
हम गर्व से सीना ऊँचा करके कह सकते है की पत्रिका जबलपुर ने सर झुकने से बचा लिया . हम भले ही अलग अलग प्रेस में काम करते हो पर ख़बरों में दम ही वो सिद्धार्थ भट्ट जी के कारन है और वह के लोग काम पर ध्यान देते है————-जबलपुर जर्नलिस्ट
हकीक़त जानने के लिए जरूर पढ़े बिना पढ़े कमेन्ट न करें
http://epaper.patrika.com/final/english.php?edition=Jabalpur
http://epaper.patrika.com/final/english.php?edition=Jabalpur
bahut durbhayga ki baat hain ki koi ek choti si baat ko aisa batangad bana diya.. loktantra main sabhi ko apni baat kehne ka hak hain.. jaise gulab kothari ji ne keha.. aap bhi keh rahe hain.. but jis tarah se aap isse egypt se compare kar rahe hain.. ab mujhe ismein person dushmani jayada lag rahi hain… yeah koi yudh nahi hain.. jeha media ki swantantra bhang ki gayi hain..
yeah sirf ek kathan tha… or kehne maatra se agar kisi ko itni takleef hoti hain.. to aap court main jaayein.. apne akhbar main chahyein.. janta ke bich pol kholyein.. but egypt se compare karne jaisi baatein mat kijiyein..
bhadas ko block karna galata baat hain.. or yahi nisandeh galat hain…per isse egypt se tulna karna ka matlab ek choti soch ko darshata hain..
jis par pabndi wah karne me adhik aanand aata hai. sab jante hain ki chhup chhup kar peene ka maja kuchh or hai.
यशवंत भाई आप को बहुत बहुत बधाई. आप तो दुआ कीजिए कि देश के सारे अखवार मालिक भड़ास को प्रतिवंधित कर दे. इन बेचारो को यह नहीं मालूम कि जिन लोगो ने यह प्रतिवंध लगाया है उनके पत्रकार ज्यादा ही भड़ास देखते है…कोई और तरीका खोजे अब मालिक ..इनका बस चले तो तय कर दे कि बेचारा पत्रकार साँसे भी इन्ही से पूछ कर लेगा.
Respected Gulabji,
Money is not a matter for you because you are a spiritual person and always live with the family. I hope that you better know how to handle the expenses of family in this time. So if you have give some relief to your employees than god will give you blessings from all the employees family members. Being a leader of the organization you have to give support to your employees and boost his moral to give you support also in this crucial time.
Ankit ji
Aap ek taraf to block karne ko galat bata rahe hai aur doosri taraf aap isse egypt se compare karna choti baat bata rahe hai.
Agar ye choti si baat hai to ,ban kyun kiya, bataiye?
Aur aapko yadi pata nahi to mein bata doon ye constitution ke article 19 mein di gayi Abhivyakti ki aajadi ko kuchalne ka prayas hai.
Malik Media ki Aazadi ki baat karte hai aur khudke sansthan mein bhadas jaise khule manch ko ban karte hai..aakhir kyun?
Mere Bhai ko bata doon Egypt mein bhi is tarah se hi pahle sites block ki gayi aur fir internet band kar diya gaya tha.
yahan bhi aisa hi ho raha hai..
Mubarak Egypt mein the , aur Gulab Kothari Patrika mein,dono mein antar kya raha
Patrika sansthan mein Gulab kothari ek TANASHAH ki tarah , patrakaro ke saath behave karte hai, aap jaise kuch log unki is harqat ke baad bhi Patrika ki tareef kar rahe hai,waqai Tazzub ki baat hai…
Yashwant ji ,
Bahut hi Pavitra kaarya kar rahe hai aap.
Ab Gulab Kothari ka Dohra charitra saamne aa gaya hai.
“Bhadas par pratibandh ka matlab Media ki Aazadi par pratibandh”.
Jai Hind
EK KHULASA-BREAKING NEWS
PATRIKA KE MARKETING HEAD IN DINO D.P.R.ME GHOOM RAHE HAI..7 MARCH KO PATRIKA KA STHAPNA DIWAS HAI..UNHE VIGYAPAN CHAHIYE..ARE PATRIKA WALON 2 DIN TO RUK JATE,BATAO AB GULAB JI KYA KARENGE..KAL KE PATRIKA ME KUCH HOGA ? APNI RAI DE..
EK KHULASA-BREAKING NEWS
PATRIKA KE MARKETING HEAD IN DINO RAJASTHAN PUBLIC REATION KE DAFTAR ME GHOOM RAHE HAI..7 MARCH KO PATRIKA KA STHAPNA DIWAS HAI..UNHE VIGYAPAN CHAHIYE..ARE PATRIKA WALON 2 DIN TO RUK JATE,BATAO AB GULAB JI KYA KARENGE..KAL KE PATRIKA ME KUCH HOGA ? APNI RAI DE..
गुलाबवाणी
गुलाब कोठारी ने निकाली अपने मन की भड़ास..
लिख डाला एक सम्पादकीय, पत्रकारों के खिलाफ….
पत्रकारों के खिलाफ लिख , मन ही मन मुस्कुराए..
पर ” भड़ास ” पर प्रतिक्रिया देख, वो बहुत घबराये….
वो बहुत घबराये तो , भड़ास पर प्रतिबन्ध लगवाया ….
पर क्या होना प्रतिबन्ध से , ये इक्कसवीं सदी है ” भाया”…..
यशवंतजी के साथ ने आपको ,अपना स्थान दिखाया …..
न करना ऐसी गुस्ताखी , फिर से देखो भाया…..
पत्रिका जबलपुर से दीपक पटेल की छूट्टी
दीपक पटेल पत्रिका में सुरु से ही काम कर रहे थे लेकिन ओवर कांफिडेंस के चक्कर में शुक्रवार को अदालत में विधायक लखन घंघोरिया के भाई जय की फोटो दुसरे फोटोग्राफेर को भेज दिया.
संपादक से झूट बोला की लड़के पहुँच गए थे जिनके कारन फोटो नहीं हो पाया
लेकिन मौके पर पहुंचे रिपोर्टर ने सच बता दिया की दीपक पटेल आये ही नहीं
जबकि पत्रिका ने ही विधायक लखन घंघोरिया के खिलाफ खुल कर दो पेज का समाचार छापा था. विधायक लखन घंघोरिया ने पैसे देकर अंन्य पेपर को खरीद लिया लेकिन संपादक सिद्धार्थ भट्ट ने बहार से ही पैसे लेकर आय लोगो को भगा दिया.
और रिपोर्टर को अगले पिछले सारे कारनामे पता करने के निर्देस दे दिए ताकि दुसरे दिन छापने के लिए कुछ न बाकी रहे
इससे पहले भी दीपक ने संपादक से बहस की थी लेकिन माफ़ी मांगने पर वापस बुला लिया गया था.दीपक में अकाद जरूरत से ज्यादा होने के कारन भी लोग दूर रहते ही. पेसे से दीपक बिल्डर का काम करता है और प्रेस फोतोग्रफे साइड में करता है.
aaj ka patrika dekhiye..breaking news hai page no-21 fullpage sarkari vigyapan hai.gulab ji ko sarkari vigyapan milne ki badhai
jabalpurjourtnlist ji aap apni pahchaan chupakar kisi ke baare me kyon likh rahe ho ye tumhari jalan ho sakti hai janha tak me deepak ko janta hoon jabalpur ke saare photographer me vo sabse alag hai or rahi baat builder ki to ye koi gunaah to nahi ager imandari se koi vyakti apna koi kaam kar raha hai to dusron ko to prshani nahi honi chaiye..jabalpur me janha saare photographer jara jara si baat ke liye paise lete hai unko deepak,sugan jaat jaise photographer se sikhan chiye ki apne kaam me imandari kaise rakhi jaati hai…..
ban karne se kuch nahi hoga..bhadas4media apni aawaaj sabhi tak pahuchaati rahegi…ROK SAKO TO ROK LO
kaun kahta hai ki patrika nishpaksh hai. ek baar bhopal aur patrika aakr dekho. patrkaro ko beijjat karne wala akhbaar hai.
पत्रिका और भास्कर दोनों एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं. मीडिया की आज़ादी की बात करने वाले इन दोनों ही अखबारों के पत्रकारों की हालत बंधुआ मजदूरों जैसी है पर बड़े बेनर के लालच के जरिये कमाई करने में “एक्सपर्ट” दोनों ही अखबारों में काम कर रहे ज्यादातर पत्रकार भाई लोग मुंह पर ताला लगाकर काम कर रहे हैं
हरिओम गर्ग
बीकानेर